कश्मीर के रजनीश मामले ने "सेकुलरों" को फ़िर बेनकाब किया… Kashmir’s Rajneesh Sharma Case Irritating Secularism

भारत में अक्सर सेकुलर लोग तथाकथित “गंगा-जमनी संस्कृति” की बातें जी खोलकर करते रहते हैं। सेकुलरों का सबसे प्रिय शगल होता है भाजपा-संघ को कोसना, गरियाना और भाजपा अथवा हिन्दुत्ववादी संगठन जो भी कहें उसका उलटा बोलना। चाहे महंगाई ने गरीबों का जीना हराम कर रखा हो लेकिन उन्हें साम्प्रदायिकता से लड़ना है, चाहे नक्सलवादियों ने सरकार की बैण्ड बजा रखी हो तथा आधे भारत पर कब्जा कर रखा हो उन्हें साम्प्रदायिकता से लड़ना है, चाहे अफ़ज़ल और कसाब को कांग्रेस ने गोद में बैठा रखा हो फ़िर भी उन्हें साम्प्रदायिकता से ही लड़ना होता है… (यहाँ साम्प्रदायिकता से उनका मतलब सिर्फ़ “हिन्दू साम्प्रदायिकता” ही होता है, बाकी के सभी धर्म “गऊ” होते हैं)।

ये सेकुलर लोग आये दिन जब-तब तथ्यों, सबूतों, सेकुलर कांग्रेसियों की हरकतों तथा जेहादी और धर्म परिवर्तनवादियों की करतूतों की वजह से सतत लानत-मलामत झेलते रहते हों, फ़िर भी इनकी बेशर्मी जाती नहीं। ऐसे सैकड़ों उदाहरण गिनाये जा सकते हैं, जब किसी मामले को लेकर सेकुलरों के मुँह में दही जमा हुआ हो, चाहे अमरनाथ की ज़मीन का मामला हो या तसलीमा नसरीन की पिटाई अथवा हुसैन की पेंटिंग का, इन सेकुलरों की बोलती जब-तब बन्द होती रहती है। इस कड़ी में सबसे ताज़ा मामला है कश्मीर के रजनीश शर्मा का… उमर अब्दुल्ला जो कि भारत की संसद में गरजते हुए भाषण देकर सेकुलरों की वाहवाही लूटे थे, कोरे लफ़्फ़ाज़ निकले और उन्होंने अपने नकली “सेकुलरिज़्म” को लतियाने में जरा भी देर नहीं लगाई।

कश्मीर के निवासी रजनीश शर्मा (35) का एकमात्र गुनाह यह था कि उसने एक “मुस्लिम राज्य” में हिन्दू होकर एक मुस्लिम लड़की से बाकायदा शादी की थी। अमीना यूसुफ़ जो कि शादी के बाद आँचल शर्मा बन गई है, के परिवार को राज्य सत्ता के खुले संरक्षण में बेतहाशा परेशान किया गया। कानून के रखवालों ने इस जोड़े का एक महीने तक कुत्ते की तरह पीछा किया और अन्ततः 28 सितम्बर की रात को रजनीश को पकड़ कर श्रीनगर ले गये। एक हफ़्ते बाद श्रीनगर के राममुंशी बाग में 6 अक्टूबर को उसकी लाश मिली, जिसे पुलिस ने “हमेशा की तरह” आत्महत्या बताया, लेकिन पुलिस आज भी नहीं बता पा रही कि आत्महत्या करने से पहले रजनीश ने अपने घुटने खुद कैसे तोड़े, अपने नाखून खुद ही कैसे उखाड़े, अपनी ज़ुबान और गरदन पर सिगरेट से जलने के निशान कैसे बनाये या उसके शरीर पर बेल्ट से पिटाई के जो निशान पाये गये वह रजनीश ने कैसे बनाये।

आँचल शर्मा ने जम्मू में पूरे मीडिया और कैमरों के सामने अपने बयान में कहा है कि उसके पिता मोहम्मद यूसुफ़ (जो कि कश्मीर के सेल्स टैक्स विभाग में इंस्पेक्टर हैं) तथा उसके भाईयों ने पुलिस के साथ मिलकर उसके पति को मारा है। क्या आपने किसी नेशनल चैनल पर यह खबर प्रमुखता से देखी है? यदि देखी है तो कितनी बार और कितनी डीटेल्स में? मुझे पूरा विश्वास है कि राखी सावन्त की फ़ूहड़ता या राजू श्रीवास्तव के कपड़े उतारने की घटनाओं को छोड़ भी दिया जाये तो कम से कम कोलकाता के रिज़वान मामले या चाँद-फ़िज़ा की छिछोरी प्रेमकथा को जितना कवरेज मिला होगा उसका एक प्रतिशत भी रजनीश /आँचल शर्मा को नहीं दिया गया। कारण साफ़ है… “रजनीश हिन्दू है” और हिन्दुओं के कोई मानवाधिकार नहीं होते हैं, कम से कम कश्मीर में तो बिलकुल नहीं।

ये बात मानी जा सकती है कि पुलिस हिरासत में देश में रोज़ाना कई मौतें होती हैं, लेकिन जब शोपियाँ मामले में दो मुस्लिम लड़कियों के शव मिलने पर पूरी कश्मीर घाटी में उबाल आ जाता है तब रजनीश के पोस्टमॉर्टम में उसे बेइंतहा यातनाएं दिये जाने की पुष्टि के बाद “गंगा-जमनी संस्कृति” के पुरोधा कहाँ तेल लेने चले जाते हैं? इस देश में पिछले कुछ वर्षों से अचानक मुस्लिम लड़कों द्वारा हिन्दू लड़कियों को फ़ँसाने और शादी करने के मामले बढ़े हैं, लेकिन क्या किसी अन्य मामले में रजनीश की तरह, खुद सरकार और पुलिस को गहरी रुचि लेकर “मामला निपटाते” देखा है? देखा जाता है कि ऐसे मामलों में पुलिस दोनों बालिग प्रेमियों अथवा शादीशुदा जोड़ों की रक्षा में आगे आती है या कोई सामाजिक संगठन अथवा “सेकुलर”(?) संगठन जमकर हल्ला-गुल्ला मचाते हैं। क्या रजनीश मामले को लेकर देश में किसी तथाकथित “दानवाधिकार संगठन” ने कोई आवाज़ उठाई? या किसी से्कुलरिज़्म के झण्डाबरदार ने कभी कहा कि यदि रजनीश के परिवार वालों को न्याय नहीं मिला तो मैं धरने पर बैठ जाऊंगा/जाऊंगी? कहेगा भी नहीं, ये सारे धरने-प्रदर्शन-बयानबाजियाँ और मीडिया कवरेज “बाटला हाउस” प्रकरण के लिये आरक्षित हैं, रजनीश शर्मा तो एक मामूली हिन्दू है और वह भी कश्मीर जैसे “सेकुलर” राज्य में मुस्लिम लड़की से शादी करने की गलती कर बैठा। वैसे भी कश्मीर में भारत का शासन या कानून नहीं चलता, न तो वे हमारा संविधान मानते हैं, न ही हमारा झण्डा, उन्हें सिर्फ़ हमारे टैक्स के पैसों से बड़ी योजनाएं चाहिये, बाँध चाहिये, फ़ोकट की बिजली चाहिये, रेल लाइन चाहिये… सबसिडी चाहिये… यानी कि सिर्फ़ चाहिये ही चाहिये, देना कुछ भी नहीं है, यानी भारत के प्रति अखण्डता और राष्ट्रभक्ति की भावना तक नहीं… ऐसे हमारे छाती के बोझ को हम “सेकुलर” कहते हैं।

ऐसा नहीं कि ये “गंगा-जमनी” हरकतें सिर्फ़ हिन्दुओं के साथ ही होती हों, लद्दाख क्षेत्र के बौद्ध धर्मावलम्बी भी कश्मीर सरकार के पक्षपाती रवैये और स्थानीय मुसलमानों की आक्रामकता से परेशान हैं…। कुछ साल पहले लद्दाख की बुद्धिस्ट एसोसियेशन ने केन्द्र सरकार के समक्ष अपनी कुछ शिकायतें रखी थी, जैसे –

1) 1992 से 1999 के बीच कम से कम 24 बौद्ध लड़कियों ने धर्म परिवर्तन कर लिया और उन्हें कारगिल और श्रीनगर ले जाया गया।

2) पैसे के लालच और धमकियों से डरकर कारगिल के आसपास के 12 गाँवों के 72 युवकों ने धर्म परिवर्तित किया।

3) बौद्ध धर्मावलंबियों को कारगिल के आसपास के गाँवों में अपने शव दफ़नाने से भी स्थानीय मुसलमानों द्वारा मना किया जाता है।

4) पिछले 35 साल से एक बौद्ध सराय बनाने की मांग की जा रही है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा कोई सुनवाई नहीं।

5) कारगिल क्षेत्र की 20% आबादी बौद्ध है, लेकिन यहाँ नियुक्त 24 पटवारियों में से सिर्फ़ 1 ही बौद्ध है, तथा 1998 में शिक्षा विभाग में चतुर्थ वर्ग के 40 कर्मचारियों की नियुक्ति की गई जिसमें सिर्फ़ एक ही व्यक्ति बौद्ध था और वह भी तब जब उसने इस्लाम कबूल कर लिया।

केन्द्र सरकार ने क्या कार्रवाई की होगी ये बताने की कम से कम मुझे तो जरूरत नहीं है… तो भैया, ऐसा है हमारा(?) सेकुलर श्रीनगर…। किसी 5 सितारा बुद्धिजीवी या मानवाधिकारवादी के मुँह से कभी इस बारे में सुना है? नहीं सुना होगा, उन्हें गुजरात और मोदी से फ़ुर्सत तो मिले।

रजनीश शर्मा का ये मामला कोलकाता के रिज़वान से भयानक रूप से मिलता-जुलता होने के बावजूद अलग है, यहाँ लड़की मुस्लिम थी, लड़का हिन्दू और कोलकाता में लड़की हिन्दू थी और लड़का मुस्लिम। दोनों ही मामले में लड़के की हत्या करने वाले लड़की के पिता और भाई ही थे। लेकिन दोनों मामलों में मीडिया और सेकुलरों की भूमिका से स्पष्ट हो जाता है कि ये दोनों ही कितने घटिया किस्म के हैं। रिज़वान के मामले में लगातार “बुरका दत्त” के चैनलों पर कवरेज दिया गया, रिज़वान कैसे मरा, कहाँ मरा, किसने मारा, पुलिस की क्या भूमिका रही, रेल पटरियों पर लाश कैसे पहुँची आदि का बाकायदा ग्राफ़िक्स बनाकर प्रदर्शन किया गया, तमाम “बुद्धूजीवी”, बुकर और नोबल पुरस्कार वालों ने धरने दिये, अखबार रंगे गये और अन्ततः पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी को सस्पेण्ड किया गया, रिज़वान को मारने के जुर्म में लड़की के पिता अशोक तोडी पर केस दर्ज हुआ, अब मामला कोर्ट में है, कारण सिर्फ़ एक – इधर मरने वाला एक मुस्लिम है और उधर एक हिन्दू… इसे कहते हैं नीयत में खोट।

रजनीश की विधवा, आँचल शर्मा ने धमकी दी है कि यदि इस मामले की जाँच सीबीआई को नहीं सौंपी जाती तो वह आत्मदाह कर लेगी, लेकिन ऐसा लगता है कि यदि रजनीश की आत्मा को न्याय चाहिये तो उसे भारत के सेकुलरों की गोद में मुस्लिम बनकर पुनर्जन्म लेना होगा… फ़ारुक-उमर अब्दुल्ला के “सुपर-सेकुलर” और “गंगा-जमनी” वाले कश्मीर में नहीं…

साथ ही इन्हें भी जरूर पढ़ें –

चाँद-फ़िज़ां प्रकरण में उठे कुछ गम्भीर सवाल
http://sureshchiplunkar.blogspot.com/2009/03/chand-fiza-muslim-conversion-hindu.html

जम्मू-अमरनाथ मामले में सो-कॉल्ड सेकुलरों की पोल खोलने वाला एक और लेख –
http://sureshchiplunkar.blogspot.com/2008/08/jammu-kashmir-agitation-economic.html

सन्दर्भ साइटें –

http://naknews.co.in/newsdet.aspx?q=24481

http://www.expressbuzz.com/edition/story.aspx?Title=Why+is+Rajneesh+different+from+Rizwan+in+India?&artid=2TcgrifEK5k=&SectionID=XVSZ2Fy6Gzo=&MainSectionID=fyV9T2jIa4A=&SectionName=m3GntEw72ik=&SEO=Ashok%20Todi,%20Rizwan,%20Rajneesh%20Sharma,%20Ram%20Munshi%20Ba

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35 Comments

  1. November 4, 2009 at 9:12 am

    इस देश में हिन्दू होना सबसे बड़ा पाप है. हिन्दू धर्मं में पैदा होना सबसे बड़ा गुनाह. ऐसे एक नहीं हजारों किस्से मिल जायेंगे. लेकिन किसे पडी है? मैं तो मुम्बई -दिल्ली या यूपी का हिन्दू हूँ. जम्मू में कोई हिन्दू मरे तो मुझे क्या फर्क पङता है. मुझे तो मोटी तनख्वाह वाली नौकरी चाहिए. दरअसल देश में मीडिया का एक बहुत बड़ा वर्ग हिन्दू दमन की हर खबर दबाने और हिन्दू समाज को जलील करने के लिए जिहादी-क्रूसेडर की तरह जुटा हुआ है. ऐसे में देखें-पढें तो भी किसे? यह मीडिया विशाल हिन्दू समाज के सामने कोई सचाई नहीं आने देता है. ऐसे में समाज तो सोया ही रहेगा ना? उसे अफीम की तरह राखी सावंत की नंगई और अमरसिंह की भंगई तो परोसी जाती है, लेकिन उसके अपने बंधुओं, धर्म पर क्या जुल्म हो रहे हैं, उससे बेखबर रखा जाता है. इसके बावजूद हिन्दू समाज इन धोखेबाज मीडिया की बातों पर विश्वास करता है, जो दिखाते हैं, देखता है, जो बेचते हैं (विज्ञापन-राजस्व) उसे खरीदता है. और अपने ही धन से अपने और अपने समाज की मौत का बंदोबस्त करता है. क्योंकि उसे सेकुलर जमात और मीडिया ने सुलाए रखने का पक्का बंदोबस्त कर रखा है. ऐसे में क्या कोई वैकल्पिक मीडिया माध्यम नहीं हो सकता, जो हमें सही जानकारी से सूचित, सजग और सतर्क करे?

  2. November 4, 2009 at 9:41 am

    दोषी हिन्दू ही है ! अब यहाँ पर इनकी पूरी जन्मपत्री खोल मैं अपना मूड खराब नहीं करूंगा ! इनकी यही गत होगी !!

  3. November 4, 2009 at 9:57 am

    आपने तथाकथित सेकूलरियों की चांद पर खूब बजाई है, अब तो बेचारे बरनाल का डिब्बा खोज रहे होंगे 🙂

  4. November 4, 2009 at 9:57 am

    आपने तथाकथित सेकूलरियों की चांद पर खूब बजाई है, अब तो बेचारे बरनाल का डिब्बा खोज रहे होंगे 🙂

  5. November 4, 2009 at 10:07 am

    धरना-प्रदर्शन-ये-वो तभी "फलदायी" होते हैं जब अल्पसंख्यकों के लिए किये गए हो. अगर हिन्दुओं के लिए ये सब सुविधाएं चाहिए तो अल्पसंख्यक बन जाईये.

  6. November 4, 2009 at 10:20 am

    यह गलत बात है कि धरने-प्रदर्शन अल्प संख्यकों के सफल होते हैं ……कांग्रेस के सामने २५ साल से सिख प्रदर्शन कर रहे हैं क्या मिला उन्हें…….??लेकिन कश्मीर में जो होता रहा है वह पूरे देश को नुकसान पहुँचाएगा……यह बात सही है…

  7. November 4, 2009 at 10:44 am

    @परमजीत बाली साहब, आप संजय जी बात समझे नहीं, इस देश में अल्पसंख्यक का एक ही अर्थ होता है-इस्लाम या ईसाई अनुयायी . बाकी सिख, जैन और बौद्ध अनुयाइयों को अल्पसंखयक नहीं माना जाता, क्योंकि उनकी आस्था भारत माता और इस देश के प्रति होती है, किसी मक्के या वेटिकन के प्रति नहीं. जो देश हित के खिलाफ काम करे, देश पर बोझ बने और बदले में कुछ भी नहीं डे उसी जमात को इस देश में अल्पसख्यक के रूप में रेवडियाँ बाँटीं जाती हैं. हिन्दू, सिख और जैन-बौद्धों की सुनता कौन है? रही बात ८४ के दंगो की तो, समग्र हिन्दू समाज आपके साथ है. लेकिन कोंग्रेस के इस दमन के बाद भी सिखों ने कई बार पंजाब-दिल्ली-हरियाणा-जम्मू से कांग्रेस को जीताया है! हमारी मूर्खता के कारण ही हमारे दुश्मन हम पर राज करते आ रहे हैं. हम खुद अपनी ताकत-हक के लिए जागरुक नहीं हैं तो कौन हमारे लिये लडेगा.

  8. November 4, 2009 at 10:50 am

    स्पष्टीकरण के लिए धन्यवाद।

  9. ePandit said,

    November 4, 2009 at 11:06 am

    भारत का दुर्भाग्य है कि अपने ही देश में हिंदू दोयम दर्जे के नागरिक बने हुए हैं. यह सब तुष्टिकरण की नीति का परिणाम है. वही नीति जिसका आरंभ गाँधी और नेहरू ने किया था. काश ये दोनों आज जीवित होते तो देखते कि उनकी इस नीति ने देश का किस तरह बेड़ागर्क कर दिया है.बाकी संजय भाई ने सही कहा कि मानवाधिकार तो सिर्फ अल्पसंख्यकों के होते हैं, हिंदू होना तो इस देश में गुनाह है. हिंदुओं की बेशक लाशें बिछती रहें अल्पसंख्यकों को खरोंच भी नहीं आनी चाहिए.

  10. Common Hindu said,

    November 4, 2009 at 11:51 am

    Hello Blogger Friend,Your excellent post has been back-linked inhttp://hinduonline.blogspot.com/– a blog for Daily Posts, News, Views Compilation by a Common Hindu- Hindu Online.

  11. November 4, 2009 at 1:14 pm

    मिडिया का चरित्र कैसा है ,यह जगजाहिर है |सरकार की नीति में खोंट है , हर देश प्रेमी इसे समझ सकता है |आपके लेख में यह दोनों बातें जाहिर हैं |साम्प्रदायिकता घातक है वह चाहे अल्पसंख्यक की हो या बहुसंख्यक की |सार्थक प्रस्तुति का आभार …

  12. SP Dubey said,

    November 4, 2009 at 1:27 pm

    सिर्फ़ लिखने और कमेन्ट करने से काम नही चलेगा, इसके लिए कुछ करना होगा और कुछ करने के लिए संगठित होना होगा। मेरा क्या योगदान क्या होगा लेखक और टिप्पणी कार मुझे बताए। फ़ोन न +971504928517 ई मेल yespanditji@gmail.com

  13. November 4, 2009 at 1:50 pm

    Suresh bhaiya…..Saadar namaskar….Main bhi is dual Secularism se bahut pareshan hoon…….. yeh so -called secularism khatm karne ke liye bhi ek movement laana hoga…. iske liye suljhe huye logon ko ek hona padega….

  14. November 4, 2009 at 1:51 pm

    …आदरणीय सुरेश जी,रजनीश शर्मा के साथ अन्याय हुआ है दोषियों को सजा मिलनी चाहिये, यदि नहीं मिलती है तो सुप्रीम कोर्ट में PIL या SLP जो कुछ भी लगाई जा सके लगाई जानी चाहिये, ऐसी कोई पहल यदि आप करते हैं तो मैं हर तरह से साथ हूँ।हाँ एक बात और कोई आपको 'राष्ट्रवादी' शब्द को एक गाली के तौर पर प्रयोग करते नहीं मिलेगा, पर आप के आज के ओजस्वी लेख में 'सेकुलर' शब्द एक गाली जैसा असर दे रहा है, क्या यह सही है ? शान्त मन से विचार कीजिये फिर उत्तर दीजिये।

  15. Meenu Khare said,

    November 4, 2009 at 2:37 pm

    चलो हिन्दुओं को एकजुट करने के अभियान चलाएँ, चलो गरीब हिन्दुओं को धर्म की शिक्षा दें, चलों दलितों का सम्मान वापस दिलाएँ, चलो हम भी अपने धर्म का प्रचार करें जिससे लोग किसी के बहकावे में आकर धर्म परिवर्तन न करें. यह सब कुछ धर्मांतरण रोकने में मदद करेगा.जिन दो धर्मों की आप बात कर रहे है उनकी एकजुटता से सबक लेना चाहिए हमेशा रोने से क्या फ़ायदा? भगवान उनकी मदद करते है जो अपनी मदद खुद करते हैं.

  16. November 4, 2009 at 3:18 pm

    इस मिडिया का क्या करे . कभी तो यह इंसानियत दिखाए . कभी तो सुबह होगी

  17. November 4, 2009 at 4:20 pm

    जब तक हिन्दू अपने अधिकारों के प्रति सजग और हिन्दुओं पे हो रहे अन्याय के खिलाफ खडा नहीं होगा तब तक हिन्दुओं की ऐसी ही दुर्गति होती रहेगी | पढा लिखा ९०% हिन्दू तो मोंल, मुल्तिप्लेक्स, वेतन package, और modernity मैं ही आकंठ डूबा है | एक आम हिन्दू हिन्दू की दुर्दशा सुनना ही नहीं चाहता, इसपे काम करने की बात तो दूर है | बड़े शान से कहा जाता है की – "don't consider me as a Hindu, I am a humane". और humanity सिर्फ और सिर्फ सेकुलर के प्रति ही दिखाते हैं …. देखिये ना अपने ब्लॉग जगत को ही सारे लोग कैसे चुप बैठे हैं इसी रजनीश मामले मैं | इस दुर्दशा को दूर करने के लिए हर व्यक्ती को अपने स्टार पे प्रयास करना होगा | जरा गौर कीजिये :* लगभग हर चर्च एक स्कूल चलाता है … और वहां पे क्रिश्चियन बच्चे बएबिल का अध्यन करता है |* मदरसे की कोई कमी तो है नहीं, इस्लाम की सिक्षा के लिए |लेकिन लेकिन … हिन्दुओं के कितने मदिर अपना विद्यालय चलाते हैं ? जब बच्चे आरम्भ से ही नेहरु जी का सेकुलर ज्ञान (वास्तव मैं मूर्ति पूजा विरोध, हिन्दू विरोध) लेंगे तो बड़े होकर वो भी वही सेकुलर ज्ञान फैलायेंगे | बातें तो ढेर सारी हैं कहने को … पर टिप्पणी की मर्यादा का पलान भी करना है …. इसलिए फिर कभी ….

  18. November 4, 2009 at 5:06 pm

    Aisi media aur in tathakathit secularon ke liye man me jo vitrashna bharti ja rahi hai usko shabdon me likhna naamumkin hai..Jai Hind…

  19. Ghost Buster said,

    November 5, 2009 at 1:00 am

    सुरेश जी, हेडलाइंस टुडे पर ये खबर देखी थी, काफ़ी विस्तार से थी और आँचल शर्मा के सारे बयानात (जो उन्होंने अपने भाइयों और पिता के खिलाफ़ दिये थे) रिपोर्ट में देखे थे.अन्य किसी चैनल पर इस घटना का कोई जिक्र नहीं था.

  20. November 5, 2009 at 2:02 am

    एक और उदाहरण सेक्यूलरिज्म का – मौलाना ने भारत के गृहमंत्री की उपस्थिती में ’वन्दे मातरम’ राष्ट्रगान न गाने के लिये फ़तवा जारी किया है, क्योंकि यह इस्लाम विरोधी है यह उन मौलाना का कहना है।

  21. November 5, 2009 at 3:16 am

    "गंगा-जमनी संस्कृति" की बातें 🙂

  22. Arvind Dubey said,

    November 5, 2009 at 4:46 am

    सच्चाई यही है, पर क्या किया जा सकता है. मुझे लगता है कि कहीं न कहीं अपने वाले ही कमजोर पड़ रहे हैं. जल्द कुछ न किया गया तो ऐसे वाकये देश के बाकी हिस्से में भी होंगे. मैं मीडिया से जुड़ा हूं. आए दिन देखता हूं कि किस तरह भाजपा में मचे बवाल को टीवी चैनल बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते है….चिदंबरम दारुल उलूम के कार्यक्रम में गए, कोई बात नहीं, कहीं आडवाणी संघ के कार्यक्रम में खड़े में हो जाएंगे तो फिर देखना…

  23. November 5, 2009 at 5:34 am

    हिंदू होना पाप है,सेक्यूलर पूरा सांप है,ज़हर फ़ैलाने वालों का,यही असली बाप है।

  24. cmpershad said,

    November 5, 2009 at 5:38 am

    मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखनाहिंदी है हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा…..और फिर पाकिस्तान चले गए:)

  25. November 5, 2009 at 6:50 am

    धर्मनिरपेक्षता के पाखंडी वाहकउन्होनें कहा-लादेन मरे या बुश, हम दोनों में खुश.फिर जोड़ा-ना लादेन मरे ना बुश, लगे दोनों पर अंकुश.उनकी बातें सुनकर पूछा मैनें उनसेलादेन और बुश की हो रही है लड़ाईउसमें हिन्दूओं की क्यों हो रही है कुटाई ?आपके पास क्या है इसका जवाब ?उन्होनें उत्तर दिया-सरासर गलती तो हिन्दूओं की हीं है.क्यों वह समर्थन सच्चाई का कर रहे हैं ?तब मैनें पूछा- हे जनाब !उन निहथ्थे रामसेवकों का दोष क्या था,जो जला दिये गये साबरमती की बोगियों में?मेरी बात सुनकर रहा न गया उनसेतमतमा गया चेहरा उनकाबोले,क्या बात करते हो यार !क्यों गये थे अयोध्या में होकर तैयार ?वो जले तो ठीक हीं जले,मरे तो ठीक हीं मरे.यदि कोई हिन्दू मरा तो समझो कि उसने जरूर कोई गलती की होगी.आखिर इस धर्मनिरपेक्ष देश में,क्या उनको यह भी नहीं है अधिकारकि वो मार सकें काफिरों को बार-बार?वे तो अपने धर्म पर हैं अडिग.उनका तो धर्म कहता है-जो तेरी राह में हो पड़े,उन्हे मारकर बनो तगड़े (गाज़ी).उन्होनें तो केवल अपना काम कियानाहक हीं उनको तुमने बदनाम किया.जरा-सा रूक कर पूछा उन्होनें मुझसे-बताओ श्रीमान् !ये संघी क्यों लगाते हैं साम्प्रदायिक आग,हिन्दूओं को ये क्यों भड़काते हैंक्यों उन्हें जागृति का पाठ पढ़ाते हैं ?ये तो सो रहे थे, नाहक हीं उन्हे जगा दिया.अरे ! हिन्दूओं का तो काम ही है सहनाऔर बार-बार मरना.ये लोग भी कोई लोग हैं,आज मर-कट रहे हैं तो हो रहा है हल्ला.इतना सुनकर रहा न गया मुझसेमैनें कहा-धन्य हो मेरे भाईतुम्हारे रहते अन्य कौन बन सकता है कसाई.हमें मारने के लिये तो आप जैसे धर्मनिरपेक्ष हीं काफी हैं.अब वह दिन दूर नहीं,जब आप जैसों के अनथक प्रयास सेये अपाहिज-कायर हिन्दू मिट जायेंगे जहाँ सेमैं तो बेकार हीं कोस रहा था आपके प्यारों कोअरे ! आपके सामने उनकी क्या औकात है ?ये सब घटनायें तो आप जैसों की सौगात है. (ये पंक्तियां गुजरात के अक्षरधाम मंदिर पर हुए हमले के अगले दिन लिखी गईं थी. उस घटना को हुए 6 साल हो रहा है. इन पंक्तियों की सत्यता सुरेश जी के आलेख से और भी पुष्ट होती है. इसे आप यहां http://diwakarmani.blogspot.com/2007/11/blog-post_17.html भी देख सकते हैं.)

  26. Baba Mourya said,

    November 5, 2009 at 7:10 am

    Suresh jiAapke satyanishtha lekhon aur deshbhakti ke liyeDhanyavad shabd bahut chhota maloom padata hai.Baba

  27. November 5, 2009 at 7:57 am

    प्रवीण शाह जी, वामपंथी "राष्ट्रवाद" को एक गाली की तरह ही इस्तेमाल करते हैं. तथाकथित "सेकुलर" और वामपंथी हिन्दू और हिंदुत्व को भी एक गाली की तरह ही प्रयोग में लाते हैं और इसके ढेरों उदाहरण आपको, मीडिया, साहित्य और यहीं ब्लागजगत पर मिल जायेंगे."सेकुलरिस्म" आज हमें एक गाली की तरह प्रतीत होता है तो उसका कारण भी यही दोगलापन है. अगर किसी को यह भ्रम है कि यह सब केवल राजनीति के लिए हो रहा है तो वह बेवकूफ है. यह सभ्यताओं की लडाई है जिसमे संसाधनों पर कब्जे के लिए धर्म का इस्तेमाल किया जा रहा है. अगर हिन्दुओं को जीना है तो उन्हें जागना होगा और अगर हिन्दू बनकर जीना है तो संघर्ष करना होगा. समय तेजी से निकल रहा है. जो लोग इसे मजाक समझते हों वे इन पंक्तियों को याद रखें क्योंकि एक दिन यह एक कड़वी सच्चाई बनकर सामने आएगा………..

  28. mehta said,

    November 5, 2009 at 11:41 am

    hindu aaj ase chorahe par khra hai jha use tin taraf se ghera ja rha hainumber 1 isai log hinduo ko pasa batkar dharm pariwartit karwa rhe hai number 2 muslim log talwar ke bal par hinduo ko bhga rhe hai or baki bche secular neta or media unhe trp bdhani hai abb hindu ke pass 2 raste bache ya hindu har man kar muslim ya isai ban jaye ya fir sabhi ektrit ho jaye jagrit ho jaye samsya kafi gambhir hai jtta pagdi sambhl

  29. November 5, 2009 at 1:11 pm

    @ रोहित जिस तरह आप ब्लागजगत पर उपलब्ध कुछ लोगों को देखकर यह नहीं कह सकते कि सभी मुसलमान ऐसे ही है, वैसे ही भोपाल में बस चुके खाए-अघाये कश्मीरी पंडित की बातों से आप यह सामान्यीकरण नहीं कर सकते कि सभी कश्मीरी हिन्दू ऐसे ही हैं. फौज में कश्मीरियों का प्रतिनिधित्व करने वाली "डोगरा रेजिमेंट" है और अनेको कश्मीरी फौजियों को व्यक्तिगत तौर पर जानता हूँ इसलिए आपके परिचित का यह कहना कि कश्मीरी हिन्दू फौज में नहीं जाते उनके अपने निजी और ओछे विचार हैं. शायद उन्होंने कश्मीर कि विभीषिका को भोग ही नहीं है………सुनी-सुनाई बातों से राय कायम कर लेना बौद्धिक विकास के लिए हानिकारक होता है. बिन मांगी सलाह के लिए क्षमा करें…….

  30. rohit said,

    November 6, 2009 at 4:52 am

    dear nishachar u might have not read my full comment in last line i wrote "i dont say i m correct but they r also wrong

  31. November 6, 2009 at 8:18 am

    माननीय साथियों , बहस तो हर रोज होती है . सुरेश जी नायाब और झकझोरने वाली खबरें तथ्यों समेत लाते हैं .हम सभी आते हैं अपना-अपना गाल बजाते हैं .और फ़िर अगले आलेख तक एक शांति ……… चिर शांति ……आप लोग चाहे कुछ भी कहें , पर भाई लोग आजकल छद्म सेकुलरों की भांति छद्म हिंदूवादी भी सक्रीय है . उदहारण की जरुरत नहीं आप सब खुद समझदार है . अब ,एक बात बताइए , प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में तरुण विजय ने हिन्दुओं का ठेका ले रखा है या हमने दे रखा है …..क्या हींदुत्व की आवाज एक तरुण विजय से संभल पाएगी ?यहाँ भी हमने हिन्दुओं का ठेका एक सुरेश जी को दे रखा है . हम सेकुलर बने रहें . " भाई ,सुरेश जी अगर आप कुछ कदम उठाते हैं तो हम आपके साथ है .!" क्यों गुरु सुरेश जी क्यों कदम उठायें? आप खुद क्यों नहीं ? दरअसल हमारी मानसिकता अब भी वही है भगत सिंह जन्मे पर पड़ोसी के घर में ! देखिये जो सच है उसे कहना पत्रकार का काम है इसमें किसी पंथ /विचारधारा/वाद से जोड़ना गलत होगा …….. लोगों ने सुरेश जी को हिंदूवादी घोषित कर दिया तो कुछ ने सांप्रदायिक लेकिन मैं इन्हें एक सच्चा पत्रकार घोषित करता हूँ . आज प्रिंट मीडिया में भी इतने खोजपूर्ण आलेख नहीं छपते . अब ,सच लिखना है तो किसी के पक्ष में होगा या किसी के विपक्ष में . लेकिन इस बात से वाद का निर्णय नहीं करना चाहिए और न हीं हमें किसी एक वाद का गुलाम भी होना चाहिए क्योंकि ऐसा करने पर खुद का मानसिक विकास रुक जाता है .

  32. November 6, 2009 at 8:49 am

    बहुत अच्छा लेख है, अब ब्लॉग से एक कदम आगे बढ़ कर क्या हमें किसी प्राइवेट न्यूज़ चैनल के बारे में नहीं सोचना चाहिए जो ऐसी ख़बरों को जन-जन तक पहुंचा सके परन्तु इसके समर्पित और सुलझे हुए लोगों को प्रयास करना होगा क्योंकि ऐसे तो पहले से ही कई TV चैनल है जो हिन्दू मालिकों के है परन्तु वो सिर्फ पैसों और मलाई मरने के लिए चल रहे हैं |क्या Hospitals, Universities के लिए करोडों रुपये दान करने वाले हिदुओं के भामाशाहों में से कोई इसके लिए आगे आएगा ? हाँ लेकिन इसमें कमाई की ज्यादा गुन्जायिश नहीं होगी और संघर्ष भी पल-पल करते रहना होगा क्योंकि ऐसे चैनल के खिलाफ चालें चलने में सेकुलर सरकार और बुद्धिजीवी भरपूर जोर लगायेंगे !! अगर हिन्दू संघर्ष नहीं कर पाते हैं तो फिर ये स्वत ही सिद्ध हो जाता है हिन्दू कौम ज्यादा जागरूक और साहसी नहीं है, अगर हिन्दू वाकई स्वयं को ज्यादा प्रगतिशील धर्म वाला, स्वच्छ, सही और सच्ची सोच वाला और बहादुर कौम वाला समझता है तो परिवर्तन दिखाई भी देना चाहिए | यदि परिवर्तन नहीं दिखाई देता तो साफ़ है हमारे अन्दर भी कमिया हैं और उन्हें दूर करना बहुत जरूरी है |

  33. November 7, 2009 at 1:03 pm

    ये तो बिलकुल कलकत्ता के रिजवानुर्रहमान वाला मामला है जिसमे एक मुस्लिम लड़के को हिन्दू लड़की से शादी करने पर मार दिया गया था.

  34. November 7, 2009 at 1:35 pm

    भाई योगेन्द्र सिंह शेखावत की बात में दम है…. ऐसा होना ही चाहिये.

  35. Ghost Buster said,

    November 19, 2009 at 3:17 pm

    see thishttp://www.youtube.com/watch?v=WfIdVBrFS4I


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