तिरंगे में सफ़ेद रंग “क्रिश्चियनिटी” का होता है और “जन-गण-मन” की धुन पर पोप की प्रार्थना…… Mockery of National Flag, National Anthem by Missionary

[डिस्क्लेमर – मुझे मलयालम नहीं आती, इसलिये प्रस्तुत पोस्ट एक मलयाली मित्र द्वारा दी गई सूचनाओं पर आधारित है… जिसे मलयालम आती हो, कृपया इसकी पुष्टि करें…]

बचपन से मैंने तो यही पढ़ा था कि देश के तिरंगे में भगवा रंग त्याग और बलिदान का, सफ़ेद रंग शान्ति का तथा हरा रंग हरियाली और पर्यावरण का होता है। लेकिन हाल ही में केरल में “गोस्पेल चर्च” (जो कि धर्मांतरण के लिये कुख्यात है और जिसे “वर्तमान देशमाता” और “युवराज” का पूर्ण वरदहस्त प्राप्त है) के एक कार्यक्रम में एक जोकरनुमा व्यक्ति ने “जानबूझकर” देश के तिरंगे का पूरा देशद्रोही विवरण प्रस्तुत किया और न तो केरल सरकार, न ही किसी हिन्दू संगठन, न ही किसी मानवाधिकार/NGO संगठन ने इस पर आपत्ति उठाई… और तो और कार्यक्रम समाप्ति के बाद भी किसी ने इस जोकर के खिलाफ़ तिरंगे के अपमान को लेकर पुलिस केस रजिस्टर नहीं करवाया।

मेरे मलयाली मित्र द्वारा किये गये वर्णन के अनुसार – प्रस्तुत वीडियो में तिरुवल्ला के शैरोन फ़ेलोशिप चर्च में केए अब्राहम नामक व्यक्ति कॉमेडी शो(?) प्रस्तुत कर रहा है। इसमें यह बताता है कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज में “भगवा” रंग आक्रामकता का प्रतीक है, जबकि हरा रंग मुस्लिमों की बढ़ती आर्थिक खुशहाली (खाड़ी के पैसे द्वारा आई हुई) का प्रतीक है, लेकिन सबसे पवित्र है “सफ़ेद रंग” जो कि ईसाईयत का प्रतीक है, क्योंकि सफ़ेद रंग शांति का प्रतीक है (ईसाईयत = शान्ति)। और आगे अपना ज्ञान बखान करते हुए वह बताता है कि शक्तिशाली अशोक चक्र का मतलब है “अ-शोक” (अर्थात कोई दुख नहीं) और इस “अ-शोक” को सफ़ेद रंग के अन्दर इसलिये रखा गया है क्योंकि ईसाईयत में आने के बाद मनुष्य को कोई शोक नहीं होता। इसलिये जो भी दुखी और असहाय हैं, सफ़ेद रंग में रंग जायें, यानी ईसाईयत स्वीकार करें। तिरंगे की ऐसी व्याख्या कभी देखी-सुनी है आपने? लेकिन “सेकुलरिज़्म” को दूध पिलाने की सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी, क्योंकि अब इसका “फ़न” धीरे-धीरे फ़ुंफ़कारे मारने लगा है।


Direct Link : http://www.youtube.com/watch?v=ohpo2xDabqg

अब यह वीडियो देखिये (सुनिये), एक स्कूल में हमारे राष्ट्रीय गान “जन-गण-मन” की धुन पर पोप जॉन पॉल (द्वितीय) का गुणगान और जीसस की प्रार्थना की जा रही है। इन दोनों का गुणगान करना गलत बात नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय गीत की धुन और तर्ज पर इसे गाकर क्या साबित करने की और कैसा संदेश देने की कोशिश की जा रही है, यह मुझे देशभक्तों को समझाने की आवश्यकता नहीं है, हाँ छद्म-सेकुलरों को समझाना जरूरी है, क्योंकि मेरी नज़र में “छद्म-सेकुलर” *%$%*&#*$*॰  हैं…

Direct Link : http://www.youtube.com/watch?v=zDpIn03gEi8

इस दूसरे वीडियो में भी छोटी-छोटी बच्चियाँ “जन-गण-मन” की धुन पर पोप की प्रार्थना कर रही हैं। इन बेचारी बच्चियों को क्या मालूम कि इनके दिमाग का कैसा ब्रेन-वॉश किया जा रहा है…और जाने-अनजाने वे अपनी मातृभूमि से गद्दारी का पाठ पढ़ रही हैं… और यदि वाकई ऐसे हथकण्डों से प्रभु यीशु धरती पर शान्ति ला सकते, तो फ़िलीस्तीन और यरुशलम में सबसे पहले शान्ति आ जाती, जहाँ उनका जन्म हुआ, लेकिन उधर तो उन्हें “क्रूसेड” और “जेहाद” से ही फ़ुरसत नहीं है।

Direct Link : Janaganama praising Pope http://www.youtube.com/watch?v=5bO21MQ1LtI

इस चालबाजी का मिलाजुला रूप झारखण्ड, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के दूरस्थ आदिवासी इलाकों में देखा जा सकता है, जहाँ झोंपड़ियों में स्थित चर्च को “भगवा” रंग से रंगा गया है, मदर मेरी और यीशु की मूर्तियों और छवियों को भी हिन्दू देवी-देवताओं से मिलता-जुलता रूप दिया गया है, ताकि भोले-भाले आदिवासियों को आसानी से मूर्ख बनाया जा सके, और मौका मिलते ही “धर्मान्तरण” करवा लिया जाता है। तिरंगे झण्डे, राष्ट्रीय गान का मजाक उड़ाना, वन्देमातरम का विरोध करना, नाबालिग लड़की को भगा ले जाने को धार्मिक बताना और देश के नक्शे से छेड़छाड़ आदि कामों को सिर्फ़ “बकवास” अथवा “गलती” कहकर खारिज़ नहीं किया जा सकता, यह एक दीर्घकालीन रणनीति के तहत हो रहा है।

इस प्रकार दीमक की तरह “एवेंजेलिस्ट” ज़मीन खोखली करते जा रहे हैं, और इधर  “सेकुलरिज़्म” नाम का साँप मोटा होते-होते अजगर बन गया है और मूर्ख हिन्दू सोये हुए हैं और ऐसे ही नींद में गाफ़िल रहते ही मारे भी जायेंगे। इस स्थिति के लिये मिशनरी और कट्टर मुल्लाओं का दोष तो है लेकिन “छद्म-सेकुलरवादियों” और “बेसुध हिन्दुओं” के मुकाबले में कम है…। जब तक “हिन्दू” एक इकाई बनकर राजनैतिक रूप से संगठित नहीं होते, तब तक यह देश टुकड़े-टुकड़े होने को अभिशप्त ही रहेगा… रही-सही कसर राज ठाकरे-बाल ठाकरे टाइप के लोग पूरी कर रहे हैं जो “हिन्दुत्व” को कमजोर कर रहे हैं, और उनकी इस हरकत से “बाहरी” लोग खुश हो रहे हैं कि उनका काम अपने-आप आसान हो रहा है। वर्तमान दौर सेकुलरिज़्म का नंगा रूप देखने और सहनशील हिन्दुओं की परीक्षा का कठिन दौर है…

जैसा कि केरल में बढ़ते मिशनरीकरण और इस्लामीकरण के बारे में पहले भी कुछ पोस्ट में लिख चुका हूं, केरल में हिन्दुओं, हिन्दुत्व और भारतीय संस्कृति को गरियाने का दौर धीरे-धीरे मुखर होता जा रहा है, और इस बार तो सीधे देश के झण्डे तिरंगे की ही मनमानी व्याख्या सुनाई जा रही है। इस्लामी जेहादी तो सीधे-सीधे बम फ़ोड़ते हैं या “घेट्टो” (Ghetto) बनाकर हमले करते हैं जैसा कश्मीर से पंडितों को भगाने के मामले में किया, लेकिन मिशनरी और एवेंजेलिस्ट चालाक हैं, चुपके से काम करते हैं और मौका मिलते ही पीठ में छुरा घोंपते हैं (यह हम मिजोरम और उत्तर-पूर्व के अन्य राज्यों तथा कश्मीर में देख रहे हैं, देख चुके हैं)। अब आप कहेंगे कि ऐसी खबरें हमारे “सबसे तेज़” न्यूज़ चैनलों पर क्यों नहीं आतीं? जवाब एक ही है – कि इन चैनलों में “बिना रीढ़ के लोग” काम करते हैं जो अपने पाँच-M (मार्क्स-मुल्ला-मिशनरी-मैकाले-माइनो) पोषित आकाओं के इशारे पर रेंगते हैं… और “सेकुलर” पार्टियों द्वारा इन्हें “पाला” जाता है… ऐसी खबरें आपको सिर्फ़ ब्लॉग्स पर ही मिलेंगी… 

विषय से सम्बन्धित कुछ अन्य मिलती-जुलती पोस्ट अवश्य पढ़िये –
1) http://blog.sureshchiplunkar.com/2010/01/ysr-family-evangelism-church-in-andhra.html

2) http://blog.sureshchiplunkar.com/2010/01/shariat-islamic-personal-law-e-ahmed.html

3) http://blog.sureshchiplunkar.com/2009/10/kcbc-newsletter-kerala-love-jihad.html

4) http://blog.sureshchiplunkar.com/2009/08/why-indian-media-is-anti-hindutva.html

5) http://blog.sureshchiplunkar.com/2009/04/talibanization-kerala-congress-and_13.html

Indian Flag, Indian National Anthem, Mockery and Denigration of National Flag and National Anthem, Missionery, Gospel Church, Conversion in Backward Areas of India, Adivasis and Christian Missionery, भारत का राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय गान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का अपमान और उपहास, मिशनरी की चालें, आदिवासी और धर्मान्तरण, आदिवासी और मिशनरी, Blogging, Hindi Blogging, Hindi Blog and Hindi Typing, Hindi Blog History, Help for Hindi Blogging, Hindi Typing on Computers, Hindi Blog and Unicode

27 Comments

  1. February 5, 2010 at 8:23 am

    सफेद रंग तो कफन का भी होता है। मेरे देश का तिरंगा महान है, अगर किसी को उसमें उसकी छवि नजर आती है तो कोई बुरी बात नहीं। बस इसके प्रति प्रेम बढ़े।

  2. Mired Mirage said,

    February 5, 2010 at 8:29 am

    बहुत शर्मनाक काम है. घुघूती बासूती

  3. February 5, 2010 at 8:36 am

    कंधमाल में ईसाईयों पर हुए अत्याचार का जायजा लेने बाहरी लोग आए है. यह है हमारे देश का सर्वभौमिकता!वहाँ क्यों हिंसा हुई यह कौन देखेगा? जब देश के हिन्दुओं को ही अपनी नहीं पड़ी. ईसाई बाहर वालों से गुहार लगा लेंगे, हम कहाँ जाएं? वे मारते है तो मरते रहो. जवाब दिया तो पर्यवेक्षक आ जाएंगे. क्या देश का न्यायतंत्र नहीं है जो बाहरी लोग आते है पंचायती करने? धिक्कार है हम पर.

  4. February 5, 2010 at 9:01 am

    सुरेश जी, आपके इस लेख को किसी सेक्युलर ने पढ़ लिया तो पता है उसके दिमाग में पहली प्रतिक्रया क्या आयेगी ? हिन्दुत्ववादी शक्तियां यहाँ भी अपना सिर उठाने लगी है, जो इस देश के सेक्युलर ताने बाने के लिए खतरनाक है, अत: ब्लॉग पर सरकारी नियत्रण होना चाहिए !:) और वीडियो तो वह देखेगा हे नहीं , हा-हा…

  5. रचना said,

    February 5, 2010 at 9:31 am

    shame on them

  6. February 5, 2010 at 10:29 am

    इस देश में 450 जनजातियां हैं, यू अन ओ ने कई वर्ष पूर्व यह प्रस्‍ताव पारित किया था कि यदि विश्‍व की कोई भी जनजाति स्‍वतंत्र होना चाहती हैं तो वह हो सकती है। अर्थात भारत के 450 टुकड़े कभी भी कराए जा सकते हैं। यह है ईसाइयों का कमाल। हिन्‍दुओं का कमाल देखिए, जो संगठन जनजातियों में चेतना लाने के लिए बने थे आज वे भी केवल राजनीति कर रहे हैं। हिन्‍दू केवल व्‍यापारी है, पैसे और सुख सुविधा का दास। इसलिए इस मृत देश में कैसे क्रान्ति का सूत्रपात करें? शिवसेना जो हिन्‍दुओं की रक्षा की बात करती थी आज सबसे बड़ी भक्षक बनकर खड़ी हो गयी है।

  7. February 5, 2010 at 10:44 am

    ज्यादा दूर जाने कि जरुरत ही नहीं है, झाबुआ को ही ले लीजिये जब तक मिशनरियों को कोई कुछ बोला नहीं रहा था तब तक सब ठीक था पर जैसे ही बजरंग दल वाले वहाँ सक्रिय हुए सरकार ने अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए थे |

  8. vedvyathit said,

    February 5, 2010 at 11:15 am

    aap ne bahut bda ishvriy kary kiya hai aap ko mera nmn ise aur gti se aage badhayen mera shyog aap ke sath hai dr.vedvyathit@gmail.com

  9. February 5, 2010 at 1:01 pm

    जिस देश में नेता भी आयातित हो ,वहां ये सब तो एक दिन होना ही है…!अब इससे ज्यादा दुर्भाग्य देश का क्या हो सकता है?अभी भी बिना वक़्त गंवाए हमें गरीब ,अनाथ आदिवासियों पर तुरंत ध्यान देना चाहिए ताकि वे इनके चंगुल में ना फंसे…बहुत शर्मनाक..राजनीति.है।..

  10. February 5, 2010 at 1:09 pm

    टिप्पणी तो फुरसत से करुंगा, अभी तो बस इतना ही कहूंगा कि इन "5 M" के ताने-बाने से पूरा देश अनजान नहीं होते हुए भी पता नहीं इतना निरासक्त क्युं है?? एक बेहद ही जागरुक आलेख…..

  11. February 5, 2010 at 1:23 pm

    घोर शर्मनाक. जागो अब तो जागो.

  12. February 5, 2010 at 1:27 pm

    प्रिय सुरेश,जिस मलयाली मित्र ने इस घटना का अनुवाद किया है उसने बहुत ही क्रूर मजाक किया है और अर्थ का अनर्थ किया है.जिस पादरी का नाम आया है उसने तिरंगे की आत्मिक व्यख्या दी थी यह सही है, लेकिन उसने साफ कहा था कि हर ईसाई को तिरंगे को देशीय एवं आत्मिक तरीके से लेना चाहिये. इस में कोई बुराई नहीं है. जन गण मन की धुन का दुरुपयोग जरूर गलत है एवं इसकी जितनी भर्त्सना की जाये वह कम है.सस्नेह — शास्त्रीहिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती हैhttp://www.IndianCoins.Org

  13. February 5, 2010 at 2:28 pm

    सफ़ेद कफ़न ही बचेगा हमारे लिये . हिन्द महासागर के अलावा कोइ शरण भी तो नही देगा हमे . हम से मतलब हिन्दू ही समझे .

  14. February 5, 2010 at 2:47 pm

    सेकुलरिज़्म” को दूध पिलाने की सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी, क्योंकि अब इसका “फ़न” धीरे-धीरे फ़ुंफ़कारे मारने लगा है। इस फन को जितना जल्दी कुचला जा सकता है उतनी जल्दी कुचल देना आवश्यक है अन्यथा इस फन का विष पूरे राष्ट्र को धीरे-२ अपने प्रभाव में ले लेगा.

  15. February 5, 2010 at 3:06 pm

    सुरेश जी मै तो इतना ही कहुंगा कि ये देखकर मन दुखी होता है जब देश के आगे लोगों को धर्म सूझता है।हां मै इस विडियों को देखकर उसका मतलब तो नहीं निकाल सकता क्योंकि भाषा नहीं जानता लेकिन मेरी प्रतिक्रिया आपके द्वारा दी गयी जानकारी पर है। हालत ये हो गयी है कि देश आज अगर किसी हमले का शिकार हो जाये तो उसे अपने ही तोड़ देंगे

  16. samatavadi said,

    February 5, 2010 at 3:20 pm

    हमारी महान संस्कृति का परिपूर्ण परिचय देने वाला प्रतीक स्वरूप हमारा भगवा ध्वज है जो हमारे लिए परमेश्वर स्वरूप है। इसीलिए परम वन्दनीय ध्वज को हमने अपने गुरु स्थान में रखना उचित समझा है यह हमारा द्रण विश्वाश है कि अंत में इसी ध्वज के समक्ष हमारा सारा नतमस्तक होगा ” ।- गोलवलकर(४ जुलाई १९४६)14 अगस्त 1947 को आर.एस.एस के मुख पत्र आरगेनाइजर ने लिखा कि “वे लोग जो किस्मत के दांव से सत्ता तक पहुंचे हैं वे भले ही हमारे हाथों में तिरंगे को थमा दें, लेकिन हिन्दुओं द्वारा न इसे कभी सम्मानित किया जा सकेगा न अपनाया जा सकेगा । 3 का आंकडा अपने आप में अशुभ है और एक ऐसा झंडा जिसमें तीन रंग हों, बेहद ख़राब मनोवैज्ञानिक असर डालेगा और देश के लिए नुकसानदेय होगा ।”

  17. February 5, 2010 at 3:22 pm

    मैं परेशां हो चूका हूँ……. इस सो-कॉल्ड सेकूलरिज्म से….. बहुत परेशां हो चूका हूँ….

  18. February 6, 2010 at 1:30 am

    मामला शर्मनाक है। जब तक गहराई से इस तरह की हरकतों पर नजर न डाली जाय पता ही न लगे कि इरादा क्या है ऐसे लोगों का।

  19. बवाल said,

    February 6, 2010 at 5:25 am

    आपने एकदम बजा फ़रमाया चिपलूनकर साहब। हम भी आपसे सहमत हैं।

  20. February 6, 2010 at 6:14 am

    भाऊ हम आपके साथ है।

  21. February 6, 2010 at 6:32 am

    कोई भी रंग मेरे बाप का नही है। जिसको जो पसंद है उसे उसी रंग में रंगने दो। मेर्र् मनमे एक ही धुन हैरंगुनी रंगात सार्‍या, रंग माझा बेगळा।गुंतुनी गुंत्यात सार्‍या, पाय माझा मोकळा॥

  22. February 6, 2010 at 8:30 am

    किन मुर्दों को जगाते हो बंधु.. इन्हें तो माय नेम इज़ ख़ान देखने से फ़ुर्सत मिले ना तब तो ये सब पढ़ा करेंगे।

  23. bhart yogi said,

    February 7, 2010 at 4:17 pm

    samaj ko jagane ke liye vandemateam ,,kul milakar hindu hi is desh me dhrm nirpekhh ki bat karne ke liye badhya hai,,,baki dhrm ke log apne dhrm ke prti imandar hai ,,,kyo ye log hindu aatankvad ko janm dena chahte hai,,,,or o din dur nahi jab hame hindu dhrm ko bachane ke liye mahabharat chedna hoga

  24. Common Hindu said,

    February 7, 2010 at 4:57 pm

    Hello Blogger Friend,Your excellent post has been back-linked inhttp://hinduonline.blogspot.com/– a blog for Daily Posts, News, Views Compilation by a Common Hindu- Hindu Online.

  25. March 24, 2010 at 10:13 am

    Tirange ke safed rang ko agar koi, Christianity ko bharat ka abhinna ang manta hai, to isme kuch galat nahi hai..Parantu, agar Tirange ke Safed Rang to Christianity ka prateek batakar.. Aur Christianity ko shanti ka prateek batakar, logo ko Christianity accept karne ke liye behkaaya jaye, to yeh jaghanya apraadh hai.. Aur sabhi Bharatvaasiyon ko isse, kadi aapatti honi chahiye..

  26. Anonymous said,

    August 22, 2010 at 6:05 pm

    इस विडिओ को भी देखे http://www.youtube.com/user/maxblade412


Leave a reply to Dr. Smt. ajit gupta Cancel reply