राजा बाबू और नीरा राडिया की जुगलबन्दी, 2G स्पेक्ट्रम महाघोटाला और सीबीआई के कुछ गोपनीय दस्तावेज… (भाग-1)… 2G Spectrum Scam, A Raja, Neera Radia, CBI, DMK (Part 1)

देश की सर्वोच्च अपराध जाँच संस्था सीबीआई यदि कड़ी मेहनत करके, लगातार 6-8 माह तक किसी के फ़ोन टेप करके पुख्ता सबूत एकत्रित करती है, और जब आगे की पूछताछ के लिये वह प्रधानमंत्री से आदेश माँगती है तो उसे आदेश तो मिलता नहीं, उलटे जाँच करने वाले आईपीएस अधिकारी को उस केस से हटा दिया जाता है… यह किसी फ़िल्म की कहानी नहीं है, हकीकत है… और इस समूचे महाघोटाले में जहाँ एक तरफ़ भलेमानुष(?) प्रधानमंत्री की बेचारगी साफ़ दिखाई देती है, वहीं द पायोनियर और दक्षिण के इक्का-दुक्का अखबारों को छोड़कर इस पूरे घटनाक्रम में राष्ट्रीय मीडिया(?) की अनदेखी और चुप्पी बहुत रहस्यमयी है। यहाँ तक कि पायोनियर और द हिन्दू अखबारों ने सीबीआई अधिकारियों की आपसी “आधिकारिक” चिठ्ठी-पत्री को सार्वजनिक क्यों नहीं किया यह भी आश्चर्य की बात है। (कुछ दस्तावेज, जो अखबारों ने प्रकाशित नहीं किये अर्थात सीबीआई, CBDT जाँच अधिकारियों द्वारा जाँच की प्रगति और रिपोर्ट, पत्राचार आदि… सूत्रों के हवाले से मुझे मिले हैं, जिन्हें इस पोस्ट में आगे पेश किया जायेगा।)

जी हाँ, तो बात हो रही है, दूरसंचार क्षेत्र में 2G स्पेक्ट्रम आबंटन घोटाले, मंत्री ए राजा की भूमिका, उनकी महिला मित्र नीरा राडिया की संदेहास्पद हलचलें तथा सीबीआई की मजबूरी की। गत कुछ माह से द पायोनियर ने इस पूरे घोटाले की परत-दर-परत खोलकर रखी है तथा करुणानिधि, प्रधानमंत्री तथा ए राजा को लगातार परेशान रखा है। पिछले कुछ महीनों से दूरसंचार मंत्री ए राजा सतत खबरों में बने हुए हैं, हालांकि जितना बने होना चाहिये उतने तो फ़िर भी नहीं बने हैं, क्योंकि जिस प्रकार लालूप्रसाद के चारा घोटाले अथवा बंगारू लक्ष्मण रिश्वत वाले मामले में मीडिया ने आसमान सिर पर उठा लिया था, वैसा कुछ राजा के मामले में अब तक तो दिखाई नहीं दिया है। जबकि राजा के घोटाले को देखकर तो लालूप्रसाद यादव बेहद शर्मिन्दा हो जायेंगे, और उस दिन को लानत भेजेंगे जब उन्होंने दूरसंचार की जगह रेल्वे मंत्रालय चुना होगा। साथ ही शशि थरूर भी उस दिन को कोस रहे होंगे जब उन्होंने खामख्वाह ट्विटर पर ललित मोदी से पंगा लिया और उनकी छुट्टी हो गई।

फ़िर भी शशि थरूर और ए राजा के मामलों में एक बात कॉमन है, वह है एक “औरत” की सक्रिय (बल्कि अति-सक्रिय) भागीदारी। थरूर वाले केस में सुनन्दा पुष्कर थी तो राजा बाबू के साथ “मैं तो छाया बन तेरे संग-संग डोलूं…” की तर्ज पर लन्दन निवासी नीरा राडिया हैं। ठीक लालूप्रसाद वाली शर्मीली मानसिक स्थिति में सुनन्दा पुष्कर भी आ सकती हैं, यदि उन्हें पता चले कि नीरा राडिया ने राजा बाबू के साथ मिलकर जितना माल कमाया है, उतना वह सात पुश्तों में भी नहीं कमा सकतीं और फ़िर भी न तो नीरा राडिया को अब तक कुछ हुआ, न ही राजा बाबू का बाल भी बाँका हुआ, जबकि सुनन्दा के स्वेट शेयर भी गये और थरूर भी मंत्रिमण्डल से बाहर हो गये।

जिन्हें इस महाघोटाले की जानकारी नही है, उन पाठकों के लिये पूरा मामला एक बार फ़िर संक्षेप में बताता हूं –

जैसा कि सभी जानते हैं, टेलीफ़ोन-मोबाइल ऑपरेटरों को क्षेत्र विशेष में अपने मोबाइल चलाने के लिये लाइसेंस लेना पड़ता है और उन्हें एक निश्चित फ़्रीक्वेंसी अलॉट की जाती है, ताकि वे उस पर मोबाइल सेवा प्रदान कर सकें। मोबाइल की पहली जनरेशन जल्दी ही पुरानी हो गई और 2G तकनीक का ज़माना आया, तब बड़े-बड़े मोबाइल ऑपरेटरों ने अपनी-अपनी पसन्द के इलाके में 2G का स्पेक्ट्रम (फ़्रीक्वेंसी रेंज) हासिल करने के लिये जोर लगाना शुरु किया, ताकि उन्हें अधिक मालदार इलाके मिलें (उदाहरण के तौर पर हर मोबाइल कम्पनी चाहेगी कि वह मुम्बई, गुजरात, दिल्ली, पंजाब जैसे राज्यों में अच्छी फ़्रीक्वेंसी और अधिक इलाका कवर कर ले, जबकि झारखण्ड, बिहार, उत्तर-पूर्व के राज्य, उड़ीसा आदि गरीब राज्यों में कोई कम्पनी नहीं जाना चाहेगी, क्योंकि वहाँ से उसे कम राजस्व मिलेगा)। सौदेबाजी और जोड़तोड़ की इस स्टेज पर धमाकेदार एण्ट्री होती है टेलीकॉम मंत्री राजा बाबू की महिला मित्र, “नीरा राडिया” की।

अब सवाल उठता है कि नीरा राडिया कौन हैं? नीरा राडिया चार-पाँच मैनेजमेण्ट कंसलटेंट (प्रबन्धन सलाहकार) कम्पनियों की मालिक हैं, जो “कंसल्टेंट” (यानी सलाह), “लॉबीइंग” (यानी पक्ष में आवाज़ उठाना), “पीआर” (जनसंपर्क) और “ब्रोकर” (खड़ी भाषा में “दलाली”) जैसे सभी काम करती हैं। इसी सत्ता और पैसे की दलाल नीरा राडिया की जुगलबन्दी, हमारे राजा बाबू से विगत चार साल से भी अधिक समय से चली आ रही है। जब विभिन्न कम्पनियों को स्पेक्ट्रम देने की नौबत आई, तब भारती और टाटा समेत सभी कम्पनियों ने जोर-आजमाइश शुरु की। ज़ाहिर सी बात है कि इस जोर-आजमाइश में जो भी मंत्री जी के सबसे अधिक नज़दीक होगा, जिसकी बात मंत्री जी “दिन-रात” सबसे अधिक सुनते हों, उसी के जरिये कोशिश की जायेगी, इसलिये नीरा राडिया एकदम उपयुक्त और फ़िट व्यक्ति थी। नीरा राडिया ने भी पहले से ही कुछ फ़र्जी कम्पनियाँ खड़ी कर रखी थीं, इसलिये उसने भी मित्तल, टाटा आदि को आसानी से हाथ धरने नहीं दिया और बाले-बाले ही स्पेक्ट्रम की अच्छी और मोटी मलाई अलग से छाँटकर “अपने लोगों” के लिये रख ली।
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विशेष नोट :- कई महत्वपूर्ण और गोपनीय दस्तावेजों का अनुवाद मैं आपको अगले भागों में मुहैया करवाता रहूंगा, क्योंकि जो कुछ अखबारों में प्रकाशित हुआ है वह आधा-अधूरा है और अखबारों की अपनी “आर्थिक मजबूरियों” और राजनीति की वजह से अप्रकाशित हैं, लेकिन खबरें हैं बड़ी सनसनीखेज़, मजेदार और सच्ची, क्योंकि यह CBI के हैं। इस घोटाले की जाँच कर रहे IPS अधिकारी विनीत अग्रवाल का भी तबादला कर दिया गया है। जिन चुनिंदा रिपोर्टों का अनुवाद अगले भागों में दिया जायेगा, वे सीबीआई, CBDT विभागों के अन्दरूनी विभागीय पत्राचार हैं, लेकिन इससे यह भी पता चलता है कि हमारी सीबीआई और जाँच एजेंसियां चुस्त-दुरुस्त हैं, काम करने की इच्छुक और सक्षम भी हैं, यदि उन्हें राजनैतिक शिकंजे और दबाव से मुक्त कर दिया जाये तो वे भ्रष्ट नेताओं-अधिकारियों-उद्योगपतियों के “बदकार त्रिकोण” को छिन्न-भिन्न कर देंगी। ऐसा भी नहीं है कि मैं कोई धमाका या भण्डाफ़ोड़ कर रहा हूं क्योंकि जिन पत्रों का मैंने उल्लेख किया है, जब वे मेरे जैसे छोटे-मोटे ब्लॉगर के पास पहुँच सकते हैं तो निश्चित ही देश के प्रमुख अखबारों के पास भी होंगे ही, अन्तर सिर्फ़ इतना है कि उन्होंने फ़ोन टेपिंग की बातचीत और सफ़ेदपोशों के सौदे तथा नाम प्रकाशित नहीं किये…

(भाग-2 में हम तारीखवार सिलसिले से देखेंगे कि राजा बाबू और नीरा राडिया ने इस महाघोटाले को किस तरह अंजाम दिया…तथा कौन-कौन से बड़े चौंकाने वाले नाम इसमें शामिल हैं… )

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38 Comments

  1. May 10, 2010 at 6:58 am

    मेरा एक दोस्त एमटीएनएल, दिल्ली में कार्यरत है, तीन-चार महीने पहिले ही राजा बाबू के इस तरह के कई (कु)कृत्यों के बारे में बता रहा था. राजा जी का हर कार्य की अनुमति के लिए कमीशन बंधा हुआ है. ये भाई साहब उंचे दर्जे के खिलाड़ी है…..

  2. Amit said,

    May 10, 2010 at 7:02 am

    राजा बाबू ने न जाने हमारे "ईमानदार" प्रधानमंत्री को कैसे मोहित कर लिया है? मनमोहन को न चाहते हुये भी ए राजा को अपने मत्रिमंडल में लेना पड़ा

  3. May 10, 2010 at 7:11 am

    जनता सरकार चुनती है. सरकार में कौन क्या बनेगा/करेगा यह कोई और चुनता है. प्र.म. सीधे सीधे जनता द्वारा चुना हुआ नहीं है. वहीं संचार मंत्री कौन होगा यह भी कोई और ही तय कर गया. जनता केवल देखे तमाशा.

  4. May 10, 2010 at 7:24 am

    मैं तो बीसियों बार कह चुका कि ऐसा दिखावे का भला आदमी किस काम का जो दूसरे का ठप्पा बनकर इस देश की ऐसी-तैसी करवा रहा है !

  5. May 10, 2010 at 7:27 am

    The only stupid Indian electorate is left with whom they can play this game easily and get away with its consequences.This caste and religion fragmented public keep electing them.If they keep sending this garbage in to parliament again and again,they lose the right to complain about the resulting stink.

  6. Amit said,

    May 10, 2010 at 7:49 am

    गोदियाल जी से सहमतिऐसा दिखावे का भला आदमी किस काम का जो दूसरे का ठप्पा बनकर इस देश की ऐसी-तैसी करवा रहा है !

  7. Shiv said,

    May 10, 2010 at 8:30 am

    मैं तो भैया इस ईमानदार प्रधानमंत्री से बहुत पीड़ित हूँ. इतना भी ईमानदार क्यों होना कि बेईमानी के सारे लिमिट तोड़ दो. फिर चाहे लालू और मुलायम को राहत पॅकेज देकर सपोर्ट लेना हो, मायावती को नया राहत पॅकेज देना हो, शिबू सोरेन का वोट लेना हो, या फिर 'पक-चिक पक राजा बाबू' के खिलाफ कुछ नहीं करना हो. हे भगवान हमें जल्दी से इस ईमानदार प्रधानमंत्री से छुटकारा दिला कर सिर्फ एक प्रधानमंत्री दो.जहाँ तक राष्ट्रीय मीडिया, चाहे प्रिंट या फिर इलेक्ट्रोनिक की बात है, एम जे अकबर ने इसे Conspiracy of Silence कहा है.

  8. man said,

    May 10, 2010 at 8:45 am

    सर एकबी बार आपने पेज ३ की गंदगी की बाती के पलीता लगाया हे धामाका होना बाकी हे |ये पेज ३ की गन्दी दुनिया में ऐसे ही गठ जोड़ चलते रहते हे और इस के हिस्सेदार मिडिया फिर को फिर आपने सबके सामने नंगा किया हे |सर आपको धन्य वाद |

  9. May 10, 2010 at 8:52 am

    समझ नहीं आया मुझे फिर भी दिल रखने के लिए कहे देता हूँ… उम्दा पोस्ट मगर अतार्किक पूर्वाग्रहीमुझे एक सवाल का जवाब अभी तक किसी ने भी नहीं दिया:::अगर सावरकर जी का पुनर्जन्म अफ़गानिस्तान में तालिबान समर्थक में हुआ तो इस बात की गारंटी कौन लेगा कि भारत के ख़िलाफ़ किसी भी आतंकी घटना में वे लिप्त नहीं होंगे??? और अगर ऐसा हुआ तो उस राष्ट्रवाद का क्या होगा जिसे वीर सावरकर अपने कथित खून पसीने से सींचा था !!!???

  10. May 10, 2010 at 9:10 am

    फिर से यह क्या है?-टमाटर. 🙂 सलीम को लिखना चाहिए कि यह पोस्ट किस तर्क के आधार पर अतार्किक लगी?

  11. Birendra said,

    May 10, 2010 at 9:17 am

    सलीम खान, बहुत दिनों से एक सवाल रटे जा रहे हो. बेहूदा सवाल का क्या जवाब होना चाहिए? क्या सुनना चाहते हो तुम? सुनो. बीर सावरकर ऐसे इंसान थे कि उनका पुन:जन्म अपनी मातृभूमि की सेवा और रक्षा के लिए ही होगा. ऐसे राष्ट्रभक्त का जन्म किसी और देश में हो ही नहीं सकता. उन्हें पता था कि उनके देश को अंग्रेजों से छुटकारा मिलने के बाद भी न जाने कितने मीरजाफरों से खतरा बना रहेगा. यही कारण है कि उनकी आत्मा किसी और देश में जन्म लेना ही नहीं चाहती होगी. अब यह मत पूछना कि देशभक्ति किसे कहते हैं. इसलिए कह रहा हूँ कि तुम जैसों टुच्चों को देशभक्ति का मतलब समझ में नहीं आएगा. कुरआन से आगे कुछ दिखाई दे तब तो समझ में आएगा.

  12. May 10, 2010 at 9:43 am

    यदि मेरी यह टिप्पणी लखनऊ के किसी भी ब्लॉगर के द्वारा पढ़ी जा रही हो तो मेरा उन सबसे निवेदन है कि कोई इस मुर्दा दिमाग सलीम को जल्दी से जल्दी आगरे के पागलखाने में पहुंचाए। उसे शीघ्रातिशीघ्र पागलखाने पहुंचाने वाले बन्धु/भगिनी को मेरी तरफ से आने-जाने का TA+DA दिया जाएगा (TA निकटतम रास्ते का दिया जाएगा).

  13. May 10, 2010 at 10:40 am

    बहुत ही उम्दा व लाजवाब लगी आपकी पोस्ट ।

  14. May 10, 2010 at 1:07 pm

    सोलिड पोस्ट…!ब्लॉग मीडिया जिंदाबाद !प्रधानमंत्री मुर्दाबाद !!

  15. man said,

    May 10, 2010 at 1:54 pm

    सलीम तूझे लखनऊ के नवाबो का शोक तो नहीं लग गया हे ????????????

  16. May 10, 2010 at 2:58 pm

    बेहतरीन लेख…

  17. May 10, 2010 at 3:07 pm

    सुरेश भाई,जानदार। जानदार। जानदार और जानदार। एक पत्रकार ही समझ सकता है कि जानदार खबर क्या होती है। ऊपर एक पागल क्या आय-बाय बक रहा है। संभालो भाई.. नहीं तो रांची भेजो।आपके ब्लाग पर आते रहूंगा इसका वादा है।

  18. zeal said,

    May 10, 2010 at 3:28 pm

    Nice post !Eye opener !

  19. May 10, 2010 at 3:34 pm

    अपने सज्जन और परम ईमानदार प्रधानमंत्री हारवर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़े हुए हैं उनके लिये सब कार्य जायज हैं. बेचारे कुछ भी नहीं जानते बहुत ही सीधे हैं. इस समाचार को लेकर भाजपा क्या प्रतिक्रिया दे रही है ? कोई खोज-खबर ?आगे के भाग की प्रतीक्षा है. सलीम की दिमागी-हालत देखकर कोई भी कह सकता है ये आदमी मानसिक रोगग्रस्त इस्लामिक कानखजूरा है जिसका कोई इलाज नहीं है इसीलिए इस जैसे बीमार आदमी को कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दो तो ही अच्छा है क्योंकि एक तो ऐसे लोग पहले से ही बेहूदा प्रश्न करते है और दूसरा इनको यदि उत्तर भी दो तो भी उनकी सुईं वहीँ अटकी रहती है जैसाकि संजय बेंगाणी जी ने कहा ही है.

  20. zeal said,

    May 10, 2010 at 3:34 pm

    @ Shiv-मैं तो भैया इस ईमानदार प्रधानमंत्री से बहुत पीड़ित हूँ…This 24k gold is indeed useless."Conspiracy of Silence"….Well said !@ Salim ji-Grow up baby !

  21. May 10, 2010 at 3:58 pm

    क्या हमारे देश में जनता कुछ करने की स्थिति में है? जनता को दोष दिया जाना गलत है… जब मेढ़ ही खेत खाने लगे तो क्या किया जाये…

  22. May 10, 2010 at 3:59 pm

    सलीम खान साहब का क्या कहना.. इन्हें अमेरिका में होना चाहिये, कहां बेचारे भारत में पड़े हैं जहां इनका, इनके जैसे और लोगों का शोषण हो रहा है…

  23. May 10, 2010 at 4:09 pm

    मैं तो सभी ब्लोगरों से करबद्ध प्रार्थना कर रहा हूँ की इस राडिया और इसके पीछे जितने भी भडुए हैं ,वे चाहे कितना भी ताकतवर क्यों हो उन सब का पोल खोलने के लिए देश भर के ब्लोगर एकजुट हों जाएँ / शर्मनाक है ये राडिया की करतूत ,प्रधानमंत्री को नैतिकता के आधार पर तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए /

  24. May 10, 2010 at 4:29 pm

    अति उतम प्रसतुति

  25. May 10, 2010 at 5:18 pm

    …@ सलीम खान,"मुझे एक सवाल का जवाब अभी तक किसी ने भी नहीं दिया:::"अगर सावरकर जी का पुनर्जन्म अफ़गानिस्तान में तालिबान समर्थक में हुआ तो इस बात की गारंटी कौन लेगा कि भारत के ख़िलाफ़ किसी भी आतंकी घटना में वे लिप्त नहीं होंगे??? और अगर ऐसा हुआ तो उस राष्ट्रवाद का क्या होगा जिसे वीर सावरकर अपने कथित खून पसीने से सींचा था !!!???न चाहते हुए भी अब आपका जवाब मैं देता हूँ …सबसे पहले तो बता दूँ कि बार बार आपका यह पूछने का असल मकसद है, अपने मजहब को श्रेष्ठ दिखाना… आप जानते हैं सनातन धर्म पुनर्जन्म में यकीन रखता है जबकि इस्लाम यह मानता है कि मरने के बाद कोई भी आदमी कयामत और फैसले के दिन तक कब्र में पड़ा इंतजार करता रहेगा ।… आप इस सवाल के द्वारा पुनर्जन्म की अवधारणा को हेय दिखाना चाह रहे हैं ।तो मेरे भाई, सनातन धर्म यह मानता है कि आप जहाँ पैदा हुऐ… जिस जमीन की रोटी खाते हो… जहाँ से आपका दाना पानी चलता हो…वही जमीन आपका वतन है… आपकी वफा भी उसी के लिये है… यदि विनायक दामोदर सावरकर अपने पुनर्जन्म में अफगानिस्तान में पैदा होते हैं…और यह अफगानिस्तान के हित में है कि भारत के खिलाफ युद्ध किया जाये… तो सनातन धर्म का स्पष्ट आदेश है कि हर अफगान को उस युद्ध में तन-मन-धन का बलिदान करने को तत्पर रहना चाहिये… अब क्योंकि सावरकर इस जन्म में अफगान हैं… तो देशहित में जो करना चाहिये वह करेंगे…करना चाहिये भी… इसमें कोई विरोधाभास नहीं है ।यहाँ पर मैं यह भी उल्लेख करना चाहूँगा कि कुछ कट्टरपंथी जो यह फैलाते हैं कि एक इंसान की वफा केवल उसके ईश्वर व उसके धर्म के प्रति होनी चाहिये…उनकी वजह से ही आज सारी दुनिया में समस्या है…अब खुद ही सोचो टाइम्स स्कवायर को बम से उड़ाने की कोशिश करने वाले को अमेरिका से क्या नहीं मिला…शिक्षा, रोजगार, परिवार सब कुछ… फिर भी कट्टरपंथिता के चलते वह अपने ही देश के विरूद्ध कर्म करने लगा…आखिर क्यों…क्या जन्नत मिलेगी उसे?@ आदरणीय सुरेश जी,इस दिनदहाड़े हुई लूट के खिलाफ आवाज उठाने के लिये साधुवाद…अगली किस्त का इंतजार रहेगा…विस्तार से टिप्पणी भी अगली पोस्ट में ही दूंगा…आज मित्र सलीम ने दुखी कर दिया है मन को, अपनी नासमझी से।आभार!

  26. sunil patel said,

    May 10, 2010 at 6:20 pm

    स्पेक्ट्रम घोटाला एक बहुत बड़ा घोटाला है। वाकई इस देश की मीडिया के लिए शर्म की बात है कि जो इस बारे में मौन बनी हुई है या मुंह बंद कर लिया है। आम आदमी को तो किरकेट एवं धारावाहिको सं फुरसत ही कहां है। सुरेश जी लिखते रहिए हम आपके साथ हैं।

  27. May 10, 2010 at 8:41 pm

    मैडम जी की चिड़िया (राजा जी) मैडम जी का खेत (भारत देश) … जितना चाहो चुग लो खेत !!! रातों रात पैसा कमाने का सबसे सुन्दर फ़ॉर्मूला है … एक छोटी-मोती सी पार्टी बनाकर जैसे तैसे एक आध सीट जीत लो …. और केंद्र में कांग्रेस/मैडम जी को समर्थन दे दो … बस जी भर के मलाई मिलेगी …. इसपर किसी को एतराज हो तो बताये …

  28. May 11, 2010 at 1:23 am

    मिडिया तो सरकार का भडवा है वह क्यों इस इस मुद्दे को उठाएगा ?इस तरह की जानकारी सामने लाने के लिए साधुवाद

  29. aarya said,

    May 11, 2010 at 4:19 am

    सादर वन्दे!आपने वाकई हिंदी ब्लोगिंग को आम समाज का हथियार बना रखा है , और सही मायने में यही पत्रकारिता है. और रही बात पागल हो चुके कुछ कुत्ते टाइप लोगों की तो ये सभी को मालूम है के पागल कुत्ते की उम्र ज्यादा नहीं होती. हाँ जबतक जियेगा गन्दगी फैलता रहेगा, हमें उसको उसकी नियति पर ही छोड़ देना चाहिए. रत्नेश त्रिपाठी

  30. SANJEEV RANA said,

    May 11, 2010 at 5:17 am

    सुरेश जी आपने सही कहा अपना प्रधानमंत्री चाहे अच्छा हैं लेकिन किसी और के इशारे पे अगर काम करता रहेगा तो उसको कौन पूछने वाला हैं मीडिया तो काफी हद तक अब उन बातो को ही सही ठहराती हैं जिनमे सरकार का हाथ हो .चाहे गलत हो या ठीक

  31. May 11, 2010 at 7:11 am

    @rAnA ji – सरकार नहीं यूपीए सरकार, गैर भाजपाई सरकार..

  32. May 11, 2010 at 9:38 am

    आहत बिप्र करे का बयाना।।का करत हो आप लोग. कभी चीनी घोटाला तो कभी चावल घोटाला, कभी चीनी घोटाला तो कभी आईपीएल घोटाला, पेट नहीं भरता हो आपका जो अब ले आए हो ये टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला.बतबा दो चार दिन पहले का है- इस पतेhttp://www.thestatesman.net/index.php?option=com_content&view=article&id=326987&catid=38पर पढ़ रहे थे पुणे वाले हसन अली चच्चा की कहानी, बता रहा था कि वित्तमंत्री बाबू मोशाय और अहमद पटेल(राष्ट्रमाता के राजनीतिक सलाहकार) भी इस घोटाले में शामिल हैं.अरे भाई राष्ट्र माता ने इस देश के लिए कितना त्याग किया है. तुम्हें नहीं पता. कितना अहसानफरामोश हो तुम लोग.बैकुंठीबाबा जैसा ईमानदार प्रधानमंत्री दिए हैं फिर शिकायत करते हो.मीडिया की शिकायत करते हो.अरे पैसा के आगे किसका मुंह बंद नहीं हो जाता. क्या तुम लोगों का मुंह नहीं बंद होगा अगर एक करोड़ रुपया तुम्हारे घर पहुंच जाए तोफिर तो सोचो मीडिया, सरकार और उद्योगपति सभी इस घोटाला उद्योग में साझीदार हैं, कैसे लाएंगे सही खबर लोगों के सामनेतुम भी ज्यादा बक बक नहीं करो नहीं तो राष्ट्रमाता के भक्तजन गूगलवालों से शिकायत कर देंगे. क्या आपनी ऑफिस को बंद होने से बचाने के लिए कोई प्रबंध किए हो.जय हो राष्ट्रमातातुम्हारी जय जयकारलूटो लूटो राष्ट्र कोबने रहे बुद्ध अवतार.

  33. May 11, 2010 at 11:54 am

    आपके परिश्रम तथा हिम्मंत के सम्मुख मैं नतमस्तक हूँ….जिस सत्य तथ्य को उजागर कर पाने की हिम्मत कोई नहीं कर पा रहा,आपने पत्रकार धर्म की सात्विक और सर्वोच्च निष्ठा का परिचय दिया है…आपका साधुवाद..

  34. May 11, 2010 at 12:40 pm

    एक बात जान लो हिंदुस्तान दो है. एक कानून मानाने वालो के लिए दूसरा कानून बनाने वाले के लिए.एक बेबसों के लिए दुरे बेपरवाहो के लिए. एक है गरीब के लिए जिसको १०० रुपए चोरी के लिए ३ महीने के लिए अन्दर जाना पड़ता है दूसरा हिंदुस्तान १०० करोड़ चोरी वाले के लिए पकडे जाने पर कुछ भी नहीं बिगाड़ा. अब मेहेत्व्पूर्ण यह है की आप किस हिन्दुस्तान की बात कर रहे हो. इस हिंदुस्तान का उस हिन्दुस्तान से कोई ताल्लुकात ही नहीं है.आप और में ब्लॉग के पन्ने काले और अपनी उर्जा नष्ट कर रहे है. और आश्चर्य यह है की हिन्दुस्तान के गरीब को जब भी दुसरे हिन्दुस्तान में जाने का मौका मिलता है उसे गवांता नहीं और वह जा कर वो भी वोही करने लगता है जो अमीर हिंदुस्तान कर रह है. और अपनी मुच्छो पर एन्टआ देकर अपनी पीठ थपथपाता है की शाबाश क्या तरक्की की है.parshuram27.blogspot.com/

  35. May 11, 2010 at 12:46 pm

    baat to bahut achchhi likhi haneeche ek link de raha hu use bhi dekhiyegahttp://prasunbajpai.itzmyblog.com/2010/05/blog-post.html

  36. ePandit said,

    May 21, 2010 at 12:10 pm

    सुरेश भाई आप ब्लॉगिंग विधा का देशहित में बहुत ही सार्थक उपयोग कर रहे हैं। इस प्रकार के पोल खोलने वाले लेख जारी रखें।

  37. October 11, 2010 at 5:56 pm

    >SURESH JIaap ka lekh kya vo besharm neta log padhte hoge jinke bareme aap likhate ho??????????? bhagwan unhe padhne aur sudhar ne ki shakti de……..

  38. DR AMit said,

    December 12, 2010 at 2:49 pm

    >बहुत अच्छा और मन लगाकर लिखें.


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