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>तू मेरे गोकुल का कान्हा, मैं हूं तेरी राधा रानी…-फ़िरदौस ख़ान
April 28, 2010 at 3:46 am (गीत, फ़िरदौस ख़ान)
>क्या इंसा जो लेकर आया
January 31, 2010 at 9:05 am (कविता, गजलें, गीत, समाज, gitika, hindi gazal. muktika)
>कितने सपने संजोये हमने
पर वो ख्वाब अधुरे है
सावन आये पल के लिए
पर पतझड़ अभी भी पूरे है
ये नदिया बहती सदियों से
पर सागर में मिल जाती है
अरे फूल खीले हो कितने भी
पर एक दिन वो मुरझाते/मिट जाते है
क्या इंसा जो लेकर आया
क्या लेकर वो जायेगा
खुषी मिले या गम कितने भी
सब छोड़ यहां चला जायेगा
जब अज्ञानी मैं जो था
ये तेरा ये मेरा था
जब जाना ये सबकुछ मैंने
सब माया का फेरा था
सोचा था मैंने कुछ हटके
जाउ जग से नया कुछ करके
वरना खुदा फिर कहेगा मुझसे
आया एक नया पशु फिर मर के
कितने सपने संजोये हमने
पर वो ख्वाब अधुरे है
सावन आये पल के लिए
पर पतझड़ अभी भी पूरे है
>गीत–मेरे गीत सुरीले क्यों हैं —-
September 2, 2009 at 12:00 pm (गीत)
>मेरे गीतों में आकर के तुम क्या बसे ,
गीत का स्वर मधुर माधुरी हो गया ।
अक्षर-अक्षर सरस आम्र-मन्जरि हुआ,
शब्द मधु की भरी गागरी होगया।
तुम जो ख्यालों में आकर समाने लगे,
गीत मेरे कमल दल से खिलने लगे ।
मन के भावों में तुमने जो नर्तन किया,
गीत बृज की भगति बाबरी होगया ।
प्रेम की भक्ति-सरिता में होके मगन,
मेरे मन की गली तुम समाने लगे ।
पन्ना-पन्ना सजा प्रेम रसधार में,
गीत पावन हो मीरा का पद होगया।
भाव चितवन के मन की पहेली बने,
गीत कबिरा का निर्गुण सबद होगया।
तुमने छंदों में सज के सराहा इन्हें,
मधुपुरी की चतुर नागरी होगया ।
मस्त मैं तो यूहीं गुनुगुनाता रहा ,
तुम सजाती रहीं,मुस्कुरातीं रहीं ।
भाव भंवरा बने गुनगुनाने लगे ,
गीत का स्वर नवल पांखुरी होगया।
तुम जो हंस-हंस के मुझको बुलाती रहीं,
दूर से छलना बन के लुभाती रहीं।
गीत इठलाके हमको बुलाने लगे,
मन लजीली कुसुम वल्लरी होगया।
तुमने कलियों से जब लीं चुरा शोखियाँ,
बन के गज़रा कली मुस्कुराती रही |
पुष्प चुनकर जो आँचल में भरने चलीं,
गीत पल्लव-सुमन आंजुरी होगया ।
तेरे स्वर की मधुर माधुरी मिलगई,
गीत राधा की प्रिय बांसुरी होगया ।
भक्ति के भाव तुमने जो अर्चन किया,
गीत कान्हा की प्रिय सांवरी होगया॥
>मुझे आज मेरा वतन याद आया….
August 19, 2009 at 8:26 am (गीत)
मेरे ख्वाब में आके किसने जगाया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
जो भुले थे वो आज फिर याद आया।
मुझे आज म्रेरा वतन याद आया।
वो गांवों के खेतों के पीपल के नीचे।
वो नदीया किनारे के मंदिर के पीछे।
वो खोया हुआ अपनापन याद आया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
वो सखियों –सहेली कि बातें थीं न्यारी।
वो बहना की छोटी-सी गुडिया जो प्यारी।
वो बचपन की यादों ने फिर से सताया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
वो भेडों की,ऊंटों की लंबी कतारें।
वो चरवाहों की पीछे आती पुकारें।
कोई बंसरी की जो धून छेड आया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
वो बाबुल का दहेलीज पे आके रूकना।
वो खिड़की के पीछे से भैया का तकना।
जुदाई की घडीयों ने फिर से रुलाया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
मेरे देश से आती ठंडी हवाओ!
मुझे राग ऐसा तो कोई सुनाओ।
जो बचपन में था अपनी मां ने सुनाया।
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
>सब देख रहा है भगवान्
July 19, 2009 at 2:49 pm (गीत)
इंसा कब बदलेगा ये सोच रहा है
अब कोई धर्म न है इनका,
सब बुरे कर्म है बस इनका
पछताएं मिलकर सब ईश्वर,
क्या करें जो अब इन सबका
सब देख रहा है भगवान हां देख रहा है..
हर रिश्ते इन्होंने तोड़े है,
सब लाज शर्म भी छोड़े हैं
कोई इज्जत किसी की लुट रहा हो-२
ये देख भी सब मुख मोड़े है
सब देख रहा है भगवान हां देख रहा है..
ऐसा कलयुग आया है,
बाप को डैड बनाया है
मां को जीते मार रहा,
मम्मी जो उसे बुलाया है
सब देख रहा है भगवान हां देख रहा है..
आज बात-बात पे दंगा हैं
हर इंसा बना जो नंगा हैं
काली तो यमुना है कबसे
जो मैली हुई वो अब गंगा है
सब देख रहा है भगवान हां देख रहा है…
>खोया आसमा
June 17, 2009 at 4:14 pm (गीत)
खोया जो आंसमा है-२
चांद भी खोया है, तारे भी खोये है-२
खोया जो सारा जहां है-ओ-२
दिल तो खोया है…आसमां है-२
दिल भी धड़का है तेरी ही यादों में
जान भी तड़पी है, तेरी ही बातों में
जान तू कहां, खोई है अब कहां-२
दिल भी खोया है…..आसमां है-२
छुपी हो कहां, जरा अपना पता दो-२
रहस्य से जरा तुम, पर्दा हटा दो-२
तेरे लिये मैं तड़प रहा-२
दिल तो खोया है….आसमां है-२
रात जो गुमशुम हो, सपनों में आती हो
दिल को जगाती हो, धड़कन बढ़ाती हो
कंगन जो खनकाती हो, पागल मुझे बनाती हो
पागल जो बन के मैं, तुझे ढूंढू यहां-वहां
दिल तो खोया है……
…………………..खोया जो आसमां है-२
>चंदा मामा है खास
June 16, 2009 at 5:52 am (गीत)
मामा की लोरी सुन के, देखे सारे बच्चे सपने
रिश्ता ये अजब निराला ओ देखो
बाप का बन गया साला
हो चंदा मामा, बाप का बन गया साला
जब सूरज चमके सो जाये
जब रात हो जाये, जग जाये
सबका ये थोड़ा खास लगे
बाप का बन गया साला
हो चंदा मामा बाप का बन गया साला
हर शायर के लफ़जों में बस्ता
हर गोरी के यू नूर में दिखता
दाग है इसके चेहरे में
फिर भी क्या ये खूब लगता
इसका ये बदन निराला.. ओ देखो
बाप का बन गया साला
चंदा है दूर फिर भी, मामा है करीब अपने..
>badal ने badal को barsaya है
June 15, 2009 at 4:25 am (गीत)
>

क्या फिर मौसम जो आया है
बादल ने बादल को फिर बरसाया है-२
गीत गाते हैं तारे-गुन गुनाते हैं सारे-२
shondhi माटी की खुशबू, उम्मीद ये जगाकर
है दिल में हमारी तू जान से है प्यारी-२
आ लग जा गले, सांस थम आया है
बादल ने बादल को फिर बरसाया है-२
गीत गाते हैं तारे-गुन गुनाते हैं सारे-२
गुल खिले है गुलशन में, महका सारा phijaan है
बाहों से लग जा तू मेरे आज
बुझ जायेगी मेरे दिल की प्यास
कि इस मौसम ने मेरे दिल को तड़पाया है
बादल ने बादल को पिफर बरसाया है-२
गीत गाते हैं तारे-गुन गुनाते हैं सारे-२
क्या फिर मौसम जो आया है
बादल ने बोदल को फिर बरसाया है-२
>विनाशकारी लहरें
June 6, 2009 at 5:03 pm (गीत)
जब लहरों से टकराये पत्थर
वो पत्थर भी पल में बिखर जाता है
रेत बनके वो कण-कण से पत्थर
समन्दर में जाके वो मिल जाता है
जब लहरों से टकराये पत्थर
खेवईयां चलाए बस्तियों को
बस्तियों से मिलाए बस्तियों को
जब समन्दर की लहरें बदल जाती हैं
उजाड़ देती वो कितने बस्तियों को
जब लहरों से टकराये पत्थर
है कुदरत का सारा करिश्मा
लगा है लोगों का मजमा
आज लहरों ने ऐसा कहर ढाया है
दिया है सबको इसका सदमा
जब लहरों से टकराये पत्थर
लड़ रहे हैं भाई सब अपने
बनाया है सबको जिसे रब ने
धमनियों में बहता एक सा है
फिर बतलाया भेद हममें किसने
जब लहरों से टकराये पत्थर
>सब ताज उछाले जायेंगे
April 26, 2009 at 3:20 am (गीत)
>जब जुल्मो-सितम के कोहे-गरां
रुई की तरह उड़ जायेंगे
हम महकूमों के पांव तले
ये धरती धड़ -धड़ धड़केगी
और अहले -हकम के सर ऊपर
जब बिजली कड़ -कड़ कड़केगी
हम देखेंगे …………………….
सब ताज उछाले जायेंगे
सब तख्त गिराए जायेंगे
हम देखेंगे ………….
लाजिम है कि हम देखेंगे ……………………….
“फैज़ अहमद फैज़ “