फ़ूल ही फ़ूल खिल उठे मेरे पैमाने में: मेहदी हसन की आवाज और राग गौड़ मल्हार

दोस्तों सावन का महीना चालू हो गया है, भले ही जम के पानी ना बरस रहा हो लेकिन हल्की फुहारें ही सही; तन मन को शीतलता तो दे रही है, ऐसे में अगर राग मल्हार सुना जाये और वो भी शहंशाह ए गज़ल मेहदी हसन साहब के स्वर में तो कितना आनन्द आयेगा?

हसन साहब बीमार हैं, आपने उनकी कई गज़लें सुखनसाज़ पर सुनी ही है। आईये आज आपको हसन साहब की आवाज में और राग मल्हार (राग गौड़ मल्हार) में ढली एक छोटी सी नज़्म सुनाते हैं। आप आनन्द लीजिये और हसन साहब की सलामती के लिये दुआ कीजिये।

फ़ूल ही फ़ूल खिल उठे मेरे पैमाने में
आप क्या आये बहार आ गई मैखाने में
आप कुछ यूं मेरे आईना-ए-दिल में आये
जिस तरह चांद उतर आया हो पैमाने में

(यह शेर प्रस्तुत गज़ल में नहीं है, सुनने को भले ना मिले पढ़ने का आनन्द तो उठाया ही जा सकता है।

आपके नाम से ताबिन्दा है उनवा-ए- हयात
वरना कुछ बात नहीं थी मेरे अफ़साने में

Phool hi phool khi…

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1 Comment

  1. ramesh said,

    May 4, 2010 at 1:35 pm

    mehdi hasan a beautiful,great gift from God to world


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