देश अभिशप्त है कांग्रेस की गलतियों को झेलने के लिये – सन्दर्भ तेलंगाना विवाद …… Telangana Movement, Andhra-Rayalseema Congress Politics

जिस समय आंध्रप्रदेश का गठन हो रहा था उस समय नेहरु ने कहा था कि “एक मासूम लड़की की शादी एक शरारती लड़के के साथ हो रही है, जब तक सम्भव हो वे साथ रहें या फ़िर अलग हो जायें…”। 50 साल तक इस मासूम लड़की ने शरारती युवक के साथ किसी तरह बनाये रखी कि शायद वह सुधर जायेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, और आज जब “मासूम लड़की” अलग होना चाहती है तो वह शरारती लड़का (आंध्र-रायलसीमा) (जो अब गबरू पहलवान बन चुका है) अपने बाप (केन्द्र) को भी आँखे दिखा रहा है, और बाप हमेशा की तरह “हर धमकाने वाले” के सामने जैसा घिघियाता रहा है, वैसा ही अब भी घिघिया रहा है।

तेलंगाना के पक्ष में कुछ बिन्दु हाल ही में तेलंगाना नेता डॉ श्रीनिवास राजू के एक इंटरव्यू में सामने आये हैं – जैसे :

1) जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड के बारे में हम लोगों ने कई-कई पन्ने पढ़े हैं, लेकिन यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि हैदराबाद के निजाम ने तेलंगाना के लोगों के साथ जलियाँवाला जैसे लगभग 6 हत्याकाण्ड अंजाम दिये हैं, जब तेलंगाना के लोगों ने उस समय निजाम से अलग होने की मांग करने की “जुर्रत” की थी, यही निजाम भारत की आज़ादी के समय भी बहुत गुर्रा रहा था, लेकिन सरदार पटेल ने उसे पिछवाड़े में दुम दबाने पर मजबूर कर दिया था।

2) तेलंगाना क्षेत्र की विधानसभा भवन, उच्च न्यायालय भवन आदि निजाम के ज़माने से बन चुके हैं। सन् 1909 में आधुनिक इंजीनियरिंग के पितामह एम विश्वेश्वरैया ने हैदराबाद में भूमिगत ड्रेनेज सिस्टम बनवाया था जिसमें से अधिकतर हिस्सा आज सौ साल बाद भी काम में लिया जा रहा है।

3) कृष्णा नदी के जलग्रहण क्षेत्र का 69 प्रतिशत हिस्सा तेलंगाना में आता है, लेकिन एक भी बड़ा बाँध इस इलाके में नहीं है।

4) डॉ बीआर अम्बेडकर भी हैदराबाद को भारत की दूसरी अथवा आपातकालीन राजधानी बनाने के पक्ष में थे।

5) आंध्र राज्य के निर्माण के समय कांग्रेस ने सबसे पहला वादा तोड़ा नामकरण को लेकर, तय यह हुआ था कि नये प्रदेश का नाम “आंध्र-तेलंगाना” रखा जायेगा, लेकिन पता नहीं क्या हुआ सिर्फ़ “आंध्रप्रदेश” रह गया।

6) दूसरी बड़ी वादाखिलाफ़ी निजामाबाद जिले में बनने वाले श्रीराम सागर बाँध को लेकर हुई, 40 साल बाद भी इस बाँध का प्रस्ताव ठण्डे बस्ते में है।

7) यदि तेलंगाना का गठन होता है तो इसका क्षेत्रफ़ल विश्व के 100 देशों से बड़ा और भारत के 18 राज्यों से बड़ा होगा।

8) तेलंगाना क्षेत्र के लोगों के साथ हमेशा आंध्र के लोगों ने खिल्ली उड़ाने वाले अंदाज़ में ही बात की है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि तेलुगू फ़िल्मों में एक भी बड़ा हीरो तेलंगाना क्षेत्र से नहीं है, जबकि तेलुगु फ़िल्मों में हमेशा विलेन अथवा जोकरनुमा पात्र को तेलंगाना का दर्शाया जाता है।

मीडिया का रोल –

तेलंगाना आंदोलन शुरु होने के बाद से अक्सर खबरें आती हैं कि तेलंगाना के लोगों की वजह से करोड़ो का नुकसान हो रहा है, बन्द और प्रदर्शनों की वजह से भारी नुकसान हो रहा है आदि-आदि। डॉ श्रीनिवास के अनुसार आंध्रप्रदेश रोडवेज को जो 7 करोड़ का नुकसान हुआ है वह पथराव और बन्द की वजह से बसें नहीं चलने की वजह से हुआ है। जितना उग्र प्रदर्शन आंध्र और रायलसीमा में हो रहा है उसके मुकाबले तेलंगाना के लोग बड़े ही लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रख रहे हैं। उदाहरण के लिये आंध्र और रायलसीमा में 70 करोड़ की बसें और सम्पत्ति जलाई गई हैं। BSNL ने भी अपनी एक पुलिस रिपोर्ट में कहा है कि कुछ युवकों द्वारा उसके ऑप्टिकल फ़ाइबर जला दिये जाने की वजह से उसे रायलसीमा में 2 करोड़ का नुकसान हुआ है। रायलसीमा में ही जेसी दिवाकर रेड्डी के समर्थकों द्वारा एक रेल्वे स्टेशन को बम से उड़ाने के कारण 10 करोड़ का नुकसान हुआ है, लेकिन यह सभी खबरें तेलुगु मीडिया द्वारा दबा दी गईं क्योंकि मीडिया के अधिकतर हिस्से पर आंध्र के शक्तिशाली रेड्डियों का कब्जा है। आंध्र के पैसे वाले रेड्डियों ने तेलंगाना और हैदराबाद में सस्ती ज़मीनें गरीबों के आगे पैसा फ़ेंककर उस वक्त कौड़ियों के दाम खरीद ली थीं, जो अब अरबों की सम्पत्ति बन चुकी हैं… आंध्र-रायलसीमा के लोगों का मुख्य विरोध इसी बात को लेकर है कि तेलंगाना बन जाने के बाद बाँध बन जायेंगे और उधर पानी सीमित मात्रा में पहुँचेगा तथा हैदराबाद पर तेलंगाना का अधिकार हो जायेगा तो उनकी सोना उगलने वाली सम्पत्तियों का क्या होगा… इसीलिये दिल्ली से लेकर हैदराबाद तक पैसा झोंककर मीडिया सहित सबको मैनेज किया जा रहा है अथवा धमकाया जा रहा है।

इस सारे झमेले के बीच संघ प्रमुख भागवत जी ने एक मार्के की बात कही है, उन्होंने छोटे राज्यों के गठन का विरोध करते हुए कहा है कि अधिक राज्य बनाने से गैर-योजनागत व्यय में कमी आ जाती है, राज्य बनने से वहाँ के मंत्रियों-अधिकारियों-मंत्रालयों आदि के वेतन पर जो खर्च होता है उस कारण आम जनता के लिये चलने वाली योजनाओं के पैसे में कमी आती है। मंत्री और आईएएस अधिकारी अपनी राजसी जीवनशैली छोड़ने वाले नहीं हैं, ऐसे में छोटे राज्यों में प्रशासनिक खर्च ही अधिक हो जाता है और वह राज्य सदा केन्द्र का मुँह तकता रहता है।

सोनिया ने तो अपनी जयजयकार करवाने के चक्कर में तेलंगाना के निर्माण का वादा कर दिया (यहाँ देखें), लेकिन अब रेड्डियों के दबाव में आगे-पीछे हो रही हैं। निज़ाम के वंशज अभी से सपने देखने लगे हैं कि प्रस्तावित तेलंगाना में 20% आबादी मुस्लिम होगी तब वे अपना मुख्यमंत्री बनवा सकेंगे और अधिक फ़ायदा उठा सकेंगे। उधर नक्सली मौके की ताक में हैं, कि कब तेलंगाना में आग भड़काकर अपना फ़ायदा देखा जाये… यानी मुर्दा अभी घर से उठाया ही नहीं है उससे पहले ही तेरहवीं के भोज खीर मिलेगी या लड्डू, इसकी चर्चा शुरु हो गई है, जबकि भोंदू युवराज दलितों की थाली में ही लगे हुए हैं… यदि महारानी और युवराज सच्चे नेता होते तो मामले पर आगे आते और जनता/मीडिया से बात करते, लेकिन ये लोग “फ़ैब्रिकेटेड नेता” हैं। कुछ दिनों पहले चीन के एक सैन्य अखबार ने लिखा था कि थोड़े से प्रयासों से हम आसानी से भारत के कई टुकड़े कर सकते हैं, लेकिन अब वे चैन से सो सकते हैं… ये काम हम ही कर लेंगे… पहले भी करते आये हैं। यदि तेलंगाना बन भी गया तो अब तक यहाँ के उपेक्षित और अपमानित स्थानीय व्यक्तियों / आदिवासियों को कोई लाभ मिल सकेगा इसमें संदेह ही है, क्योंकि “गिद्ध” अभी से मंडराने लगे हैं। तेलंगाना राज्य तभी बनेगा, जब कांग्रेस को इसमें अपना फ़ायदा दिखाई देगा, फ़िलहाल ऐसे आसार नहीं हैं, इसलिये चाहे जितनी सार्वजनिक सम्पत्ति का नुकसान हो, चाहे जितनी रेलें रोकी जायें, चाहे जितनी बसें जलाई जायें, अपनी गलतियों को ढँकने के लिये, मामले को लम्बा लटकाने की भूमिका अन्दर ही अन्दर तैयार हो चुकी है…।

खैर, कांग्रेस की सैकड़ों वादाखिलाफ़ियों और ऐतिहासिक गलतियों की सजा पूरे देश में कितनी पीढ़ियाँ, कितने समय तक झेलती रहेंगी, पता नहीं… यह देश अभिशप्त है कांग्रेस को झेलते रहने के लिये…

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17 Comments

  1. January 6, 2010 at 7:49 am

    कांग्रेस और ईस्ट इण्डिया कंपनी में कोई ख़ास अंतर नहीं है ,बस इतना फर्क है की ईस्ट इण्डिया कंपनी ने आज़ादी के पहले भारतीयों का खून चूसा और आज़ादी के बाद अब कांग्रेस खून चूसने का काम कर रही है!आगे आगे देखते रहिये कांग्रेस का भोंदू राजकुमार विस्टन चर्चिल निकलेगा !!!

  2. January 6, 2010 at 8:48 am

    कल राष्ट्र कवि दिनकर जी की दो लाइनों पर ब्लॉग मंच पर खासी चर्चा रही !समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध !इसको इस तरह यहाँ पर व्याख्या की जा सकती है ;हे मौन सिंह ! तुम इस गलत फहमी में मत रहो कि तुम खुद दिखावे के लिए दुनिया की नजरों में एक ईमानदार और शरीफ, शांतिप्रिय व्यक्ति बने रहोगे तो यह तुम्हारे अच्छे कर्मो में गिना जाएगा ! प्रोक्सी के तौर पर ही सही लेकिन इटली की माता जी ने आपको देश का जो भार सौंपा है उसे अगर तुम देश हित में न निभा पाओ, सिर्फ माता के अहसानों के तले ही कृतज्ञं बनकर देश की तबाही देखते रहो तो इस देश के लोगो ने क्या चाटनी है तुम्हारी ईमानदारी और शांतिप्रियता ? जब तुम्हारी नाक के तले झूट, मक्कारी, व्यभिचारी, चोरी, गुंडागर्दी , भ्रष्टाचारी, बेरोजगारी, महंगाई और भुखमरी खुले आम घूम रहे हो, तो तुम्हारी ईमानदारी क्या म्यूजियम में रखनी है, इस देश ने ? ये मत भूलये कि अभी यह संग्राम जारी है ! इस पाप की भागीदार सिर्फ इटली के व्याधि ही नहीं लेकिन जो तुम तठस्थ(बेशरम) बनकर धृत राष्ट्र की तरह आँखे मूद यह सब होते देख रहे हो , तो तुम्हारे कर्मो का लेखा जोखा भी समय लिखेगा, यह ध्यान रहे !

  3. January 6, 2010 at 12:17 pm

    पच्चीस-तीस राज्यों से बेहतर है कि बीस एडमिनिस्ट्रेटिव इकाईयां बनाई जायें. और जो सेक्रेट्री, राज्यों के मन्त्री, विधायक इत्यादि की व्यवस्था खत्म कर व्यर्थ का बोझ घटाया जाये.

  4. January 6, 2010 at 4:02 pm

    लगता है आप भी अभिशप्त हैं कांग्रेस को गरियाने के लिए ! पानी पी-पीकर कोस रहे हैं !

  5. January 6, 2010 at 4:09 pm

    सही कहा शिवेन्द्र भाई, कोई तो हो जो कांग्रेस को गरियाये, वरना इलेक्ट्रानिक चैनल से लेकर सारे अखबार तो मैडम की जय-जयकार में लगे हैं…। सारी बुराईयाँ भाजपा-संघ में ही गिनाये जा रहे हैं, इसलिये किसी को तो यह फ़र्ज़ निभाना ही पड़ेगा ना…।

  6. January 6, 2010 at 5:08 pm

    तेलंगाना की मांग करने वालों की छवि उपद्रवी और खलनायक के तौर पर पेश की जा रही है. जैसे की अपना वाजिब हक़ मांगने वाले हिन्दुओं की की जाती है.

  7. January 6, 2010 at 7:35 pm

    सटीक विश्लेषण | मीडिया का इतना गंदा खेल देखकर कौन कह सकता है की मीडिया लोकतंत्र का चौथा खम्भा है ? कांग्रेस, मैडम जी और युवराज जी का काम तो बस अपना अपना वोट बैंक देखना और गद्दी बचाना है … उन्हें भला आम जनता से क्या मतलब?वैसे इस आलेख से सबसे ज्यादा मिर्ची वीरेंद्र जैन साहब को लगेगी …. वो आते ही होंगे जहर उगलने …. अभी शायद वो आलाकमान से गुफ्तगू कर रहे होंगे

  8. सुमो said,

    January 6, 2010 at 10:51 pm

    सही लिखा है

  9. SHIVLOK said,

    January 7, 2010 at 2:56 am

    Suresh jiAgar kuchhMere hath men hoTo Apko BroadcastingAur MEDIA ka prabhar saunpa jayeJisse loktantra ka ye chautha stambh sudhar sake.SHIV RATAN GUPTA09414783323

  10. January 7, 2010 at 5:38 am

    आप जो भी लिखते है साक्ष्य के साथ लिखते है ..आपके विचार और चिंतन देश को एक नयी सोच देगा ..यकीं मानिये मै तो अल्पज्ञानी हूँ इसलिए ज्यादा कुछ नहीं कह सकता लेकिन आपकी बातें मुझे हमेशा प्रभावित करती है

  11. January 7, 2010 at 6:10 am

    भाऊ विदर्भ वाले कब से चिल्ला रहे हैं उनकी तो कोई सुन तक़ नही रहा है।और फ़िर अलग राज्य बनने से विकास होगा ही इसकी क्या गारंटी है।छत्त्तीसगढ बना तो सही लेकिन इसके मूल निवासी आदिवासियों को क्या मिला?छत्तीसगढ अब नक्सलगढ बन कर रह गया है।झारखंड को देख लिजिये दो साल मे मधु कोड़ा 5000 करोड़ का मालिक बन बैठा,अब कई मामलो के आरोपी गुरूजी की बारी है।वंहा भी आदिवासी गरीब का गरीब ही है बस नेता अमीर हो रहे हैं।तेलंगाना भी बन जायेगा तो क्या गरीब अमीर हो पायेगा?बस वंहा के नेता पनप जायेंगे,नेता बेशरम और कुकुरमुत्ते की तरह उगते हैं और फ़िर सिर्फ़ उनकी ही फ़सल लहलहाती है,बाकि सब खल्ल्लास्।

  12. January 7, 2010 at 7:17 am

    हर बार की तरह एक बहुत उम्दा लेख. लेकिन मेरे विचार ज्यादा जरुरी ये सोचना है की से तेलंगाना के बनने या न बनने से क्या हम इस तरह की समस्या से अभी और भविष्य में भी निजात पा सकेंगे. जैसा की आपने स्वयं कहाँ की मुर्दा उठने से पहले ही तेरहवीं के भोज का स्वाद लेने के लिए चील गिद्ध आ गए है. सही है की कांग्रेस ने इस देश में नपुसंकता और बंटवारा ही फैलाया है और ये कांग्रेस ही है जिसने देश को आजादी के मात्र ४५ साल में इतना खोखला कर के रख दिया था की सन १९९२ में देश को दिवालिया घोषित करने तक की स्तिथि आ गई थी और विदेशो में सोना गिरवी रख कर देश को साख बचानी पड़ी थी. लेकिन इस कांग्रेस पार्टी के द्वारा आजादी के समय में बोये हुए जहर के वंशबीज आज देश की हवा में घुल गए है. देश की बर्बादी में जितनी कांग्रेस पार्टी जिम्मेवार है उतने ही आप, मैं और देश का प्रत्येक नागरिक भी जिम्मेदार है. किसानो को बिजली मुफ्त चाहिए फिर चाहे वो दिन में एक घंटे ही मिले, जातियों को प्रवेश परीक्षाओ में आरक्षण चाहिए ताकि हुनर को सुव्यवस्थित ढंग से कुचला जा सके, सरकारी नौकरियों में आरक्षण चाहिए कुछ काम नहीं करने के पैसे मिले और रिश्वत में दिन दुनी रात चोगुनी कमी कर सके. घमंडी महारानी, भोंदू युवराज और भारत के आम नागरिक की मनोदशा के लिए यही कहूँगा "यथा राजा तथा प्रजा"

  13. cmpershad said,

    January 7, 2010 at 11:33 am

    पहले भाषा के नाम पर फूट और अब……….?

  14. January 7, 2010 at 12:28 pm

    पार्टी कोई भी भाई, सबके सोचने का तरीका एक ही होता है। बस एंगल जरूर चेंज हो जाता है।——–बारिश की वो सोंधी खुश्बू क्या कहती है?क्या सुरक्षा के लिए इज्जत को तार तार करना जरूरी है?

  15. Common Hindu said,

    January 8, 2010 at 5:45 pm

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  16. January 9, 2010 at 5:54 pm

    आपने सही कहा. भ्रष्टाचार, कुशासन, कुकर्मो की जननी है कोंग्रेस. लेकिन इसी कोंग्रेस का खूनी पंजा मजबूत करने वाले लोग हिन्दू ही हैं, जो वोट डालने के दिन घर पे सोये रहते हैं या डालने जाते हैं तो भी सेकुलरिज्म की अफीम खाकर उसी कोंग्रेस को देकर आते हैं, जिसका पंजा देश और जनता को नोचने के लिए बेताब है.


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