>मांसाहार और जीव-हत्या पर प्रतिबन्ध सम्बन्धी प्रस्ताव पर ब्लॉग संसद द्वारा लिया गया निर्णय

>

अभी करीब तीन -चार दिन पहले मैंने हम सबकी ब्लॉग संसद में आप सबके समक्ष एक प्रस्ताव रखा था और जो की अक्षरक्ष इस प्रकार था –

हिन्दुस्तान में हर प्रकार के मांस पर चाहे वो गाय का मांस हो ,सूअर का मांस हो ,बकरे का मांस हो ,मुर्गे का मांस हो आदि आदि हर प्रकार के मांसाहार पर और जीव-हत्या पर चाहे वो पुरानी परम्पराओं का हवाला देके कि जाती हो बलि के नाम पर या फिर कुर्बानी के नाम पर , हिन्दुस्तान में हर प्रकार के मांसाहार और जीव-हत्या पर प्रन्तिबंध लगाने का प्रस्ताव रखता हूँ

और साथ ही जो भी ऐसा करता पकड़ा जाए फिर उसे भी मृत्युदंड दिया जाए ताकि उसे भी पता चले कि इस सृष्टि में सिर्फ उसे ही जीने का अधिकार नहीं बल्कि दूसरे जीवों को भी जीने का उतना ही अधिकार है और जब उस अधिकार पर चोट कि जाती है तो कैसा लगता है

इस पर बड़े ही जोर-शोर से बहस चली ,ढेर सारे तर्क-वितर्क हुए और वोटिंग कुछ इस प्रकार से रही –

  1. दर्शन लाल बवेजा जी ——————————————————————— पता नहीं

   2.  प्रवीण सिंह राजपूत जी —————————————————————— सहमत

   3. प्रकाश गोविन्द जी ————————————————————————पता नहीं

   4. आनन्‍द पाण्‍डेय जी ————————————————————————सहमत

   5. सुज्ञ जी ———————————————————————————- सहमत

   6. जय कुमार झा जी ———————————————————————— सहमत

   7. डॉ. अनवर जमाल जी ——————————————————————- असहमत

   8. सोनी गर्ग जी ——————————————————————————सहमत

   9. जीशान जैदी जी ————————————————————————- असहमत

 10. शाहनवाज़ जी ————————————————————————— असहमत

 11. शंकर फुलारा जी ————————————————————————-  सहमत

 12. आलोक मोहन जी ————————————————————————-सहमत

 13. शिवम मिश्रा जी ————————————————————————– पता नहीं

 14. गिरिजेश कुमार जी ———————————————————————- असहमत

कुल मिलाकर इस प्रस्ताव पर 14 votes पड़े जिसमें से इसके पक्ष में 7 और विपक्ष में 4 vote पड़े , तो इसलिए इस प्रस्ताव को 7-4 के अन्तर से pass किया जाता है

Samanta ka Huk, Hamara Adhikar उर्फ प्रवीण सिंह राजपूत जी , आनन्‍द पाण्‍डेय जी , सुज्ञ जी , honesty project democracy उर्फ जय कुमार झा जी , सोनी गर्ग जी , शंकर फुलारा जी और आलोक मोहन जी का शुक्रिया अदा करना चाहूँगा इस प्रस्ताव को अपनी सहमति और समर्थन प्रदान करने के लिए

और
डॉ. अनवर जमाल जी , जीशान जैदी जी , शाहनवाज़ जी  और Voice of youths उर्फ गिरिजेश कुमार जी का भी आभार जताना चाहूँगा इस मुद्दे पर अपना पक्ष और विचार संसद के समक्ष रखने के लिए

साथ ही
दर्शन लाल जी और प्रकाश गोविन्द जी भी बधाई के पात्र हैं इस पर अपनी सच्ची और ईमानदार प्रतिक्रिया के लिए 

आप सभी का तथा उस प्रस्ताव और पोस्ट पर अपने विचार और उसके समर्थन अथवा विरोध में अपने तर्क रखने वाले प्रत्येक टिप्पणीकर्ता का बहुत -२ धन्यवाद एवं आभार

महक

Note:-

1 . जो भी member प्रस्ताव को पेश करता है उसे खुद के प्रस्ताव पर vote डालने का अधिकार नहीं है , इसलिए इस सूची में मेरा नाम नहीं है

2. वोटिंग का अधिकार सिर्फ इस ब्लॉग के members और followers को ही दिया गया है अन्य पाठकों को नहीं , अगर आप लोग भी चाहते हैं की आपकी राय को वोटिंग के रूप में भी शामिल किया जाए तो कम से कम इस ब्लॉग के follower तो अवश्य ही बनें और साथ ही अगर अपना प्रस्ताव भी पेश करना चाहते हैं तो इस ब्लॉग के member भी  बनें

3 .जब किसी member के द्वारा एक प्रस्ताव पेश किया गया हो और उस पर बहस और वोटिंग चल रही हो तो अन्य members उसे कम से कम 3 दिन अवश्य दें ,चौथे दिन मैं प्रस्ताव पर सदस्यों द्वारा किये गए मतदान की जानकारी और नतीजा दूंगा और पांचवें दिन ही अन्य member अपना प्रस्ताव पेश करें

16 Comments

  1. August 21, 2010 at 6:01 pm

    >बहुत बढ़िया पोस्ट

  2. August 21, 2010 at 6:13 pm

    >किसी बिल को पास होने के लिए दो तिहाई बहुमत ज़रूरी होता है. इस नियम के अंतर्गत मैं नहीं समझता की यह प्रस्ताव पास हुआ है.

  3. August 22, 2010 at 8:13 am

    >ये लोकतंत्र है यहां ५१ प्रतिशत लोग ४९ प्रतिशत लोगों पर शासन करते हैं|

  4. Mahak said,

    August 22, 2010 at 1:57 pm

    >@जीशान भाईआपकी बात बिलकुल सही है लेकिन अगर मत ही limited आयें तो किया क्या जाए ?अब कहने को तो ब्लॉग संसद में voters की वर्तमान संख्या 56 बनती है लेकिन अब वोट और अपनी राय ही सिर्फ 14 लोगों ने दी तो इसमें क्या किया जा सकता है जबकि मैंने सबको ऐसा करने के लिए mail भी किया था ?अब ऐसी परिस्तिथि में दो-तिहाई बहुमत किस प्रकार से संभव है ?इस सम्बन्धी अगर आपके पास कोई सुझाव अथवा idea हो तो ज़रूर बताएं महक

  5. August 22, 2010 at 2:54 pm

    >मेरे विचार से यदि किसी प्रस्ताव के पक्ष में आने वाले वोटों का दो तिहाई या अधिक पड़ता है तो उस प्रस्ताव को 'पास' माना जाए. और यदि प्रस्ताव के विपक्ष में दो तिहाई या अधिक वोट आते है तो उसे 'अस्वीकार' माना जाए. अन्य स्थितियों में 'अनिर्णीत' मानकर आगे कभी उस प्रस्ताव को नए रूप में पुनः लाया जाए.

  6. Mahak said,

    August 22, 2010 at 4:09 pm

    >जीशान भाई , आपकी बात सही है , मैं जल्दी ही इस पोस्ट को एडिट करके इसे अनिर्णीत प्रस्ताव की श्रेणी में डाल दूंगा और इसे फिर से उचित समय पर लाया जाएगा और फिर इसे paas या अस्वीकार दो तिहाई बहुमत के अनुसार ही किया जाएगा एक अच्छे और तर्कसंगत सुझाव के लिए धन्यवाद महक

  7. Mahak said,

    August 22, 2010 at 5:01 pm

    >@जीशान भाई , ये पोस्ट एडिट नहीं हो पा रही है ,एक technical problem आ रही है इसलिए मैं यहीं पर घोषणा करता हूँ की –कुल मिलाकर इस प्रस्ताव पर 14 votes पड़े जिसमें से इसके पक्ष में 7 और विपक्ष में 4 vote पड़े , पर क्योंकि किसी भी प्रस्ताव को पास करने के लिए दो-तिहाई बहुमत का होना आवश्यक है इसलिए इस प्रस्ताव को अभी अनिर्णीत प्रस्ताव की श्रेणी में रखा जाता है और भविष्य में इसे फिर से पेश किया जाएगामहक

  8. August 22, 2010 at 5:20 pm

    >Thanks Mahak Ji

  9. August 23, 2010 at 12:23 pm

    >कितनी बार भी कह लो आपके ज्यादातर मैम्बर्स पोस्ट पढते ही नहीं। एक प्रस्ताव पर बहस चल रही होती है और दूसरी पोस्ट आ जाती है। एक-दो पोस्ट तो ऐसी भी आई हैं, जो इस ब्लॉग संसद के ध्येय से सर्वदा अलग थी। वोट द्वारा प्रस्ताव पास कर दिया जायेगा, फिर?56 सदस्यों में से कुल 14-15 ने वोट की। क्या ब्लॉगजगत की छोडिये आपके 56 सदस्यों को भी छोडिये, इन 14 वोट करने वाले उस प्रस्ताव पर क्या कार्य करेंगें?प्रणाम स्वीकार करें

  10. Mahak said,

    August 23, 2010 at 5:25 pm

    >@मित्र अन्तर सोहिलजो बातें आप अपने कमेन्ट के पहले paragraph में कह रहें हैं वही सब बातें मैं भी अनेक बार कह चुका हूँ इसलिए कोई नई बात बताएं , किसी भी बात पर प्रश्न खड़े कर देना या फिर उसकी आलोचना कर देना बहुत सरल है लेकिन उसका सही हल प्रस्तुत कर पाना बहुत कठिन और कईयों के तो ये बस की बात भी नहीं है , अगर आपके पास लोगों की इस ब्लॉग के प्रति अपनी जिम्मेदारी के अभाव रुपी समस्या का कोई हल हो तो ज़रूर बताएं, सिर्फ इसकी बुराई करने से कुछ नहीं होने वाला आपके कमेन्ट के दूसरे paragraph से ऐसा प्रतीत होता है की आपने इस ब्लॉग की सबसे प्रथम पोस्ट नहीं पढ़ी जिससे की आपको इस ब्लॉग के गठन के उदेश्य और इसकी limitations का पता चल जाता और आप ये प्रश्न ना करते की वोट करने वाले उस प्रस्ताव पर क्या कार्य करेंगें?http://blog-parliament.blogspot.com/2010/07/towards-new-begginning.htmlकृपया पहले इसे पढ़ें और उसके बाद अपने इस अति-बुद्धिमान दिमाग से कमेन्ट करें और हाँ मेरा भी प्रणाम स्वीकार करेंमहक

  11. Ejaz Ul Haq said,

    August 26, 2010 at 12:26 pm

    >आदरणीय महक जी ! आप इस धरती के पहले और अंतिम चिन्तक नहीं हैं, जो जीव हत्या से कम और मांसाहार से ज्यादा चिंतित दिखते हैं । क्षमा कीजियेगा में आप पर कोई आरोप नहीं लगा रहा हूँ , लेकिन मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि आप जैसे लोग ही मांसाहार को ही जीव हत्या का कारण मानते हो, जो कि बिलकुल भी सच नहीं हैं। क्योंकि बहुत से ऐसे लोग जो शाकाहार या ' अहिंसा परमो धर्म: " का जाप करते हैं , बहुत से जीवों कि हत्या अपने निजी स्वार्थ के कारण मात्र इस लिये कर देते हैं, क्योंकि वह उनको नुकसान पहुंचा रहा होते है या उनको लाभ हो रहा होता है । आप ऐसे लोगों को किस श्रेणी में रखना चाहेंगे ( मार दिया जाय या छोड़ दिया जाय ), और कृपया आप यह भी स्पष्ट कीजिये कि आपका यह जीव प्रेम सभी जीवों पर लागू होता है या सिर्फ उनपर जिनके चित्र आपके ब्लॉग की शोभा बढ़ा रहे हैं । यदि आप का चिंतन वास्तव में जीव हत्या है तो उस नन्हे से जीव पर आपकी दया द्रष्टि क्यों नही हुई? जो आपके घर में घुस कर आपके कीमती वस्त्र कुतर डालता है जो आपके स्वादिष्ट व्यंजनों पर हाथ साफ कर जाता हैं, जिसके पीछे आज सारा हिन्दोस्तां चूहेदान लेकर उसके पीछे पड़ा है । उसको मारने के लिये नित नए तरीके अपने जाते हैं , क्या उसे जीने का अधिकार नहीं है? क्या वह जीव नहीं है? क्या उसका परिवार नहीं है? क्या उसके अपराधों कि सजा सिर्फ मौत है? क्या उसकी मौत से आपको दर्द नहीं होता ? ऐसे बहुत से उदहारण भरे पड़े हैं। आप तो प्रेम में भी पक्षपात कर रहे हैं , और जहाँ पक्षपात होता है वहां न्याय नहीं होता केवल दिखावा होता है ।

  12. Mahak said,

    August 26, 2010 at 3:35 pm

    >@आदरणीय Ejaz Ul Haq जी आपने भी पोस्ट को ठीक तरह से पढ़ा नहीं ,मैंने कहा है की हर प्रकार की जीव-हत्या पर प्रतिबन्ध लगे फिर चाहे वो कोई भी करे , और जहाँ तक बात है चूहे की तो आपको ये मालूम होना चाहिए की चूहे को चूहेदानी में पकड़ने के बाद उसे मारा नहीं जाता बल्कि कहीं दूर छोड़ा जाता है ,भई हमने तो अपने घर में ऐसा ही देखा है,अगर आप लोग उसे चूहेदानी में पकड़ने के बाद मार देते हैं तो ये बेहद शर्मनाक है ,ऐसा बिलकुल भी नहीं होना चाहिए आपने कहा ऐसे बहुत से उदहारण भरे पड़े हैं तो मैं यही कह रहा हूँ की इन सभी उदाहारणों पर रोक लगाई जाए कृपया पहले पोस्ट को ध्यान से पढ़ा करें ,उसके बाद अपना कमेन्ट करें की मैंने सिर्फ किसी विशेष जीव की हत्या पर प्रतिबन्ध की मांग की है या फिर सभी जीवों की http://blog-parliament.blogspot.com/2010/08/blog-post_16.htmlमहक

  13. Ejaz Ul Haq said,

    August 27, 2010 at 1:04 pm

    >@ आदरणीय महक जी ! जवाब में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ. काम की वजह से पर्याप्त समय नहीं मिल पता है । मैंने आपकी पोस्ट को पूरा और ठीक ही पढ़ा है, फिर भी आपकी आज्ञानुसार दोबारा भी पढ़ा, कोई नई बात नज़र नहीं आई । आपने कहा आप चूहों को घर से कहीं दूर छोड़ आते हैं.मारते नहीं है, अच्छी बात है , इससे आपके जीव प्रेम का पता चलता है, लेकिन एक मानव होने के नाते हमारा यह फ़र्ज़ बनता है कि हम अपने निजी लाभ के लिए कोई ऐसा काम न करें, जिसका दुष्परिणाम हमारी आने वाली नस्लों को भुगतना पड़े । चलिए थोड़ी देर के लिए मान लेते हैं कि आप का प्रस्ताव लागू हो जाता है, तो भविष्य में इसके क्या दुष्परिणाम होंगे शायद आपने अभी सोचा नहीं । चलिये एक नज़र डालते हैं कि भविष्य में आपके प्रस्ताव से होने वाले दुष्परिणाम पर । हम सभी जानते हैं कि हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है " जय जवान जय किसान " और किसान और चूहे का हमेशा से 36 का आंकड़ा रहा है, क्योंकि चूहा उसकी फसलों को भारी नुकसान पहुंचता है, इस कारण वो चूहों को भगाता नहीं है चूहा मार दवाई का इस्तेमाल कर के उसको मार देता है, और जब चूहों का आतंक ज्यादा हो जाता है तो सरकार भी चूहों को मारने के लिए गीदड़ो जैसे जानवरों का प्रबंध कराती है जिससे किसानों की मदद हो सके , ( 1 ) तब समस्या यह उत्पन्न होगी कि जीव हत्या होगी नहीं तो फसलें नष्ट होंगी तो किसान की आर्थिक स्तिथि बिगड़ेगी वह खुशहाल नहीं होगा, और जिस देश का किसान खुशहाल न हो तो वह देश और उसके देशवासी कैसे खुशहाल हो सकते हैं? ( 2 ) भूख का लगना स्वाभविक है ऐसी परिस्तिथि में मनुष्य के भोजन का क्या साधन होगा? क्योंकि मांसाहार पर प्रतिबंध होगा ,शाकाहार पर चूहे जैसे जीवों का राज होगा, तो मांसाहारी हो या शाकाहरी सभी को भूखों मरना पड़ेगा, और मानवता ख़तरे में पड़ जायगी जिसका सारा दोष आपके सर पर होगा । यहाँ मेरा उद्देश्य मात्र इतना है कि हम सब कोई ऐसे भ्रामक प्रचार न करें जिसका हमारे देश पर समाज पर निकट भविष्य में बुरा और प्रतिकूल प्रभाव पड़े । वैसे भी यह समाज , राष्ट्र और विश्व कि कोई ज्वलंत समस्या नहीं है । अंत में आपसे यही निवेदन करूँगा कि आपका अगला जवाब पूरी तरह प्राकृतिक, बोद्धिक व वैज्ञानिक हो जिससे यकीन हो जाये कि आपके प्रस्ताव से निकट भविष्य में मानवता को कोई खतरा नहीं होगा । और मैं आपसे यह वादा करता हूँ कि अगर आप यह सिद्ध कर दें कि आपका प्रस्ताव पूर्णत: दुष्परिणाम रहित है तो मैं आपके साथ आपकी पंक्ति में खड़ा होने को तैयार हूँ ।

  14. Mahak said,

    August 28, 2010 at 4:20 pm

    >@आदरणीय Ejaz Ul Haq जीआपके द्वारा व्यक्त की गई चिंता बिलकुल वाजिब है और मैं उसकी कद्र करता हूँ लेकिन बात फिर वहीँ आ जाती है ,चूहा किसान की फसलों को नुक्सान पहुंचाता है तो उसे मारने वाली दवाई की बजाये क्यों ना उसे मूर्छित अर्थात बेहोश करने वाली दवाई का प्रयोग किया जाए ,इससे तो शाकाहार पर चूहे का राज नहीं हो सकेगा ,अब इस पर भी आपको कोई शंका अथवा आपत्ति हो तो कृपया उसे रखें महक

  15. Ejaz Ul Haq said,

    August 29, 2010 at 11:14 am

    >@ आदरणीय महक जी !क्षमा कीजिये आपके जवाब ने मेरी शंका व चिंता दूर न करके और बढ़ा दी है। यहाँ मेरा मकसद बहस करने का बिलकुल नहीं है। परन्तु मुझे लगता है कि आपके जवाब अनंत बहस का कारण बन सकते है । आप जीव हत्या के लिए जितने गंभीर नज़र आते है, मगर मेरी शंकाओं के निवारण हेतु उतने गंभीर नज़र नहीं आते । कहीं ऐसे तो नहीं कि आप जीव हत्या मुद्दे को हल्के में ले रहे हों, या फिर आप सिर्फ वाहवाही लुटने कि लिए ऐसा लिखते हों । क्योंकि चूहों को मूर्छित करना समस्या का समाधान नहीं समस्या को और जटिल करना है , जैसे :- चूहों को मूर्छित करना फिर उनका होश में आकर किसानों को नुकसान पहुँचाना फिर उनको मूर्छित करना……….. यह सिलसिला तो अंनत है, तब तो बड़ी जटिल एवं हास्यपद स्तिथि पैदा हो जाएगी। मेरे दोस्त इस तरह तो आप देश कि पहचान ' किसान ' को जटिल व अनिवार्य कार्य सौंप कर, उनके अपने कार्य ( कृषि ) से दूर कर रहे हैं , जिस कारण से शाकाहार कि समस्या ज्यों कि त्यों बनी रहेगी । आप वरिष्ठ ब्लोगर है, आपकी ब्लॉग जगत में एक अलग पहचान है , आप ब्लॉग संसद चला रहे हैं, इसलिए आप से पुनः अनुरोध है कि कृपया मेरी शंकाओं का निवारण इस प्रकार करें कि आप की वरिष्ठता पर किसी प्रकार की शंका न हो ।

  16. Mahak said,

    August 29, 2010 at 3:20 pm

    >@आदरणीय Ejaz Ul Haq जीचूहों को मूर्छित करना समस्या को जटिल करना नहीं बल्कि बिना जीव-हत्या किये समस्या का समाधान करना है ,आप या तो मेरी बात को समझे नहीं या फिर समझना नहीं चाहते , मेरा दिल कहता है की आप समझना चाहते हैं लेकिन समझ नहीं पाए इसलिए ज़रा गौर कीजिये ,हमने फसलों पर मारने वाली दवाई की बजाये मूर्छित करने वाली दवाई का प्रयोग किया , चूहे आये ,उन्होंने फसल को खाने की कोशिश की जिससे उनकी तबियत बिगड़ी और वो बेहोश हो गए ,अब जब वो होश में आयेंगे तो आप खुद सोचिये की क्या उन्हें इतनी सी बात भी समझ में नहीं आ जायेगी की there is something wrong in the crops ,इतनी तो प्रत्येक जीव को समझ होती है की जो चीज़ उसे नुक्सान पहुंचा रही है ,जिस चीज़ को खाने से उसकी तबियत बिगड़ी है उससे दूर रहा जाए ,मुझे लगता है इसके लिए आपको law of association का एक उदहारण समझना पड़ेगा-एक गाँव था जिसका की नाम अब मुझे याद नहीं आ रहा ,उसमें से कुछ लोग जंगल में लकडियाँ काटने जाते थे ,पर अचानक वे लापता होने लगे, जंगल में कभी कभार उनके सिर्फ कपडे ही मिल पाते थे वो भी खून से सने हुए ,कारण क्या था की अचानक एक बाघ उस जंगल में आ गया था और उसे उनकी भनक हो गई थी ,जब भी वे लकड़ी काटते थे तो उससे होने वाली टिक-टिक की आवाज़ को सुनकर उस बाघ को इंसान की मौजूदगी का पता चल जाता था और वो उसे अपना शिकार बना लेता था ,मतलब की बाघ ने लकड़ी कटने की टिक-टिक की आवाज़ को इंसान से associate कर लिया था और उसकी वजह से उसे इंसान की मौजूदगी का पता चल गया था अब ये उन गाँव वालों के लिए बहुत ही विकट परिस्तिथि उत्पन्न हो गई थी क्योंकि अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए उन्हें जंगल में लकडियाँ काटने तो जाना ही था ,तो उन्होंने इसका एक तरीका निकाला ,बाघ ने इंसान की मौजूदगी का पता लगाने के लिए law of association का प्रयोग किया था तो उन्होंने भी उसी law of association का प्रयोग किया , उन्होंने इंसान का एक पुतला बनाया और उस पर विद्युत प्रवाह से युक्त नंगी तारों को उस पुतले के शरीर के आसपास लपेट दिया और टिक-टिक की आवाज़ करनी शुरू की और वे खुद छिप गए, आवाज़ को सुनकर बाघ वहाँ पर आया और उसने उस पुतले पर हमला किया लेकिन उसे छूते ही बाघ को एक ज़बरदस्त करंट का झटका लगा और वो बेहोश हो गया ,उस दिन के बाद वहाँ पर उस बाघ द्वारा इंसान को मारकर खाने के घटना दुबारा सामने नहीं आई क्यंकि उस करंट वाली घटना से बाघ के दिमाग ने इंसान को करंट से associate कर लिया था या फिर कहें करवा दिया गया था उन लोगों की सूझ-बूझ की वजह सेऐसी जगहों पर आमतौर पर होता ये है की शिकारियों को बुलाकर बाघ को गोली मार दी जाती है लेकिन उन लोगों ने ऐसा ना करके अपनी समझदारी का प्रयोग करके ये तरीका निकाला जिसमें की जीव-हत्या भी नहीं करनी पड़ी और इंसानी नुकसान भी बंद हो गया ,इसी प्रकार के तरीके हर जगह लागू करने की ज़रूरत है उम्मीद है अब आप समझ गए होंगे मेरी बात कोमहक


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