तलाशने गया था वह
अपनों के कातिलों को
कातिल पकड़ा गया
तो कोई
अपना ही निकला
फिर मारा गया वह
अपना कर्तव्य करते हुए,
अब तो शर्म
करो!
मेरी कल की पोस्ट पर आचार्य द्विवेदी जी की उपरोक्त टिप्पणी का जवाब मैंने प्रकाशित किया है
आदरणीय द्विवेदी जी
धन्यवाद
मेरी पोस्ट मीडिया द्वारा आतंकवाद को धर्म के नाम पर महिमांमंडित जिस तरह से
मीडिया ने किया है ..इस बात पर है..हिंदु आतंकवाद…मुस्लिम आतंकवाद….इस एपीसोड
ने आतंकवाद के खिलाफ लङाई को कमजोर किया है…..देखा जाये तो ये किसी देशद्रोह से
कम नहीं…..सिर्फ और सिर्फ हिंदु को बदनाम करने की जिद मैं वे लोग भूल गये कब वे
देश मैं फैले आतंकवाद का समर्थन करने लगे…..आप के विचार से क्या किया है ताज पर
हमले करके इन आतंकवादियों ने….साध्वी के हमले का बदला ही तो लिया है
….अल्पसंख्यकों पर हमलों का बदला ही तो लिया है(ये भी उन्होने चैनल वालों को फोन
करके ही बताया है…क्यों कि वे ही इन मजलूमों की आवाज को आप जैसे बुद्धिजीवियों तक
पहुंचा सकें ….जो गला फाङ फाङ कर फिर ये बता सकें कि देखों मैं तो एक धर्म पर
विश्वास न करने वाला मिस्टैकनली बोर्न हिंदु हूं….और देखो ये लोग जो कर रहे हैं
बिचारे इनके पास करने के लिए औऱ कुछ नहीं बल्कि इन्होने तो ये सब करना ही था
)
वैसे हो सकता है आपका शर्म करने का क्राईटैरिया कुछ अलग हो……मुझे तो तब भी
शर्म आ रही थी जब साध्वी को …हिंदु को …बदनाम करने के चक्कर मैं मीडिया बार बार
बिना साबित हुई चीजों को बार बार दिखा रहा था औऱ ये साबित करने मैं लगा था कि
आतंकवाद सिर्फ आतंकवाद नहीं होता …ये हिंदु होता है और मुसलमान भी होता
है…….इसलिए यदि कोई आतंकवादी घटना हो तब सोचे कि किसने की और फिर ये निश्चित
करें कि क्या करना है….
मुझे तो आज भी उतना ही दुख है ..गुस्सा है…आक्रोश है……और
इस सब के लिए कुछ करने की जबर्दस्त इच्छा है….बिना ये सोचे की वे हमलावर हिंदु थे
या मुसलमान…..वे सिर्फ आतंकवादी नहीं हैं बल्कि देश के दुश्मन हैं……मेरे
दुश्मन है…भारत माता के दुश्मन हैं(एनी आब्जेक्शन)
….ये बिना सोचे समझे ..विना पूरी पोस्ट पढे….बिना उसका सार समझे आपको शर्म
आनी चाहिये या मुझे सोचने का विषय है…श्री हेमंत करकरे की शहादत के बारे मैं शायद
आपसे कुछ ज्यादा ही गंभीर हूं मैं…..मेरी पोस्ट की अंतिम पंक्तियों मैं उनकी
शहादत को नमन किया गया हैं……..
mahashakti said,
November 28, 2008 at 9:31 am
आंतकवाद की असली जड़ कमजोर नीतियॉं है, ये कांग्रेस सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के तहत पोटा जैसे आंतकवाद विरोधी कानून को समाप्त किया गया। आज आतंकवादियों के पास एके 47 है किन्तु भारतीय पुलिस के पास लाठी भी मयस्सर नही है। क्या इसी तरह हम आतंकवाद से लड़ेगे?
सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि जब तक यह हमला नही हुआ था सारी मीडिया का केन्द्र साध्वी प्रज्ञा थी किन्तु हमले के बाद से मीडिया के पटल से साघ्वी का नाम हट गया। आखिर क्यो ?
प्रवीण त्रिवेदी...प्राइमरी का मास्टर said,
November 28, 2008 at 4:20 pm
” शोक व्यक्त करने के रस्म अदायगी करने को जी नहीं चाहता. गुस्सा व्यक्त करने का अधिकार खोया सा लगता है जबआप अपने सपोर्ट सिस्टम को अक्षम पाते हैं. शायद इसीलिये घुटन !!!! नामक चीज बनाई गई होगी जिसमें कितनेही बुजुर्ग अपना जीवन सामान्यतः गुजारते हैं……..बच्चों के सपोर्ट सिस्टम को अक्षम पा कर. फिर हम उस दौर सेअब गुजरें तो क्या फरक पड़ता है..शायद भविष्य के लिए रियाज ही कहलायेगा।”
समीर जी की इस टिपण्णी में मेरा सुर भी शामिल!!!!!!!
प्राइमरी का मास्टर