हिन्दू “नाबालिग” लड़की भगाना शरीयत के मुताबिक जायज़ है? तथा दीप प्रज्जवलित करना “गैर-इस्लामिक” है? : पढ़िये दो सेकुलर खबरें… Shariat, Islamic Personal Law, E Ahmed, Pseudo Secularism

यदि कोई व्यक्ति किसी नाबालिग लड़की को भगाकर ले जाये और शादी कर ले तो उसे भारतीय कानून और संविधान के तहत सजा हो सकती है, ये सामान्य सी बात लगभग सभी जानते हैं, लेकिन अगर कोई मुसलमान, किसी नाबालिग हिन्दू लड़की को भगाकर “निकाह” कर ले तो यह जायज़ है… कोलकाता हाईकोर्ट ऐसा मानता है, जबकि मैं समझता था कि नाबालिग लड़की भगाना गैर-ज़मानती अपराध है।

टाइम्स अखबार में प्रकाशित एक खबर के अनुसार पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में एक 26 वर्षीय युवक सईरुल शेख को कोलकाता हाईकोर्ट ने अग्रिम ज़मानत दे दी है। सईरुल शेख के खिलाफ़ अनीता रॉय नामक 15 वर्षीय लड़की को बहला-फ़ुसलाकर भगा ले जाने और निकाह कर लेने का आरोप लगाया गया है। कोलकाता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के जस्टिस पिनाकीचन्द्र घोष और जस्टिस एसपी तालुकदार ने सईरुल शेख की ज़मानत याचिका पर उसके वकीलों जयमाला बागची और राजीबलोचन चक्रवर्ती ने दलील दी है कि चूंकि यह शादी(?) मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत की गई है अतः यह जायज़ है, और कोर्ट ने भी इस शादी को जायज़ मानते हुए शेख को अग्रिम ज़मानत प्रदान कर दी है। उधर अनीता रॉय की माँ ज्योत्सना ने बहरामपुर पुलिस थाने में उनकी नाबालिग बेटी के गुमशुदा होने की रिपोर्ट 14 अक्टूबर 2009 से दाखिल कर रखी है। खबर के लिये इधर चटका लगायें…

http://timesofindia.indiatimes.com/city/kolkata-/Youth-gets-bail-in-elopement-caseKolkata/articleshow/5345745.cms

कुछ प्रश्न उठते हैं… यदि किसी “सेकुलर ब्लॉगर” (यह भी एक श्रेणी है ब्लॉगरों की) के पास कोई जवाब हो तो दें…

1) क्या इससे यह साबित माना जाये कि कोई मुस्लिम लड़का यदि हिन्दू नाबालिग को भगाकर शादी (या निकाह जो भी हो) कर ले तब भारतीय कानून उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता? क्योंकि उनका अपना पर्सनल लॉ है।

2) क्या मुस्लिम निकाहनामे में नाबालिग से शादी करना गुनाह नहीं है?

3) एक देश में दो कानून कब तक चलेंगे?

4) सुना है कि देश में “महिला आयोग” नाम की एक चिड़िया है वो क्या कर रही है?

बहरहाल, जो भी हो तीस्ता सीतलवाड का मनपसन्द काम मिल गया है, उन्हें तत्काल कोलकाता जाकर उस लड़की को 14 अक्टूबर 2009 से ही बालिग साबित कर देना चाहिये, आखिर तीस्ता झूठे हलफ़नामे पेश करने में उस्ताद हैं। रही-सही कसर हाशमी, आज़मी, अरुंधती वगैरह मिलकर पूरी कर ही देंगे, यदि उस मुस्लिम युवक पर अन्याय(?) हुआ तो… है ना?

दूसरी खबर भी पढ़ ही लीजिये… फ़िर इकठ्ठा ही टिप्पणी कीजियेगा दोनों मुद्दों पर…

जैसा कि सभी जानते हैं केरल में पिछले 60 साल से या तो कांग्रेस का राज रहा है या कमीनिस्टों का। वहीं से एक केन्द्रीय मंत्री हैं ई अहमद नाम के, फ़िलहाल तो रेल राज्यमंत्री हैं और मुस्लिम लीग के कोटे से सुपर सेकुलर यूपीए सरकार में शामिल हैं (ये तो कहने की ज़रूरत ही नहीं है भाई, क्योंकि जब नाम ही मुस्लिम लीग हो, तो वह सेकुलर ही होगी, साम्प्रदायिकता तो उन नामों में होती है जिसमें “हिन्दू” शब्द हो)। खैर, बात हो रही थी ई अहमद साहब की… तमिलनाडु में एक राष्ट्रीय सेमिनार के उदघाटन के अवसर पर इन महाशय ने मंच पर सबके सामने दीप प्रज्जवलित करने से इनकार कर दिया, क्योंकि उनके अनुसार यह “गैर-इस्लामिक” है।

इंडो-जापान चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री के विशेष सेमिनार “स्टेटस ऑफ़ इन्फ़्रास्ट्रक्चर” का उदघाटन करने विशेष विमान से पहुँचे ई अहमद ने मंच पर उपस्थित सभी सम्माननीय अतिथियों को भौंचक्का और असहज कर दिया जब उन्होंने गैर-इस्लामिक कृत्य कहकर दीप प्रज्ज्वलित करने से इन्कार कर दिया। पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि “दीप प्रज्जवलित करना शरीयत के मुताबिक इस्लामिक सिद्धांतों के खिलाफ़ है”, IJCCI के अध्यक्ष एन कृष्णास्वामी ने मामले को “कृपया इसे मुद्दा बनाने की कोशिश न करें” कहकर रफ़ा-दफ़ा करने की घटिया कोशिश भी की।

कुछ समय पहले केरल में भी त्रिवेन्द्रम के एक सांस्कृतिक समारोह के दौरान सरकार में शामिल एक मंत्री पीके कुन्हालिकुट्टी (मुस्लिम लीग) ने मंच पर दीप प्रज्जवलित करने से मना कर दिया था, उस समय महान गायक केजे येसुदास ने विरोधस्वरूप मंच और कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया था, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ, क्योंकि यह उद्योग जगत की मीटिंग थी, येसुदास जैसी मर्दानगी किसी ने दिखाना उचित नहीं समझा (धंधे का सवाल था भई…)। तमिलनाडु के कांग्रेस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया (उन्हें भी तो “महारानी” से डर लगता है ना) कि एक केन्द्रीय मंत्री का यह शर्मनाक कृत्य एक प्रकार की कट्टरता और बर्बरता ही है… लेकिन जब चहुँओर “सेकुलरिज़्म” का बोलबाला हो तो ऐसे बयान बेकार साबित होते हैं। खबर का स्रोत यहाँ है… http://www.deccanchronicle.com/chennai/ahmed-refuses-light-lamp-028

तो मेरे सेकुलर भाईयों… सेकुलरिज़्म की जय, कांग्रेस की जय, कमीनिस्टों (सॉरी कम्युनिस्टों) की जय, महारानी की जय, भोंदू युवराज (क्योंकि उन्हें पता ही नहीं है कि ऐसे मामलों पर क्या बोलना चाहिये) की भी जय…। इन लोगों की जय बोलना आवश्यक है भाई… क्योंकि आने वाले कई सालों तक ये हम पर राज करने वाले हैं… छाती पर मूंग दलने वाले हैं…।

मैं इस प्रकार की खबरें अपने ब्लॉग पर हिन्दुत्ववादियों के लिये नहीं देता हूं… हम तो पहले से ही बहुत कुछ जानते हैं…कि “सेकुलरिज़्म” के नाम देश में क्या-क्या गन्दा खेल चल रहा है। ये खबरें तो सोये हुए मूर्ख हिन्दुओं के लिये तथा गद्दार सेकुलरों के लिये हैं कि “देख लो कहीं तुम्हारे आज के पाप कल की पीढ़ी के लिये विनाशकारी सिद्ध न हो जायें…”।

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40 Comments

  1. January 4, 2010 at 6:30 am

    कोलकाता की घटना पर यहाँ लिखा था:http://www.tarakash.com/joglikhi/?p=1518इसे टिप्पणी समझें. आपका ज्ञानवर्धन कर देता हूँ. कोलकाता में दीपावली के अवसर पर पटाखे चलाना मना है, वहीं ईसा के नववर्ष पर आप चला सकते है. यह सेक्युलरिज्म का एक उत्तम उदाहरण है. दीप जलाना गैर इस्लामी कृत्य है. क्यों की दीप जलाना अंधेरे को भगाने व शुभ कार्य शुरू करने का प्रतिक है. आई बात समझ में? आगे से विरोध मत करना 🙂

  2. Shuaib said,

    January 4, 2010 at 6:50 am

    सेक्युलर देश मे कितने कानून हैं?ये आपसे प्रश्न नहीं पूछ रहा हूं बल्कि अपने आपसे सवाल है।जानकारी देने केलिए आपका आभार।

  3. January 4, 2010 at 6:57 am

    धीरे धीरे सब गैर इस्लामिक होने वाला है. इंतजार कीजिए… नारियल फोड़ना, माला पहनाना … सब! ये लोग जो करें वो सब सही, जो ना करें वही गलत. इन मुर्खों का बहिष्कार किया जाना चाहिए. ई.अहमद के कृत्य के बाद जो कोई वहाँ मौजूद था, उसे बाहर चले जाना चाहिए था, खडे रहने देते मंत्रीजी को अकेले इस्लाम का झंडा लेकर. लेकिन आधे लोग तो नंपूसक होंगे और आधे मतलबी.

  4. January 4, 2010 at 7:33 am

    क्या कहें ऐसे सेक्युलरों को? Uniform Civil code… का पता नहीं क्या हुआ? Article 44 का क्या हुआ… पता नहीं……मैं तो इतना ही कहूँगा… कि मैंने अब गरियाना छोड़ दिया है…. मेरी ईमेज पर सूट नहीं करता…. ऐसा कुछ लोग कहते हैं…. मैं कुछ भी कहता हूँ… तो उसे मेरी शक्ल , शिक्षा और profession से जोड़ दिया जाता है…. कि lecturer हो कर खराब बात करता है…. इसलिए मैंने अब खराब बोलना छोड़ दिया है…. सिर्फ , इतना कहूँगा… कि राष्ट्रवादी सोच में मैं आपके साथ हमेशा हूँ…. और रहूँगा….

  5. January 4, 2010 at 7:36 am

    महफूज़ भाई की टिपण्णी पर (व्यक्तिगत) हैरत और ब्लोगवाणी ने मुझसे कुछ सीखा और उमर भाई को ताँता और झंडा दे दिया. मगर सुरेश भाऊ न सीख पाए!!! टाइम लगेगा !!! अब बंद भी कीजिये यह भड़काऊ पोस्टें !!!

  6. January 4, 2010 at 7:38 am

    इनका बस चले तो ये पूरे देश से ही दिन में पांच बार उठ-बैठक करवाने लगे ! और धीरे-धीरे वह समय भी आ रहा है !

  7. January 4, 2010 at 7:38 am

    nice post: चूंकि यह शादी(?) मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत की गई है अतः यह जायज़ है, और कोर्ट ने भी इस शादी को जायज़ मानते हुए शेख को अग्रिम ज़मानत प्रदान कर दी है।

  8. January 4, 2010 at 8:07 am

    भारत भाग्‍य विधाओ की जय हो, जब तक ऐसे होता रहेगा,तब तक भारत रोता रहेगा।

  9. January 4, 2010 at 8:11 am

    मुस्लिम ला या हिन्दू ला ये देश के क़ानून का दोगलापन है ! क़ानून सब के लिए एक होना चाहिए धर्म को सामाजिक नहीं व्यक्तिगत दर्जे में रखना चाहिए ! आस्था को चौराहे पर रख कर सामूहिक सम्भोग विकसित राष्ट्र में बंद हो , कामना करता हूँ ! ये राष्ट्रीय अखण्डता के लिए अच्छा नहीं है !

  10. January 4, 2010 at 8:19 am

    सुरेश भाई किन्हें समझाने चले! इनके सामने धांसू उदाहरण पेश है आयशा का. जब 6 साल की बच्ची से शादियां हो जाती तो यहां तो लड़की 14 साल कि थी.उसपर चुगदगिरी कि बात मैंने एक ब्लोग पर पढ़ी कि आयशा को ककड़ी-कद्दु या ऐसा ही कुछ खाने को मिला तो वह जल्दी युवा हो गई!?? बकवास कि हद है कि नहीं!जब तक मुस्लिम औरतें खुद ही जागकर इनका पर्सनल लॉ इनके सर पे नहीं मारती तब तक यह घटियापन चलता रहेगा.मुस्लिम समाज में नारी होकर जन्म लेना मौत से भी बदतर दिखता है क्योंकि इन्होंने जिद ठान रखी है कि नहीं बदलेंगे.

  11. January 4, 2010 at 9:18 am

    पता नहीं आजकल माननीय न्यायमूर्तियों को हो क्या गया है?? ये किस प्रकार का न्याय है उनका, जिनमें कि एक नाबालिग हिन्दू लडकी को एक "लव जिहाद" वाला भगाकर शादी कर लेता है, और आंखों पर पट्टी बांधी हुई देवी के मंदिर में बैठकर न्याय करने वाले ये मूर्तियां उसे जायज ठहरा देती हैं। एक इसी स्तंभ से देश की जनता को बहुत सी अपेक्षाएं थी, लेकिन दिनाकरन एवं अन्यान्य न्यायमूर्तियों व उनके फैसलों को देखकर तो लगता है कि यह भी अब विश्वस्त नहीं रहा। वह दिन दूर नहीं जब देश की जनता का इन न्यायमूर्तियों पर से विश्वास पूरी तरह से उठ जाएगा। वैसे भी जिला सत्र न्यायालयों में बैठने वाली मूर्तियां तो हर मामले के निपटान हेतु कमीशन, घुस लेने हेतु तो विख्यात हो ही चुकी हैं। लेकिन इस तरह के तथाकथित "जायज" निर्णय तो इनकी साख में पूरी तरह बट्टा लगा देंगे।अस्तु, जहां तक लीगी रेलवे राज्यमंत्री ई अहमद की बात है, तो उनका लीगी होना ही उनकी सारी करतूत को बयान कर देता है। और इस प्रकार के कृत्य तो माताजी, उनके सुपुत्र, उनके रोबोट प्रधानमंत्री, उनकी पार्टी और सरकार, सबको ही बहुत पसंद आता है। कृपया इस पर कोई सवाल ना खड़ा करें। देख नहीं रहे हैं, बिन लादेन से नए-नए कांग्रेसी बने लोगों को सही रिपोर्टिंग भी भड़काउं लगने लगी है। दोगलापन की भी हद होती है, सलीम !!———————————————-ई अहमद के कृत्यों की बानगी को यहां विस्तार से पढ़ें- http://greathindu.com/2010/01/muslim-minister-imposes-talibanic-shariah-on-indian-railways/%5B%5BThe anti-Hindu ways of Ahmed were very well known in Kerala even before he became the Union Minister of State for Railways. After becoming the Union Minister of State for Railways, he is functioning like a Mughal chieftain. This Hindu-hating Minister issued instructions to Railways officers not to do Ganesha Puja, breaking of coconut, etc before starting of new trains, inauguration of tracks, bridges, etc. He has banned lighting of traditional oil lamps during inaugurations. Likewise, garlanding oftrains, anointing them with sandal paste, sindoor, etc. have also been banned. Railway stations have been discouraged against doing puja to electronic panels etc. during ‘Vijayadasami’ and ‘Durga puja’.He has ordered the closure of temples in Railway compounds and is planning their demolition. ]]

  12. shaishav said,

    January 4, 2010 at 10:06 am

    विडियो सहित एक और सेक्युलर खबर

  13. January 4, 2010 at 10:56 am

    मियां सलीम खान सुरेश चुपलूनकर तो कुछ भी लिखते है, इनके छोड़ो. इन्हे खूदा अक्कल दे ही देगा, एक दिन. आप तो यह बताओ जो काम मुस्लिम लीगी (देश को शायद इसी लीग ने तोड़ा था) अहमद ने सही किया या गलत? एक 15 साल की बच्ची से निकाह सही है या गलत. सवाल ये दो थे, न कि यह की सुरेश चिपलूनकर बकवास करते है या नहीं.

  14. January 4, 2010 at 11:00 am

    साथ ही ब्लॉगवाणी को भी बधाई जो इस लायक है कि सलीम खान से कुछ सीख सके. सीख भी ऐसी की उमर को "डंडा" (उमर के ब्लॉग शीर्षक के अनुसार) थमा दिया. जय हो….

  15. January 4, 2010 at 12:19 pm

    एक सवाल मेरे मन में आया है शायद इस्लामिक विद्वान इसका जवाब दे सकें – कि ई अहमद तो केन्द्रीय मंत्री हैं, हमेशा 5 सितारा होटलों में ठहरते हैं जहाँ भारतीय पद्धति का शौचालय नहीं होता, क्या ई अहमद के लिये शरीयत, कुर-आन अथवा हदीस में “कमोड” पर बैठकर हगना गैर-इस्लामिक है या नहीं इस बारे में कोई डायरेक्शन दिया गया है क्या? साथ ही यदि उन्हें बवासीर हो जाये और शौच के समय उनके मुँह से “अल्लाह” निकल जाये तो क्या वह भी गैर-इस्लामिक होगा?

  16. January 4, 2010 at 12:43 pm

    भारत मे शरीयत लागु होनी चहिये . सिविल और क्रमिनल फ़ैसले दोनो शरियत के हिसाब से हो और मुस्लिम भाई पहल करे अपने लिये

  17. January 4, 2010 at 12:53 pm

    धीरूभाई की बात मानी जाय.

  18. January 4, 2010 at 12:58 pm

    सलीम भाई, ये पोस्ट किस तरह से "भड़काऊ" हो गई बतायें (समझायें) जरा? क्या खबर झूठी दी है मैंने? या बढ़ा-चढ़ाकर लिखी है? या मनगढ़न्त लिखी है? चलो मेरी किसी भी बात का न सही,,, हिटलर की बातों का ही जवाब दे दो…

  19. January 4, 2010 at 1:43 pm

    बहुत खुब! पर सेकुलरिज्म तो भारत में मजाक हो गया है इस प्रसंग में भाजपा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष गडकरी का बयान प्रासांगिक है उन्होंने अपने पहले प्रेस वार्ता में कहा कि सेकुलरिज्म पहले प्रो मयनारिटी बना फिर धिरे धिरे प्रो टेररिस्ट बन गया। तब जब आतंकबाद से सेकुलरों को परहेज नही ंतो अन्य बातों पर चर्चा क्या और अपना देश देखिए कि उसे अफजल गुरू को मेहमान बनाने वाली सरकार ही पसंद है और पसंद है कड़वी चीनी खाना, तो हम और आप पागल प्रलाप करते है और भारत यूं ही भांड में जाता रहेगा।

  20. January 4, 2010 at 1:54 pm

    मै तो बचपन से सुनता आ रहा हूँ कि हिन्दुऔ को अब जगना चाहिये, हमारा और इम्तिहान मत लो हिन्दु जाग जायेगा तो सब को मिटाकर रख देगा, हम डरपोक नहीं है आदि आदि। हाक थू। पता नहीं हिन्दु कौनसी नीद में सोया है अपने कान में तेल(शायद शीशा)डालकर जो जगने में ही नहीं आ रहा। जो भी केन्द्र में सत्तासीन है उनको सत्ता में बैठाने वाले हिन्दु ही है। अब कश्मीर को स्वायता देने वाले हिन्दु ही हैं। हिन्दु-हिन्दुस्तान की बातें करने वाले अछूत हो गये उनकी सरकार नहीं बननी चाहिये, न ही उनसे समर्थन लिया जाना चाहिये। मुस्लिम लीग जिसने इस देश को दो भागों में बांटा वह आज तथाकथित नोन सकुलरों की सहायता से सत्ता का सुख बटोर रही हैं। भारतीय मीडिया विशेषत: हिन्दी मीडिया तो एक ऎसा कुत्ता है जो हमेशा अपने मालिक पर ही भोंकता है चोर के आगे पूंछ हिलाता है। वरुण गांधी यदि ऎसा कुछ भी कर देते तो, इनकी ग….. में मिर्ची लगजाती, और सारे दिन उसकी C D बजा कर भौक-भौक कर अपना गला सुजा लेते। पता नही अपनी माँ के भडवे जब कहाँ चले जाते है जब कोई मुस्लमान भारत माँ की अस्मिता तार-तार करता है। लगता है हिन्दू जगाना चाहता है, जगना नहीं चाहता। वाह….. रे मेरे शेरों

  21. January 4, 2010 at 1:56 pm

    सभी अजमानतीय अपराधों में सत्र न्यायालय एवं हाईकोर्ट को अग्रिम जमानत देने का अधिकार होता है. इसका मतलब गिरफ़्तार होने के पहले ही उसकी जमानत का आदेश दे दिया जाता है कि यदि यह संबंधित अजमानतीय अपराध में अगर गिरफ़्तार किया जाता है तो उसे जितनी जमानत का आदेश होता है उतनी जमानत गिरफ़्तार करने वाले अधिकारी के समक्ष पेश करने पर उसे जमानत पर छोड़ दिया जाता है. न्यायालय अग्रिम जमानत मंजूर करते समय शर्तें भी लगा सकती है.आपने लिखा है:"और कोर्ट ने भी इस शादी को जायज़ मानते हुए शेख को अग्रिम ज़मानत प्रदान कर दी है।"अग्रिम जमानत का ये मतलब कतई नही होता कि न्यायालय ने उसकी बात को सही मान लिया है.———————————न्यायालय कभी दिमाग से नही सोचता यह उसकी मजबूरी है. उसे कानून की धाराओं के अनुसार चलना पड़ता है. मजेदार बात ये है कि जमानत, जमानतीय अपराधों में दी जाती है और अग्रिम जमानत, गैर जमानतीय अपराधों में दी जाती है. इसी नियम की वजह से हमेशा बड़ी मछली बच जाती है. आपने अक्सर सुना होगा कि वीआईपी लोग हमेशा अग्रिम जमानत पा जाते हैं और गरीब लोग जिन्हे इसके बारे में पता नही होता वो जेल की हवा खाते हैं. जो कुछ भी हुआ वो अच्छा नही है परंतु इसके लिए न्यायालय को दोष देने की बजाय कानून बनाने वालों को दोष देना चाहिए. मेरा सुझाव है कि किसी कानूनविद से मिलकर इस अग्रिम जमानत के कानून के बारे में छानबीन करें और यह बताएं कि किस किस प्रकार से बड़ी मछली हमेशा बच निकलती है.

  22. aarya said,

    January 4, 2010 at 2:53 pm

    सादर वन्देदेश के इन गद्दारों को सड़क पर खड़ा करके गोली मार देनी चाहिए, साथ ही साथ इन मिडिया वालों को तो पहले, ये लोग पहले अपनी मिडिया में काम करने वाली लड़कियों को हवश का शिकार बनाते हैं और रात होते ही नशे में डूब जाते हैं, इनके के कारण और गन्दगी बढ़ती जा रही है.रही बात सेकुलरों कि तो ये पहले अपने बाप को गलत ठहरातें हैं जिन्होंने इन्हें पैदा किया फिर समाज में आते हैं, ये तो कुत्ते कि मौत मरेंगे,अफसोस बस इतना है कि पेड़ तभी कट रहा है जाब लोहे साथ खुद लकड़ी दे रही है.

  23. Mired Mirage said,

    January 4, 2010 at 3:18 pm

    जय हो।नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ। घुघूती बासूती

  24. January 4, 2010 at 5:13 pm

    अपनी पिछली कई टिप्पणियों की तरह, जो कई जगह की गई है यही कहेंगे किउनका खून खून, हमारा खून पानी.हम करें तो पाप वे करें तो नादानी.=======================जियो-जियो यही भारत देश है, यही लोकतंत्र है.जय हिंद, जय बुन्देलखण्ड

  25. January 4, 2010 at 5:17 pm

    …आदरणीय सुरेश जी,सबसे पहले तो यह कहूंगा कि कॉमन सिविल कोड लागू होना चाहिये इसमें दो मत नहीं हो सकते, अगर हमें वाकई सही तरीके से आगे बढ़ना है तो कॉमन सिविल कोड लागू करने की ओर बढ़ना पड़ेगा, परन्तु हमारे निर्वाचित प्रतिनिधि इतना साहस नहीं दिखा पा रहे हैं।अब आते हैं अनीता रॉय मामले में आपके सवालों पर:-* सबसे पहले यहाँ पर देखिये…According to UNICEF’s “State of the World’s Children-2009” report, 47% of India's women aged 20–24 were married before the legal age of 18, with 56% in rural areas. The report also showed that 40% of the world's child marriages occur in India.कम उम्र में की गई यह अधिकांश शादियां हिन्दू परिवारों में ही होती हैं पर खेद की बात है कि हिन्दुओं के बीच से इसके खिलाफ आवाज नहीं उठती है, यहां तक कि आप जैसे प्रखर राष्ट्रवादी और हिन्दुत्व के ध्वज वाहक (इस बात के लिये आपका मैं हृदय से सम्मान करता हूँ और यह बात मैं पूरी ईमानदारी से कह रहा हूँ।) छोटे-छोटे लड़का-लड़की के प्रेम जैसे मुद्दे में उलझ कर अपनी शक्ति वहाँ नहीं लगाते, जहां लगनी चाहिये।* अब बात आती है अदालत का निर्णय सही है या नहीं, तो अदालत केवल वर्तमान कानून के अनुसार ही फैसला कर सकती है।* देखिये मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार…Marriage Age: 21 for males and 18 for females; penal sanctions for contracting under-age marriages, though such unions remain valid अर्थात यह शादी अवैद्य नहीं है।और* IPC के सेक्शन ३७५ के अनुसार…Sexual intercourse by a man with his wife, the wife not being under fifteen years of age, is not rape. अर्थात यह जोड़ा यदि पति पत्नी के संबंध भी बना लेता है तो कोई आपराधिक मामला नहीं बनता।तो क्या करता न्यायालय ? जब कानून ही यही है।अब आपके दूसरे मुद्दे पर आते हैं, मंत्री ई० अहमद ने जो कुछ भी किया अपनी अकल के अनुसार किया, इसे मुद्दा बनाने से उन्हें अपनी हैसियत से ज्यादा महत्व मिलेगा, वह हिन्दुस्तान के सारे मुसलमानों या सैकुलर लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करते ठीक उसी तरह जैसे अशोक सिंघल विश्व हिन्दू परिषद के भले ही हों पर वह मेरे जैसे हिन्दुओं के प्रतिनिधि नहीं।आभार!

  26. Common Hindu said,

    January 4, 2010 at 6:04 pm

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  27. January 4, 2010 at 7:30 pm

    दाउद इब्राहिम द्वारा देश में बम फोड़ना और हाजी मस्तान की स्मगलिंग भी शरीयत के मुताबिक़ गुनाह हो जाता है. लेकिन उनके इस गुनाह का विरोध कोई मुस्लिम नेता या संगठन नहीं करता. लिहाजा वन्देमातरम, दीप-प्रज्वालाना, पोलिया की दवा और गर्भनिरोध से उनको इस्लाम खतरे में पड़ जाता नजर आता है. जिस चीज /कामो से फायदा होता है वह ना जाने क्यूँ शरीया के मुताबिक़ और जहां त्याग और देश के हित की बात आती है वह उन्हें 'कुफ्र' याद आने लगता है…?? हम तो बस यही कहेंगे..'जय हो जेहादी सेकुलरिज्म की'

  28. सुमो said,

    January 5, 2010 at 2:12 am

    कानून द्वारा यह शादी मुस्लिम पर्सनल ला के द्वारा जायज नहीं मानी जा सकती. मुस्लिम पर्सनल ला केवल दो मुस्लिमों के मध्य शादी के लिये ही मान्य हो सकता है. एक मुस्लिम व एक अन्य धर्मावलम्बी के बीच नहीं. नाबालिग लड़की स्वयं अपना धर्म भी परिवर्तन नहीं कर सकती. इसके लिये इसका बालिग होना आवश्यक है. इसलिये यदि कोर्ट को इस शादी को मुस्लिम पर्सनल ला के अनुसार मानता है तो गलत है.

  29. January 5, 2010 at 7:27 am

    सुरेश जी,आपको शत शत नमन…कृपया और ऐसे भदकाऊ पोस्ट लिखते रहें ताकि सलीम जैसे लोग और भड़क सकें आप के खिलाफ।आखिर सच तो कड़वा होता है। तो कड़वी गोली आसानी से नहीं खाई जाती है ना!!!!जहां तक न्यायालय की बात है… तो क़ानून अंधा ही तो होता है॥ खराबी तो क़ानून में ही है ना॥अच्छा है की मैं "हिन्दू"स्तान में नहीं हूँ, नहीं तो खुदा जाने मेरी बेटियों का क्या होता… कोई भगवान् ना करे ऐसे किसी लव जिहाद वाले से मिलती तो… इससे तो अच्छा सेकुलर अमेरिका है जहां दुहरी क़ानून पद्धति नहीं है॥ और १८ साल से कम की लड़की से हुए यौन संबंधों को "कानूनन बलात्कार" ही माना जाता है, चाहे स्वेच्छा से हुया हो॥खैर इन् लोगों को क्या कहें जो अपने ही सम्बन्धियों को नहीं छोड़ते हैं!!!दिया के बारे में ज्यादा नाराज ना होंए… एक दिन राष्ट्र ध्वज का रंग भी हरा होने वाला है… और "अधिनायक जय हे" भी गैर-इस्लामिक हो जाएगा क्योनी खुदा की अलावा किसी और की जय बोलना भी तो गैर-इस्लामिक होगा ना!!!!!ताजुब्ब है किसी ने अभी तक इस पर बवाल नहीं मचाया??~जयंत

  30. Shuaib said,

    January 5, 2010 at 7:44 am

    सलीम ख़ान ये आपके लिए है कि यहां सुरेश भाई ने ऐसी कौनसी भड़काऊ वाली बात कही?इनहोंने तो सिर्फ ख़बर दी है और ख़बर पढ़ने के बाद भड़कना ना भड़‌कना आपके ऊपर है। संजय भाई ने भी आपको उत्तर दे दिया था।

  31. ASHWANI JAIN said,

    January 5, 2010 at 3:04 pm

    "एक सवाल मेरे मन में आया है शायद इस्लामिक विद्वान इसका जवाब दे सकें – कि ई अहमद तो केन्द्रीय मंत्री हैं, हमेशा 5 सितारा होटलों में ठहरते हैं जहाँ भारतीय पद्धति का शौचालय नहीं होता, क्या ई अहमद के लिये शरीयत, कुर-आन अथवा हदीस में “कमोड” पर बैठकर हगना गैर-इस्लामिक है या नहीं इस बारे में कोई डायरेक्शन दिया गया है क्या? साथ ही यदि उन्हें बवासीर हो जाये और शौच के समय उनके मुँह से “अल्लाह” निकल जाये तो क्या वह भी गैर-इस्लामिक होगा?"The best one.

  32. Ashok said,

    January 5, 2010 at 4:09 pm

    Suresh Ji Jai Shri RamBharat Main Jo Kanun Hain Bo Sab Hinduo Ke Liye Hain In Katuon Ke Ke Liye Sab Jayag Hai Kyon Ki Hamari Sarkar Main To Sare Napunsak Bethe Hain.

  33. बवाल said,

    January 5, 2010 at 5:53 pm

    आदरणीय सुरेश जी ,एक बात का कष्ट हुआ आपकी यह पोस्ट पढ़कर। और वो ये कि " कुछ प्रश्न उठते हैं… यदि किसी “सेकुलर ब्लॉगर” (यह भी एक श्रेणी है ब्लॉगरों की) के पास कोई जवाब हो तो दें”जनाब अभी सिर्फ़ अग्रिम ज़मानत मंज़ूर हुई और आपने ऐसा माहौल बना दिया जैसे फ़ैसला ही हो गया हो। एक बात से सतर्क हमारे तमाम ब्लॉगर्स अवश्य रहें कि जब बात अदालत की ज़द में हो तो अधकचरी सूचनाओं के अधार पर अदालत की कार्यावाही पर कटाक्ष करना कभी कभी उसकी अवमानना की श्रेणी में आ जाता है। मेरा ख़याल है मौखिक युद्ध में न आप हारेंगे न वो। तो क्यूँ न एक बेहतरीन दंगा हो जाए। दो चार दस हज़ार मरेंगे, अपाहिज होंगे, बच्चे अनाथ होंगे, बहनों, माताओं, पत्नियों, बेटियों से बलात्कार होंगे बस और क्या इतना तो चलता है नॉन सैक्युलर मुसलमानों और हिन्दुओं में। हमारे जैसे सैक्युलर हिन्दू और मुसलमानों को फ़र्क पड़ता है तो पड़ता रहे है ना ?

  34. January 5, 2010 at 8:05 pm

    भाई बवाल साहब, आम तौर पर कोर्ट आम नाबालिग-विवाह के मामले में रियायत नहीं देती है. लेकिन यहाँ तो इस मामले को 'शरीयत की रौशनी' में या 'पर्सनल लो बोर्ड' के लिहाज से अग्रिम जमानत जैसी रियायत दे रही है. मेरे ख़याल से सुरेशजी का कहना सही है की भारतीय संविधान को ठेंगा दिखाकर शरीयत के मुताबिक़ मामले को देखना कहाँ तक सही है. जबकि इस विवाह (?) में एक व्यक्ति हिन्दू है. और अगर शरीयत या पर्सनल लो बोर्ड नाबालिग विवाह को सही भी मानता है तो क्या यह अमानवीय और अनुचित नहीं है?? क्या इस परिपाटी को भी 'सेकुलर' सही मानते हैं??

  35. बवाल said,

    January 6, 2010 at 7:05 pm

    क़ानून की व्याख़्या शायद ग़ैरजानकारों के बीच करना समझदारी नहीं।आप सब बजा फ़रमाते हैं जी, आप ही लोग सही हैं। बहुत बहुत शुक्रिया।

  36. the said,

    January 7, 2010 at 9:06 am

    प्रिय बवाल जीवह कानून ही किस काम का जिसे आप आम लोगों को समझा न सकें? मुझे समझ में नहीं आ रह है कि आप जैसे लोग मूल मुद्दे को छोडकर कानूनी पहलुओं जैसी तकनीकी बातें बता रहे हैं कि अभी कोई फ़ैसला नहीं हुआ है, कानून में यह लिखा है, वगैरह वगैरह. क्या इसे ही शुतुर्मुर्गी रवैया कहते हैं? एक और साहब हैं जो हिंदुओं की बुराई गिनाने में जुट गए. अरे साह्ब, कोई अगर बुरा है, तो इससे आपकी बुराई अच्छाई में तो नहीं बदल जाएगी, वह रहेगी तो बुराई ही न? तो फ़िर वर्तमान के मूल मुद्दे पर अपनी राय दीजिए ना…न कि आंकडे बताइए.

  37. anna said,

    January 13, 2010 at 3:18 pm

    Dr. Kattassery Joseph Yesudas

  38. December 4, 2010 at 3:44 pm

    >आपके ही आलेख का एक अंश को फिर से टिपियाता हूं, इसे भी मेरे विचार का एक हिस्सा समझा जाए……. तो मेरे सेकुलर भाईयों… सेकुलरिज़्म की जय, कांग्रेस की जय, कमीनिस्टों (सॉरी कम्युनिस्टों) की जय, महारानी की जय, भोंदू युवराज (क्योंकि उन्हें पता ही नहीं है कि ऐसे मामलों पर क्या बोलना चाहिये) की भी जय…। इन लोगों की जय बोलना आवश्यक है भाई… क्योंकि आने वाले कई सालों तक ये हम पर राज करने वाले हैं… छाती पर मूंग दलने वाले हैं…। …अंत में, पुनश्च कोटिशः !@#$^%%&*^(&*&(*&(* जय-जय

  39. Anonymous said,

    September 26, 2011 at 6:45 pm


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