>बहुत कोशिश की खुद को इस मुद्दे पर लिखने से रोकने की लेकिन उंगलियाँ की-बोर्ड पर चल निकली है तो बस चार पंक्तियाँ लिख रहा हूँ . मुझे ठीक से याद नहीं है लेकिन होली के अवसर पर आलोक मेहता ने नई दुनिया में लिखते हुए कहा था कि ब्लॉग पर लिखने वाला नाली साफ करने वाली स्टाइल में बदबूदार सामग्री दुनिया-जहां में फैला दे, कोई बाल बांका नहीं कर सकता. इस पर भी ब्लॉगजगत के तमाम सूरमाओं ने पलटवार किये थे . लेकिन पिछले तीन -चार दिन से जो कुछ चल रहा है उसे देख कर खुद मेहता की बात सही लगने लगी है . समीरलाल-ज्ञानदत्त पाण्डेय-अनूप शुक्ल मामले में जमकर कीचड़ उछाली प्रतियोगिता हो रही है . ये सुरमा अकेले नहीं है . सबकी अपनी अपनी फ़ौज है . इनके सिपाही पोस्ट पर पोस्ट ठेले जा रहे हैं और ब्लोगवाणी पर सर्वाधिक वाला कॉलम इन्हीं की बेकार बातों से भरा पड़ा है . शर्म आनी चाहिए उन सभी को जो चमचागिरी में लगे हुए हैं किसी के पक्ष तो किसी के विपक्ष में लिख रहे हैं . किसी ने लिख दिया तो क्या कोई घटिया ब्लोगर हो गया या कोई बढ़िया ब्लोगर हो गया ? अपने मुंह मिया मिट्ठू बनने में तो इन लोगों का जबाव नहीं ! खैर , ब्लॉगजगत के इन धुरंधरों के कारण आलोक मेहता की बात सच निकली !
>ब्लॉगजगत के इन धुरंधरों के कारण आलोक मेहता की बात सच निकली !
May 15, 2010 at 4:15 am (Uncategorized)
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