सैयद अली शाह गिलानी की दो हरकतें – केन्द्र की पिलपिली सरकार को सरेआम चुनौती…… Syed Gilani, Terrorism in Kashmir, Afzal Guru

कश्मीर के एक अलगाववादी नेता हैं सैयद अली शाह गिलानी। ये साहब खुलेआम भारत की सरकार को आये दिन गरियाते रहते हैं, भारत का तिरंगा जलाते रहते हैं, कश्मीर में महीने में एक-दो बार आम हड़तालें करवाते हैं, और भी “बहुत कुछ” करते और करवाते रहते हैं।

सैयद अली शाह गिलानी का एक ताज़ा बयान आया है, जिसमें उन्होंने कश्मीर के मुसलमानों से 2011 की 15 मई से शुरु होने वाली भारत की जनगणना में जोर-शोर से भाग लेने की अपील की है। आप सोचेंगे कि… “भई ये तो अच्छी बात है, जनगणना में सहयोग करना तो एक राष्ट्रीय कर्तव्य है…”, लेकिन गिलानी साहब आपकी तरह इतना सीधा भी नहीं सोचते। गिलानी का कहना है कि कश्मीर के कठुआ, गुल, बानी, अखनूर आदि सेक्टरों के मुसलमानों की सही जनगणना से इस इलाके के जनसंख्या संतुलन के सही आँकड़े आयेंगे और तब हम भारत सरकार से “इस पर आगे बात करेंगे…”। गिलानी ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी स्थानीय लोगों को जनगणना के दौरान पूछे जाने वाले प्रश्नों का “उचित जवाब देने के लिये शिक्षित भी करेगी…”

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अथवा http://azad-kashmir.com/akhnoor/actively-take-part-in-census-gilani-tells-jk-muslims-rediff/

यह दोनों ही बयान महत्वपूर्ण हैं…, गिलानी की घोषित रूप से भारत-विरोधी पार्टी हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस स्थानीय मुसलमानों को “शिक्षित करेगी” का मतलब है कि “जनगणना के समय प्रश्नों के उत्तर ऐसे दिये जायें कि उसके द्वारा जनगणना के आँकड़ों में हेराफ़ेरी की जा सके और अपने पक्ष में अनुकूल बदलाव दर्शाया जा सके…”, “कैसे यह बताया जा सके कि फ़लाँ-फ़लाँ इलाके की आबादी अब पूरी तरह मुस्लिम-बहुल बन चुकी है, ताकि आज़ाद कश्मीर में उसे मिलाने की माँग करने में सहूलियत हो…” आदि। कश्मीर को पहले ही “धार्मिक आधार” पर लगभग पूरी तरह से “हिन्दू-मुक्त” किया जा चुका है (Religion of Peace के ढेर सारे उदाहरणों में से एक), और अब उसे भारत से अलग करने के लिये “बराक हुसैन ओबामा” भी दबाव बना रहा है (आखिर उसे भी नोबेल शान्ति पुरस्कार के “नमक का हक” अदा करना है भाई…)।

भारत की जनता के टैक्स के टुकड़ों पर पलने वाले, लेकिन फ़िर भी कश्मीर की आज़ादी की रट लगाये रखने वाले इन “पिस्सुओं” का भारत सरकार कुछ नहीं बिगाड़ पाती… उलटे इन्हें दिल्ली में सरकारी मेहमान बनाये रखने में अपनी शान समझती है… क्या कहा, विश्वास नहीं होता? तो इस गिलानी की दूसरी हरकत देखिये…

बीते पखवाड़े अली शाह गिलानी ने “कांग्रेस की कृपा से अब तक जीवित”, तिहाड़ जेल में बन्द संसद पर हमले के देशद्रोही अफ़ज़ल गुरु से “व्यक्तिगत मुलाकात” की। वजह पूछे जाने पर गिलानी ने बताया कि अफ़ज़ल गुरु से वह इसलिये मिले, क्योंकि उन्हें लगता है कि गुरु निर्दोष है… (यानी भारत की सुप्रीम कोर्ट बेवकूफ़ है)। सारे कश्मीरी मुसलमान निर्दोष और मासूम ही होते हैं, यह गिलानी का पक्का विश्वास है, क्योंकि दिल्ली के लाजपतनगर में हुए बम विस्फ़ोटों के लिये दोषी पाये गये कश्मीरी युवकों को “नैतिक समर्थन”(?) देने के लिये उन्होंने तड़ से घाटी में एक और आम हड़ताल भी करवा ली।

गिलानी पिछले कुछ हफ़्ते दिल्ली में “विशिष्ट मेहमान” की तरह दिल्ली में ठहरे (यहाँ रुकने-खाने-पीने का खर्च किसने उठाया, मुझे पता नहीं)। यहाँ गिलानी ने एक तमिल कॉन्फ़्रेंस(?) को संबोधित किया (गिलानी का तमिल कॉन्फ़्रेंस से क्या लेना-देना है, कोई मुझे समझायेगा?), तथा अफ़ज़ल गुरु के बाद तिहाड़ जेल में बन्द अन्य कश्मीरी “गुमराह” युवकों से भेंट की। यह सब हुआ भारत सरकार की नाक के नीचे, क्योंकि इस “पिलपिली” सरकार को कोई भी ऐरा-गैरा जब चाहे धमका सकता है, और सरेआम इज्जत उतार सकता है, और ऐसा ही गिलानी ने किया भी… एक मुलाकात में (दिल्ली में ही, यानी सोनिया-मनमोहन-चिदम्बरम के बंगलों की दस किमी रेंज के भीतर ही) गिलानी ने कहा कि “अफ़ज़ल गुरु को जबरन जेल में ठूंसकर रखा गया है, गुरु ने कश्मीरी युवाओं (यानी सेकुलरों के प्रिय, “भटके हुए”) से अपील की है कि कश्मीर की आज़ादी के लिये मरते दम तक संघर्ष जारी रखें…” (कृपया ध्यान दें – दूसरों को “मरते दम तक” कह रहा है, लेकिन खुद ही विभिन्न राष्ट्रपतियों के सामने बीबी-बच्चे को आगे करके, जान की भीख लगातार माँगे भी जा रहा है…… कैसा “स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी” है भई ये?)। जाते-जाते सैयद गिलानी, यूपीए के बचे-खुचे कपड़े उतारने से भी नहीं चूके और आगे कहा कि “यदि केन्द्र सरकार अफ़ज़ल गुरु को फ़ाँसी देती है तो वह कश्मीर का एक और हीरो बन जायेगा, जिस तरह मकबूल बट बन गया था… कश्मीर का बच्चा-बच्चा अफ़ज़ल गुरु की फ़ाँसी को बर्दाश्त नहीं करेगा और इसके खिलाफ़ उठ खड़ा होगा…भारत को इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी”। (तात्पर्य यह कि जो उखाड़ सकते हो उखाड़ लो…)

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अथवा http://www.dnaindia.com/world/report_geelani-visits-afzal-guru-in-tihar-jail_1372641

सुप्रीम कोर्ट और केन्द्र सरकार की सरेआम हुई इस “बेइज्जती” पर, किसी भी मंत्री, किसी भी चमचे, किसी भी “सेकुलर” लगुए-भगुए, किसी भी मीडियाई भाण्ड, का कोई “कड़ा” तो क्या, हल्का-पतला बयान भी नहीं आया…।

बयान आता भी कैसे…? अभी तो केन्द्र सरकार, IPL के मैदान में अपनी “गन्दी चड्डियाँ धोने” में व्यस्त है, और “सेकुलरिज़्म” का नारा गुजरात के लिये आरक्षित है। इसी प्रकार “पिंक चड्डी” सिर्फ़ और सिर्फ़ हिन्दुत्ववादियों के लिये ही रिज़र्व है…, बच्चों को अपनी यौन-पिपासा के लिये बर्बाद करने वाले चर्च के “मानसिक बीमार पादरियों” के लिये नहीं और गिलानियों जैसे के लिये तो बिलकुल भी नहीं। ऐसे में यदि असम के पाँच जिलों से लगातार पाकिस्तान के झण्डे फ़हराये जाने की खबरें आ भी रही हों, पश्चिम बंगाल के 17 जिलों में मुस्लिम आबादी 50-55 प्रतिशत से ऊपर हो चुकी हो, केरल में अब्दुल मदनी को सत्ता का खुला संरक्षण प्राप्त हो, तो भी किसे फ़िक्र है? कश्मीर में भी समस्या सिर्फ़ इसलिये है क्योंकि वहाँ मुस्लिम बहुमत है, जबकि लद्दाख और जम्मू क्षेत्रों में स्थिति शान्तिपूर्ण है…। यह बात पहले भी सैकड़ों बार दोहराई जा चुकी है कि जब तक किसी इलाके में “हिन्दू” बहुमत में हैं, वहाँ अलगाववादी विचार पनप नहीं सकता… क्योंकि हिन्दू संस्कृति “सबको साथ लेकर चलने वाली” और “व्यक्ति को धार्मिक या नास्तिक होने की स्वतन्त्रता देने वाली” लोकतांत्रिक संस्कृति है।

नेहरु से सोनिया तक गलतियों पर गलतियाँ करने के बाद, कश्मीर को मानसिक रूप से भारत के साथ मिलाने के लिये अब तो “भागीरथी प्रयास” ही करने होंगे… और इसे भविष्यवाणी न समझें बल्कि चेतावनी समझें, कि आने वाले कुछ वर्षों के भीतर ही असम, पश्चिम बंगाल और केरल में इस कांग्रेसी सेकुलरिज़्म के विष का असर साफ़ दिखाई देने लगेगा…। और जो लोग यह समझते हैं कि यह चेतावनी अतिशयोक्तिपूर्ण है, उन्हें असम के राज्यपाल की सन् 2005 में केन्द्र को भेजी गई रिपोर्ट को देखना चाहिये, उसके बाद 4 साल और बीत चुके हैं तथा अब तो बांग्लादेश से आये हुए मुसलमानों ने ISI के साथ मिलकर स्थानीय आदिवासियों को अल्पसंख्यक बना दिया है, क्योंकि कांग्रेस को सिर्फ़ “वोट-बैंक” और “स्विस-बैंक” से प्यार है, देश से कतई नहीं।

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53 Comments

  1. April 26, 2010 at 7:47 am

    कश्मीर को अलग करने का सपना देखने वाले देशद्रोही कश्मीरी मुस्लिम कितने है? भारत के किसी महानगर की आधी आबादी के बराबर…फिर किस बात का दबाव? तमाम पत्रकारों, मानवाधिकारवादियों, सेक्युलरों को कश्मीर से बाहर निकाल कर उसे सेना को सौंप देना चाहिए. शेष कहने की जरूरत नहीं. बाद में हिन्दु विस्तापितों को बसा कर हिन्दु बहुल क्षेत्र बना देना ही एक अच्छा हल है.

  2. April 26, 2010 at 7:55 am

    "इसे भविष्यवाणी न समझें बल्कि चेतावनी समझें, कि आने वाले कुछ वर्षों के भीतर ही असम, पश्चिम बंगाल और केरल में इस कांग्रेसी सेकुलरिज़्म के विष का असर साफ़ दिखाई देने लगेगा…।"भारत के भविष्य का जो खाका आपने दिखाया है, वो भारतीय सरकार और नेतागण भी जानते हैं। लेकिन क्या है ना कि वे देखकर भी इसे नजर-अंदाज कर देते हैं। आखिर "पापी पेट" का जो सवाल है।

  3. April 26, 2010 at 7:57 am

    मैं इस बात से पूर्णत सहमत हूँ कि कांग्रेस (या कोई भी राजनितिक पार्टी) सबको सिर्फ़ "वोट-बैंक" और "स्विस-बैंक" से प्यार है. हकीकत में आज देश नपुंसक हो चुका है. छोटे छोटे टटपूंजे सरीखे गधे छाप नेता (या उनके चमचे) कुत्ते के माफिक एक इलाके में गुंडागिरी करते फिरते है और खुद को तीस मार खा समझते है. ये ही कारण है कि गिलानी सरीखे हरामखोर, जो आज के ज़माने के जयचंद है, जिस देश कि खाते है उसी की बजाते है. देश को आज एक सरदार पटेल चाहिए तभी कश्मीर भारत का हिस्सा बना रह सकता है अन्यथा आज के नेताओ की जमात के होते हुए तो शायद ही कुछ हो सकता है.

  4. April 26, 2010 at 8:05 am

    काश्मिर छोडो, मैने परसो मुंबई एअरपोर्टपर लॅंड होते समय पाकिस्तानके झंडे सांताक्रुझ की झुग्गीयोमे भी देखे. शरम आ रही थी, और गुस्सा भी!!

  5. kunwarji's said,

    April 26, 2010 at 8:06 am

    अरे कोई कांग्रेसी ये ब्लॉग पढता होगा,क्या वो जवाब दे सकता है इस बात का?कोई मुसलमान है जो इस घटनक्रम के ऊपर अपनी राय देगा?और हिन्दू?नहीं हम किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचा सकते!कोई भारतीय होने के नाते ही इस विषय पर अपनी भावनाए उजागर कर दे!कुंवर जी,

  6. kunwarji's said,

    April 26, 2010 at 8:06 am

    अरे कोई कांग्रेसी ये ब्लॉग पढता होगा,क्या वो जवाब दे सकता है इस बात का?कोई मुसलमान है जो इस घटनक्रम के ऊपर अपनी राय देगा?और हिन्दू?नहीं हम किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचा सकते!कोई भारतीय होने के नाते ही इस विषय पर अपनी भावनाए उजागर कर दे!कुंवर जी,

  7. April 26, 2010 at 9:03 am

    चलिए मान लेते हैं कि गिलानी देशद्रोही हैं लेकिन वे राष्ट्रवादी हैं जो दम भरते हैं राष्ट्रवाद का लेकिन पुनर्जन्म पर भी विश्वाश रखते है, जबकि ऐसा हरगिज़ नहीं हो सकता मैंने पहले ही सिद्ध कर दिया है अभी तक चिपलूनकरिज़्म एंड पार्टी का कोई जवाब नहीं आया…सवाल फिर से…अगर सावरकर जी का पुनर्जन्म अफ़गानिस्तान में तालिबान समर्थक में हुआ तो इस बात की गारंटी कौन लेगा कि भारत के ख़िलाफ़ किसी भी आतंकी घटना में वे लिप्त नहीं होंगे??? और अगर ऐसा हुआ तो उस राष्ट्रवाद का क्या होगा जिसे वीर सावरकर अपने कथित खून पसीने से सींचा था !!!???

  8. April 26, 2010 at 9:04 am

    हिन्दुस्तान में जब तक किसी भी समस्या को 'मज़हब' के चश्मे से देखा जाता रहेगा… तब तक समस्याएं सुलझने के बजाय और ज़्यादा उलझती रहेंगी… हिन्दुस्तान का तथाकथित 'धर्म निरपेक्ष' होना भी कई समस्याओं की जड़ है… लोग यह सोचकर बोलते हैं कि कोई क्या सोचेगा…??? मसलन ऐसा कहा तो कोई संघ से नाम न जोड़ दे, वैसा कहा तो कोई कांग्रेसी न समझ ले… इसलिए ज़्यादातर लोग खामोशी ही अख्तियार कर लेते हैं…हमारा हाल तो आप सभी जानते ही हैं… सच कहने की क़ीमत तो चुकानी ही पड़ती है… हज़ार तोहमतें अपने सर लेकर…हिन्दुस्तान में इस वक़्त… एक देश, एक झंडा और एक संविधान की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है…जय हिन्द वन्दे मातरम्

  9. April 26, 2010 at 9:18 am

    सलीम की सुई सावरकर पर अटक गई है. बात यहाँ हो रही है कश्मीर की. तो सलीम खान अपना रूख बताए कि वहाँ के उग्रवादियों की माँग सही है या नहीं. क्या वह कश्मीर को अलग करने के पक्ष में है या नहीं. समस्या का हल क्या है? हिन्दुओं को कोसना है तो उसके लिए अपना ब्लॉग है ही, जम कर यह काम करो. मगर जहाँ बात खेत की हो खलिहान की मत हाँको. अब सावरकर की बात. एक हिन्दु होने के नाते मैं मानता हूँ कि अगर सावरकर अफगानिस्तान में जन्म लेते है तो उन्हें वही करना चाहिए जो अफगानिस्तान के हित में हो. हिन्दुत्व को समझना तुम्हारे बस का नहीं, क्यों टाँग डालते हो, स्वच्छ संदेश दो, जो दे सकते हो.

  10. April 26, 2010 at 9:18 am

    जब सही समय पर सही फैसलें लिए ही ना जाए …..तो हालात तो बिगड़ते ही जाएगें…..

  11. Amit Sharma said,

    April 26, 2010 at 9:23 am

    सलीम भाई आप तो ईमान वाले है फिर आपने इमानदारी क्यों नहीं दिखाई ब्लॉग छोड़ने की घोषणा करके फिर कैसे पधरावणी हो गयी. चलिए कोई बात नहीं.और आपको तो चश्मा भी लगवा लेना चहिये असली धर्मनिरपेक्षता वाला क्योंकि आपको तो साफ़ साफ़ दिखाए देने वाले देश द्रोही को पहचान ने में भी नज़रों पे जोर डालना पड़ रहा है .एक और कानून बना है कश्मीर में की जो जिस जिले का रहवासी है उसे जिले से बाहर नौकरी नहीं कर सकेगा. हिन्दुओं को घाटी में प्रवेश से रोकने के लिए. ताकि मुसलमान कौम के अलावा कोई और ना बस सके, क्योंकि अभी कुछ जम्मू वासी घाटी में नौकरी पा गए थे इन देश-द्रोही जमात के कान खड़े हो गए और दस साल से अटका विधेयक झट से कानून बन गया .वाह जी भारत के संविधान आपने हमें खूब समानता बक्षी है !!!!!!!!!!

  12. April 26, 2010 at 9:29 am

    आपने सही कहा बेंगाणी जी… सलीम की सुई वाकई में एक ही जगह अटक गई है…। लेकिन इनके गुरुजी की भी तो एक ही जगह अटकी हुई है… उसी को ये भी फ़ॉलो कर रहे हैं…। इन लोगों की आदत रही है मुद्दे की बात को दरकिनार करके ऊटपटांग बात करने की…

  13. April 26, 2010 at 9:43 am

    Saleem saheb , kabhi to Islam se hat karke soch liya karo. IS pure bharat main Kashmir ek Aids ki tarah ho gaya hai. Mere khud ka manna hai ki , kashmiri janta ko puri suvidhayaie deni chahiye, jo baki rajyo ko mil rahi hain. Sabhi Algavadi Netawo ko Andar kar dena chahiye.

  14. April 26, 2010 at 9:51 am

    Saleem ko jitna Bharat se pyar hai us se kanhi jyada Pakistan se pyar hai.Batware ke samay Lucknow door tha nahi to ye janab bhi pakistan chale gaye hote.

  15. April 26, 2010 at 9:58 am

    सबको सिर्फ़ "वोट-बैंक" और "स्विस-बैंक" से प्यार है. ये तो सही है उनके लिए… मगर अपने देशवासियों को बात क्यूँ नहीं समझ आती…अपने नेताओं के जूते चप्पल उठाने में अपना भला समझते हैं. हद है..और ये सलीम, क्या कहें? इस कदर भटक गया है… की जब भी कोई कहीं देशहित की बात करता है, तो ये जनाब सिर्फ ये देखते हैं है कि "कोई हिन्दू कह रहा है" तो उसे समर्थन नहीं देना है. हद है.

  16. April 26, 2010 at 10:05 am

    नेताओ की बात तो मै नहीं कर सकता , क्यों की उनका कोई तो कोई इंसानियत से वास्ता ही नहीं है बात उन गुमराह भारतीय मुसलमानों (सलीम भाई एंड पार्टी) की करना चाहूँगा की अपनी माँ की इज्जत करना सीखो ! क्या जवाब दोगे इसका १.) असम के पाँच जिलों से लगातार पाकिस्तान के झण्डे फ़हराये जाने की खबरें२.) पश्चिम बंगाल के 17 जिलों में मुस्लिम आबादी 50-55 प्रतिशत से ऊपर हो चुकी हो३.) पाकिस्तानके झंडे सांताक्रुझ की झुग्गीयोमे भी देखे गए ४.) मैंने स्वय असम के कुछ जिलो में पाकिस्तान के झंडे फहराए जाते देखे हैऔर हा सलीम भाई आज कल तो चंदा भी मांग रहे है. उनके लिए एक और तरीका भी ठीक रहेगा , जो आजकल मै अक्सर भीडभाड वाले जगर पर गले में टंगे टेप रेकॉर्डर पर सूफियाना गाना बजाते और चंदा मांगते कुछ दाढ़ी वाले लोगो को मैंने देखा है ! उनको देखकर अब बरबस ही सलीम भाई की याद आ जाती है सोचता हूँ ये मशविरा उनको जरुर दूंगा ! सायद इस तरह वो ज्यादा चंदा इकठा कर पाए.. सुरेश जी आपके लेखनी में दम है ! लिखते रहे .. बधाई अन्य हिन्दुयो को जागृत करने के लिए.

  17. April 26, 2010 at 10:15 am

    @सलीम खान,अगर सावरकर जी का पुनर्जन्म अफ़गानिस्तान में तालिबान समर्थक में हुआ तो इस बात की गारंटी कौन लेगा कि भारत के ख़िलाफ़ किसी भी आतंकी घटना में वे लिप्त नहीं होंगे??? और अगर ऐसा हुआ तो उस राष्ट्रवाद का क्या होगा जिसे वीर सावरकर अपने कथित खून पसीने से सींचा था !!!???–हिन्दू (धार्मिक दृष्टिकोण, पुनर्जम इत्यादि बातों का) हिन्दू(राष्ट्रवाद दृष्टिकोण) से कोई लेना देना नहीं है. कोई भी हिन्दू पहले अपने देश का होता है, उसे वही करना चाहिए जहाँ उस देश कि तात्कालिक जरुरत है.थोड़ी देर के लिए मान लें कि सावरकर अगली बार तालिबानी होता है और वह अमरीका(या भारत) विरोधी होता है. तब भी सावरकर अपने देश के लिए जी रहा है. वहां भी राष्ट्रवाद निभा रहा है. हिन्दू कोई ऐसा रूढ़ धर्म थोड़े है, जहाँ यह लिखा हो "हिन्दू जात छोड़ा तो दोजख में जाएगा."–नेपाल एक हिन्दूराष्ट्र है, यदि वहां का कोई सिपाही/शासन बिहार में अतिक्रमण करेगा, तो उसे रोकनेवाला/गोली चलाने वाला यहाँ का हिन्दू सिपाही होगा. उसे दुःख नहीं होगा कि उसने अपने भाई हिन्दू के ऊपर गोली चलाया, उसे यह भी डर नहीं होगा इश्वर उसे नरक/दोजख में भेजेगा. अपितु उसे ख़ुशी होगी कि उसने अपने देश को बचाया.याद रखिये,,, जहाँ रहते हैं >> वह राष्ट्र पहले.बात समझिये सलीम भाई, आप पहले भारत के नागरिक हैं.

  18. kunwarji's said,

    April 26, 2010 at 10:33 am

    shehjaade saleeeeeeeeeee…eeem!"इन लोगों की आदत रही है मुद्दे की बात को दरकिनार करके ऊटपटांग बात करने की…"kab jhuthlaoge is baat ko!kuchh socho yaar….!kunwar ji,

  19. April 26, 2010 at 10:36 am

    राष्ट्र क्या होता है समझने की जरुरत है. मैंने यह कहानी बहुत साल पहले कहीं पढ़ी थी. उसमें लिखे नाम तो मैं भूल गया, लेकिन कहानी यहां दे रहा हूं. शायद सलीम खान को राष्ट्र के प्रति प्रेम का दर्जा समझ आये.जापान के लोग गौतम बुद्ध की पूजा करते हैं. उन्हें ईश्वर मानते हैं. एक बार जापान में एक पश्चिम के नेता आये उन्होंने अपने दौरे के बीच कुछ जापानी नौजवानों से भी मुलाकात की. उन्होंने एक जापानी युवक से पूछा कि अगर उसे कहीं गौतम बुद्ध रास्ते में मिल जाये तो वह क्या करेगा. युवक ने कहा उनके सम्मान में फौरन घुटनों के बल बैठकर प्रणाम करेगा. फिर पश्चिमी नेता ने कहा कि और फिर अगर तुम्हें पता चले की गौतम बुद्ध जापान को नष्ट करने जा रहे हैं तो क्या करोगे. तो युवक ने सोचा फिर कहा कि तब मैं गौतम बुद्ध पर हमला करूंगा और हर चेष्टा करूंगा कि उन्हें मार दूं.तो सलीम अगर तुम्हें लेशमात्र भी राष्ट्रवाद की समझ होती तो यह नहीं पूछते की वीर सावरकर अगर अफगानिस्तान में पैदा हों तो क्या करें. अगर वीर सावरकर अफगानिस्तान में पैदा हों तो उनका धर्म बनता है कि वहां के तालिबानियों को जिंदा न छोडें.लेकिन अगर हमारे राष्ट्र पर कोई भी हमला करता है तो हमारा धर्म बनता है कि हम भी उन्हें न छोड़े. फिर चाहे वो किसी भी आत्मा का 'पुनर्जन्म' क्यों न हो.क्या अब तुम्हारी समझ में आयी या फिर आपकी जिद है अहमक बने रहने की? या फिर यह स्वांग है आपका?

  20. April 26, 2010 at 10:48 am

    गिलानी जैसों पर इतना सर खपाने की ज़रूरत क्या है? यह आईएसआई से फंडिंग पाते हैं और पाकिस्तान की गाते हैं. कश्मीर न तो अभी न ही कभी भविष्य में पाकिस्तान को सौंपा जाएगा, भले कोई कितना ही महासेक्युलर सरकार में बैठ जाए. इसके रणनैतिक महत्त्व, भौगोलिक स्थिति, ग्लेशियर और नदियों के कारण इसे कभी भारत की और से स्वयत्तता नहीं दी जाएगी. यह बात सभी को पता है पर, भारत को गरियाना और पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा फैलाना गिलानी जैसों की रोज़ी रोटी है.

  21. April 26, 2010 at 12:01 pm

    Gilaniiiiiiii To Chilate- chilate Mar jayega. Tere bachhe Bhartiya hi rahenge.

  22. April 26, 2010 at 12:43 pm

    गिलानी जैसे नेता कश्मीर के लिए नासूर हैं . सच को मैं हमेशा सच ही कहूँगा चाहे आप जैसा उयक्ति ही क्यूँ कहे .

  23. PADMSINGH said,

    April 26, 2010 at 1:27 pm

    सलीम जी! कहते हो मुसलमान हो … ईमान कहाँ चला जाता है आप लोगों का… जिस माँ का दूध पी कर बड़े हुए… आज़ादी का मज़ा ले रहे हो उसी की अस्मत पर आँख गडाये बैठे हो… उसी की गर्दन काट देने की सोचते हो… कब सद्बुद्धि आएगी आप लोगों को… कुछ तो बात है जिस कारण आज पूरी दुनिया के हर धर्म एक तरफ और मुस्लिम एक तरफ… आँखों पर पट्टी बांधे इस्लाम इस्लाम चिल्लाते भागे जा रहे हैं… आगे कुआँ है या खाई इसका भी नहीं पता… गिलानी को तो आई एस आई से पैसा मिल रहा है सो कश्मीर कश्मीर चिल्ला रहा है … तुमको भी एकाध चेक मिल गया है क्या… कोल्हू के बैल की तरह आखों पर इस्लाम की पट्टी ही मत बांधे रहिये … इंसानियत ईमान और विवेक की रोशनी में उचित अनुचित का भी विचार करिये … इक्कीसवी सदी के कर्णधारो कहाँ ले जाना चाहते हो दुनिया को…

  24. PADMSINGH said,

    April 26, 2010 at 1:33 pm

    सलीम जी ये फिरदौस खान जी और अनवर ज़माल साहब या और भी अपने देश पर मरने मिटने वाले क्या इंसान नहीं हैं? या मुसलमान नहीं हैं? या इनको अक्ल नहीं है?… या आप ही सब से बड़े अक्लमंद समझते हैं…(आपको पाकिस्तान पसंद है तो जाने से किसी ने रोका तो है नहीं)

  25. awyaleek said,

    April 26, 2010 at 1:53 pm

    ये तो पहले ही हो चुका है कि रष्ट्रभक्ति की बातें करना हिन्दुत्व है.अब देखिये चिप्लूनकर भैया ने देशहित की बातें की तो ये चिपलूनकरिज्म हो गया.क्यु भाई दुनिया में देशहित की बातें सोचने वाले एक सुरेश भैया ही हैं क्या जो इसे व्यक्तिगत नाम दे दिये..?एक राज की बात बताऊँ आपलोगों को…"हमारे मुसलमान भाइयों में पर्दा प्रथा सिर्फ़ महिलाऒं तक ही नहीं है.इसका उपयोग पुरुष भी करते हैं..अपने दिमाग को ढकने के लिये..अब बेचारे ये लोग भी क्या करें इनके दिमाग पर तो इस्लामियत का काला पर्दा चढा़ हुआ है वो हटे तब तो और कुछ दिखे भी.और इनके पैगम्बर(खुद अपने मुह से अपने आप को अंतिम कहने वाले) ने इन्हें इतना डरा ही दिया है कि बेचारे लोगों की पर्दे के बाहर झाँकनें की भी हिम्मत नहीं होती.. जो भी हो मैं तो कहता हूँ कि अब आने वाले चुनाव में हम चिप्लुनकर पार्टी को खडा़ हो ही जाना चाहिये.५-६ सौ की सँख्या में तो हैं ही हमलोग..और लोकसभा में तो लगभग ४५० ही चाहिये तो सौ-डेढ़ सौ तो ज्यादा ही हैं हमलोग…. मैं ये बात सिर्फ़ मजाक में नहीं कह रहा हूँ..

  26. April 26, 2010 at 3:12 pm

    सलीम मियां, आपके प्रश्न का उत्तर मैंने ६ नवम्बर २००९ को ही अपने ब्लाग पर दे दिया था और यह संयोग नहीं वरन हिन्दू संस्कार ही हैं कि यहाँ पर भी अन्य ब्लागरों ने वही उत्तर दोहराया है. कृपया गौर करें-@स्वच्छ………………….अगर मेरे बाप -दादा अफगानिस्तान या पाकिस्तान में पुनर्जन्म पाते हैं तो मैं चाहूँगा कि वे अपनी जन्मभूमि (अफगानिस्तान या पाकिस्तान) के प्रति वफादार रहे, उससे प्रेम करें और उसके लिए जान लड़ा दें फिर चाहे ऐसा हिन्दुस्तान के खिलाफ ही क्यों न करना पड़े. जो भारतीय विदेशों में रहते हैं और वहां की नागरिकता ले चुकें हैं वे भले ही अपनी जन्मभूमि भारत के प्रति प्रेम रखें लेकिन उनकी निष्ठा अपने वर्तमान देश के प्रति ही होनी चाहिए. जो ऐसा नहीं करता उसे "थाली में छेद करने वाला" कहा जाता है. यह बात आपको भी अच्छी तरह जानने-समझने की जरूरत है.निश्चय ही राष्ट्रवाद एक अमूर्त विचारधारा है परन्तु इसके परिणाम अत्यंत स्थूल और स्पष्ट होते हैं. अगर ऐसा ना होता तो दुनिया राष्ट्रों में बंटी हुई ना होती. राष्ट्रवाद अपने देश के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना जगाता है परन्तु दूसरे राष्ट्रों के प्रति द्वेष नहीं पालता. द्वेष का जन्म लालच, ईर्ष्या और द्वेष से ही होता है मतलब ताली दो हाथों से बजती है अन्यथा राष्ट्रवाद में सृजन और विकास के बीज ही छिपे होते हैं. और हाँ! राष्ट्रवाद धर्म और राजनीति की सीमाओं से परे होता है (काश! यह बात आपको समझ में आ पाती).तालिबानी या पाकिस्तान या दुनिया के किसी भी देश के आतंकवादी जो कुछ कर रहे हैं क्या वह देशप्रेम और राष्ट्रवाद की भावना से अभिभूत होकर कर रहे हैं??http://thethbhartiya.blogspot.com/2009/11/blog-post.html#comments

  27. man said,

    April 26, 2010 at 4:30 pm

    sir very righi and nice post i aalways admire and ur fain of ur readable post……vandematrm…sir i say that many mother {m} broker on bloge only conectivity for words adminery…..thoo saale haranee

  28. ANAND said,

    April 26, 2010 at 4:34 pm

    आपने यह तो बता दिया कि सय्यद शाह गिलानी ने क्या कहा…अब उसके द्वारा कही गयी बात से उत्पन्न संभावित खतरे से निपटने के लिये अब हमारी सरकार को क्या करना चाहिये, इस का भी सुझाव दिजिये..क्या जम्मु और कश्मिर में जनगणना नहीं करवाना चाहिये ?

  29. April 26, 2010 at 5:16 pm

    @राष्ट्रवाद यजुर्वेद के अनुसारआ ब्रह्मन ब्राहमणों ब्रह्मवर्चसी जायतामा राष्ट्रे राजन्यः शूरअइषव्योअतिव्यधि महारथो जायतां दोग्ध्री धेनुर्वोधानडवानाशुः सप्तिः पुरन्धिर्योषा जिष्णू रतेष्ठा सभेयो युवास्या यजमानस्य वीरो जायतां, निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो नअओषधयः पच्यन्तां योगक्षेमो नः कल्पताम्।।इस सूक्त के अनुसार जन समूह, जो एक सुनिश्चित भूमिखंड में रहता है, संसार में व्याप्त और इसको चलने वाले परमात्मा अथवा प्रकृति के अस्तित्व को स्वीकारता है, जो बुद्धि या ज्ञान को प्राथमिकता देता है और विद्वजनों का आदर करता है, और जिसके पास अपने देश को बाहरी आक्रमण और आन्तरिक, प्राकृतिक आपत्तियों से बचाने और सभी के योगक्षेम की क्षमता हो, वह एक राष्ट्र हैअफगानिस्तान , पाकिस्तान इत्यादि आतंक के गड राष्ट्र के अंतर्गत आते ही नहीं हैं, वैसे तो यहाँ यह सब लिखने का कोई विषय ही नहीं है फिर भी एक मुर्ख गद्दार के सिद्दांत विरुद्ध कहने के कारण काफी लोगो ने राष्ट्रवाद पर लिखा है इसीलिए मैं यहाँ लिख रहा हूँ अन्यथा मैं विषय के अनुरूप ही लिखने में विश्वास रखता हूँ. डॉ अनवर जमाल जैसे धुर्त और मक्कार लोगो की बातो पर विश्वास ना ही करें क्योंकि ये सब इनके दिखने के दांत हैं.यदि सावरकर जैसे महान राष्ट्रवादी क्रांतिकारी अफगानिस्तान में जन्म लिए होते तो सबसे पहले इसे एक राष्ट्र बनाने का प्रयास करते जोकि यह है ही नहीं. राष्ट्रवाद का मतलब इस्लामवाद नहीं है सलीम जो दूसरों को लूटने और लड़ने की प्रेरणा दे. ये तो एक वसुदैव कुटुम्बकम पर चलने वाला मानवजाति के कल्याणार्थ सिद्धांत है. वैसे आज भारत भी इस राष्ट्र की परिभाषा से दूर होता जा रहा है किन्तु अभी भी यहाँ काफी मात्रा में राष्ट्रवादी लोग हैं जिस कारण यह अभी तक बचा हुआ है, अब समय की मांग है सभी राष्ट्रवादी शक्तियों को एक साथ एक मंच पर आकर युद्ध-स्तर पर इस देश को बचाने का कार्य करना चाहिये अन्यथा ये अकेला राष्ट्र भी नहीं बचेगा.Nation और राष्ट्र में भी अंतर होता है. आज का संसार नेशन-स्टेट्स में विभाजित है। आप गहराई से देख सकते हैं भारत की राष्ट्र की परिभाषा और पश्चिम में काफी अन्तर है. खैर चिपलूनकर जी को धन्यवाद लोगो को सत्य से अवगत कराने के लिए और इन गद्दारों के पिछवाड़े में मिर्ची लगाने के लिए भी.

  30. mukul said,

    April 26, 2010 at 5:39 pm

    sanatan dharm ye bhi kahta hai ki jo dharma par hai dharma uski raksha karta to jo matra bhumi ka bhakt hai vo kahi aur janam kaise lega. hamara to iswar aisi galti nahi karta.detail main nahi bataya hai kyoki talibani ko thodi batana hai

  31. April 26, 2010 at 5:41 pm

    सलीम खान मुसलमान है क्या??? पहली बात यह कि सलीम खान जैसे लोग मुसलमान हो ही नहीं सकते… फिर दोहराता हूं कि असली भारतीय और मुसलमान है तो फिरदौस, महफूज और फौजिया जैसे लाखों लोग. नेताओं की मति के तो कहने ही क्या, हिन्दू भी उनसे बढ़कर हो गये हैं. यदि वह भी वोट के बदले अपने मुद्दों को भुनाने लगें तो बीमारी खुद ब खुद दूर हो जायेगी.. यह एक ऐसा विष है जिसके लिये विष ही औषधि हो सकती है…

  32. मनुज said,

    April 26, 2010 at 5:53 pm

    @सौरभ आत्रेय जी "यदि सावरकर जैसे महान राष्ट्रवादी क्रांतिकारी अफगानिस्तान में जन्म लिए होते तो सबसे पहले इसे एक राष्ट्र बनाने का प्रयास करते जोकि यह है ही नहीं. राष्ट्रवाद का मतलब इस्लामवाद नहीं है सलीम जो दूसरों को लूटने और लड़ने की प्रेरणा दे."बिलकुल to-the-point बात कही है आपने. सलीम मियाँ पढ़ लो इसे, तुम्हारी बुद्धी पर चढ़ा कट्टरपंथ का पर्दा न उतर जाए तो कहना!!

  33. April 26, 2010 at 6:18 pm

    गिलानी कश्मीर के लिए नासूर है और ठाकरे परिवार देश के लिए उस से भी बड़ा नासूर है . जो मुझ से सहमत न हो वह कारण बताये . अब देखते हैं कि आप लोग सही विश्लेषण करते हैं या …..?

  34. मनुज said,

    April 26, 2010 at 6:41 pm

    @वेदों और कुर'आन के स्वघोषित विद्वान महोदय श्री अनवर जमाल जीठाकरे परिवार के दुष्कर्मों की जितनी भी मज़म्मत की जाए वो कम है, पर गीलानी और ठाकरे को एक ही तराजू में तोलने से पहले ये तो देखिये कि -१)क्या ठाकरे ने कभी महाराष्ट्र को भारत से अलग करने की मांग उठाई ?२)क्या उनकी पार्टी शिवसेना भारत के शत्रु पाकिस्तान से पैसा पाती है और भारत के खिलाफ विष-वमन करती है ?३)क्या शिवसेना ने किसी भी साम्प्रदायिक दंगे में पहल की ? (मुंबई दंगे में पहल मुस्लिमो की तरफ से की गयी थी)४)क्या ठाकरे ने भारत के राष्ट्र-ध्वज को जलाने का आवाहन किया ?५)मुंबई दंगों के बाद अब मुंबई में हिंदू और मुस्लिमो की आबादी का आपात देखिये और कश्मीर में अब हिंदू-मुस्लिम आबादी का अनुपात देखिये !!सभी बातें शीशे कि तरह स्पष्ट हैं!

  35. April 26, 2010 at 10:19 pm

    भाई संजय बेंगाणी, सलीम भाई और तमाम साथियों कश्मीर एक ऐसा मुद्दा! जिसने पुरे देश को अपने चपेट में लेलिया है! सबसे पहले बात बात गिलानी और वहां के तमाम पृथकवादी संगठनों की तो जहाँ तक मेरा विचार है वो सबके सब देश द्रोही संगठन हैं और उनका हर कदम कश्मीर को अलग करने की कोशिश है! और हमें इसका हर स्तर से ज़ोरदार प्रतिकार करना चाहिए! कश्मीरी पंडितों के साथ जो कश्मीर में होता रहा है या आज भी जारी है ना केवल दुखदायक है बल्कि गहरी साजिश है! जिसका सञ्चालन पाकिस्तानी सरकार कर रही है इसलिए इसको सख्ती से कुचला जाना ज़रूरी है वहीँ दूसरी बात मै जोड़ रहा हूँ! वैचारिक समग्रता से देखिएगा " मेरे शिमला प्रवास के दौरान मेरी मुलाकात एक कश्मीरी मुसलमान से हुयी एक शोधार्थी और सामाजिक कर्कर्ता होने के नाते मैंने उनसे वहां के खान पान और रहन सहन पर बातें की और बात राजनीति पर चली आई उनका विचार सुनिए शेष भारत के मुसलामानों के बारे में "ये साले सब के सब काफिर हैं और इन्हें क्या पता इस्लाम क्या है" यहीं एक दूसरी बात भी लगाऊंगा की उर्दू बोर्ड दिल्ली ने एक शब्दकोष बनाया था उसके संपादक एक मुसलमान ही थे उन्होंने कश्मीरी का मतलब चोर लिखा था! (और ये गलत है) कश्मीर और मुसलमान दो अलग चीजें हैं! और कश्मीर मुद्दे से मुसलामानों को जोड़ने की साजिश पाकिस्तान प्रायोजित और पृथकवादी ताकतों द्वारा चलायी जा रही है जिसका शिकार अक्सर शेष मुसलमान भारतीय होरहे हैं यही वजह है की लाजपत नगर जैसे बम विस्फोटों में इनकी भूमिका नज़र आई है! और मुझे लगता है की ब्लॉग पर जो हिन्दू बनाम मुसलमान का जो वाक्य युद्धय चल रहा है उसके बजाये सार्थक रूप से सकारात्मक कार्यों में लगाने की कोशिश की जाए! बहुत से साथियों को मैंने देखा है की वो हिन्दू और मुस्लिम आस्थाओं के पीछे पड़े होते हैं! ज़ाहिर है की इससे देश की दो बड़ी आबादीयों के बिच दुरी बढेगी और आजका समय ऐसा नहीं है! हमारे सामने हजारों समस्याएं मुंह बाएं खड़ी हैं उनका समाधान आवश्यक है! हमारे देश की विरासत ऐसी नहीं जैसी हम ब्लोगों पर ज़ाहिर कर रहें हैं कुछ अच्छी बातें आपको मुझे हम्सब्को सकूँ देंगी! आपको नहीं लगता हम ब्लॉग खोलते ही कुड से जाते हैं उत्तेजित हो जाते हैं! क्या ऐसा कुछ नहीं की हम साथ चलें सामानांतर चलें रेल की पटरियों की तरह! धर्म और राजनीति को अलग करें कुछ बेहतर सोचें जो आपको मुझे सकूँ दे! समस्यानें तो हमेशा रही हैं रहेंगी मगर हम उनके समाधान की कुछ कोशिश तो कर ही सकते हैं! कुछ दूसरों को उनके नज़रिए से देखने की कोशिश करें उनसे कुछ सिख्लें कुछ बेहतर चीज़ उन्हें बता दे!

  36. April 26, 2010 at 10:21 pm

    @फिरदौस आप मुझे कृपया लव जिहाद वाले पोस्ट की डिटेल भेजिएगा! मैंने उसपर कमेन्ट किया था की मुझे इसकी डिटेल दीजिये तो इसपर एक माइक्रो स्टडी करके ऐसे कुकृत के खिलाफ आन्दोलन खड़ा किया जा सके! मुझे लगता है की इसमें मानव तस्करी का नेटवर्क भी शामिल होगा!

  37. Mahak said,

    April 27, 2010 at 5:38 am

    आदरणीय evam Gurutulya Suresh JiAapke lekh se poori tarah sehmat hoon

  38. Mahak said,

    April 27, 2010 at 5:43 am

    @ मनुजAapne jo Raj thakrey ko defend karne ka prayaas kiya hai uska jawaab dena chaahonga१)क्या ठाकरे ने कभी महाराष्ट्र को भारत से अलग करने की मांग उठाई ?mere bhaii aap shayad ye bhool gaye hain ki abhi haal hi mein Raj Thakrey ne ek statement diya tha jismey usney kaha tha ki"agar bharat sarkar ne marathiyon ke prati apna nazariya thik nahin kiya to phir maraathiyon ke sabr ka baandh toot sakta hai aur wey maharashtra ko bharat se alag karne ki maang kar sakte hain phir main bhi unhe nahin rok paaonga"Is statement mein saaf saaf dikh raha hai ki kaie wo marathiyon ko bhadkaane aur bharat ko daraane ki koshish kar raha hai.२)क्या उनकी पार्टी शिवसेना भारत के शत्रु पाकिस्तान से पैसा पाती है और भारत के खिलाफ विष-वमन करती है ?Ye to aur serious baat hai ki उनकी पार्टी भारत से पैसा पाती है और भारत के खिलाफ विष-वमन करती है ? matlab jis thaali mein khaati hai usi mein ched(hole) karti hai.३)क्या शिवसेना ने किसी भी साम्प्रदायिक दंगे में पहल की ? (मुंबई दंगे में पहल मुस्लिमो की तरफ से की गयी थी)Aapke is point se sehmat hoon.Jo पहल karta hai phir usey parinaam bhugatne ke liy bhi tayaar rehna chaahiye.४)क्या ठाकरे ने भारत के राष्ट्र-ध्वज को जलाने का आवाहन किया ?Unhone jab bharat ko hi "maraathi vs north indians" mein divide kar diya hai to phis ab kya bachta hai.Aur unke behavour se to aisa bhi lagta hai ki kisi din wey भारत के राष्ट्र-ध्वज को जलाने का आवाहन bhi kar sakte hain, wo jab apni bahut si gambheer harkaton par bhi sharminda nahin hain to aisa nahin lagta ki iska bhi unhe koi afsos hoga.५)मुंबई दंगों के बाद अब मुंबई में हिंदू और मुस्लिमो की आबादी का आपात देखिये और कश्मीर में अब हिंदू-मुस्लिम आबादी का अनुपात देखिये !!Iska jawaab main isliye nahin de sakta kyonki yahan par aapne real mein wo अनुपात kitna hai ye mention nahin kiya hai.Lekin kashmir se ek saajish ke chalte jo hinduon ka safaya kiya gaya hai wo bahut hi chintajanak hai, lekin jab tak narendra modi ji jaise vyakti center mein nahin aate jo ki kade kadam lene ka hosla rakhte hain aur jo kehte hain wo kar ke dikhate hain tab tak kuch nahin ho saktaAur anth meinmain bhi Gillani aur Raj Thakrey jaise logon ko deshdrohi maanta hoon.

  39. April 27, 2010 at 6:04 am

    सफिकुर्रहमान द्वारा मेरा नाम सलिम के नाम के साथ लेना कतई पसन्द नहीं आया. दोनो को एक ही तराजू में तोला गया महसुस हो रहा है. आप तोप होंगे, लेकिन यह मेरा अनादर है. मेरी आपत्ति दर्ज की जाय.

  40. April 27, 2010 at 6:20 am

    @ शफीकुर रहमान खान युसुफजई !जनाब आपने, बहुत समझदारी की बात कही है. आप एक अच्छे समाज सेवक है, मैं आपकी प्रशंशा करता हूँ.कश्मीर की लड़ाई तो राजनैतिक कारणों से चली आ रही है. अधिक खतरा तो उनसे है जो अपने देश में उन अलगाववादियों का समर्थन करते हैं.

  41. April 27, 2010 at 6:32 am

    @ Anand जी – सबसे पहले आपकी बात का जवाब : भारत सरकार को वहाँ अवश्य जनगणना करनी चाहिये, लेकिन स्टेट मशीनरी के भरोसे ही सारा काम छोड़ना ठीक नहीं होगा। दूसरी बात – जनगणना के समग्र आँकड़ों को सार्वजनिक करने के साथ-साथ भारत सरकार को देश की जनता को बताना चाहिये कि वह कश्मीर को देश के बाकी राज्यों के मुकाबले कितनी अधिक सब्सिडी दे रही है, कितनी सुविधाएं दे रही है, कश्मीर में गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों का प्रतिशत भारत के राज्यों के मुकाबले कम क्यों है… आदि, ताकि जनता की नींद और आँख दोनों खुलें और देश की जनता जान सके कि हमारे टुकड़ों पर पलने वाले लोग अमरनाथ यात्रियो के लिये ज़मीन का एक टुकड़ा देने के नाम पर भी किस प्रकार की देशद्रोही हरकत करते हैं। गिलानी से पूछा जाना चाहिये कि जिन अमरनाथ यात्रियों की बदौलत कई कश्मीरियों के घर का 6 माह का चूल्हा जलता है, उसे बार-बार निशाना क्यों बनाया जाता है? तीसरी बात – गिलानी को दिल्ली प्रवास के दौरान अफ़ज़ल गुरु से मुलाकात की अनुमति क्यों दी गई? क्या अफ़ज़ल गुरु किसी कांग्रेसी नेता का भाई है, या गिलानी किसी कांग्रेसी का बाप है? किस आधार पर अफ़ज़ल गुरु से उसकी मुलाकात करवाई गई? क्या सरकार उसे रोक नहीं सकती थी? @ Mahak जी – मैं भी राज ठाकरे को (बाल ठाकरे को नहीं) देशद्रोही मानता हूं… इस केस में भी इस साँप को पालने वाली कांग्रेस ही है, और यह कांग्रेस का इतिहास ही रहा है चाहे वह भिंडरावाले हो या राज ठाकरे। देश जाये भाड़ में… और कांग्रेस से नफ़रत करने के 101 कारणों में से एक यह भी है… 🙂

  42. April 27, 2010 at 7:06 am

    मैं भी राज ठाकरे को (बाल ठाकरे को नहीं) देशद्रोही मानता हूं… इस केस में भी इस साँप को पालने वाली कांग्रेस ही है, और यह कांग्रेस का इतिहास ही रहा है चाहे वह भिंडरावाले हो या राज ठाकरे। देश जाये भाड़ में… सत्य वचनप्रणाम स्वीकार करें

  43. nitin tyagi said,

    April 27, 2010 at 7:39 am

    @saurabh atrey good reply इस देश में देश भक्ति की सजा मौत है और देश द्रोहियों(सैयद अली शाह गिलानी) को हमारी कांग्रेस एंड सब सेकुलर दावत देते हैं |क्या बकवास देश बना दिया है इसको हमारे सेकुलरों ने

  44. April 27, 2010 at 7:41 am

    सुरेश जी, आपसे सहमत! @PADMSINGHआपको फ़िरदौस जी का नाम, किसी ऐरे-गैरे (देशद्रोही) के साथ नहीं लेना चाहिए. ये वह जो सदा हमारे देवी-देवताओं का अपमान करता है. इसने हमारे पवित्र ग्रन्थों के बारे में भी बहुत ही अश्लील बातें की हैं. भला हो फ़िरदौस जी का जिनके कारण इन लोगों का आतंक थमा है.

  45. man said,

    April 27, 2010 at 1:27 pm

    बाल ठाकरे और उन पागल कुतो की तुलना करना बेवकूफी हे ,जो कश्मीर कश्मीर भोख रहे हे ,बाल ठाकरे लोगो को कभी नहीं कहते हे की भारत के खिलाफ बन्दूक उठावो ,वो कहते हे की जो भारत के खिलाफ हे उनके खिलाफ बन्दूक उठावो ,उनकी पूरे भारत में एक लोगो के दिल में बसने वाली एक कैडर हे ,शिव सेना ….न की छिफ्ते फिरते फिरते कुते…जो की इंडिया आर्मी के हाथो कुते की मोत मरते हे ….साले संसाधन भारत का खा रहे हे ,,,उसी में आग लगाना चाह रहे हे ….भाइयो केसे ओछी बुधी से उनकी तुलना गिलानी जेसे एक टांग टूटे हुवे बर्फ के बूढ़े भालू से कर दी ….एक साजिश के तहत हिंदुवो को वंहा से निकाल वो भारत का ताज कोसना कहते हे …लकिन जेसे की सर ने लिखा हे पिलपिले ये कुर्सी के लिए अपनी बेटी या लुगाई को भी हवाले करदे गिलानियो जी के पास …तो अफजल से मुलकात तो मामूली हे ….इंडियन आर्मी तैयार हे

  46. man said,

    April 27, 2010 at 1:41 pm

    साले कहते हे की हम इंडिया के खिलाफ जिहाद कर रहे हे ..एक टांग में चप्पल एक टांग में जूता …ये केसा जिहाद ….सालो के पैजामे सालो नहीं बदले जाते ..ये केसा जिहाद हे ??ढाढी कटाने की जेब में फूटी कोडी नहीं रहती हे ये केसा जिहाद कर रहे वो ??साले पागल लार टपकाते कुतो की तरह इधर उधर जंगलो छिपते फिरते हे ,,फिर केसा जिहाद हे ?? फिर आर्मी हाथो कुते की मोत मरे जाते हे ,,मूह खुली लाशे पडी रह्तीहे कुतो की जेसे ..ये केसा जिहाद कर रहे हेवो ??बिबिया वर्षो से उनका मूह नहीं देखती हे …बच्ची थोड़े बे हो कर भीख मांगते मांगते वो भी पागल कुते बन जाते हे नतीजा वो ही ??? गिलानियो को कोन समझाएगा की साले खुद तो कश्मीरी अखरोट जेसे अपनी उमर पका ली,,,लकिन उन नोजवनो को आजाद कश्मीर के नामे पर क्यों बली चढ़ाया जा रहा हे जो की असंभव हे ? अमरनाथ बाबा थोड़ी सत्बूदी दे उनको

  47. man said,

    April 27, 2010 at 3:47 pm

    राज ठाकरे तो गली के कुते का परतीक हे ,लकिन बाला साहब देश rastravadee और सवाभिमानी हे ….इसका उदहारण हे शिव सैनिको दुवारा भारत के कई युधो में युद्ध शेत्रो में जा कर सैनिको कि सेवा करना ,,रास्ट्र विरोधी कर्त्यो में तव्रीत परतिकिरिया दिखा के रास्ट्र विरोधियो के मंसूबे नाकाम करना ,, संस्कृति कि रक्षा के लिए सतत जागरूक रहना (अब संस्कृति का मतलब लोगो के लिए अलग अलग हो सकता हे ) रास्ट्र के विभिन सेवा कार्यो से को करना ,धरम रक्षा में सदा आगे रहना (ये धरम रक्षा ही तो पिछवाड़े में पटना कि मिर्ची लगता हे जिसमे कैलिव आयल ज्यादा होता हे ),अब कान्हा ये गिलानी जेसे मियादी शवान (नसबंदी कर देनी चाहिए इन सवानो कि)…और कान्हा वो हिन्दुत्व का शेर बाला साहब ठाकरे ….भेया बाकी बातें मेने उपर लिखी हे ….ठाकरे परिवार रास्ट्र वादी हे एक पागल राज को छोड वो भी चंद दिनों कि राजनीती चमका लराज ठाकरे तो गली के कुते का परतीक हे ,लकिन बाला साहब देश rastravadee और सवाभिमानी हे ….इसका उदहारण हे शिव सैनिको दुवारा भारत के कई युधो में युद्ध शेत्रो में जा कर सैनिको कि सेवा करना ,,रास्ट्र विरोधी कर्त्यो में तव्रीत परतिकिरिया दिखा के रास्ट्र विरोधियो के मंसूबे नाकाम करना ,, संस्कृति कि रक्षा के लिए सतत जागरूक रहना (अब संस्कृति का मतलब लोगो के लिए अलग अलग हो सकता हे ) रास्ट्र के विभिन सेवा कार्यो से को करना ,धरम रक्षा में सदा आगे रहना (ये धरम रक्षा ही तो पिछवाड़े में पटना कि मिर्ची लगता हे जिसमे कैलिव आयल ज्यादा होता हे ),अब कान्हा ये गिलानी जेसे मियादी शवान (नसबंदी कर देनी चाहिए इन सवानो कि)…और कान्हा वो हिन्दुत्व का शेर बाला साहब ठाकरे ….भेया बाकी बातें मेने उपर लिखी हे ….ठाकरे परिवार रास्ट्र वादी हे एक पागल राज को छोड वो भी चंद दिनों कि राजनीती चमका ल9 बाकी गदार वो भी नहीं ,,,कि अफजल गुरु को निर्दोष थाराए ..,बटाला हाउस म्मोत्भेद को फर्जी बताये ,,वन्देमातरम के खिलाफ बोले ,,धरा ३७० का विरोध करे..)

  48. man said,

    April 27, 2010 at 4:21 pm

    काफी लोग कहते हे कि हम पढ़े लिखे हे ,,कोन मूह लगे …अपना तो लहजा ये ही रहेगा ..सर के ब्लॉग पर फलतू कि बात नहीं ….वन्दे मातरम जय श्री राम

  49. April 27, 2010 at 7:20 pm

    @ सलीम, अव्वल बात तो सावरकर ने ऐसा कोई पाप नहीं किया था की अफगानिस्तान में तालिबान के रूप में पैदा होना पड़े?

  50. April 28, 2010 at 11:17 am

    TROLLSकई बार कुछ घटिया ब्लॉगर मुद्दे से भटकाने के लिए विषय से हटकर टिपण्णी करते हैं, और बाकी अर्धशिक्षित टिप्पणीकर्ता उनके इस जाल में फंस जाते हैं. सलीम खान ने एक ही टिपण्णी में बहस को इस कदर भटका दिया की ४९वी टिपण्णी भी उसी को संबोधित थी, और मैं भी पचासवी टिपण्णी में उसी की बात कर रहा हूँ. अरे भाई लोग, जानबूझकर गू की हांडी में क्यों डाइव मारते हो? कुछ मुस्लिम ब्लोगरों का तो काम ही है की जब जवाब देते न बने और तर्क न सूझे तो अप्रासंगिक और भड़काऊ टिपण्णी से विषय से ही भटका देना. ये रक्तबीज हैं, जितना जवाब और भाव दोगे ये उतने ही बढ़ेंगे. बाकी अपनी अपनी समझदारी.

  51. April 28, 2010 at 2:48 pm

    @ab inconvenientiआप ने बिलकुल सही कहा है ये लोग हमेशा विषय से हट कर सिद्धांत-विरुद्ध बात करते हैं इसीलिए इनको अत्यधिक महत्त्व नहीं दिया जाना चाहिये. इनको सब लोग अनसुना करोगे तो अधिक अच्छा होगा. सलीम ने सावरकर की बात छेड़ी और अनवर जमाल ने ठाकरे परिवार को घसीट लिया जबकि इन दोनों बातों का कोई यहाँ विषय से लेना-देना नहीं है. मैंने अपनी पहली टिप्पणी में भी सलीम को इसलिए उत्तर दिया क्योंकि यहाँ गिलानी की बात कम लोग सलीम को उत्तर देने में अधिक लगे हैं. सलीम और अनवर जमाल जैसे बेचारे लोग कुए के मेंढक हैं शायद इनकी किस्मत नहीं है समुद्री जल देखने की.@जीत भार्गव आपने भी बिलकुल सही कहा सावरकर ने ऐसा कोई बुरा कर्म नहीं कि उनको अफगानिस्तान में जन्म मिले. लेकिन सलीम की बात को रखते हुए ही मैंने उत्तर दिया था अन्यथा कोई लोजिक ही नहीं बनता.

  52. flare said,

    May 3, 2010 at 6:22 pm

    ये थोडा सा अलग टॉपिक | कसाब वाली आज की खबरों पे ……………दरअसल भारत सरकार दयालु है ………. उसको पता है भारत की जनसँख्या बहुत ज्यादा है | इसीलिए जब कोई आदमी कसाब जैसा उसका बोझ कम करता है उसको, इनाम देती है | अभी तो आतंकवादी होने के बावजूद उसको trial और जेल की सारी सुविधाए मिल रही है | अभी तो हाई कोर्ट में appeal करने का अधिकार देना बाकी है | जनता को गाँधी कायर बना ही चुके है इस लिए क्रांति की उम्मीद करना बेकार है क्योकि जब तक कोई "उनका, कोई परेशान नहीं होता " तो उनको क्या पड़ी है, कुछ करने की ?

  53. Piyush said,

    November 11, 2010 at 1:14 pm

    >aj sab log kasmir ke halto ke liye ek dusre ko jimmewar bata rahe hai…par kya we log ye janne ki kosis kar rahe hai ki kasmir kya hai? waha ki wastwik halat kya hai. ek taraf gilani jaise deshdrohi unhe bewkuf bana rahe hai to dusri taraf hindutw ke pujari b.j.p. or dusre dal unhe puri tarah najarandaj kar rahe hai. akhir kya hai ye kasmir? ye koi chair nahi hai jise bacha kar rakhna hai. kasmir ka astitw waha ki janta se hai. ise kisi dharm se jod kar nahi dekha jana chahiye. kyoki ham savi jante hai ki waha problem hai. or rajnitik partiyo ko isse koi matlab nahi hai. we sab bas apna matlab sidha karne me lage hue hai.jab tak ham waha ki janta ki problems ko unke nazar se mahsus nahi karenge tabtak halat sudhrne muskil hai..


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