>गीतिका
संजीव ‘सलिल’
कद छोटा परछाईं बड़ी है.
कैसी मुश्किल आई घड़ी है.
चोर कर रहे पहरेदारी
सच में सच रुसवाई बड़ी है..
बीवी बैठी कोष सम्हाले
खाली हाथों माई खड़ी है..
खुद पर खर्च रहे हैं लाखों
भिक्षुक हेतु न पाई पडी है..
‘सलिल’ सांस-सरहद पर चुप्पी
मौत शीश पर आई-अड़ी है..
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