>अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें
कुछ दर्द कलेजे से लगने के लिये है
स्व. मुकेश जी को पुण्य तिथी पर हार्दिक श्रद्धान्जली। आज मैं आपको मुकेशजी की गाई एक नायाब गैर फिल्मी गज़ल सुना रहा हूँ। इस गज़ल को लिखा है जानिंसार अख्तर ने और संगीत दिया है खैयाम साहब ने।
आईये सुनते हैं।
http://www.divshare.com/flash/playlist?myId=12388612-c94
अशआर मेरे यूं तो ज़माने के लिये है
कुछ शेर फ़कत उनको सुनने के लिये है
कुछ शेर फ़कत उनको सुनने के लिये है
अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें
कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिये है
आँखो में जो भर लोगे तो काँटो से चुभेंगे
ये ख्वाब तो पलकों पे सजाने के लिये है
देखुं जो तेरे हाथों को लगता है तेरे हाथ
मन्दिर में फ़कत दीप जलने के लिये है
सोचो तो बड़ी चीज़ है तहज़ीब बदन की
वर्ना तो बदन आग बुझाने के लिये है
पारूल said,
August 27, 2010 at 4:40 pm
>बेमिसाल !
राज भाटिय़ा said,
August 27, 2010 at 4:41 pm
>बहुत ही खुब सुरत जी, धन्यवाद इस अति सुंदर गजल को सुनाने केलिये
अफ़लातून said,
August 27, 2010 at 5:23 pm
>सागर ,आपके प्रेम के कारण मुझे भी खजाना मिल गया था। फ़कत दीप ’जलाने ’ के लिए होना चाहिए। सुन्दर पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई।
murari said,
August 28, 2010 at 5:17 am
>DHANYAWAD BHAI SAHEB…………
madhu saraf said,
August 28, 2010 at 8:28 am
>kya kahun ! DIL khus kar diya
Dr Prabhat Tandon said,
August 28, 2010 at 12:55 pm
>बहुत ही खूबूसूरत !!
दिलीप कवठेकर said,
August 28, 2010 at 7:35 pm
>मज़ा आ गया….
RA said,
August 29, 2010 at 7:24 am
>Sagar Bhai,This is a wonderful selection.I am not much of a Mukesh fan but love his non filmy ghazals and the combination of Mukesh and Salil Chowdhury.
प्रवीण पाण्डेय said,
August 29, 2010 at 10:51 am
>बहुत अच्छा लगा सुन कर।
Kedar said,
September 4, 2010 at 4:26 pm
>Sagarji… bahot hi khoobsoorat ghazal…though i m not a big fan of Mukeshji, it was a very good feel listening to this rare gem….abhinandan sagarji…
Archana said,
November 25, 2010 at 11:41 am
>सालों बाद सुनी, शुक्रिया….
सतीश सक्सेना said,
February 25, 2011 at 3:54 pm
>कमाल की रचना है ! गज़ब ….शुभकामनायें आपको !