ये लोग हैं गुमनाम लेकिन “असली” हीरो… (Unnoticed Unsung Heroes of India)

उन्नीस साल पहले जब माताप्रसाद ने अपने दो एकड़ के खेत के चारों तरफ़ जंगल लगाने की बात की थी, तब उनके पड़ोसियों ने सोचा था कि शायद इनका “दिमाग चल गया” है। लखनऊ से 200 किमी दूर जालौन के मीगनी कस्बे में माताप्रसाद के जमीन के टुकड़े को एक समय “पागल का खेत” कहा जाता था, आज 19 वर्ष के बाद लोग इज्जत से उसे “माताप्रसाद की बगीची” कहते हैं।

बुन्देलखण्ड का इलाका सूखे के लिये कुख्यात हो चुका है, इस बड़े इलाके में माताप्रसाद के खेत ऐसा लगता है मानो किसी ने विधवा हो चुकी धरती के माथे पर हरी बिन्दी लगा दी हो। माताप्रसाद (57) कोई पर्यावरणविद नहीं हैं, न ही “ग्लोबल वार्मिंग” जैसे बड़े-बड़े शब्द उन्हें मालूम हैं, वे सिर्फ़ पेड़-पौधों से प्यार करने वाले एक आम इंसान हैं। “हमारा गाँव बड़ा ही बंजर और सूखा दिखाई देता था, मैं इसे हरा-भरा देखना चाहता था”- वे कहते हैं।

बंजर पड़ी उजाड़ पड़त भूमि पर माताप्रसाद अब तक लगभग 30,000 पेड़-पौधे लगा चुके हैं और मरने से पहले इनकी संख्या वे एक लाख तक ले जाना चाहते हैं। इनमें से लगभग 1100 पेड़ फ़लों के भी हैं जिसमें आम, जामुन, अमरूद आदि के हैं। विभिन्न प्रकार की जड़ीबूटी और औषधि वाले भी कई पेड़-पौधे हैं। दो पेड़ों के बीच में उन्होंने फ़ूलों के छोटे-छोटे पौधे लगाये हैं। माताप्रसाद कहते हैं “ मेरे लिये यह एक जीव विज्ञान और वनस्पति विज्ञान का मिलाजुला रूप है, यहाँ कई प्रकार के पक्षियों, कुत्ते, बिल्ली, मधुमक्खियों, तितलियों आदि का घर है…”। माताप्रसाद ने इन पेड़ों के लिये अपने परिवार का भी लगभग त्याग कर दिया है। इसी बगीची में वे एक छोटे से झोपड़े में रहते हैं और सादा जीवन जीते हैं। माताप्रसाद आगे कहते हैं, “ऐसा नहीं है कि मैंने अपने परिवार का त्याग कर दिया है, मैं बीच-बीच में अपनी पत्नी और बच्चों से मिलने जाता रहता हूँ, लेकिन इन पेड़-पौधों को मेरी अधिक आवश्यकता है…”। उनका परिवार दो एकड़ के पुश्तैनी खेत पर निर्भर है जिसमें मक्का, सरसों, गेहूँ और सब्जियाँ उगाई जाती हैं, जबकि माताप्रसाद इस “मिनी जंगल” में ही रहते हैं, जो कि उनके खेत से ही लगा हुआ है।

किताबी ज्ञान रखने वाले “पर्यावरण पढ़ाकुओं” के लिये माताप्रसाद की यह बगीची एक खुली किताब की तरह है, जिसमें जल प्रबन्धन, वाटर हार्वेस्टिंग, मिट्टी संरक्षण, जैविक खेती, सस्ती खेती के पाठ तो हैं ही तथा इन सबसे ऊपर “रोजगार निर्माण” भी है। पिछले साल तक माताप्रसाद अकेले ही यह पूरा विशाल बगीचा संभालते थे, लेकिन अब उन्होंने 6 लड़कों को काम पर रख लिया है। सभी के भोजन का प्रबन्ध उस बगीचे में उत्पन्न होने वाले उत्पादों से ही हो जाता है। माताप्रसाद कहते हैं कि “जल्दी ही मैं उन लड़कों को तनख्वाह देने की स्थिति में भी आ जाउंगा, जब कुछ फ़ल आदि बेचने से मुझे कोई कमाई होने लगेगी, यदि कुछ पैसा बचा तो उससे नये पेड़ लगाऊँगा, और क्या?…”।

हममें से कितने लोग हैं जो “धरती” से लेते तो बहुत कुछ हैं लेकिन क्या उसे वापस भी करते हैं? माताप्रसाद जैसे लोग ही “असली हीरो” हैं… लेकिन “सबसे तेज चैनल” इनकी खबरें नहीं दिखाते…

(मूल खबर यहाँ है)


(2) शारदानन्द दास –

पश्चिम बंगाल के दक्षिण दीनाजपुर में बेलूरघाट कस्बे का एक हाई-स्कूल है, जिसके हेडमास्टर साहब आजकल तीर्थयात्रा करने अज्ञातवास पर चले गये हैं, आप सोचेंगे कि भई इसमें कौन सी खास बात है, एक बेनाम से स्कूल के किसी शिक्षक का चुपचाप तीर्थयात्रा पर चले जाना कोई खबर है क्या? लेकिन ऐसा है नहीं…

एक तरह से कहा जा सकता है कि शारदानन्द दास नामक इस शिक्षक का समूचा जीवन स्कूल में ही बीता। आजीवन अविवाहित रहने वाले सत्तर वर्षीय इस शिक्षक ने 1965 में स्कूल में नौकरी शुरु की, रिटायर होने के बाद भी वे बच्चों को शिक्षा देते रहे। अपने-आप में खोये रहने वाले, अधिकतर गुमसुम से रहने वाले इस व्यक्ति को उसके आसपास के लोग कई बार उपहास कि निगाह से भी देखते थे, क्योंकि ये व्यक्ति पूरी उम्र भर जमीन पर ही सोता रहा, उनके शरीर पर कपड़े सिर्फ़ उतने ही होते थे और उतने ही साफ़ होते थे जितने कि आम जनजीवन में रहने को पर्याप्त हों। किसी ने भी शारदानन्द जी को अच्छा खाते या फ़ालतू पैसा उड़ाते नहीं देखा, पान-गुटका-शराब की तो बात दूर है। ज़ाहिर है कि लगातार 40-50 साल तक इस प्रकार की जीवनशैली जीने वाले व्यक्ति को लोग “सनकी” कहते होंगे, जी हाँ ऐसा होता था और कई बार स्कूल के शरारती छात्र भी उनकी खिल्ली उड़ाया करते थे।

शारदानन्द दास का पूरा जीवन जैसे मानो गरीबी और संघर्ष के लिये ही बना है। उनके माता-पिता विभाजन के समय बांग्लादेश से भागकर भारत आये थे। कोई और होता तो एक नामालूम से स्कूल में, नामालूम सा जीवन जीते हुए शारदानन्द नामक कोई शिक्षक अपना गुमनाम सा जीवन जीकर चला जाता, कोई भी उन्हें याद नहीं करता, जैसे भारत के लाखों स्कूलों में हजारों शिक्षकों के साथ होता ही है। लेकिन बेलूरघाट-खादिमपुर हाईस्कूल के बच्चे आजकल शारदानन्द “सर” का नाम बड़ी इज्जत से लेते हैं, और उनका नाम आने वाले कई वर्षों तक इस क्षेत्र में गूंजता रहेगा, किसी भी नेता से ज्यादा, किसी भी अभिनेता से ज्यादा।

कुछ दिन पूर्व ही आधिकारिक रूप से 81 लाख रुपये से निर्मित एक ट्रस्ट शुरु किया गया जिसका नाम रखा गया “दरिद्र मेधावी छात्र सहाय्य तहबील”। इस ट्रस्ट के द्वारा बेलूरघाट कॉलेज के दस गरीब छात्रों को 600 रुपये प्रतिमाह, बेलूरघाट कन्या कॉलेज की दस गरीब लड़कियों को 800 रुपये प्रतिमाह तथा मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे पाँच गरीब छात्रों को 1000 रुपये महीना इस ट्रस्ट की राशि में से दिया जायेगा। जी हाँ, आप सही समझे… इस ट्रस्ट के संस्थापक हैं श्री शारदानन्द दास, जिन्होंने अपनी जीवन भर की कमाई और अपनी पुश्तैनी सम्पत्ति बेचकर यह ट्रस्ट खड़ा किया है। सारी जिन्दगी उन्होंने बच्चों को पढ़ाने में व्यतीत की और अब गरीब बच्चों के लिये इस ट्रस्ट की स्थापना करके वे अमर हो गये हैं।

करतल ध्वनि के बीच जब इस ट्रस्ट की घोषणा की गई तब इस गुमनाम शिक्षक को लोग चारों तरफ़ ढूँढते रहे, लेकिन पता चला कि 20 मई को ही शारदानन्द दास जी चुपचाप बगैर किसी को बताये तीर्थयात्रा पर चले गये हैं… कहाँ? किसी को पता नहीं… क्योंकि उनका करीबी तो कोई था ही नहीं!!!

लोगबाग कहते हैं कि मैंने असली संत-महात्मा देखे हैं तो वह पुनर्विचार करे कि शारदानन्द दास क्या हैं? सन्त-महात्मा या कोई अवतार… दुख सिर्फ़ इस बात का है कि ऐसी खबरें हमारे चैनलों को दिखाई नहीं देतीं…।

किसी दो कौड़ी के अभिनेता द्वारा बलात्कार सम्बन्धी रिपोर्ट, किसी अन्य अभिनेता को गाँधीगिरी जैसी फ़ालतू बात से “गाँधी” साबित करने, या गरीबी हटाओ के नारे देता हुआ किसी “टपोरी नेता” के इंटरव्यू, अथवा समलैंगिकता पर बहस(???) प्राइम-टाइम में दिखाना उन्हें अधिक महत्वपूर्ण लगता है… वाकई हम एक “बेशर्म-युग” में जी रहे हैं, जिसके वाहक हैं हमारे चैनल और अखबार, जिनका “ज़मीन” से रिश्ता टूट चुका है।

(मूल खबर यहाँ है)

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72 Comments

  1. Anil Pusadkar said,

    June 29, 2009 at 6:24 am

    माताप्रसाद या शारदानंद जी को कोई मल्टिनैशनल गोद ले लेते तब देखना ये लोग कैसे उन्हे महान से महान्तम साबित करने मे अपनी पूरी ताक़त लगा देंगे।वैसे उनकी तारीफ़ की ज़रूरत इन महानुभवो को है ही नही।वे सच मे महान है और चैनल वाले दिखायेंगे तो उनपर भी मैनेज करने का आरोप न लग जाये।

  2. June 29, 2009 at 6:24 am

    माताप्रसाद या शारदानंद जी को कोई मल्टिनैशनल गोद ले लेते तब देखना ये लोग कैसे उन्हे महान से महान्तम साबित करने मे अपनी पूरी ताक़त लगा देंगे।वैसे उनकी तारीफ़ की ज़रूरत इन महानुभवो को है ही नही।वे सच मे महान है और चैनल वाले दिखायेंगे तो उनपर भी मैनेज करने का आरोप न लग जाये।

  3. P.N. Subramanian said,

    June 29, 2009 at 6:31 am

    इन दोनों विभूतियों को नमन. आपका भी आभार.

  4. June 29, 2009 at 6:31 am

    इन दोनों विभूतियों को नमन. आपका भी आभार.

  5. कुश said,

    June 29, 2009 at 6:43 am

    इन सुपर हीरोज को किसी न्यूज़ चैनल की जरुरत भी नहीं.. पर हाँ ऐसे प्रेरणास्पद लोगो के बारे में सबको मालूम होना चहिये…

  6. कुश said,

    June 29, 2009 at 6:43 am

    इन सुपर हीरोज को किसी न्यूज़ चैनल की जरुरत भी नहीं.. पर हाँ ऐसे प्रेरणास्पद लोगो के बारे में सबको मालूम होना चहिये…

  7. Alok Nandan said,

    June 29, 2009 at 6:57 am

    बहुत दिन के बाद पढ़कर लगा कि वाकई करने वाले लोग अपना काम कर रहे हैं।

  8. Alok Nandan said,

    June 29, 2009 at 6:57 am

    बहुत दिन के बाद पढ़कर लगा कि वाकई करने वाले लोग अपना काम कर रहे हैं।

  9. हिमांशु । Himanshu said,

    June 29, 2009 at 7:15 am

    इनका उल्लेख मात्र आपकी इस पोस्ट को गरिमामय कर रहा है । विनत ।

  10. June 29, 2009 at 7:15 am

    इनका उल्लेख मात्र आपकी इस पोस्ट को गरिमामय कर रहा है । विनत ।

  11. अंशुमाली रस्तोगी said,

    June 29, 2009 at 7:18 am

    सुरेश भाई, ऐसे हीरो किसी कथित खबर के मोहताज नहीं होते, उनका काम ही उन्हें हमारे बीच बड़ा हीरो बना देता है। माताप्रसाद या शारदानंद ऐसे ही अनूठे व्यक्तित्व हैं हमारे मध्य।

  12. June 29, 2009 at 7:18 am

    सुरेश भाई, ऐसे हीरो किसी कथित खबर के मोहताज नहीं होते, उनका काम ही उन्हें हमारे बीच बड़ा हीरो बना देता है। माताप्रसाद या शारदानंद ऐसे ही अनूठे व्यक्तित्व हैं हमारे मध्य।

  13. संदीप said,

    June 29, 2009 at 7:45 am

    अंशुमाली जी ने सही कहा, वास्‍तविक हीरो किसी कथित खबर के मोहताज नहीं होते। और माताप्रसाद ऐसे ही हीरो हैं।

  14. June 29, 2009 at 7:45 am

    अंशुमाली जी ने सही कहा, वास्‍तविक हीरो किसी कथित खबर के मोहताज नहीं होते। और माताप्रसाद ऐसे ही हीरो हैं।

  15. संजय बेंगाणी said,

    June 29, 2009 at 7:57 am

    कभी कभी लगता है धारा के विपरीत बह कर कुछ कर पाएंगे? तब ऐसे उदाहरण फिर से आशा जगाते है.
    अच्छी पोस्ट.

  16. June 29, 2009 at 7:57 am

    कभी कभी लगता है धारा के विपरीत बह कर कुछ कर पाएंगे? तब ऐसे उदाहरण फिर से आशा जगाते है. अच्छी पोस्ट.

  17. हर्षवर्धन said,

    June 29, 2009 at 8:40 am

    चैनल मीडिया इन पर कम ही ध्यान दें तो, अच्छा।अच्छा काम होता रहे कुछ लोगों को और प्रेरित करता रहे।

  18. June 29, 2009 at 8:40 am

    चैनल मीडिया इन पर कम ही ध्यान दें तो, अच्छा।अच्छा काम होता रहे कुछ लोगों को और प्रेरित करता रहे।

  19. bhanwar said,

    June 29, 2009 at 8:57 am

    bhut achha "pschim or purv bhart he aporv"

  20. bhanwar said,

    June 29, 2009 at 8:57 am

    bhut achha "pschim or purv bhart he aporv"

  21. Shastri said,

    June 29, 2009 at 9:02 am

    हिन्दुस्तान के असली हीरो इस प्रकार के लोग हैं, न कि अधिकार के लिये लडतेझगडते लोग, या घंटे भर किसी पिक्चर में नाचते लोग, या क्रिकेट के हीरो.

    आप ने इन दोनों सज्जनों के बारे में लिख कर अच्छा किया. आगे भी ऐसे लोगों को सबकी नजरों में लाते रहें.

    हर चिट्ठाकार को अपने आसपास के महान भारतीयों के बारे में नियमित रूप से खोजी आलेख लिखना चाहिये.

    इन महान लोगों को मेरा नमन और इस आलेख के लिये सुरेश को मेरा अनुमोदन!!

    सस्नेह — शास्त्री

    हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
    http://www.Sarathi.info

  22. Shastri said,

    June 29, 2009 at 9:02 am

    हिन्दुस्तान के असली हीरो इस प्रकार के लोग हैं, न कि अधिकार के लिये लडतेझगडते लोग, या घंटे भर किसी पिक्चर में नाचते लोग, या क्रिकेट के हीरो.आप ने इन दोनों सज्जनों के बारे में लिख कर अच्छा किया. आगे भी ऐसे लोगों को सबकी नजरों में लाते रहें.हर चिट्ठाकार को अपने आसपास के महान भारतीयों के बारे में नियमित रूप से खोजी आलेख लिखना चाहिये.इन महान लोगों को मेरा नमन और इस आलेख के लिये सुरेश को मेरा अनुमोदन!!सस्नेह — शास्त्रीहिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती हैhttp://www.Sarathi.info

  23. RAJ said,

    June 29, 2009 at 9:21 am

    A very nice post it will motivate us to do our best work without any publicity.

    I request you to come in News Channels.

    Thanks a lot.

  24. RAJ said,

    June 29, 2009 at 9:21 am

    A very nice post it will motivate us to do our best work without any publicity.I request you to come in News Channels.Thanks a lot.

  25. परमजीत बाली said,

    June 29, 2009 at 9:28 am

    जो लोग असली हीरों हैं उन की चर्चा भी कहीं नही सुनाई पड़ती।जब कि ऐसे महात्माओ का प्रचार अधिकाधिक होना चाहिए ताकी लोगों को प्रेरणा मिल सके।से लोगों को हमारा नमन है।
    ऐसे महानुभवों का परिचय कराने के लिए आभार।

  26. June 29, 2009 at 9:28 am

    जो लोग असली हीरों हैं उन की चर्चा भी कहीं नही सुनाई पड़ती।जब कि ऐसे महात्माओ का प्रचार अधिकाधिक होना चाहिए ताकी लोगों को प्रेरणा मिल सके।से लोगों को हमारा नमन है।ऐसे महानुभवों का परिचय कराने के लिए आभार।

  27. राज भाटिय़ा said,

    June 29, 2009 at 9:33 am

    माताप्रसाद जी या शारदानंद जी, ऎसॆ लोगो को नाम की ज्रुरुरत नही पडती, यह लोग हमारे दिलो मे बस जाते है, यह उन दो टके के नेताओ की तरह से या अभिनेतो की तरह से बिकाऊ नही होते, यह दिल के आत्मा के राजा होते है, मेरा इन्हे नमन, ओर आप का धन्यवाद सुरेश जी, अगर ऎसी जीवनियां बार बार छपती रहे तो हम इन से ही च्ररित्र निर्मांण सीख सकते है, जिन्होने अपना सब कुछ इस देश के लोगो को खुद समर्पित कर दिया, धन्य है ऎसे लोग

  28. June 29, 2009 at 9:33 am

    माताप्रसाद जी या शारदानंद जी, ऎसॆ लोगो को नाम की ज्रुरुरत नही पडती, यह लोग हमारे दिलो मे बस जाते है, यह उन दो टके के नेताओ की तरह से या अभिनेतो की तरह से बिकाऊ नही होते, यह दिल के आत्मा के राजा होते है, मेरा इन्हे नमन, ओर आप का धन्यवाद सुरेश जी, अगर ऎसी जीवनियां बार बार छपती रहे तो हम इन से ही च्ररित्र निर्मांण सीख सकते है, जिन्होने अपना सब कुछ इस देश के लोगो को खुद समर्पित कर दिया, धन्य है ऎसे लोग

  29. अभिषेक ओझा said,

    June 29, 2009 at 10:40 am

    नमन हैं ! अच्छा ही है ऐसे चैनलों से बचे हुए हैं तो.

  30. June 29, 2009 at 10:40 am

    नमन हैं ! अच्छा ही है ऐसे चैनलों से बचे हुए हैं तो.

  31. महामंत्री - तस्लीम said,

    June 29, 2009 at 12:08 pm

    असली हीरों से परिचित कराने के लिए आभार।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

  32. June 29, 2009 at 12:08 pm

    असली हीरों से परिचित कराने के लिए आभार।-Zakir Ali ‘Rajnish’ { Secretary-TSALIIM & SBAI }

  33. भारतीय नागरिक - Indian Citizen said,

    June 29, 2009 at 12:28 pm

    aapne bahut achchha kaary kiya hai!

  34. June 29, 2009 at 12:28 pm

    aapne bahut achchha kaary kiya hai!

  35. lata said,

    June 29, 2009 at 1:15 pm

    इन दोनों विभूतियों को नमन. आपका भी आभार.

  36. lata said,

    June 29, 2009 at 1:15 pm

    इन दोनों विभूतियों को नमन. आपका भी आभार.

  37. दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi said,

    June 29, 2009 at 1:28 pm

    माताप्रसाद का बगीचा एक तीर्थ नहीं है क्या? लोगों को वहाँ जाना चाहिए और सीखना चाहिए। मुझे अवसर मिला तो अवश्य ही उस भूमि पर जाऊंगा। शारदानंद जैसे और भी कई व्यक्तित्व हैं। पर ये लोग माध्यमों के लिए पैसे की बरसात नहीं दे सकते। आप ने दोनों का उल्लेख कर पाठकों को उपकृत किया है।

  38. June 29, 2009 at 1:28 pm

    माताप्रसाद का बगीचा एक तीर्थ नहीं है क्या? लोगों को वहाँ जाना चाहिए और सीखना चाहिए। मुझे अवसर मिला तो अवश्य ही उस भूमि पर जाऊंगा। शारदानंद जैसे और भी कई व्यक्तित्व हैं। पर ये लोग माध्यमों के लिए पैसे की बरसात नहीं दे सकते। आप ने दोनों का उल्लेख कर पाठकों को उपकृत किया है।

  39. mahashakti said,

    June 29, 2009 at 2:04 pm

    वाकई उल्‍लेखनीय पोस्‍ट, आज बहुत से ऐसे काम है जो मीडिया में डूडने से भी नही मिलेगा

  40. mahashakti said,

    June 29, 2009 at 2:04 pm

    वाकई उल्‍लेखनीय पोस्‍ट, आज बहुत से ऐसे काम है जो मीडिया में डूडने से भी नही मिलेगा

  41. तपन शर्मा said,

    June 29, 2009 at 2:09 pm

    इन दोनों विभूतियों को नमन

  42. June 29, 2009 at 2:09 pm

    इन दोनों विभूतियों को नमन

  43. Vivek Rastogi said,

    June 29, 2009 at 2:50 pm

    जी हां इससे साबित होता है कि अकेला आदमी भी बहुत कुछ कर सकता है। बस पागलपन होना चाहिये।

  44. June 29, 2009 at 2:50 pm

    जी हां इससे साबित होता है कि अकेला आदमी भी बहुत कुछ कर सकता है। बस पागलपन होना चाहिये।

  45. अनिल कान्त : said,

    June 29, 2009 at 3:12 pm

    inko mera naman

  46. June 29, 2009 at 3:12 pm

    inko mera naman

  47. Udan Tashtari said,

    June 29, 2009 at 3:40 pm

    सलाम है इन अनसंग हीरोज़ को!! आभार इस जानकारी को बाँटने का.

  48. June 29, 2009 at 3:40 pm

    सलाम है इन अनसंग हीरोज़ को!! आभार इस जानकारी को बाँटने का.

  49. सुमन्त मिश्र ‘कात्यायन’ said,

    June 29, 2009 at 4:19 pm

    दोनों महापुरुषों को नमन। और आपको भी ऎसे व्यक्तित्वों से परिचित करानें के लिए।

  50. June 29, 2009 at 4:19 pm

    दोनों महापुरुषों को नमन। और आपको भी ऎसे व्यक्तित्वों से परिचित करानें के लिए।

  51. दीपक भारतदीप said,

    June 29, 2009 at 4:34 pm

    एक अच्छी पोस्ट है कहकर निकलना टालने जैसा होगा. सच बात तो यह है कि ब्लॉग लिखने वाले लेखकों अब ऐसे ही नायकों को प्रस्तुत करना चाहिए-इससे यह भी प्रेरणा मिलती है.
    दीपक भारतदीप

  52. June 29, 2009 at 4:34 pm

    एक अच्छी पोस्ट है कहकर निकलना टालने जैसा होगा. सच बात तो यह है कि ब्लॉग लिखने वाले लेखकों अब ऐसे ही नायकों को प्रस्तुत करना चाहिए-इससे यह भी प्रेरणा मिलती है. दीपक भारतदीप

  53. RAJ SINH said,

    June 29, 2009 at 5:00 pm

    आप से पूर्णतः सहमत .
    ऐसे प्रयास , इन भागीरथों को नमन !

  54. RAJ SINH said,

    June 29, 2009 at 5:00 pm

    आप से पूर्णतः सहमत .ऐसे प्रयास , इन भागीरथों को नमन !

  55. सतीश पंचम said,

    June 29, 2009 at 5:44 pm

    पहले इस तरह की प्रेरणादायी खबरें बहुत सुनने में पढने में आती थीं। अब तो लगता है उन खबरों का जैसे लोप हो गया है।

    अच्छी पोस्ट।

  56. June 29, 2009 at 5:44 pm

    पहले इस तरह की प्रेरणादायी खबरें बहुत सुनने में पढने में आती थीं। अब तो लगता है उन खबरों का जैसे लोप हो गया है। अच्छी पोस्ट।

  57. विनीता यशस्वी said,

    June 29, 2009 at 7:14 pm

    Yahi to hai humare sachhe super hero…

  58. June 29, 2009 at 7:14 pm

    Yahi to hai humare sachhe super hero…

  59. रंगनाथ सिंह said,

    June 29, 2009 at 7:20 pm

    मैंने आज तक किसी ब्लाॅग पर इससे सार्थक पोस्ट नहीं पढ़ी थी।
    इसके लिए आपका सच्चे दिल से आभार जताना चाहता हूँ

  60. June 29, 2009 at 7:20 pm

    मैंने आज तक किसी ब्लाॅग पर इससे सार्थक पोस्ट नहीं पढ़ी थी। इसके लिए आपका सच्चे दिल से आभार जताना चाहता हूँ

  61. अनूप शुक्ल said,

    June 30, 2009 at 5:14 am

    बहुत अच्छा लगा आपके ब्लाग पर इन दो महान व्यक्तित्वों के बारे में पढ़कर। आपका आभार!

  62. June 30, 2009 at 5:14 am

    बहुत अच्छा लगा आपके ब्लाग पर इन दो महान व्यक्तित्वों के बारे में पढ़कर। आपका आभार!

  63. संगीता पुरी said,

    June 30, 2009 at 5:39 am

    पोस्‍ट पढकर बहुत अच्‍छा लगा !!

  64. June 30, 2009 at 5:39 am

    पोस्‍ट पढकर बहुत अच्‍छा लगा !!

  65. भुवनेश शर्मा said,

    June 30, 2009 at 7:24 am

    काहे चैनलों को कोसते हो…हमारे लिए तो आपका ब्‍लॉग ही हिंदुस्‍तान का सबसे बड़ा चैनल है

    और इन महानुभावों के बारे में तो बस यही कहूंगा कि इन्‍हीं लोगों के पुण्‍यकर्मों के कारण ही यह धरती अभी तक कायम है वरना कबकी रसातल में चली गई होती।

  66. June 30, 2009 at 7:24 am

    काहे चैनलों को कोसते हो…हमारे लिए तो आपका ब्‍लॉग ही हिंदुस्‍तान का सबसे बड़ा चैनल हैऔर इन महानुभावों के बारे में तो बस यही कहूंगा कि इन्‍हीं लोगों के पुण्‍यकर्मों के कारण ही यह धरती अभी तक कायम है वरना कबकी रसातल में चली गई होती।

  67. Savitari said,

    July 2, 2009 at 7:09 am

    Your research work is great. The both personalities are real Bhagirath. Our media is RAVAN, it cannot praise RAM. I give you my good wishes that your efforts may play a big role to make "NAYA BHARAT". Your efforts will definitely be fruitful some day.

  68. Savitari said,

    July 2, 2009 at 7:09 am

    Your research work is great. The both personalities are real Bhagirath. Our media is RAVAN, it cannot praise RAM. I give you my good wishes that your efforts may play a big role to make "NAYA BHARAT". Your efforts will definitely be fruitful some day.

  69. सागर नाहर said,

    July 4, 2009 at 2:46 pm

    दोनों महानुभावों को शत शत नमन।
    इनके बारे में बताने के लिये आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद ।
    ऐसे कई और लोग हैं जिनके बारे में हम अभी नहीं जानते लेकिन वे चुपचाप अपना काम किये जा रहे हैं।

  70. July 4, 2009 at 2:46 pm

    दोनों महानुभावों को शत शत नमन।इनके बारे में बताने के लिये आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद ।ऐसे कई और लोग हैं जिनके बारे में हम अभी नहीं जानते लेकिन वे चुपचाप अपना काम किये जा रहे हैं।

  71. Bhavesh (भावेश ) said,

    July 6, 2009 at 8:01 am

    आपका लेख पढ़ कर एक दुखद अनुभूति हुई. दुःख इसलिए की आज के मीडिया किस कदर गर्त में चला गया है. ये देश और देशवासियों का दुर्भाग्य है की उन्हें टीवी, प्रेस और मीडिया में लालू, मुल्लू, माया, मैडम की दिनचर्या के अलावा कुछ पढने को नहीं मिलता, और अगर मिलता भी है तो शायद उनकी मानसिकता इतनी संकीर्ण हो चुकी है की उन्हें इतनी बड़ी कुर्बानी समझ ही नहीं आती. इस वजह से इस तरह के सच्चे देशभक्त इन गद्दार राजनेताओ की जमात के भ्रष्टाचारियों के बाजारीकरण में गुम हो जाते है. माताप्रसाद जी, शारदानंद दासजी और इन की तरह गुमनाम देश के सपूतो को शत शत नमन.

  72. July 6, 2009 at 8:01 am

    आपका लेख पढ़ कर एक दुखद अनुभूति हुई. दुःख इसलिए की आज के मीडिया किस कदर गर्त में चला गया है. ये देश और देशवासियों का दुर्भाग्य है की उन्हें टीवी, प्रेस और मीडिया में लालू, मुल्लू, माया, मैडम की दिनचर्या के अलावा कुछ पढने को नहीं मिलता, और अगर मिलता भी है तो शायद उनकी मानसिकता इतनी संकीर्ण हो चुकी है की उन्हें इतनी बड़ी कुर्बानी समझ ही नहीं आती. इस वजह से इस तरह के सच्चे देशभक्त इन गद्दार राजनेताओ की जमात के भ्रष्टाचारियों के बाजारीकरण में गुम हो जाते है. माताप्रसाद जी, शारदानंद दासजी और इन की तरह गुमनाम देश के सपूतो को शत शत नमन.


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