>कुछ भी नहीं कह सकेंगे इन सुंदर गीतों के बारे में; बस आप तो इन दो गीतों को सुन लीजिये, और इन गीतों को रचने वाले कलकारों को दाद दें. कि क्या खूबसूरत गीत उन्होने बनाये। दोनों ही फिल्म चोर बाजार Chor Bazar(1954) से चोरी किये हैं| गीतकार हैं शकील बूंदायूंनी और संगीतकार हैं सरदार मलिक, और गाया है लताजी ने। फिल्म के मुख्य कलाकार शम्मी कपूर और सुमित्रा देवी हैं।
हुई ये हम से नादानी तेरी महफ़िल में जा बैठे
ज़मीन की खाक़ होकर आसमान से दिल लगा बैठे
हुआ खून-ए-तमन्ना इसका शिक़वा क्या करें तुमसे
न कुछ सोचा न कुछ समझा जिगर पर तीर खा बैठे
ख़बर क्या थी गुलिस्तान-ए-मुहब्बत में भी खतरे हैं
जहाँ गिरती है बिजली हम उसी डाली पे जा बैठे
न क्यों अंजाम-ए-उल्फ़त देख कर आँसु निकल आये
जहाँ को लूटने वाले खुद अपना घर लुटा बैठे
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Huyi yeh hum se na… |
चलता रहे ये कारवां,
उम्र-ए-रवां का कारवां – २
चलता रहे ये कारवां,उम्र-ए-रवां का कारवांशाम चले, सहर चले, मंज़िल से बेखबर चले-२
बस यूँ ही उम्र भर चले, रुक ना सके यहाँ वहाँ
चलता रहे ये कारवां, उम्र-ए-रवां का कारवांफूले फले मेरी कली, ग़म ना मिले तुझे कभी-२
गुज़रे खुशी में ज़िन्दगी, आए ना मौसम-ए-खिज़ां
चलता रहे ये कारवां, उम्र-ए-रवां का कारवांदुनिया का तू हबीब हो, मंज़िल तेरी क़रीब हो-२
इन्सां तेरा नसीब हो, तुझ पे ख़ुदा की हो अमां
चलता रहे ये कारवां, उम्र-ए-रवां का कारवां
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Chalta rahe yeh ka… |
Dr Prabhat Tandon said,
May 3, 2009 at 8:53 am
>बहुत सुन्दर !!
मीनाक्षी said,
May 3, 2009 at 6:52 pm
>दोनो गीत दिल को सुकून देने वाले.. अक्सर आते है और सुनकर चले जाते है…आज अपनी हाज़िरी दर्ज कराने का जी चाहा… मधुर गीत सुनवाने का शुक्रिया.
दिलीप कवठेकर said,
May 8, 2009 at 5:28 pm
>हम आभरी हैं इन गीतों को सुनाने के लिये
लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said,
June 4, 2009 at 6:33 pm
>वीन्टेज गीतोँ की बात ही निराली है वाह वाह …
Deepak said,
July 6, 2009 at 10:42 am
>mr.sagar its really a dream come true for me i was search for this anmol treasure which u have provided its really fantastic deepak