क्या "लव जेहादी" अधिक सक्रिय होते जा रहे हैं…? (संदर्भ-नागपुर केस)…. Love Jehad, Hindu Girls and Muslim Youth

नागपुर के भानखेड़ा इलाके में योगेश्वर साखरे का परिवार रहता है, कुछ दिनों पहले तक यह एक सामान्य खुशहाल परिवार था। एक पुत्र प्रतीक (28), बड़ी पुत्री पल्लवी (20) और उससे छोटी रिंकू। लगभग सवा माह पहले एक गम्भीर बीमारी की वजह से प्रतीक की मृत्यु हो गई, और जब प्रतीक के गुज़रने के सवा महीने बाद उसके क्रियाकर्म संस्कार की रस्म निभाई जा रही थी, ठीक उसी दिन पल्लवी की मौत की खबर आई।

पल्लवी की लाश नागपुर के एक सार्वजनिक शौचालय में पाई गई और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि वह चार माह की गर्भवती भी थी। पल्लवी का गला उसी के कुर्ते से घोंटा गया था और उसकी अर्धनग्न लाश पर कुछ घाव भी पाये गये। गहन तफ़्तीश और मोबाइल रिकॉर्ड की छानबीन के बाद पुलिस ने मोहम्मद शमीम (25) नामक एक शख्स को गिरफ़्तार किया है। मोहम्मद शमीम पहले से शादीशुदा है और नौ माह की बच्ची का बाप भी। हालांकि इस मामले में पुलिस ने अब तक सिर्फ़ हत्या का मामला दर्ज किया है, बलात्कार का नहीं, लेकिन कानूनी विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा किया जा रहा है। पल्लवी साखरे, नागपुर के PWS कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष की छात्रा थी, जबकि शमीम एक कारपेंटर (बढ़ई) है।

पुलिस जाँच में पता चला है कि पल्लवी और शमीम के रिश्ते 2 साल से थे, और इसके पहले भी पल्लवी एक बार गर्भपात करवा चुकी थी। सूत्रों के मुताबिक पल्लवी शमीम से दूसरे गर्भपात के लिये पैसा माँग रही थी साथ ही उस पर शादी के लिये दबाव भी बना रही थी, तथा 7 मार्च (रविवार) को उसने उसके घर आकर हंगामा करने की धमकी भी दी थी। पुलिस के अनुसार शमीम ने उसे मिलने के लिये बुलाया और उनके बीच हुई गर्मागर्मी के बाद शमीम ने उसका गला घोंट दिया और लाश को सार्वजनिक शौचालय में छिपा दिया, जहाँ से वह तड़के 8 मार्च को बरामद हुई। पुलिस की मार खाने के बाद शमीम ने बताया है कि उसकी पत्नी रिज़वाना सुल्तान को यह बात पता थी और उसे उसकी दूसरी शादी से कोई आपत्ति नहीं थी। पल्लवी की छोटी बहन रिंकू ने बताया कि पल्लवी के सेलफ़ोन पर शनिवार रात 10 बजे शमीम का फ़ोन आया था और उसके बाद से वह गायब हो गई, चूंकि परिवार पहले से ही युवा पुत्र के गम में डूबा था और कर्मकाण्ड के कार्यक्रम की तैयारियों में व्यस्त था इसलिये उन्होंने तुरन्त पुलिस को खबर करने में कोताही बरती, और शायद यही पल्लवी की मौत का कारण बना। नागपुर नगरनिगम में कार्यरत योगेश्वर और शारदाबाई साखरे के परिवार पर डेढ़ माह के भीतर यह दूसरा वज्रपात हुआ।

यह तो हुआ घटना का विवरण, लेकिन इससे उठने वाले सवाल बहुत गम्भीर हैं और एक सामाजिक समस्या के साथ-साथ “लव जेहादियों” की घृणित मानसिकता को भी दर्शाती है।

1) एक अच्छे परिवार की पढ़ी-लिखी लड़की, किसी कम पढ़े-लिखे और शादीशुदा मुस्लिम के जाल में कैसे फ़ँस गई?

2) दो साल से शोषण करवा रही, और एक बार गर्भपात करवा चुकी उस मूर्ख लड़की को क्या तब भी पता नहीं चला कि मोहम्मद शमीम की नीयत ठीक नहीं है?

3) आखिर पढ़ी-लिखी हिन्दू लड़कियाँ, किस प्रकार से कारपेंटर, ऑटो रिक्शा चालक, सब्जी बेचने वाले ( यहाँ तक कि बेरोज़गार) मुसलमान युवकों के जाल में फ़ँस जाती हैं? क्या तथाकथित प्रेम(?) करने के दौरान उनकी अक्ल घास चरने चली जाती है?

4) शमीम की बीवी उसकी दूसरी शादी के लिये सहमत थी (और बेचारी करती भी क्या?) फ़िर भी शमीम की नीयत यही थी कि पल्लवी का देह-शोषण करता रहे, और जिम्मेदारी से बचा भी रहे। यह मानसिकता क्या प्रदर्शित करती है?

5) क्या यह माना जाये कि हिन्दू लड़कियों को अधिक स्वतन्त्रता प्राप्त है इसलिये ऐसे मामले आजकल अधिक हो रहे हैं?

6) जब भी इस प्रकार का मामला (हिन्दू लड़की – मुसलमान लड़का) होता है, और हिन्दू संगठन अथवा राजनैतिक दल विरोध करते हैं तो हिन्दुओं के भीतर से ही उनका विरोध शुरु हो जाता है, इस मानसिकता को क्या कहा जाये? (सन्दर्भ – कोलकाता का रिज़वान-तोड़ी मामला)

7) जबकि ठीक इसके उलट (हिन्दू लड़का-मुस्लिम लड़की) का मामला सामने आता है तब मुसलमानों की तरफ़ से जमकर, एकजुट और परिणामकारक (सेकुलर) विरोध और जोड़तोड़ होता है (सन्दर्भ – कश्मीर का रजनीश-अमीना यूसुफ़ मामला)।

8) कर्नाटक और केरल हाईकोर्ट भी प्रथम दृष्टया मान चुके हैं कि भले ही “लव जेहाद” नाम की कोई आधिकारिक परिभाषा न हो, लेकिन पिछले 5 वर्षों में इन दोनों राज्यों की 2000 से अधिक लड़कियों में से… कुछ गायब हुई हैं, कुछ की मौत संदिग्ध स्थितियों में हुई, जबकि कुछ ने धर्म परिवर्तन किया, तो निश्चित ही कुछ न कुछ गड़बड़ है… (इसी प्रकार कुछ शहरों में “MMS ब्लैकमेल काण्ड” में भी जो लड़के पकड़ाये हैं उनमें से अधिकतर मुस्लिम ही हैं, जिन्होंने हिन्दू लड़कियों को फ़ँसाकर उनके अश्लील चित्र नेट पर अपलोड किये थे)।

http://hinduexistence.wordpress.com/2009/12/10/love-jihad-is-real-says-kerala-high-court-islamic-love-racket-in-india-for-conversion/ 

और तो और लन्दन से भी ऐसे मामले सामने आने लगे हैं…

http://www.dailymail.co.uk/news/article-437871/Police-protect-girls-forced-convert-Islam.html

9) महिला आरक्षण का विरोध करने वालों में मुस्लिम सांसद सबसे आगे और मुखर थे, तो क्या उन सांसदों को किसी ने “पिंक चड्डी” भेजने का मन बनाया है?  (कल्बे जव्वाद ने तो अपरोक्ष रूप से औरतों को बच्चे पैदा करने की मशीन तक बता डाला)

बहरहाल बाकी के सवाल तो बाद में खड़े होते हैं, मुख्य सवाल पहला वाला है कि “माना, कि प्यार अंधा होता है, लेकिन क्या प्यार बहरा और मूर्ख भी होता है?” जिसके चलते हिन्दू लड़कियाँ ऐसे-ऐसे मुस्लिम नौजवानों के जाल में फ़ँस जाती हैं जिनकी औकात भी नहीं उनके परिवार के साथ उठने-बैठने की?

(सैफ़ अली खान, आमिर खान जैसों की बात अलग है, वह दो-दो हिन्दू लड़कियों को फ़ँसाना “अफ़ोर्ड” कर सकते हैं… तथा करीना या किरण राव जिस “समाज” में रहती हैं, वह समाज भी बाकी के भारत से अलग-थलग और कटा हुआ है)।

कहने का मतलब कि, यह सिर्फ़ धार्मिक समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक और मनोवैज्ञानिक समस्या भी है, और हमें मिलकर चिन्तन करने की आवश्यकता है कि – 1) ऐसे मामले पिछले कुछ वर्षो में अचानक क्यों बढ़ गये हैं? 2) क्या “लव जेहादी” अत्यधिक सक्रिय हो गये हैं? इसी प्रकार ऐसे मामलों में दोनों धर्मों के लोगों की “प्रतिक्रिया की मानसिकता” का अध्ययन भी किया जाना चाहिये… कि 3) हिन्दू “ऐसा” रिएक्ट क्यों करते हैं तथा मुस्लिम “वैसा” रिएक्ट क्यों करते हैं?  4) यह डाटा भी एकत्रित किया जाना चाहिये कि परदे और घुटन से बाहर आ चुकी कितनी मुस्लिम लड़कियों ने हिन्दू लड़कों से प्रेम (या शादी) की है? ताकि सही-सही स्थिति पता चल सके…

बहरहाल, समाजशास्त्रियों, शोधकर्ताओं और मनोवैज्ञानिकों के लिये कई मुद्दों पर बहुत सारा काम इकठ्ठा कर दिया है मैने…। अब प्रगतिशील महिलाएं, मुझे कोसने के लिये स्वतन्त्र हैं और धर्मनिरपेक्षतावादी, मुझे गरियाने के लिये…। यदि कोई “लव जेहाद” को समस्या मानने से ही इंकार कर दे तो मैं कुछ नहीं कर सकता… जो मेरा काम था (सूचना देना) वह मैंने कर दिया… बाकी की समीक्षा, विश्लेषण, अध्ययन वगैरह बुद्धिजीवियों का शगल है, वे करेंगे ही, मैं बुद्धिजीवी तो कतई नहीं हूँ…।

आप भी एक “सलाह” (I repeat, सलाह) के रूप में (वरना “हिन्दुओं” के लिये रिज़र्व की गई पिंक चड्डी आपके माथे आयेगी…) इस पोस्ट के मुद्दों को अपनी सहेलियों, बहनों और भाईयों को भेजें… उसके बाद भी वे नहीं मानतीं तो यह उनकी चॉइस होगी…। आखिर हम लोग “कोड़े” – “बुरके” वाले तालिबानी तो हैं नहीं…कि जबरदस्ती करें…

[अचानक इस पोस्ट  को लिखने का विचार इसलिये आया कि इधर उज्जैन में भी ऐसी ही एक “खिचड़ी” पक रही है, लड़की बीएससी फ़र्स्ट क्लास है और एक निजी कम्पनी में कार्यरत है, जबकि लड़का (लव जेहादी) बमुश्किल 11वीं पास है…। लड़की का बाप एक प्रतिष्ठित कपड़ा व्यवसायी है, जबकि लव जेहादी कहने को तो प्रापर्टी ब्रोकर है (लेकिन असल में मकान खाली करवाने वाला गुण्डा है)… ऐसे में भला कौन सा समझदार बाप अपनी लड़की को आत्महत्या करने देगा, लेकिन लड़की उसी से शादी करने पर आमादा है। यह बात खुलते-खुलते लगभग सभी लोग जान गये हैं, लेकिन “बाहरी लोग” इस मामले में तब तक दखल नहीं दे सकते, जब तक लड़की का बाप न चाहे…। लड़की का बाप प्रतिष्ठा और इज्जत बचाने के चक्कर में दोनों को समझाने-बुझाने में लगा हुआ है… लड़की समझ नहीं रही और लव जेहादी समझना नहीं चाहता…। इस केस में लव जेहादी शादीशुदा तो नहीं है, लेकिन दोनों के बीच की सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक खाई इतनी चौड़ी है कि लड़की की “प्रेम-अक्ल” पर तरस आता है…। मामला संवेदनशील है, तथा बखेड़ा खड़ा न हो जाये इसलिये बाहरी लोग अभी चुपचाप तमाशा देख रहे हैं… देखते हैं आगे क्या होता है]

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स्रोत – http://timesofindia.indiatimes.com/city/nagpur/Lover-murders-pregnant-girlfriend-in-public-loo/articleshow/5656034.cms

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59 Comments

  1. nikhil said,

    April 5, 2010 at 6:05 am

    shrimaan aap kisi gambheer mansik rog se pidit hain,meri baat mano to kisi ache doctor se ilaaj karwao.aap kar kya rahen hain apne blog par??kya samjhte hain apne aap ko aap?agar kuch acha nahi lokh sakte ho to band kar do apna blog..

  2. Amit said,

    April 5, 2010 at 6:42 am

    @Nikhil गज़ब, पहले आप लोग महिलाओं को बुर्का पहनाने के लिए रोते पीटते थे, अब आप तालिबान छाप लोग खुद बुरका पहन कर नाम बदलकर आने लग गये,

  3. April 5, 2010 at 6:44 am

    @ nikhil तुम्हारे पिछवाड़े में इतनी मिर्ची क्यूँ लगी है किसी ने बोला तुम्हे सलाह देने को |अपनी सलाह अपने पास रखो सुरेश भाई मेरी १ बात पे ध्यान देना ये हिंदू तब तक नहीं चेतेंगे जब तक इनकी पिछवाड़े पे पड़े अभी नारीवादी अपना झंडा लेकर आती ही होंगी उनको ये नज़र नहीं आता कि मुसलमान कैसे उनका यूज कर रहे है अभी भारत में ९८ % मीट के कारोबार पे उनका कब्ज़ा है उनका अगला निशाना आई टी फील्ड है ये हिंदू तो कभी नहीं जगेगे अगर भगवान भी उपर से आ जाये तब भी नहीं तो अब हम प्यारे सरुल कि आरती उतरेंगे आप भी उतारिये चमन में होने दो बुलबुल को फूल के सदके बलिहारी जाऊँ मै तो अपने रसूल के सदके सदा बहार सजीला है रसूल मेरा हो लाखपीर रसीला है रसूल मेरा जहे जमाल छबीला है रसूल मेरा रहीने इश्क रंगीला है रसूल मेरा चमन में होने दो बुलबुल को फूल के सदके बलिहारी जाऊँ मै तो अपने रसूल के सदकेकिसी की बिगड़ी बनाना है ब्याह कर लेंगेबुझा चिराग जलाना है ब्याह कर लेंगेकिसी का रूप सुहाना है ब्याह कर लेंगेकिसी के पास खजाना है ब्याह कर लेंगेचमन में होने दो बुलबुल को फूल के सदके बलिहारीजाऊँ मै तो अपने रसूल के सदके चमुपति

  4. HINDU TIGERS said,

    April 5, 2010 at 6:47 am

    सुरेश जी हिन्दूओं के बच्चे सेकुलर गिरोह द्वारा फैलाये गए जाल का सिकार हो रहे हैं । एक तरफ यह गिरोह बच्चों को ब्याभिचार के लिए प्ररित कर रहा है दूसरी तरफ बच्चों की रक्षा बैहसी भेड़ियों से करने के लिए उठने वाली हर आवाज फिर यह आवाज चाहे मां-वाप की ही क्यों न हो को दबाने की कोशिस कर रहा है।आज जिस तरह के विशेषाधिकार इन मुसलिम जिहादियों को दिए जा रहे हैं अगर उन पर रोक न लगाई गी तो अनर्थ हो जायेगा।हा हम आपको ये जरूर बाताना चाहेंगे कि अधिकतर हिन्दू लड़कियों को डरा-धमकाकर अपने आतंकवादीसाथियों का रौव दिखाकर ये मुसलिम ब्याभिचारी उनका शोषण करते हैं क्योंक ये राक्षस अच्छी तरह जानते हैं कि अगर लड़की के भाई -पिता या किसी हिन्दू संगठन ने इन राक्षसों को ठीक करने की कोशिस की तो ये सारा हिन्दूविरोधी सेकिलर गिरोह मुसलिम उतपीड़न की कहानी बनाकर इन जिहादी राक्षसों का बचाब करेगा।

  5. April 5, 2010 at 6:48 am

    इन लड़कियों को तब अक्ल आयेगे जब इनसे १०- २० बच्चे पैदा किये जायेंगे जब बुर्के की घुटन में जिंदगी गुजारनी पड़ेगी

  6. April 5, 2010 at 6:51 am

    ये बात बिल्कुल सही है कि अकसर हिंदू लड़कियां बेरोज़गार,अनपढ या कम पढे-लिखे मुस्लिम युवको खासकर शादी-शुदा के प्रेम जाल मे फ़ंस जाती है।मूलतः स्वभाव से सहिष्णु या शांत होने के कारण हिंदू इस बात को तकदीर का खेल मान कर शांत रहता आया है और प्रतिरोध के अभाव मे ये खेल अब ज़रूरत से ज्यादा बढ गया है।वंही मुस्लिमों मे ऐसा होने पर विरोध हिंसक तक़ होता रहा है इसलिये हिंदू युवक मुस्लिम युवतियों से दूर ही रहते हैं,फ़िर कमपढे-लिखे मुस्लिमों मे एक अजीब सी मान्यता भी है कि एक हिंदू लड़की से शादी करो और उसे मुस्लिम बनाने से तीर्थयात्रा का पुण्य मिलता है,सो ये भी एक बड़ा कारण है हिंदू लड़कियों को फ़ंसाने का।और इन सब से हट कर देखा जाये तो गलती तो शादी-शुदा युवक से शादी करने वाली युवती की है।अच्छा विषय उठाया है ये आज नही तो कल बड़ी समस्या बनकर सामने आने वाला है।

  7. April 5, 2010 at 6:51 am

    सुरेश जी, एक अति समसामयिक एवं संवेदनशील विषय को आपने उठाया है। ये "लव जेहाद" का किस्सा कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से उत्तर-पूर्व के राज्यों में भी एक संक्रामक रोग की तरह फैल चुका है। जिसकी जानकारी सभी को है, किंतु जैसा कि हम जानते हैं, हम हिन्दू तबतक कुछ नहीं करते जबतक कि गाज खुद अपने ऊपर ना आकर गिर पड़े। @ निखिल, मानसिक रोगी तो मुझे तुम ही लग रहे हो. जो व्यक्ति अपने इतिहास से कुछ नहीं सीखता, वह या तो नपुंसक होता है या भीरू-कायर. अब तुम खुद ही देख लो कि तुम क्या हो !!.

  8. April 5, 2010 at 7:00 am

    यह एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है

  9. April 5, 2010 at 7:24 am

    बहुत अफ़सोस हुआ आज ये सब जान कर, कि किस तरह समाज में नेतिकता का पतन हो रहा है. ये वाकई एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है. मैं ये भी मानता हूँ कि आमिर (रीना दत्त, किरण राव), सैफ (अमृता, करीना), अरबाज़ (मलाईका) या शाहरुख (गौरी) आदि अन्य ये लोग जिस दुनिया में रहते है वो दुनिया हमारे देश के आम समाज से बिल्कुल अलग है. लेकिन हो सकता है कि कहीं न कही, आज की युवा पीढ़ी, इन लोगो से प्रभावित हो. इस तरह के दुर्घटनाओं का कारण मैं काफी हद तक में आज के गिरते पारिवारिक मूल्यों को मानता हूँ. हर बच्चे के लिए उसके अपने माता पिता एक रोल मॉडल होते है. इसलिए अगर बचपन में अच्छे संस्कार नहीं दिए जायेंगे तो काफी हद तक मुमकिन है कि बड़े होकर बच्चे इस तरह के कांड को अंजाम देंगे. अच्छे संस्कार देने के लिए पहले माता पिता को खुद को इस काबिल बनना पड़ेगा so that they can lead by example. प्यार से पेट नहीं भरता और इंसान को पेट भरने के लिए दो वक्त की रोटी चाहिए. प्यार के बिना इंसान निष्ठुर हो सकता है पर मर नहीं जाता लेकिन रोटी के बिना मर सकता है. शिक्षित होना और ज्ञान प्राप्त करने में फर्क है. ये पढ़ी लिखी शिक्षित लेकिन अज्ञानी लड़कियां है जो मृग तृष्णा के चक्कर में पड़ कर खुद को और अपने परिवार को कलंकित कर रही है. लेकिन जब अक्ल घास चरने गई हो तो फिर यही कहाँ जा सकता है "विनाश काले विपरीत बुद्धि".

  10. kayvatelte said,

    April 5, 2010 at 7:30 am

    घरमे अगर संस्कार अच्छे होगे तो बच्चे ऐसी गलतीया कभी नहीं करेंगे. शनिवारके दिन नासिक मे श्री मोहनजीका व्याख्यान सुना. उसी समय बहूत सारे अच्छे उदाहरण दिये गये संस्कार के बारे मे. हमारे बचपन मे शाखा के साथ साथ कुछ जगहपर ’समीती’ भी भरती थी, जॊ अभी बंद हो चूकी है. मेरे खयालसे समीती पुनः शुरु होनी चाहिये, ताकी बच्च्चोपे अच्छे संस्कार हो.( मुझे हिंदी जादा अच्छी नही आती है, इसलिए अगर कुछ गल्ती हो तो क्षमाप्रार्थी हूं)

  11. nitin tyagi said,

    April 5, 2010 at 8:02 am

    most of Muslims girls can not go out ,they have to stay at home so in school and college the persentage of muslims girls r very less ,it should be 15% atleast .and hindus girls go out (bindass)hindus boys r worry about their carrier .so muslims boys find chance more .if muslims girls comes out and study then muslims knows very well that the muslims girls will start to marry with hindu boys .

  12. nikhil said,

    April 5, 2010 at 8:35 am

    @amit-me burka ya parda pratha ka ghor virodhi hun aur aapse acha hindu hun.@bairagi ji photo to shankar ji ki laga rakhi hai aur aisi bhasha use karte ho?@diwakar mani me aapse jyada itihaas janta hun,nampusak ya kayar to nahi hun lekin ek acha insaan banne ki loshish me hun.

  13. awyaleek said,

    April 5, 2010 at 9:36 am

    ये बातें मुस्लिम धर्मग्रन्थों में है या सिर्फ़ अफ़वाह ये तो मुझे नही पता लेकिन लगभग सब मुसलमानों के मन में ये बात है कि जितनी ज्यादा हिन्दु लड़कियों के साथ वो शारीरिक सम्बन्ध बनायेंगे या दुसरी भाषा में कहें तो जितनी हिन्दु लड़कियों का जीवन वे बर्बाद करेंगे उन्हें उतना ही शबाब मिलेगा.आखिर हिन्दुओं से दुशमनी निकालने का ये भी तो एक अच्छा तरीका है…..

  14. awyaleek said,

    April 5, 2010 at 10:01 am

    @nikhil..आपके 1st comment से पता चल रहा है कि आप कितने अच्छे इन्सान हो या फ़िर बनने की कोशिश कर रहे हो..उस comment से ये भी पता चल रहा है कि आप हिन्दु हो या ……आपकी नजर में कड़वी सच्चाई कहना बुरा है क्या . ?झुठा धर्म-निरपेक्ष बनना ही अच्छा इन्सान होना है क्या.?एक आप ही समझदार और अच्छा इन्सानियत वाले हिन्दु हो बाँकि हम सबलोग मुर्ख और दुष्ट हिन्दु हैं.?है ना.? आपका comment इतना बेवकूफ़ाना है कि कोई भी उसका ans देने की जरुरत नहीं समझेगा और मुझे नही लगता है कि अब आज के बाद कोई देगा भी.आपने इतने लोगों को जो-सो कह दिया और मुझे आपका comment बेवकूफ़ाना कम और बचकाना ज्यादा लगा इसलिये मैने ans किया ताकि सच में अगर आप हिन्दु हो तो शायद मेरी बात समझ जाओ.

  15. April 5, 2010 at 10:08 am

    श्री सुरेश जी बहुत ही छोटी से बात आप उठा रहे है. परन्तु बड़े ही महत्व की है. कारण बड़ा ही साधारण है. हिन्दू बच्चे और बच्चिया कोई कबूतर और कुए के मेंडक की इन इस्लामिक घंच्क्कारो की तरहे होती. परन्तु इन हिन्दू लडकियो को जो रोल मॉडल टीवी पर दीखते है वो सलमान आमिर, अरबाज, शाहरुख़, फरहान, फरदीन और पटना नहीं बस चारो और खान ही खान और भी खान ही खान (कान पक गए) परन्तु सच यह ही है. तो हिन्दू बच्चिया नहीं जानती की असली में किसी नाले की और जा रहे है इन फितुरियो के साथ और अंडर वर्ल्ड का पैसा इन्ही खानों के लिए लगता है और हम और हमारी संतान बेडरूम में इन्ही कटो की पिक्चर देखते है.और इन जुल्फियो को सिर्फ और सिर्फ अपने मुल्लाऔ से और मुस्लिम समाज में इज्जत और कानून की नपुंसकता से यह एक वातावरण बन जाता है.लव जिहाद नहीं यह मुस्लमान गंगा को नाले में परिवर्त कर रहे है. http://parshuram27.blogspot.com/

  16. April 5, 2010 at 10:25 am

    आप जैसा बनने की कोसिस कर रहे है वेसा अच्छा इन्सान बनकर क्या करोगे नकली धर्मनिरपेक्षता अच्छे इन्सान की निसानी नहीं है और यदि इस देश के सभी लोग आप जैसे अच्छे इन्सान बनने लगे तो लो इस देस की बड़ी बुरी हालत हो जाएगी. और राष्ट्रवादियों को गरियाना ही अच्छे इन्सान की निसानी की निसानी है तो हमें ऐसा अच्छा इन्सान बिलकुल भी नहीं भाता और हा यदि आप भविष्य में नकली सेकुलर नेता बनकर हिन्दुओं को गरियाना चाहते है तो तो आप अच्छे इन्सान होने का नकली दावा कर सकते है रही बात सुरेशजी की तो कम से कम उन्हें तो आपकी सलाह की आवश्यकता नही होगी और देश को आप जैसे नकली और कथित अच्छे इंसानों की

  17. April 5, 2010 at 10:31 am

    मेरी उक्त टिप्पणी @nikhil.. के लिए है

  18. April 5, 2010 at 10:42 am

    मुसलमानों को लव जेहाद की ट्रेनिंग मस्जिदों से दी जाती है . पहले तो ये हरामी पूरे दिन कारपेंटरी , लुहारी, स्कूटर , मोटर साइकिल आदि मिस्त्री पने का काम करके २००-४००रूपये दिनभर में कमा लेते हैं .उसके पश्चात् हाथों में कलावा बाँधकर ,हिन्दू नाम रखकर कम उम्र की नादान हिन्दू लड़कियों को फांसते है उसके बाद किसी भी तरह उनको इस स्थिति में लाते हैं जिससे की ये हरामी उनको ब्लेकमेल कर सकें. सुरेश जी मैंने अपने साथियों के साथ पश्चिमी उतरप्रदेश में ऐसे दर्जनों मामले निपटाये है जिसके लिए मुझे कई बार जेल भी जाना पडा है. किन्तु एक बात आपको यहाँ जरूर बताना चाहूँगा की जिस प्रकार ऐसे मामलों में सारा मुस्लिम समाज एक हो जाता है वहीँ हिन्दू समाज के लोग हमरा कुछ भी सहयोग नहीं करते .अगर हिन्दू समाज में इसके विरुद्ध जाग्रति आ जाए तो ये मामले अपने आप समाप्त हो जायेंगे.नवीन त्यागी अध्यक्स….हिन्दू महासभा ( पश्चिमी उत्तर प्रदेश )

  19. April 5, 2010 at 10:50 am

    सुरेश जी मैंने जिन हरामियों का जिक्र किया है की वो हाथों में कलावा बाँधकर तथा हिन्दू नाम बदलकर छिहोरे कार्य करते है आपके लेख पर पहली टिपण्णी से वो बात स्पष्ट हो जाती है .

  20. nikhil said,

    April 5, 2010 at 11:02 am

    awyaleek&pradeepmalikhandwa-waise to aapne khud hi imaandari se sab kuch likh diya hai(आपकी नजर में कड़वी सच्चाई कहना बुरा है क्या . ?झुठा धर्म-निरपेक्ष बनना ही अच्छा इन्सान होना है क्या.?एक आप ही समझदार और अच्छा इन्सानियत वाले हिन्दु हो बाँकि हम सबलोग मुर्ख और दुष्ट हिन्दु हैं.?है ना.?)jhutha dharmnirpex manna kharab baat hai saath hi samprdayik banna usse bhi kharab hai..aur tyagi ji aapne to kai case suljhaye hai pata nahi sach hai ki jhiith…aapki tippni padh kar lagta hai ki muslim ladko ko life me aur koi kaam hi nahi rah gaya hai..

  21. April 5, 2010 at 11:41 am

    ऐसा लगता है कि ये लोग एकसुत्री कार्यकर्म पर काम कर रहें हैं. बस जनसख्या बढ़ाओ और बढ़ाओ

  22. SANJAY KUMAR said,

    April 5, 2010 at 12:28 pm

    The blog has come at right time, Reccently daughter of one my collegue, who belongs to a respectable Hindu family from Haryana and he holds a high position in a PSU located at Mumbai, was wooed by an ordinary steet-chap MUSLIM orchestra singer, who made her to elope and later kept her in confinement.She only could be rescued with the help one of his his relative, who is a high profile politician from Haryana.You have rightly pointed out lack of unity amongt Hindu, when we approached one of powerful Hindu Organisation of Mumbai, they simply washed away their hand on the pretext thatthe matter belongs to "BHAIYYAS (North Indian)".I could see much value in comments from "Mr. Nitin Tyagi" and he anaysed the root cause.Well done Tyagiji, keep it up.

  23. April 5, 2010 at 1:47 pm

    हिन्दू ने आजतक कभी इतिहास से सबक लिया है?

  24. April 5, 2010 at 1:56 pm

    Good morning.

  25. dr.ram kumar said,

    April 5, 2010 at 2:06 pm

    इस्लाम के सन्देश को यदि ध्यान से देखा जाय तो योन विज्ञान का एक नया सिद्धांत है बिना किसी लाग लपेट के नई नई ओरते भोगने को आराम से मिलती हैं ।…………… केवल मात्र औरत के परिवार को समाप्त करना होता है।पवित्र कुरआन मुसलमानो को यही आदेश देती है । ………. पैगम्बर ने अपने शिष्यों के लिए विषय भोग का साधन अत्यंत ही सरल व सुलभ बनाया था। धन्य हो पैगम्बर मोहम्मद।link…..quranved.blogspot.com

  26. April 5, 2010 at 4:10 pm

    अच्छी प्रस्तुति…..विचारणीय पोस्ट…सामयिक पोस्ट..http://laddoospeaks.blogspot.com/.

  27. anitakumar said,

    April 5, 2010 at 4:11 pm

    सुरेश जी आप ने एक बहुत ही विचारणीय मुद्दा सामने रखा है। इस पोस्ट से कई समाजशास्त्री और मनोवैज्ञानिकों को सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा इस में भी कोई दो राय नहीं। मनोविज्ञान की छात्रा होने के नाते मैं आप का आभार प्रकट करना चाहती हूँ। लेकिन मैं आप से पूरी तरह सहमत नहीं। मैं ने ऐसे भी कई उदाहरण देखे हैं जहां नालायक लड़का भी हिन्दू है और बेवकूफ़ पर सभ्रांत परिवार की लड़की भी हिन्दू है। मैं इसे धर्म से जोड़ कर नहीं देखती , बाकी समस्या सही में गंभीर है।

  28. pradeep said,

    April 5, 2010 at 8:17 pm

    सुरेश जी आप ने एक बहुत ही विचारणीय मुद्दा सामने रखा है।

  29. Pratik Jain said,

    April 5, 2010 at 9:08 pm

    मुझे लगता है कि हिन्दू माता-पिताओं को अपने बच्चों को इन खानों की फिल्में हर्गिज नहीं देखने देनी चाहिये। मैं अपने घर पर किसी भी खान की फिल्म हर्गिज नहीं चलने देता हूं

  30. kunwarji's said,

    April 6, 2010 at 4:53 am

    सिर्फ खान बंधुओ की ही नहीं, आजकल की कोई भी फिल्म घर में देखने लायक नहीं होती!पहले हम रंगोली,चित्रहार में गाने देखते थे,शनि-रविवार को ही फिल्म आती थी!उनको देखना ही सही नहीं माना जाता था तब!अब तो पूरा-पूरा दिन टीवी पर गाने-फिल्मे चलती रहती है!पहले ऐसे दिखाया जाता था जैसे कि "प्यार" टाइप की चीज सार्वजनिक नहीं की जाती,परदे की चीज है जबकि आज तो खुल्लमखुल्ला वाली मानसिकता को ही दिखाया जा रहा है!और फिर आजकल तो वो hollywood की फिल्मे,उन पर तो कुछ कहते ही नहीं बनता! बच्चे जैसा देखते है अधिकतर वैसा ही दोहराने कि कोशिश करते है!अब हम उनको ये सब दिखा क्या संस्कार दे पाते है!बहरहाल;अभी थोडा सा जागने वालो की संख्या में बढ़ोतरी होती दिखाई दे रही है!सुरेश जी जो पर्यास कर रहे है,"जागो हिन्दू जागो" जो पर्यास कर रहे है वो बिलकुल सही दिशा में जा रहे है!बस लगे रहो…..कुंवर जी,

  31. April 6, 2010 at 5:16 am

    @nikhil जैसा की मैंने तुम्हे पहले भी अपने ब्लॉग पर कहा था की तुम एक निहायत घटिया और कायर किस्म के इन्सान हो ! अरे मर्द का बच्चा है तो अपना ओरिजिनल मुस्लिम नाम लिखने में डर किस बात का है? कोई खा रहा है तुम्हे ? सुरेश जी और अन्य ब्लोगर मित्रों से भी निवेदन करूंगा कि जब भी यह टिपण्णी करे इस कायर की टिपण्णी को तुरंत डिलीट कर दिया जाए ! जो इंसान बेनामी और छद्म नामो से टिपण्णी करता हो उसकी क्या औकात कि वह कही किसी की बात को पूरी तरह समझकर एक स्वस्थ वाद-विवाद करे ?और हाँ , एक बात तुम और तुम्हारी कायर विरादरी अच्छी तरह से समझ ले कि मैंने या सुरेश जी ने कभी तुम्हारे अथवा किसी के भी धर्म के बारे में कुछ भी गलत लिखा हो तो बताओ , हम बुराई किसी के भी धर्म की नहीं करते बल्कि उसकी आड़ में अपने घृणित कृत्यों को अंजाम दे रहे अनुयायियों की करते है ! जबकि तुम्हारी विरादरी के लोग सीधे हमारे धर्म पर प्रहार करते है! यह ब्लॉग जगत इसका प्रमाण है, ज़रा निष्पक्ष होकर इस बात पर गौर करना ! हम धर्म की बुराई नहीं करते सारे धर्म अच्छे है, हम बुराई करते है कुटिल और कपटी अनुयायियों की !

  32. April 6, 2010 at 5:32 am

    बेंगाणी की टिप्पणी पहली होती है आज कहा गया? सवाल उठ सकता है. :)हमारे घर में इस बात पर बहुत चर्चा होती है. माँ है, मेरी बीवी है, भाई की पत्नी है, बहन है. वे महिलाएं है इसलिए महिलाओं का मनोविज्ञान समझ सकते है. हम चर्चा करते है कि कैसे एक हिन्दु लड़की मुस्लिम से प्रेम कर भाग जाती होगी. समकक्ष हो तो भी एक बात है. शिक्षा से लेकर सामाजिक रूतबे तक में जमीन-आसमान का अंतर हो फिर भी एक महिला कैसे बुद्धीहिन हो जाती है? कई तरह की बाते सामने आती है. एक बात यह है कि जो जीन में ही है महिलाओं को आक्रमक पुरूष पसन्द आते है.

  33. April 6, 2010 at 5:44 am

    महोदय,हमेशा के तरह आप ने एक बहुत ही महत्त्व पूर्ण मुद्दा उठाया है. आज कल लघभग सभी शहरों में इस प्रकार के मामले आये दिन सुनाई दे जाते हैं अगर धार्मिक सीमाओं को छोढ़ भी दे तो भी समस्या की भ्याभावता कम नहीं होती. निसंदेह ये प्रशन फिर एक बार हम को सोचने को मजबूर करता की क्या महिलाओं को दी जाने वाली इतनी आज़ादी उचित है? क्या उन में स्वतंत्रा रूप से अपना भला/बुरा सोचने की पर्याप्त सामर्थ है? दुसरे शब्दों में क्या उनकी समाज में पुरुषों से बराबरी की प्रबल तो क्या निर्बल दाबेदारी भी उचित है? नहीं. वास्तविकता तो यह है की इस सामाजिक भ्रष्टाचार का सब से बरा कारण यह है की आज कल की नारियां अपने अति के आत्मविश्वास के कारण की अपने पिता- माता और भाइयों की अभेलना कर एक ऐसे नरक में गिर जाती हैं जिस से खुद उन का ही नहीं पुरे परिवार / समाज का प्रदुषण होता है.पिछले कई दशक से हमारे समाज में महिलाओं को पुरुषों के बराबर का दर्जा देने के सम्बन्ध में एक निर्थक सी बहस चल रही है. जिसे कभी महिला वर्ष मना कर तो कभी विभिन्न संगठनो द्वारा नारी मुक्ति मंच बनाकर पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जाता रहा है. समय समय पर बिभिन्न राजनैतिक, सामाजिक और यहाँ तक की धार्मिक संगठन भी अपने विवादास्पद बयानों के द्वारा खुद को लाइम लाएट में बनाए रखने के लोभ से कुछ को नहीं बचा पाते. पर इस आन्दोलन के खोखलेपन से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है शायद तभी यह हर साल किसी न किसी विवादास्पद बयान के बाद कुछ दिन के लिए ये मुद्दा गरमा जाता है. और फिर एक आध हफ्ते सुर्खिओं से रह कर अपनी शीत निद्रा ने चला जाता है. हद तो तब हुई जब स्वतंत्र भारत की सब से कमज़ोर सरकार ने बहुत ही पिलपिले ढंग से सदां में महिला विधेयक पेश करने की तथा कथित मर्दानगी दिखाई. नतीजा फिर वही १५ दिन तक तो भूनते हुए मक्का के दानो की तरह सभी राजनैतिक दल खूब उछले पर अब १५ दिन से इस वारे ने कोई भी वयान बाजी सामने नहीं आयी.क्या यह अपने आप में यह सन्नाटा इस मुद्दे के खोख्लेपर का परिचायक नहीं है?मैंने भी इस संभंध में काफी विचार किया पर एक दुसरे की टांग खींचते पक्ष और विपक्ष ने मुझे अपने ध्यान को एक स्थान पर केन्द्रित नहीं करने दिया. अतः मैंने अपने समाज में इस मुद्दे को ले कर एक छोटा सा सर्वेक्षण किया जिस में विभिन्न आर्थिक, समाजिक, राजनैतिक, शैक्षिक और धार्मिक वर्ग के लोगो को शामिल करने का पुरी इमानदारी से प्रयास किया जिस में बहुत की चोकाने वाले तथ्य सामने आये. २-४०० लोगों से बातचीत पर आधारित यह तथ्य सम्पूर्ण समाज का पतिनिधित्व नहीं करसकते फिर भी सोचने के लिए एक नई दिशा तो दे ही सकते हैं. यही सोच कर में अपने संकलित तथ्य आप की अदालत में रखने की अनुमती चाहता हूँ. और आशा करता हूँ की आप सम्बंधित विषय पर अपनी बहुमूल्य राय दे कर मुझे और समाज को सोचने के लिए नई दिशा देने में अपना योगदान देंगे. http://dixitajayk.blogspot.com/search?updated-min=2010-01-01T00%3A00%3A00-08%3A00&updated-max=2011-01-01T00%3A00%3A00-08%3A00&max-results=6RegardsDikshit Ajay K

  34. RAJ SINH said,

    April 6, 2010 at 7:08 am

    सुरेश भाऊ ,क्या सोचते हैं यह सिर्फ भारत में हो रहा है .अमेरिका में भी हो रहा है .बाकायदा ट्रेनिंग दी जाती है और सलाह भी .प्रगति को मोनिटर करने , देखने और सलाह देने वाले भी हैं और हर तरह की मदद तो कराई जाती ही है .यह विश्व्योजना का हिस्सा है .सुनियोजित ,संगठित और आक्रामक भी .

  35. RAJ SINH said,

    April 6, 2010 at 7:11 am

    @ NIKHIL ,yaar nakab vakab to aap jano par apna profayil to dikhao batao .dhoondh rahe hain aapko .kahaan chhupe ho kathor .

  36. April 6, 2010 at 7:15 am

    यदि कोई “लव जेहाद” को समस्या मानने से ही इंकार कर दे तो मैं कुछ नहीं कर सकता… जो मेरा काम था (सूचना देना) वह मैंने कर दिया… बाकी की समीक्षा, विश्लेषण, अध्ययन वगैरह बुद्धिजीवियों का शगल है, वे करेंगे ही, मैं बुद्धिजीवी तो कतई नहीं हूँ…।बुद्धिजीवी तो मै भी नहीं हूँ…।लेकिन आपकी बात से सहमत हूँ "बैरागी said… @ nikhil तुम्हारे पिछवाड़े में इतनी मिर्ची क्यूँ लगी है किसी ने बोला तुम्हे सलाह देने को | अपनी सलाह अपने पास रखो "बैरागी जी ने सही कहा है ..ऐसे कुछ कीड़े है हमारे समाज में जिन्हें कुछ ज्यादा ही मिर्ची लगती है

  37. Shailendra said,

    April 6, 2010 at 1:45 pm

    मुझे ऐसा लगता है की हिन्दू परिवारों में दहेज़ एक बहुत बड़ी समस्या है इसलिए लड़किया अपने परिवार को इस आर्थिक दबाव से बचाने के लिए अपने लिए ऐसे वर खुद ढूढ़ रही है हिन्दुओ में तो प्रेम विवाह के बावजूद दहेज़ तो देना ही पड़ रहा है इसलिए मुस्लिम लड़के आसान विकल्प है

  38. April 6, 2010 at 4:28 pm

    बिल्कुल ठीक लिखा है,,लोगों को अपने घर पर ही बच्चों को समझाना चाहिये और मुस्लिम कन्याओं को भी स्वीकार करना प्रारम्भ करना चाहिये…

  39. impact said,

    April 7, 2010 at 7:28 am

    हिन्दू माँ बाप खुद ही चाहते हैं की उनकी लडकी मुस्लिम लड़के से शादी कर ले. हिन्दू लड़का खरीदने के लिए वह भारी भरकम दहेज़ कहाँ से लायें?

  40. April 7, 2010 at 3:09 pm

    सबसे पहले आज के लेख पर बोलूँगा, शत-प्रतिशत सत्य पर आधारित है यह लेख. पूरी सहमति है. पर भाई चिपलूनकर जी और अन्य टिप्पणीकारों ने हिन्दू लड़कियों को जिस तरह से दोष दिया है वह गलत है. प्रेम करिए अगले दिन कहाँ होंगे आपको खुद भी नहीं पता !!दोष तो उनके माता-पिता का है जो अतिआधुनिकता के शिकार हो अपने बच्चों पर कोई ध्यान नहीं देते.बच्चे दिन भर टीवी में क्या देख रहे हैं, इसकी किसी को चिंता ही नहीं है, सब कुछ उल-जलूल दिखाया जाता है, बच्चे क्यों नहीं भटकेंगे !!बिलकुल भटकेंगे और लव जेहाद करते रहेंगे, फिर युवावस्था में आप रोक पायें ये तो संभव नहीं. हम सभी को बच्चों को उनके बचपन से ही संस्कार देने चाहिए, फिर उनकी किस्मत समझ कर छोड़ देना ही हितकारी है.आज के टिप्पणीकारों में एक लड़का निखिल है, उसका प्रोफाइल आप नहीं देख सकते, छिपाया गया है. जब हम साइन-अप करते हैं तो प्रोफाइल हर कोई देख सकता है, यहाँ पर प्रोफाइल जान-बूझकर छिपाया गया है. निखिल को चोर कहूँ तो गलत नहीं है. यदि वह अच्छा बनने की कोशिश कर रहा है, तो सामने आये, हम क्या माऊ हैं जो काट लेंगे. कम से कम भाई अपना प्रोफाइल तो देखने दो.निखिल तुमसे बस यही कहना है कि आपकी टिप्पणी की टोन बहुत ही अपमानजनक और पीड़ाकारी है, आपको इस प्रकार से टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, जो भी कहना है, उसमें सभ्यता, शालीनता, भारतीयता, की झलक अवश्य होनी चाहिए.आप तर्क सम्मत ढंग से अपनी बात कहें, यह ब्लॉग जगत आपको सकारात्मक ढंग से लेगा, आपको लगता है कि चिपलूनकर गलत है तो बोलो ज्यादा जोर से बोलो पर यह भी बताओ कि कहाँ गलत है, अन्यथा लोग तुम्हें ही गलत कहेंगे. जैसे अभी कह रहे हैं. अपने आप को थोडा सुधारिए, आपका हिंदी के इस ब्लॉग-जगत में हार्दिक स्वागत है.

  41. April 7, 2010 at 3:15 pm

    निखिल को एक बात कहूँगा कि चिपलूनकर हर हालत में तुमसे बड़ा है. बड़ा भाई मानो, मित्र मानो या जो उचित समझो.मेरी दृष्टि में तुमने अपमान किया है चिपलूनकर का, अतः तुम्हारी ओर से यदि कोई अच्छा कार्य कोई हो सकता है तो वह है चिपलूनकर को सॉरी कहना. टिप्पणी देकर कहने में लाज आये तो मेल लिखिए.पर बेहतर होगा कि आप टिप्पणी देकर ही सॉरी बोलें ताकि हम सभी को आपकी तारीफ़ का एक मौका मिले. और क्या बोलूँ, आपको आपके जीवन के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं.:)

  42. nikhil said,

    April 7, 2010 at 5:27 pm

    @pc godiyal-aap sanghi mansikta wale logon ki me yahi buraai haoti hai saty ko sweekaar nahi karte hao,me to mere original naam se tippani karta hun aur in tippaniyo ke liye kisi dusri biradri par gussa karne se kuch hasil nahi hone wala,aap mere dharm ke bare me bura kaise likh sakte hain kyonki godse aur modi ki auladon ko dharm ki samajh hi kahaan hai?e guruji-maine suresh ji ke bare me kuch galat nahi bola hai sirf 1 nek salah di hai

  43. Shail said,

    April 7, 2010 at 9:06 pm

    एक मूलभूत समस्या यह है कि मानव (चाहे लड़का हो या लड़की) शारीरिक रूप से करीब अठारह वर्ष की आयु में परिपक्व हो जाता है. प्रकृति के विधान से शरीर में हार्मोन सोलह-अठारह वर्ष से उफान भरने लगते हैं. परन्तु आज के आधुनिक समाज और सभ्यता में उसे पढाई लिखाई और नौकरी का इंतजाम करते करते दस साल और लगते हैं तब जाकर वह शादी के लायक हो पाता है. अब इस दस वर्ष के दरमियान में व्यक्ति समाज की आज्ञा माने या प्रकृति की?हमारे संस्कार और मान्यताएं उस समय के लिए उपयुक्त थे जब सोलह-अठारह वर्ष की आयु में विवाह हो जाता था, पत्नी का कार्य था खाना बनाना और बच्चे सम्हालना, और पति ज़्यादातर समय बाहर कार्य में या मित्रों में बिताता था. निश्चित ही पति-पत्नी में साहचर्य या मैत्री की विशेष आवश्यकता नहीं थी. तब ज्यादा समस्या नहीं थी और आत्मनियंत्रण भी शायद थोडा आसान था. अब के बदले समय में हम सभी के सामने यह प्रश्न है कि अपनी मान्यताएं बदलें या प्रकृति से लड़ें.

  44. April 8, 2010 at 7:12 am

    @shail जीआप ने समस्या एक सही पहलू दिखाया है.

  45. April 8, 2010 at 10:54 am

    आप का लेख आने वाले भयानक खतरे को आगाह तो कर रहा है पर हाय रे मूर्ख सीख न ले कर आप की आलोचना करेन्गे और तथाकथित सेकुलर का गर्धपमुखी मुखौटा पहने बैठे रहेन्गे! आप यु ही लिखते रहिये बेनकाब करते रहिये, हमारा सदा समर्थन रहेगा आपको!!!

  46. April 9, 2010 at 12:50 pm

    सुरेश जी मैं सिद्धार्थ गुप्ता आई आई टी रूरकी का रासायनिक अभियांत्रिकी का द्वितीया वर्ष छात्र हूँ .. आज समय मिला है इसलिए लिख रहा हूँ . आपकी हर बात खरा सोना है . मैं आपकी हर बात से काफी हद तक सहमत हूँ . रतलाम का निवासी हूँ अतएअव नयी दुनिया भी पढता हूँ "रेगुलरली" ….मैं और मेरे कुछ मित्र दिन रात भारत की समस्याओं और वैश्विक परिस्थितियूं पर चर्चा करते हैं . बताना चाहूँगा की हम भारत की वर्तमान हालत से बहुत व्यथित हैं . कभी कभी लगता है की मेरी महान सभ्यता शून्य होती जा रही है . हमारा महान भारत इस समय बहुत ही विचलित और दुखी करने वाले काल से गुजर रहा है . पाखंडी और राष्ट्रविरोधी फल फूल रहे हैं . देश में अज्ञान का बोल बाला है .निरीह हिंदूं के ऊपर चालक और मुखोटे के पीछे से वार किया जा रहा है . चारो और से हिंदू धर्म को साजिश के तहत संगठित कुप्रचार का शिकार बनाया जा रहा है . लिखना तो बहुत चाहता हूँ लेकिन जल्दी भी है … यही कहूँगा की हम आपके ऋणी हैं .. आप लिखते रहिये हम लोगों तक इस ब्लॉग को पहुंचाते रहेंगे …. जय श्री राम .. आपको ऑरकुट पे भी रेकुएस्ट भेजी है .. नमस्ते

  47. PADMSINGH said,

    April 10, 2010 at 2:07 am

    आपका लेख निश्चय ही तार्किक और ज़मीनी हकीकत से जुड़ा हुआ है … आज कल मीडिया में भी मैंने देखा है कि इन लोगों पर कमेन्ट नहीं करना चाहता … और भूले से भी अगर होगी हिंदू हित की बात करता है तो एक शब्द उनके लिए तैयार रखा रहता है "धर्म के ठेकेदार" अरे हम अपने धर्म का ठेका नहीं लेंगे तो क्या मुल्ला बुखारी लेंगे … मेरे पड़ोस में एक मुसलमान फैमिली रहती है एक दिन अचानक उनके घर चला गया तो देखा लोग टी वी पर भारत पाकिस्तान का मैच देख रहे थे … और सब के सब पाकिस्तान के हर चौके छक्के पर शाबाश ! शाबास ! कर रहे थे … कानपुर में था तो पाकिस्तान की जीत पर मिठाइयां भी बांटते देखा है मैंने … और हिन्दुओं को खीस निपोर कर खाते हुए भी … मेरठ, मुरादाबाद, अलीगढ़ में इस तरह के लव जेहाद के बहुत से उदाहरण मिल जायेंगे … हिंदू की सहिष्णुता ही हिंदुओं को ले डूब रही है … धर्मनिरपेक्षता का ये मतलब तो है नहीं कि धर्म को छोड़ दो … आप लिखते रहिये और जहां तक हो सके इस ब्लॉग को प्रचारित करें … इस तरह की समस्याओं का समाधान अपने आप में ही बदलाव करने में ही है ….. १-बच्चों को अच्छे संस्कार देना बहुत ज़रूरी है और उनके भले बुरे का ज्ञान बचपन से ही समझाना बहुत ज़रूरी है२-सबसे पहले तो हम हिंदू अपने ऊपर गर्व करें, दुनिया का सबसे प्राचीन और सब से समृद्ध धर्म आज कहीं न कहीं दिग्भ्रमित सा लगता है … समय के साथ उसमे अंधविश्वास और कर्मकांडों ने जगह बना ली है … ज़रूरत है इसके मूल और वैज्ञानिक सोच के साथ जानने और मानने की … ३-हिन्दू समाज के कुछ और बुरे पहलू हैं जिनके सम्बन्ध में ऊपर ज़िक्र किया गया है … अगर हम अपने आपको बुद्धिजीवी समझते हैं तो समाज में अपनी पहल क्यों नहीं कर पाते हैं … दहेज का रोना रोने वाले की अपने लड़के की शादी करते समय हमारी बुद्धिजीविता कहाँ चली जाती है … दूसरों को सलाह देने से पहले खुद से ही शुरुआत करनी होगी …. अंत में मै ईश्वर से यही प्रार्थना करूँगा कि निखिल जैसे लोगों को सद्बुद्धि मिले … इनको अभी ज़मीनी हकीकत का अंदाजा भी नहीं है … जिस दिन अपने ऊपर गुज़रेगी तब इनकी आँखें खुलेगी ..

  48. HINDU TIGERS said,

    April 10, 2010 at 7:02 am

    आशा है एक दिन बौद्धिक गुलाम हिन्दू आपके लेखों के माधयम से जागरूक होकर निकल पड़ेगा लब जिहाद को फैलाने व समर्थन करने वोलों को उनके अंजाम तक पहुंचाने को।

  49. मनुज said,

    April 10, 2010 at 9:27 am

    @पद्मसिंह"-हिन्दू समाज के कुछ और बुरे पहलू हैं जिनके सम्बन्ध में ऊपर ज़िक्र किया गया है … अगर हम अपने आपको बुद्धिजीवी समझते हैं तो समाज में अपनी पहल क्यों नहीं कर पाते हैं … दहेज का रोना रोने वाले की अपने लड़के की शादी करते समय हमारी बुद्धिजीविता कहाँ चली जाती है … दूसरों को सलाह देने से पहले खुद से ही शुरुआत करनी होगी"बिलकुल सत्य कहा आपने. पूर्ण सहमत.

  50. April 14, 2010 at 3:25 pm

    sir aapka laikh p padh ke in pigambero ki bhabhi chodne ka man kar rahahe…me to aisa karta rahata hoo…kyoki bajarangi hoo me…sir aap kahange ki ye sabhyata nahee…baki sir me kahunga ki sidhi karvayee in arabi suvaro ke liye sahee he??

  51. April 14, 2010 at 4:38 pm

    sir kya kahane hr lakh javab mangata he ..lakin sir dogle coment dekh ke thodaa aisa lagta he jese milawatee khon ke ye sab…sir aap ankhe khol rahe ho…kotee kotee dhnyavad….sir app us arbee chasme vale sovver ko pareshaan kar rahe he ????????? sir vo dosraa gatter dekhegaa…???? shreeman stameena chahiye in lekho ke liye …kisi ko nahee bakhshaa…ksi ke dharmo me kameeyaa nahi nikali bus jo bante he jo chal rahee he unhikohi batayee he….vandemaatrm shreeman

  52. April 14, 2010 at 4:43 pm

    sir boodhi jiviyo kaa jamana nhhee he..jaman he hooddangeeyo ka …ye arbee soovar huddang se darate he lakin itana kah sakta hoo ki gurjaar kom akelee kafee he imke liye…har har mahadev

  53. April 14, 2010 at 4:49 pm

    boodhi jiviyo ki maaki choot…sale dalal he boodhee ke ..inki bodhhee ye kahaegi ki meri beteee ke sath mohAMDON NE RAPE KIYAA he kyo avajj uthaunv??????????? sub kahenge ye ye hard core communell he …naa bhai naa rahane do ..garbh paat kara do….teree bhen ki choot …nalayak hindu????????????thoooooo

  54. awyaleek said,

    May 9, 2010 at 5:38 am

    सुरेश भैया,आपने हर हर महादेव जी का पहला टिप्पणी ध्यान से नही पढा़ था क्या?उसमें पहले ही वाक्य में एक बहुत गंदे शब्द का प्रयोग किया है उन्होंने.कृपया उसे हटा लिजिए ना.कोई भी चीज मर्यादा में ही अच्छी लगती है.मर्यादा से बाहर जाने पर अच्छी चीज भी बुरी बन जाती है..मै नहीं चाहता कि आपका ब्लॉग सभ्य लोगों के बजाय इस तरह के लोगों का संघ बन जाय.फ़िर अंतर ही क्या रह जायेगा हममें और उनलोगों में..?एक बात और कि इस ब्लॉग में लगभग सबने अपनी टिप्पणी में निखिल का उल्लेख कर ही दिया जबकि मैने पहले ही मना कर दिया था..आपलोग क्यों नहीं समझते कि ऐसा करने से वो और इस तरह की हरकत करेगा..आपलोग क्या अब खुद खुदा भी आकर इन्हें समझा दे तो ये नहीं समझेंगे…आज जो सोच निखिल की है वो सोच हरेक मुसलमानों की है..सबको ये डर है कि हम एकजुट ना हो जायें.इसलिये जब भी हमलोग कुछ अच्छी बातें करेंगे या एकजुटता की बातें करेंगे तो वो उसे साम्प्रदायिकता का नाम देकर असफ़ल करने का प्रयास करेंगे ही.यनि वो एकजुट रहें और हम अलग-अलग ताकि हमपर वोलोग अन्याय करते रहें.जिस तरह काँटे को निकालने के लिये काँटे की जरुरत होती है वैसे ही संम्प्रदायिकता से बचाने के हमें अगर संप्रदायिक बनना पडे़ तो क्यों ना बनें..मैं तो यही कहूँगा कि सिर्फ़ हिन्दु ही नही बल्कि पूरी मानव जाति को बचाने के लिये हमें((यानि हिन्दुओं को क्योंकि बाँकि सारे समप्रदाय{धर्म नहीं कहूँगा}मानवता विरोधी हैं))समप्रदायिक बनना बहुत जरुरी है और ये हमारा कर्त्तव्य भी..

  55. abhishek said,

    May 16, 2010 at 7:27 pm

    aapne bilkul sahi likha he,abhi kuch mahino pahale mene khud ne esa hi case dekha tha,jab hamare hi samaj ki ek ladaki ne pahale hindu yuvak se sahadi ki fir shadi ke 2 mahino ke bhitar hi usane usake gar valo ko etana pareshan kiya tatha ladake par bahut arop lagaye,to hindu ladake ne usako court me talak dena savikar kiya tatha usako 6 lakh rupaye diye kuchh sino bad vo ladaki ek anapadh mulle ke sath gumati mile,hamare mohlle ke logo ne us ladaki ke bap ko bataya tatha usake bap ko bola ki us muslim ladake ko gar se khich kar marate he pr usaka bap dar gaya,pichhe se khabar ayi ki us ladki ne muslim yuvak ke jhase me akar hi hindu ladake se shadi kar pupaye ete the or usaka chakkr 3 sal se chal raha tha,ladaki engineer he or ladaka avara.kitane gatiya sanskar the us ladaki ke or kitana darpok tha usaka bap,abhi bhi jab us ladki ko us muslim ladake ke sath betha kar hindu mohllo me gumate dekhata hu to bahut ajib lagata he hinduo ki napunsakta par v us ladki ki chartitrhinata par,muslim ladake ki lapntata par,or yah tab he jab es kshetr me hamari jati ka dabada he,total hindu to bahut jyada he hi,sochata hu jab ye bahut jyada matra me honge tab kya hoga???ye akho dekhi gatana he……..

  56. abhishek said,

    May 16, 2010 at 7:32 pm

    or batata hu,ek ladaki jo prtisthit bank me kam karati he or jisaka koe bhae nahi he or bap bahut pahale mar gaya ko ek muslim vyavsyi ke bete ne fasaya dono ka chakkr bahut chala,kya huva pta nahi chala par us ladki ko bhari dopahar me bank me sabake samane us muslim yuvak ne chaku mara,majal he koe bol jaye,bad me police ne us ladaki ko bharti karaya,par ladaki v ladaki ki ma ne hath jodakar case darj karane se mana kar diya.agale din ye khabar akhabaro me chapi thi es liye mujhe pta he.

  57. abhishek said,

    May 16, 2010 at 7:37 pm

    yaha jo apako gali de rahe he unake liye batata hu,ap bharat ke kisi bhi sunsan vale park me chale jaeye khaskar bade shaharo me,vaha beth jaeye or analyse kijeye kitane hindu ladake v hindu ya muslim ladiko ko late he or kitane muslim ladake hindu ladkiyo ko late he???en seculer logo ki bahan betiya jab enaka muh kala kar ke bhagegi tab ye dode anyenge bajran dal ya sangh ke pas,ek do case ase bhi mene sune he,dekhe nahi he varana pura vivaran likhata.

  58. viruslover said,

    September 4, 2010 at 6:43 am

    >suresh ji,goodmorning aap ke lekh padh kar josh aa jata hai hindu samaj k kuch anchuye mudde jinko dekhte sab hain magar dhyan koi nahi deta.magar aap jaise log hindu jagran ko jab aage aate ho tab NIKHIL jaise hindutva k dusman ya unko agar hindu kafir kahe to jyada uchit hoga sab ko bargalate hai.PC GOdiyal ji,amit ji, bairagi ji sab logo ne isko muh tod javab diya achcha laga ki ham aaj bhi ekjut hai.aise logo ko napunsahak kahana bhi kam hai jo apni maa bahan betiyo ke bhavishya ki chinta nahi kar sakta woh mar jaye to behtar hai.aap se anurodh hai ki in jaise logo ke comments par rok laga do jo aap ko swachchhand udne mai badha pahunchate hai.

  59. October 24, 2011 at 11:16 am


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