मैं स्वीकार करता हूं, कि “कमेण्ट मॉडरेशन” मामले में मेरी हार हुई है…

ब्लॉगिंग की शुरुआत से अब तक, यानी लगभग तीन साल तक, विभिन्न लेखों और टिप्पणियों पर कई भद्रजनों और अभद्रजनों सभी से, बहस-मुबाहिसा, विवाद-कटु विवाद इत्यादि होते रहे हैं। मैं शुरु से ही “कमेण्ट मॉडरेशन” की व्यवस्था के खिलाफ़ था, और इस बारे में मैंने एक लेख भी लिखा (http://blog.sureshchiplunkar.com/2008/11/comment-moderation-and-word.html) तथा अन्य कुछ जगहों पर इसके समर्थन में टिप्पणी भी की। लेकिन विगत कुछ महीनों के दौरान मैंने पाया कि टिप्पणीकर्ताओं की भाषा असंयमित, अभद्र और गालीगलौज वाली होती जा रही है। इसी भाषा को लेकर ब्लॉगवाणी ने पहले एक बार “भड़ास” को बैन किया था।

मेरी पिछली पोस्ट “धर्म बड़ा या राष्ट्र” (http://blog.sureshchiplunkar.com/2010/05/nidal-malik-hasan-faizal-shahjad.html) पर किसी फ़र्जी व्यक्ति ने पहले अनवर जमाल के नाम से एक नकली आईडी, नकली प्रोफ़ाइल बनाकर बहुत ही अश्लील टिप्पणी की (अनवर जमाल, सलीम, कैरानवी इत्यादि के साथ मेरे मतभेद हमेशा रहे हैं और रहेंगे, हम लोग कई कटु धार्मिक बहसों में उलझ भी चुके हैं, लेकिन मुझे विश्वास था कि अनवर जमाल इस तरह की अश्लील टिप्पणी नहीं कर सकते)। फ़िर कुछ देर बाद यही हरकत उसने मेरे नाम, प्रोफ़ाइल, लिंक आदि के साथ की, तब मेरा माथा ठनका, उक्त टिप्पणी को देखकर कोई साधारण व्यक्ति यही समझेगा कि यह टिप्पणी सम्बन्धित व्यक्ति ने (यानी मैंने या जमाल ने) ही की है, क्योंकि फ़ोटो, ब्लॉगर का लाल वाला निशान, प्रोफ़ाइल क्रमांक, ब्लॉग का नाम, लिंक आदि सब कुछ मेरे जैसा है, लेकिन भाषा और वर्तनी में वह मात खा गया… फ़र्जी टिप्पणी में ध्यान से देखने पर फ़ोटो थोड़ा सा धुंधला दिखाई देता है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि फ़ोटो पर राइट क्लिक करने से जो प्रोफ़ाइल पेज खुलता है उसमें उस “शरारती तत्व” के ब्लॉगर प्रोफ़ाइल में On Blogger Since – May 2010 लिखा हुआ आता है, जबकि मेरे “असली फ़ोटो” के प्रोफ़ाइल को देखने पर On Blogger since January 2007 दिखता है, अर्थात हाल ही में किसी ने, मुझे और जमाल को लड़ाने-भिड़ाने तथा हिन्दी ब्लॉग जगत में भ्रम और वैमनस्यता फ़ैलाने के लिये यह घटिया हरकत की है।

(मजे की बात यह कि उस फ़र्जी ब्लॉगर ने मेरी तरफ़ से माफ़ी भी माँग ली, और खुद ही कमेण्ट मॉडरेशन लागू करने का आश्वासन भी दे डाला, उसने मेरे नाम से कोई गलत बात कहीं नहीं लिखी, सारी घटिया टिप्पणियाँ जमाल के नाम से की हैं, तो लगता है कि शायद वह मेरा प्रशंसक अथवा जमाल से खुन्नस खाया हुआ कोई व्यक्ति है, परन्तु फ़िर भी कहना चाहूंगा कि यदि वह फ़र्जी ब्लॉगर मेरा “शुभचिन्तक”(?) है तो मैं उससे कहूंगा कि वाकई में उसने मुझे दुख पहुँचाया है, और खामख्वाह मॉडरेशन के लिये मजबूर किया है)

कई मित्र और पाठक काफ़ी दिनों से सलाह दे रहे थे कि “कमेण्ट मॉडरेशन” लगा लीजिये, लेकिन मैंने कभी ध्यान नहीं दिया, क्योंकि इस तरह की अश्लील टिप्पणी कभी किसी ने नहीं की थी। हाँ… धार्मिक विवाद और असहिष्णु लोगों से बहस आदि चलती रहती है, लेकिन कैरानवी के ऊटपटांग चैलेंज और सलीम (इत्यादि) के हास्यास्पद कमेण्ट्स के बावजूद मैंने कभी मॉडरेशन नहीं लगाया, और उनकी लगभग 99% टिप्पणियाँ प्रकाशित भी कीं, क्योंकि उन्होंने कभी अश्लील शब्दों का प्रयोग नहीं किया। “बेनामी” की सुविधा तो शुरु से ही नहीं थी और किसी फ़र्जी द्वारा अश्लील कमेण्ट आने पर मैं उसे तुरन्त डिलीट कर भी दिया करता था। इस बार अश्लील टिप्पणियाँ आने पर संजय बेंगाणी भाई ने पुनः कमेण्ट मॉडरेशन की ओर ध्यान आकर्षित करवाया, और उनके आग्रह को मानते हुए तमाम भद्र पाठकों (विशेषकर महिलाओं) की मानसिक प्रताड़ना न होने पाये, इसलिये उस फ़र्जी व्यक्ति द्वारा किये गये अश्लील कमेण्ट्स से अपनी हार मानते हुए, अन्ततः कमेण्ट मॉडरेशन लागू कर रहा हूं, आशा है कि पाठक बुरा नहीं मानेंगे।

मॉडरेशन को लेकर मेरा विरोध मुख्यतः इस बात से था कि कुछ ब्लॉगर इस हथियार का उपयोग आलोचनात्मक टिप्पणी को  रोकने के लिये करते हैं, साथ ही कई बार, मॉडरेट होकर आते-आते टिप्पणी पुरानी हो जाती है और उस पर होने वाली प्रतिक्रियाएं-बहस आदि की सम्भावना भी मुरझा जाती है। पाठक इस बात से निश्चित रहें कि मेरे ब्लॉग पर हमेशा की तरह आलोचनात्मक टिप्पणियों का स्वागत ही होगा, चाहे वह खुर्शीद अहमद या वीरेन्द्र जैन साहब की ही क्यों न हो… बशर्ते गालीगलौज या अश्लीलता न हो बस…और मेरी पूरी कोशिश यही होगी कि जल्दी से जल्दी टिप्पणी को ब्लॉग पर दिखाऊं… तात्पर्य यह कि मुझे इस मॉडरेशन रूपी हथियार का उपयोग, दूसरों को होने वाली मानसिक परेशानी से बचाने के लिये मजबूरी में करना पड़ रहा है…।

(कमेण्ट मॉडरेशन में एक फ़ालतू सा लोचा यह होता है कि एक-एक कमेण्ट को मॉडरेट करते रहो, इस बीच कभी एकाध दिन के लिये कहीं व्यस्त हो गये और नेट पर मेल-चेक नहीं किया तो सामने वाले की टिप्पणी 2 दिन बाद अपनी पोस्ट पर दिखे, तब तक उस टिप्पणी का मजा और सन्दर्भ ही खत्म हो जाये, कुल मिलाकर बकवास और बोझिल काम है, लेकिन अब करना पड़ेगा।)

अब चूंकि कमेण्ट मॉडरेशन लागू कर ही रहा हूं, अर्थात एक सुविधा को सीमित कर रहा हूं, तो बदले में कुछ देना मेरा फ़र्ज़ बनता है अतः अब “बेनामी” (Anonymous) कमेण्ट्स की सुविधा शुरु कर रहा हूं। पहले कुछ शासकीय सेवाधारी पाठकों ने कहा था कि उनकी नौकरी की मजबूरी को देखते हुए वे अपने असली नाम से टिप्पणी नहीं कर सकते (खासकर “हिन्दुत्व” के समर्थन में), इसलिये बेनामी सुविधा रखी जाये, लेकिन मैंने उसे शुरु नहीं किया था… अब चूंकि मॉडरेशन लागू रहेगा तो बेनामी टिप्पणी लेने में कोई हर्ज नहीं है (वैसे भी अश्लीलता, व्यक्तिगत प्रहार और गालीगलौज को छोड़कर सारी बेनामी टिप्पणियाँ भी दिखेंगी ही)। कई बार, कई ब्लॉग्स पर बेनामी भाई बड़ी मार्के की बात कह जाते हैं और बहस को उच्च स्तर पर भी ले जाते हैं (हिन्दी ब्लॉग जगत छोड़कर), इसलिये सोचा कि, उन मित्रों को, जो अपने नाम से कमेण्ट नहीं कर सकते, यह सुविधा दी जाये।

आपके कमेण्ट्स मेरी पोस्ट पर तुरन्त नहीं दिखेंगे, इसलिये फ़िर एक बार दिल से माफ़ी चाहता हूं… टिप्पणी में भाषा सम्बन्धी नैतिकता का पालन मैं स्वयं तो कर सकता हूं, लेकिन दूसरों को कैसे रोक सकता हूं… इसलिये हार मान लेना ही बेहतर विकल्प है।

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टीप : इन दिनों शादी-ब्याह, तेज गर्मी, तथा रिजल्ट का मौसम होने की वजह से व्यस्तता बढ़ी हुई है और ब्लॉग सम्बन्धी लेखन कार्य अनियमित हो गया है… जल्दी ही फ़ारिग होकर आऊँगा और चिर-परिचित लम्बी पोस्ट लिखूंगा… तब तक के लिये नमस्कार…

65 Comments

  1. Anonymous said,

    May 28, 2010 at 7:22 am

    सही कदम, और ये जीत हार क्या होता है भाई? तेरी हार में भी तेरी हार नहींकि तू आदमी है, अवतार नहीं

  2. Anonymous said,

    May 28, 2010 at 7:23 am

    वाह, बेनामी की सुविधा चालू करना सही रहा. अब आपके ब्लाग पर बिना किसी दिक्कत के कमेंट कर पायेंगे. कम से कम बात कहने का मौका तो मिलेगा.

  3. May 28, 2010 at 7:28 am

    यह हार-जीत की बात है ही नहीं. मोडरेशन भी एक सुविधा ही है. मेरे ब्लॉग पर वियाग्रा से लेकर अन्य लिंको वाली टिप्पणियाँ आती है. कभी कभी किसी व्यक्ति विशेष को गाली देती टिप्पणी आती है. जिन्हे हर हाल में प्रकाशित नहीं ही किया जा सकता. अतः मजबुरी कहें या गंदगी का फिल्टर कहें यह अनिवार्य है.

  4. SANJEEV RANA said,

    May 28, 2010 at 7:28 am

    ठीक कहा आपने सुरेश जी मेरे ब्लॉग पे भी एक ऐसी ही टिपण्णी आई थी और जब ओपन करता था तो शाहनवाज भाईजान के प्रोफाइल पे खुलता था .लेकिन मुझे भी अहसास हो गया था की ये शाहनवाज भाईजान नही हो सकते .कुछ हो नही सकता क्या ऐसे लोगो का ?

  5. kunwarji's said,

    May 28, 2010 at 7:54 am

    sahji hai….kunwar ji,

  6. Shiv said,

    May 28, 2010 at 7:55 am

    अनवर जमाल के नाम से टिप्पणी करने वाले दुर्जन ने और भी ब्लॉग पर टिप्पणी की है. बड़ी अश्लील टिप्पणी थी. संजय जी से सहमत हूँ कि बात किसी से हार-जीत की नहीं है. हाँ, जिस तरह से असहिष्णुता बढ़ती जा रही है और उसके कारण जिस तरह की भाषा का प्रयोग किया जा रहा है, कोई भी शिष्ट ब्लॉगर अपने ब्लॉग-पोस्ट पर ऐसी टिप्पणियां नहीं चाहेगा.आपने सही कदम उठाया.

  7. May 28, 2010 at 9:01 am

    चलिये ठीक ही है…

  8. May 28, 2010 at 9:04 am

    सुरेश जी आप की चिंता जायज है फिर भी हम आपके मोडरेशन लगाने का समर्थन नही करते । हमने तो अनवर साहब को भी मोडरेशन न लगाने की सलाह दी थी इसे लगाने के बाद आप अपनी आलोचनात्मक टिप्पणियो को तो चाह कर भी प्रकाशित नही कर पाएँगे

  9. May 28, 2010 at 9:15 am

    अयाज़ साहब आप बेफ़िक्र रहें, आलोचनात्मक, बहस वाली, कटु धार्मिक भाषा वाली सभी टिप्पणियाँ मैं प्रकाशित करूंगा… सिर्फ़ और सिर्फ़ गालीगलौज तथा अश्लील भाषा वाली नहीं… इसलिये आप चाहे जितनी आलोचना करें… आपकी टिप्पणी प्रकाशित होगी… पहले भी कैरानवी, सलीम आदि की आलोचनात्मक टिप्पणियाँ प्रकाशित कर चुका हूं…। मैं आलोचना अथवा बहस से नहीं घबराता, बल्कि मैं तो अश्लील भाषा और गालीगलौज से भी नहीं घबराता, उसी भाषा में जवाब देना भी जानता हूं… यह मॉडरेशन मेरे ब्लॉग पर आने वाली महिला पाठकों को अश्लील भाषा के मानसिक संत्रास से बचाने की एक कवायद भर है। यदि कोई पहलवान, मुझसे अश्लील भाषा और गालीगलौज में मुकाबला करना चाहता है तो मैं उसके लिये भी तैयार हूं लेकिन उसके लिये "भड़ास" जैसा कोई दूसरा ब्लॉग खोजना पड़ेगा…

  10. May 28, 2010 at 9:22 am

    हम तो बस इतना ही कहेंगे कि अच्छा किया आपने कमेंट मॉडरेशन लगाकर!

  11. May 28, 2010 at 9:43 am

    sahi kadam hai sir, warna likhne waale to kuchh bhee likh dete hain. waise ye benami bhi kam nahin hote bhai… naam chhipaakar gaaliyaan dene se baaz nahin aate.

  12. May 28, 2010 at 9:44 am

    ये हार जीत नहीं है कमेंट माडरेशन भी एक औजार भर है यदि मंशा सही है तो ये संवाद के रास्‍ते में बाधा उत्‍पन्‍न नहीं करता। ब्‍लॉगजगत के बढ़ते आकार के समय में य‍ि नेसेसरी इविल है।

  13. May 28, 2010 at 9:44 am

    चूँकि मंच सार्वजनिक है…. तो ऐसा करना जरुरी हो गया है.कई बार तो एनी भाषाओं के विज्ञापन के लिंक भी बहुतायत में आते हैं. सो मोडरेशन जरुरी हो गया है.

  14. berojgar said,

    May 28, 2010 at 9:45 am

    हम बोलेगा तो बोलोगे की बोलता है .

  15. May 28, 2010 at 10:06 am

    कभी कभी अनचाहा कार्य भी करना पड़ता है उसे हार नहीं कहते। इसे अस्थाई प्रबंध माना जाए। बी एस पाबला

  16. रचना said,

    May 28, 2010 at 10:20 am

    chaliyae daer sae hi sahii aap ne maanaa aur yae bahut badii baat haen ki aap ne pichchli behas kaa link bhi diyaa maere kament par kitni talkhiyaan thee khaer yae sab kuchh din kaa khel haen

  17. May 28, 2010 at 10:23 am

    देर आमद , दुरुस्त आमद !!

  18. May 28, 2010 at 10:42 am

    ये हार नहीं, इसे बोध प्राप्ति कहते हैं, मित्र. :)स्वागत है इस कदम का.

  19. RAJAN said,

    May 28, 2010 at 10:55 am

    apko nahi lagta ki thoda majha kirkira ho jayega? ab to comments RAJASTHAN PATRIKA ke PATHAK PEETH stambh ki tarah neeras nahi ho jayengc? aap thoda udaar rukh hi banaye rakhe to hame achaaha lagega. m

  20. man said,

    May 28, 2010 at 11:04 am

    सही हे सर

  21. man said,

    May 28, 2010 at 11:11 am

    कोई हार नहीं सर ,और ना किसी की जीत ….आप तो ऐसे ही हिन्दुत्व और रास्ट्र वाद की जोत जलाये रहिये …..हमारी शुभ कामना आप के साथ हे |वन्देमातरम जय श्री राम

  22. May 28, 2010 at 11:18 am

    ठीक किया भाऊ,कोई खास फ़र्क नही पडता और हार जीत का तो सवाल ही नही उठता,मेरे सहित बहुत से लोगोंने इस सुविधा का लाभ उठाया है.बस आप की सहनशीलता थोडा ज्यादा थी इसलिये आप थोडा देर से इस बारे मे सोच रहे हैं.

  23. Anonymous said,

    May 28, 2010 at 12:24 pm

    चिपलूनकर पागल हो गया है

  24. May 28, 2010 at 12:35 pm

    अनामी के बारे मे, घटिया लोग घटिया सोच

  25. ePandit said,

    May 28, 2010 at 1:25 pm

    मुझे मॉडरेशन की व्यवस्था शुरु से नापसन्द है। एक तो इससे चर्चा का सूत्र टूट जाता है दूसरा टिप्पणीकर्ता तत्काल अपनी टिप्पणी को न देखकर हतोत्साहित होता है। मैंने पाया है कि टिप्पणी करने के तत्काल बाद उसे पोस्ट के नीचे देखने का अनुभव ही टिप्पणी करने के लिये प्रेरित करता है।तो ये मेरे व्यक्तिगत विचार थे लेकिन आपकी समस्या भी समझ सकता हूँ आपने फैसला सोच-समझकर तथा मजबूरी में ही लिया होगा।

  26. May 28, 2010 at 1:31 pm

    आपका फैसला १०० % सही है |

  27. May 28, 2010 at 1:34 pm

    वैसे मैं भी मॉडरेशन व्यवस्था का पालन नहीं करता पर इस तरह की समस्या से निपटने के लिए यह मजबूरी में स्वीकार करनी पड़ती है। इसमें हारने जैसी कोई बात नहीं………

  28. May 28, 2010 at 1:41 pm

    सुरेश जी से सहमत हूँ-अयाज़ साहब आप बेफ़िक्र रहें, आलोचनात्मक, बहस वाली, कटु धार्मिक भाषा वाली सभी टिप्पणियाँ मैं प्रकाशित करूंगा… सिर्फ़ और सिर्फ़ गालीगलौज तथा अश्लील भाषा वाली नहीं… इसलिये आप चाहे जितनी आलोचना करें…। मैं आलोचना अथवा बहस से नहीं घबराता, बल्कि मैं तो अश्लील भाषा और गालीगलौज से भी नहीं घबराता, उसी भाषा में जवाब देना भी जानता हूं… यह मॉडरेशन मेरे ब्लॉग पर आने वाली महिला पाठकों को अश्लील भाषा के मानसिक संत्रास से बचाने की एक कवायद भर है। यदि कोई पहलवान, मुझसे अश्लील भाषा और गालीगलौज में मुकाबला करना चाहता है तो मैं उसके लिये भी तैयार हूं लेकिन उसके लिये "भड़ास" जैसा कोई दूसरा ब्लॉग खोजना पड़ेगा…

  29. May 28, 2010 at 2:02 pm

    जब पानी सर के ऊपर चला जाता है तो बचत के लिये बहुत कुछ करना पडता है. अत: माडरेशन चालू करने में कोई बुराई नहीं है — खास कर जब यह लक्ष्य की ओर अग्रसर होने के लिये जरूरी हो जाता है. लगे रहें!!सस्नेह — शास्त्रीहिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती हैhttp://www.IndianCoins.Org

  30. May 28, 2010 at 2:13 pm

    सुरेश भाई ,समय के अनुसार कदम बढाने को हार नहीं कहते हैं । ये जरूरी था आपने किया बात खत्म ।

  31. Dhananjay said,

    May 28, 2010 at 2:16 pm

    मोडरेशन एक कड़वी दवाई की तरह है, जब मर्ज़ ज्यादा बढ़ जाए तो दवाई लेनी ही पड़ती है. अब से सुरेश जी को जितना समय लेख लिखने में नहीं लगता उससे ज्यादा समय टिपाओं को समेटने में लगेगा.

  32. May 28, 2010 at 2:25 pm

    बात 4 दशक पुरानी है अमेरिका से पैटन टैंक पाकर पाकिस्तान को घमंड हो गया परिणाम भारत पाक युद्ध ! उनके राष्ट्रपति जन. याह्या खान कहने लगा इस अजेय टैंक से हमारी बहादुर फौजें रावलपिंडी से नाश्ता कर निकलीं तो दोपहर भोजन दिल्ली ही जाकर लेंगे! भीख के हथियार से कभी फौज बहादुर बनी है! उस समय हमारी सेना में रहे श. अब्दुल हमीद ने यह नहीं सोचा की मैं मुसलमान हूँ और सामने मुस्लिम देश की फ़ौज है बल्कि मैं भारत का सिपाही हूँ सामने के शत्रु देश की सेना हैं! अपनी छाती से विस्फोटक बांध टैंक के नीचे घुस गया! शहीद होते होते पाक के मनसूबे, अमेरिका की धाक पैटन टैंक, का कबाड़ बना गया ! उसे मैं भगत सिंह तुल्य मानता हूँ किन्तु जो देश से विश्वासघात करे उसे सबसे बड़ा शत्रु! यदि इस्लाम किसी देश से विश्वासघात सिखाय तो उसे धर्म कैसे मान लूँ !ऐसों का विरोध साम्प्रदायिकता कही जाये तो सबसे बड़ा सांप्रदायिक मैं हूँ !

  33. May 28, 2010 at 2:40 pm

    सुरेश जी से सहमत हूँ-

  34. May 28, 2010 at 2:41 pm

    भाई चिपलूनकर साहब तेज गर्मी और बिजली की मार से परेशान होने के कारण इस पोस्‍ट पर बहस नहीं कर सकता(हालांकि करनी चाहिये थी) बस हाजिरी लगाने चला आया, नमस्‍कार

  35. May 28, 2010 at 2:43 pm

    तिलक रेलनब्लॉग जगत में मुसलमानों में हमीद नही, गद्दार अधिक देखने को मिल रहे हैं. कैरान्वी, जमाल, असलम कासमी , सलीम खान, अयाज अहमद , सफत आलम , एजाज इदरीसी, जीशान , इम्पैक्ट, खुर्सीद जैसे देशद्रोही, कृतध्न, जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं, ब्लोगों पर हिन्दुओं के विरुद्ध इतना विष वामन करते हैं तो इनकी मस्जिदों में क्या नही होता होगा? कभी समय मिले तो विचार करना

  36. May 28, 2010 at 2:59 pm

    हालांकि सुरेश जी की पोस्ट से इस बात का कोई संबंध नहीं है किन्तु तिलक रेलन जी की टिप्पणी से याद हो आया कि अमर शहीद अब्दुल हमीद के पौत्र को नौकरी की मांग लेकर लखनऊ में अनशन पर बैठना पड़ा था तब मुख्यमंत्री ने शमीम को योग्यता अनुसार नौकरी दिये जाने का निर्देश दिया। इसके बाद पावर कारपोरेशन में उनकी 'योग्यता के आधार पर' उन्हें श्रमिक के पद पर नियुक्ति दी गयी।सबसे बड़ा शत्रु कौन?

  37. May 28, 2010 at 3:00 pm

    @ RAJAN भाई – नीरस होने का सवाल ही नहीं है भैया, कमेण्ट्स तो सारे के सारे ही प्रकाशित होंगे, सिर्फ़ अश्लील भाषा को छोड़कर… इसलिये आप निश्चिन्त रहें मेरा उदार रवैया बरकरार रहेगा…। मॉडरेशन के साथ "अनानिमस" वाला ऑप्शन खोलते ही गालियों की बौछार भी शुरु हो गई है, लेकिन उन "हिजड़ों" की बातें(?) सभी पाठकों तक न पहुँचें, सिर्फ़ मुझ तक ही सीमित रहें, इसीलिये यह मोडरेशन लगाया गया है…

  38. May 28, 2010 at 3:01 pm

    हम आपसे सहमत हैं पर अनवर जमाल जैसे लोग कुछ भी कह सकते हैं कर सकते हैं देखतेनहीं आप कि ये लोग हिन्दूओं के आस्था केन्द्रों पर किस तरह असोबनीय बातें झूठ पे झूट कहकर करते हैं ये जानते हुए भी कि ये हिन्दू आस्था के केन्द्र इनके भी पूर्वज मतलब बाप दादा हैं.उस दिनतो हम हैरान ही रह गए जिस दिन अनवर जमार ने लब जिहाद को सही ठहराने के लिए अपनी मां वहनों के वारे में बजारू भाढा का उपयोग किया।आपसे हमें यह उमीद कदापि नहीं है कि आप इन जैसों से निचता की उम्मीदद न करें ।

  39. May 28, 2010 at 3:01 pm

    मेरे विचार से यह सही कदम है। आपको इसे शुरू से लेना चाहिये था। यह कदम हर चिट्टेकार को लेना चाहिये। इसका कारण भी है।हांलाकि टिप्पणी के कॉपीराइट का स्वामी टिप्पणीकर्ता होता है लेकिन किसी चिट्ठे पर टिप्पणी का दायित्व उसका चिट्ठा मालिक भी है।

  40. May 28, 2010 at 3:01 pm

    हम आपसे सहमत हैं पर अनवर जमाल जैसे लोग कुछ भी कह सकते हैं कर सकते हैं देखतेनहीं आप कि ये लोग हिन्दूओं के आस्था केन्द्रों पर किस तरह असोबनीय बातें झूठ पे झूट कहकर करते हैं ये जानते हुए भी कि ये हिन्दू आस्था के केन्द्र इनके भी पूर्वज मतलब बाप दादा हैं.उस दिनतो हम हैरान ही रह गए जिस दिन अनवर जमार ने लब जिहाद को सही ठहराने के लिए अपनी मां वहनों के वारे में बजारू भाढा का उपयोग किया।आपसे हमें यह उमीद कदापि नहीं है कि आप इन जैसों से निचता की उम्मीदद न करें ।

  41. Mired Mirage said,

    May 28, 2010 at 3:32 pm

    सुरेश जी, आपसे सहमत हूँ। हम यदि मॉडरेशन लगाते हैं तो अपना विरोध रोकने को नहीं केवल सभ्य बातचीत बनाए रखने के लिए। अभद्र बातचीत हटाना गलत नहीं है। मुझे विश्वास है कि आप भी मॉडरेशन का सदुपयोग ही करेंगे, दुरुपयोग नहीं।घुघूती बासूती

  42. May 28, 2010 at 5:01 pm

    चलिये आप भी सोफ़ेस्टिकेटेड ब्लागर हो गये .

  43. SHIVLOK said,

    May 28, 2010 at 5:04 pm

    असभ्यता व घटीयपन को रोकने के लिए आपका यह कदम उठाना बिल्कुल उचित है|बस इससे आपकी कुछ अतिरिक्त ऊर्जा व्यय होने लगेगी समय भी अतिरिक्त व्यय होगा| लेकिन बदतमीज़ लोगों पर लगाम लग सकेगी|लगे हाथ आपसे एक निवेदन भी कर दूं की कृपा करके मेरे जैसे भोले भाले सीधे सरल आदमी की कोई टिप्पणी को मत रोक लेना , नहीं तो मुझे तो सच में बहुत बहुत दुख होगा | कृपया ध्यान रखिएगा |

  44. hem pandey said,

    May 28, 2010 at 5:27 pm

    कमेन्ट मोडरेशन का एक लाभ यह है कि यदि किसी पुरानी पोस्ट पर टिपण्णी आती है तो वह भी पता चल जाती है. लेकिन संभवतः कभी कभी यह व्यवस्था फेल भी हो जाती है. कल मेरी पोस्ट पर तीन टिपण्णी आयी थीं,जिनमें एक विनोद पांडे की थी, दूसरी बबली की और तीसरी के नाम पर ध्यान नहीं दे पाया. पब्लिश का ऑप्शन क्लिक करने पर भी तीनों टिप्पणियाँ पब्लिश होने की बजाय गायब हो गयीं.

  45. hem pandey said,

    May 28, 2010 at 5:35 pm

    आश्चर्य है कि मोडरेशन के फेल हो जाने की टिपण्णी देने के बाद मैंने अपना ब्लॉग खोला तो वहाँ वे तीनों टिप्पणिया मौजूद मिलीं.

  46. vedvyathit said,

    May 28, 2010 at 5:38 pm

    yh har nhi hai yh ek but bda sbk hai jise aap hmesha yad rkhen aur koshish ho ki aisa chor pkd me aaye yh to desh ke sath bhi kuchh bhi kr skta hai use dhoondhna bh chahiye dr. ved vyathit

  47. Dinesh Saroj said,

    May 28, 2010 at 6:08 pm

    मुंबई शहर में भी असामाजिक तत्वों के आवागमन को रोकने के लिए कई चेकनाका हैं… तो आपके ब्लॉग पर ये मॉडरेशन रूपी चेकपोस्ट का इस्तेमाल करना गलत नहीं कहा जा सकता…..अपने बेबाक पोस्ट जरी रखें…मॉडरेशन से अभद्र लोगों का हौसला भी जरुर ही कम होगा… भला कोई दिवार पर कब तक माथा पिटेगा…

  48. May 28, 2010 at 6:49 pm

    एक प्रयोग कीजिएःहफ्ते में एकाध दिन(randomly) मॉडरेशन को हटा दीजिए। फिर एकाध दिन बाद उसे लागू कर दीजिए-चाहे उस कोई पोस्ट नया हो या न हो। इससे रोज़-रोज़ टिप्पणी को मॉडरेशन से गुज़ारने का बोझ थोड़ा हल्का होगा। किसी विवाद-संभावित पोस्ट पर मॉडरेशन अनिवार्य रूप से लागू रखें।

  49. May 28, 2010 at 7:04 pm

    देखना है कि मुझे ऎसा बोधज्ञान कब प्राप्त होता है !

  50. May 28, 2010 at 7:04 pm

    देखना है कि मुझे ऎसा बोधज्ञान कब प्राप्त होता है !

  51. May 28, 2010 at 7:47 pm

    बी एस पाबला-सबसे बड़ा शत्रु कौन? अमर शहीद अब्दुल हमीद के पौत्र को नौकरी से शत्रु ढूंडने का कोई नया सूत्र स्पष्ट करें तो कुछ कह सकूँगा! वैसे श. अब्दुल हमीद की भावना जिस मुसलमान में है वो देशभक्त मेरे सर-माथे पर, जो इसके उलट चले और जो धर्म निरपेक्षता के नाम पर ऐसे शत्रुओं को छुपाये,बचाए,उनका संरक्षण करे वो चाहे लालू हो या भालू वो सभी देश और मानवता के सबसे बड़े शत्रु हैं!कुछ स्पष्ट हुआ या और खोल कर समझाउं!

  52. May 28, 2010 at 8:43 pm

    chaliye prabhu koi bat nahi der aaye durust aaye, aao jis niti ko aaj lagu kar rahe hain apne blog par, mai 2 sal pahle hi lagu kar chuka hun kynki yah behad hi jaruri hai so koi haar vaar wali bat nahi bas anivaryata wali bat hai yah samay ko dekhte hue…

  53. May 28, 2010 at 11:12 pm

    आपकी बात से शब्दशः सहमत…मेरी पिछली पोस्ट 'गोमांस और पोर्क खाने में क्या बुराई है' पर एक बहुत ही घटिया और आपत्तिजनक कमेन्ट किसी बेनामी भाई ने दिया… बिना पोस्ट को पढ़े और उसका अर्थ समझे…..ये ऐसी पहली टिप्पणी थी इसलिए इतना सख्त कदम उठाना ठीक नहीं लगा. पर यह ट्रेंड बहुत खतरनाक है. हर कोइ दिन में ४-५ बार टिप्पणियों को मोडरेट नहीं कर सकता. ऐसे ब्लोगर को ब्लॉग्गिंग से दूर कर सकता है यह ट्रेंड… पर इन्हें कौन समझाए…..

  54. May 29, 2010 at 4:54 am

    @ तिलक रेलन बात, पोस्ट की भावना से इतर खिसक जाएगी। प्रश्न उछालने का मतलब हमेशा स्पष्टीकरण चाहना नहीं होता। वह किस्सा याद आया था इसलिए लिख दिया गया। मैं किसी से समझना या किसी को समझाना नहीं चाह्ता था। आपने विश्वासघातियों को देश के शत्रु माना, मैं उस बात को और ऊँचाई पर ले गया, आपने स्वीकार भी किया।चलिए इसी बहाने आपसे परिचय हुआ। बातें होती रहेंगी

  55. May 29, 2010 at 6:15 am

    सुरेशजी, नमस्कार। आपसे बहुत से मुद्दों पर सहमत नहीं होता हूं, फिर भी इस बात की क़द्र करता हूं कि आप हर तरह के विचार की इज़्ज़त करते हैं। यही तो ख़ासियत है हम हिंदुस्तानियों की। हम आत्मा से डेमोक्रेटिक हैं। ये हमें किसी विदेशी ने नहीं सिखाया है। कमेंट मॉडरेट करना आपकी मर्ज़ी है, लेकिन न भी करते तो भी हर्ज नहीं था। मैंने तो यही समझा है अब तक कि गाली को एक्नोलेज ही नहीं करना चाहिए। आप गाली को ब्लॉक करके उसे बेकार की अहमियत दे रहे हैं। बहरहाल, ब्लॉग आपका है और आप मुझसे बड़े भी हैं (फ़ोट देखकर कह रहा हूं), तो आपकी मर्ज़ी। सोचा कह दूं।

  56. Manav said,

    May 29, 2010 at 6:51 am

    सुरेश जी ,अब तक आपके लेखों पर सहामति अथवा असहमति आंगला भाषा में करता था क्योकि हिंदी लेखन के नरम औजार मुजे मालूम नहीं थे. ब्रह्मा अवतार गूगल जी से आशीर्वाद पा कर में हिंदी में लिख पा रहा हूँ. कृपया अपने पाठकों की सुविधा के लिए जो हिंदी मैं लिखना चाहतें हैं ये लिंक प्रकाशित करें.http://www.google.com/ime/transliteration/आपका समय कीमती है और वह नवनिर्माण में लगाना चाहिए न की साफ सफाई में.यदि गूगल देवता से प्रार्थना की जाये तो जिस प्रकार से अंगरेजी भाषा के मकडजाल मे शब्द छलनी होती हे उसी प्रकार से आपके ब्लॉग पर भी हिंदी और अंग्रेजी शब्द छलनी लगाई जा सकती हे.आशा है की आप आपना समय लेखन मैं लगाएंगे और हम पाठक आपसे सहमत और असहमत होते रहेंगे.

  57. Mahak said,

    May 29, 2010 at 9:03 am

    @ सुरेश जी ,comment moderation से मैं सहमत तो नहीं हूँ क्योंकि टिपण्णी करने के तुरंत बाद जो आनंद टिप्पणीकर्ता को अपनी टिपण्णी ब्लॉग पर publish होने पर अनुभव होता है उसकी प्राप्ति अब संभव ना होगी लेकिन आपने स्वयं ही बहुत शालीनता से बता दिया की ऐसा आपने महिलाओं को मानसिक पीड़ा से बचाने के लिए किया है. हम सब टिप्पणीकर्ता आपकी मजबूरी समझ सकते हैं और हर पल आपके साथ हैं.लेकिन मुझे कुमार राधारमण भाई का विचार बहुत पसंद आया की-"एक प्रयोग कीजिएःहफ्ते में एकाध दिन(randomly) मॉडरेशन को हटा दीजिए। फिर एकाध दिन बाद उसे लागू कर दीजिए-चाहे उस कोई पोस्ट नया हो या न हो। इससे रोज़-रोज़ टिप्पणी को मॉडरेशन से गुज़ारने का बोझ थोड़ा हल्का होगा। किसी विवाद-संभावित पोस्ट पर मॉडरेशन अनिवार्य रूप से लागू रखें।"इस पर अवश्य गौर करें क्योंकि इससे आपका कीमती समय भी बचेगा .आपने जिस फर्जी व्यक्ति की बात की उसने मेरे ब्लॉग पर भी जमाल भाई के नाम से असभ्य टिपण्णी की और मुझे और उन्हें आपस में लड़ाने का प्रयास किया .आपने खुद ही कहा है की –"उसने मेरे नाम से कोई गलत बात कहीं नहीं लिखी, सारी घटिया टिप्पणियाँ जमाल के नाम से की हैं, तो लगता है कि शायद वह मेरा प्रशंसक अथवा जमाल से खुन्नस खाया हुआ कोई व्यक्ति है, परन्तु फ़िर भी कहना चाहूंगा कि यदि वह फ़र्जी ब्लॉगर मेरा “शुभचिन्तक”(?) है तो मैं उससे कहूंगा कि वाकई में उसने मुझे दुख पहुँचाया है, और खामख्वाह मॉडरेशन के लिये मजबूर किया है"आपने ये बिलकुल सही कहा है की वह आपका ही कोई प्रशंसक है और मुझे एवं अन्य ब्लोग्गेर्स को तो एक नाम पर शक भी है .मैं आपसे ये निवेदन करना चाहता हूँ की एक पोस्ट ऐसे प्रशंसकों के नाम भी लिखें जो कई बार आपके ब्लोग्स का हवाला देकर दूसरे ब्लोग्गेर्स के साथ गाली-गलौज करते हैं .ऐसे लोगों को लगता है की वे ऐसा करकर आपके लिए बहुत बड़ा काम कर रहें हैं लेकिन इससे वे आपके नाम को कितना नुक्सान पहुंचा रहें हैं ये उन्हें नहीं पता .कृपया उन्हें ये अहसास कराने का भी कष्ट करें क्योंकि ऐसे लोगों को जब हम समझाने का प्रयत्न करते हैं की -"भाई जो भी कहना है शालीनता से कहो, विरोध भी करना है तो शालीनता और मर्यादा की सीमा में रहकर करो " लेकिन ऐसे लोग समझाने पर वापस अपनी औकात पर आ जाते हैं और हमें भी मजबूर करते हैं अपना मूंह गन्दा करने पर. तो एक पोस्ट अपने ऐसे प्रशंसकों के नाम भी लिखें तो बड़ी कृपा होगी .और एक अंतिम निवेदन और . आपके और जमाल भाई के ब्लोग्स पढ़कर ही मैंने इस ब्लॉग जगत में कदम रखने का निर्णय लिया था ताकि आपकी ही तरह सही को सही और गलत को गलत कहकर समाज को कुछ सन्देश दे सकूं.आप दोनों ही मेरे लिए गुरुतुल्य हैं. इसलिए आपसे प्रार्थना है की मेरे ब्लॉग पर आयें और सिर्फ एक बार ही सही अपना कमेन्ट रुपी आशीर्वाद देकर मुझे कृतार्थ करें .जब तक आप नहीं आते मैं अपने ब्लॉग को सदा अधूरा ही मानूंगा. क्योंकि गुरु के आशीर्वाद के बिना शिष्य का हर कार्य अधूरा ही होता है. इसलिए पधारने का कष्ट करें और अपने इस शिष्य एवं प्रशंसक का मार्गदर्शन करें .http://rashtravaad-mahak.blogspot.com/धन्यवादमहक

  58. May 29, 2010 at 9:32 am

    आदरणीय सुरेश जी,कमेन्ट मोडरेशन के सम्बन्ध में मैं अपना अनुभव आपके समक्ष रख रहा हूँ |कई वर्ष पहले मैंने एक दलाल (ब्रोकर) को उसकी लगातार बेईमानी की वजह से अपने काम से निकाल दिया |कुछ दिन बाद हमारे बाजार की मीटिंग में उसने बिना वजह मुझे अश्लीलतम गालियाँ दी |मीटिंग में उपस्थित बड़े बड़े और सभ्रांत व्यापारी सकते में थे क्योंकि वे सब मेरे आचरण से अच्छी तरह परिचित थे और उस दलाल के भी | गालियाँ दे कर जब वह रुका तो मैंने पूछा कि और भी कुछ है उसके पास ?जब वह जी भर के गालियाँ बकने के बाद – अपने विशेष ज्ञान का प्रदर्शन मीटिंग में उपस्थित सभी सभ्रांत व्यक्तियों के सामने अच्छी तरह से खुल कर करने के बाद थक कर रुक गया – तब मैंने बहुत संयत स्वर में और मुस्कुराते हुए उसे कहा कि, "इसमें तुम्हारी जरा भी गलती नहीं है – क्योंकि तुमने जो कुछ अपने माँ-बाप से सीखा है वो ही तो बताओगे – ना ना – तुम्हारी जरा भी गलती नहीं है – मुझे तुम्हारी बात पर जरा भी गुस्सा नहीं आया – परेशान मत होना" |उसके बाद तो असोसिएशन के सभी लोगों ने – यहाँ तक कि हाथगाड़ी वालों ने और कुलियों तक ने उसे खूब खरी खोटी सुनाई | लोगों ने कहा कि – यदि तुम अपनी जात बताओगे तो हम तुम्हे तुम्हारी औकात बता देंगे |मैंने कुछ भी नहीं किया – क्योंकि मैं जानता हूँ कि "Those Who Angers You – Controls You".मेरा मानना है कि सभी हिन्दी ब्लोगर अथवा पाठक आपके लेखो के माध्यम से आपको एक सत्यनिष्ठ और देशभक्त के रूप में जानते हैं |अब यदि आपके लेख पढ़ कर किसी देशद्रोही वतन फरोश बेईमान किस्म के लोगों की सुलगती है और वे अपने माँ-बाप या पंथ द्वारा थोपे गए संस्कारों का परिचय अपनी टिप्पणियों द्वारा देते हैं – तो देने दीजिये ना – वे समस्त सभ्रांत समाज के सामने खुद को नंगा कर रहें हैं – आपको क्यों शर्म आ रही है ? आप अपना कीमती समय विचारोत्तेजक एवं देशभक्तिपूर्ण लेखो में समर्पित न कर के – "दिमागी उल्टी टट्टी" करने वालों की मानसिक गंदगी साफ करने में लगाओगे – यह बात तो कुछ समझ में नहीं आयी |सुरेश जी, आपके अधिकांश पाठक सत्यप्रिय एवं देशभक्त हैं तथा वे आपके सत्य पर आधारित लेखो एवं विचारों से सहमत हैं | आपके विद्वान् एवं सुसंस्कृत पाठक सक्षम लेखनी के धनी हैं और वे समस्त मिथ्यारोपों का मुंहतोड़ जबाब दे सकते हैं – फिर आप क्यों खामख्वाह इस कमेन्ट मोडरेशन के पचड़े में पड़ रहें हैं ?

  59. May 29, 2010 at 10:36 am

    @ आदरणीय सुरेश चिपलूनकर जीमेरे कारण आप को हार महसूस हुई, मुझे क्षमा करें. मैं ऐसा बिलकुल नहीं चाहता था. दरअसल मैं आपके ब्लॉग को बहुत समय से पढ़ रहा हूँ, और आपका बहुत बड़ा प्रशंसक भी हूँ. दरअसल मैं थोडा सा psycho किस्म का आदमी हूँ. और बस यूं ही एक सर्वे कर रहा था आप और उस दुष्ट अनवर जमाल पर. मैं बस ये देखना चाहता था की आप किस प्रकार से रेअक्ट करेंगे. बस देख लिया, अब कोई टिप्पड़ी नहीं आयेगी, अश्लील किस्म की. आप मोडरेशन हटा लीजिये. आपको हारते हुए मैं नहीं देख सकता. एक बार फिर से क्षमा प्रार्थना.

  60. May 29, 2010 at 3:36 pm

    दुखद निर्णय .

  61. narayan said,

    May 29, 2010 at 5:40 pm

    APNI JEET KO HAR BATAKAR,TU HAR KI KEEMAT NA GHATA,APNI MAJBOORI PE ASHRU BAHANE WALE,DUNIYA WALON SE DARKAR TU HAMARE PYAR KI KIMAT NA GHATA. BADHE RAHO JAMANA TUMHARE SATH HAI. NARAYAN BHUSHANIA

  62. May 30, 2010 at 6:53 am

    suresh ji,main hamesha se comment moderation ke khilaaf raha hoon………jo nuksaan aapne bataye un sabko main jhel chuka hoon…albela khatri ji se hue vivaad main unhone meri tippandi aajtak nahin chaapi jabki us baat ko 6 mahine ho chuke hain….chaliye koi baat nahin thodi pareshaani hogi lekin koi baat nahin…===========internet connection aur torrent power ke bijli na dene ki vajah se kaafi pareshaani uthaani padh rahi hai….isliye net par attendance nahi lag rahi hai…

  63. May 30, 2010 at 7:43 am

    सुरेश जी, एक गीत है "कहां से चले थे कहां को है जाना, मुसाफिर न जाने कहां है ठिकाना" . इस गीत के बारे में बताने की और यदि हो सके तो उपलब्ध कराने की कृपा करें…….यह सन छियासी से पहले का गीत है और एक महिला गायक ने इसे गाया है….

  64. Victor said,

    June 3, 2010 at 12:58 pm

    सुरेश जी सरकारी सेवा मे हू इस लिए फर्जी नाम से लिख रहा हू , तकनीक मे माहिर हू , और जानता हो की मादरेशन क्या है , इस लिए पता है की कमेंट सबको नाही दिखेगा , आपने कभी गूगल के काले करनामों पे कुछ ध्यान दिया है ,आपने एक जगह मेररथ 1987 दंगे का वर्णन किया , मैंने ज्यादा पढ़ने के लिए सर्च मार लिया , नतीजा pucl की रिपोर्ट मिली ,क्यो नाही उसने आपका या दूसरे किसी का लिंक दिया? जरा सोचे

  65. June 23, 2010 at 5:15 pm

    Suresh ji Yadi aap jese sakhsh is Bharat desh main he to kiya is desh ki garima ko aanch aa sakati he aappke lekho ka varnan oadhkar aativ gorvmayi hua dhanywaad he aapko or aapki matrabhumi ko …….. AAPAKA PARSNSAK NARENDRA RALIYA


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