११ मई २००९ ०७:२३ को, GIRISH BILLORE <girishbillore@gmail.com> ने लिखा:
चिंतन घट रीत गए अपने सब मीत नए
हम हारे हरकारे, सबके सब जीत गए
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षटकोणी वार हुए, हर पल प्रहार हुए
शूल पाँव के रस्ते हियड़े के पार हुए
नयन हुए पथरीले अश्रु एक भी न गिरा
वो समझे वो जीते फिर से हम हार गए
लथपथ थे मृत नहीं ,वापस सब मीत गए
हम हारे हरकारे, सबके सब जीत गए …!!
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Girish Billore Mukul
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गिरीश बिल्लोरे