पिछले दिनों मेरे अनुरोध पर यूनुस भाई ने अपने लेख में हमें बताया कि किस तरह मशहूर संगीतकार रामलाल ने मुफलिसी में अपने अंतिम दिन गुजारे। मैने नेट पर इस तरह के अन्य गायकों के बारे में जानकारी पाने की कोशिश की तो नलिन शाह के एक लेख से कई ऐसे गायक संगीतकारों के बारे में पता चला जिन्होने अपने अंतिम दिन भीख मांगते हुए गुजारे।
मशहूर अभिनेता मास्टर निसार जिन्होने फिल्म शीरी फरहाद 1931 से लोगों को अपनी मधुर आवाज से लोगों को दीवाना बनाया, अपने जीवन के अंतिम दिन ब्रेड के एक-एक टुकड़े के लिये भीख मांगते हुए गुजारे। आपने राजकुमारी का नाम तो सुना ही होगा जिन्होने महल फिल्म में घबरा जो हम सर को टकरा दें तो अच्छा हो और बावरे नैन के सुन बैरी सच बोल जैसे सुन्दर गीत गाये थे, और फिल्म जगत में अपनी आवाज से छा गई थी, अंतिम दिनों में बहुत गरीबी में लगभग भिखारी की तरह गुजारे। मास्टर परशुराम ने फिल्म दुनिया ना माने 1937 में भिखारी का रोल निभाया और मन साफ तेरा है या नहीं पूछ ले दिल से गाना गाया, बाद में अपनी असली जिंदगी में भिखारी बने।
रतन बाई जो फिल्म भारत की बेटी फिल्म में तेरे पूजन को भगवान बना मन मंदिर आलीशान जैसा गाना गाकर प्रसिद्ध हुई अपने आखिरी दिनों में हाजी अली की दरगाह के बाहर भीख मांगती पाई गई। मशहूर संगीतकार खेमचन्द्र प्रकाश जी की दूसरी पत्नी भी मशहूर संगीतकार नौशाद को भीख मांगती मिली। कहीं पढ़ा था कि हमराज फिल्म की सुन्दर नायिका विम्मी के अंतिम दिन भी बहुत बुरे गुजरे। भारत भूषण और भगवान दादा जैसे सुपर स्टारों का हाल भी बहुत बुरा हुआ।
मैं इस लेख में खास जिनका जिक्र करना चाह रहा हूँ वे थे मशहूर संगीतकार एच खान मस्ताना (H. Khan Mastana) जिन्होने मोहम्मद रफी साहब के साथ फिल्म शहीद में वतन की राह में वतन के नौजवां शहीद हो जैसे कई शानदार गीत गाये और मुकाबला 1942 जैसी कई फिल्मों में संगीत भी दिया; एक दिन मोहम्मद रफी साहब को हाजी अली की दरगाह के बाहर भीख मांगते मिले। मैं आज आपको उनके गाये दो गाने सुनवा रहा हूँ जिनमें एक तो यही है वतन की राह… इस गीत के संगीतकार गुलाम मोहम्मद हैं।
वतन की राह में
दूसरा गाना फिल्म मुकाबला 1942 का है गीत के बोल हैं हम अपने दर्द का किस्सा सुनायें जाते हैं। गीतकार एम करीम और संगीतकार खुद खान मस्ताना हैं।
Paras said,
December 19, 2007 at 5:45 pm
Watan ki raah mein is my all time favorite..brings tears to my eyes without fail. Rafi Sahab is so effective as always. Thanks for the song and the tribute to H. Khan Mastana..
रंजू said,
January 17, 2008 at 11:40 am
पुराने गानों की बात ही और हैं …नशा सा हो जाता है सुन के .आपका शुक्रिया करना होगा जो इतने प्यारे गाने इतने दिनों बाद सुनने को मिले !!
महावीर said,
February 18, 2008 at 6:28 pm
सागर जी
‘मशहूर गायक जिन्हें अंतिम दिनों में भीख तक मांगनी पड़ी’ पढ़कर दुख हुआ
कलाकारों का हाल देख कर। सागर जी, दो कलाकारों के विषय में कुछ संशय सा लग
है। राजकुमारी जी, पूरी तरह से तो याद नहीं, लगभग २० साल पहले यहां लंदन आईं
थी और यहां के एक टी.वी. के हिंदी प्रोग्राम में गाने भी गाए थे। या तो वह बी.बी.सी के
चैनल पर था या फिर चैनल ४ पर था। यह समझ नहीं आया कि जो गायिका बुढ़ापे में
लंदन तक पहुंच जाए तो भीख मांगने की हालत में कैसे पहुंच गईं।
दूसरे, खेमचंद प्रकाश का बेटा भी लंदन में था और हिंदु-सेंटर में उनके गाने का प्रोग्राम हुआ था – यह भी तकरीबन २०-२२ वर्ष की बात थी।
कैसी विडंबना है कि उसकी माता जी या विमाता भीख मांगती रही। वैसे तो सब संभव है।
महावीर शर्मा