धर्म बड़ा होता है या “राष्ट्र”(?) – निदाल मलिक हसन, फ़ैज़ल शहजाद तथा माधुरी गुप्ता के सन्दर्भ में…… Nidal Malik Hasan, Faizal Shahjad, Madhuri Gupta : Nation First OR Religion?

1) कुछ माह पहले ही अमेरिका में एक मेजर निदाल मलिक हसन ने अपने एयरबेस पर अंधाधुंध गोलियाँ बरसाकर 36 अमेरिकियों को हताहत किया था। निदाल मलिक हसन अमेरिकी सेना में एक मनोचिकित्सक था, और गिरफ़्तारी के बाद उसका कथन था कि वह अमेरिका द्वारा ईराक और अफ़गानिस्तान में की गई कार्रवाईयों की वजह से निराशा की अवस्था में था और उसे अमेरिका का यह हमला “इस्लाम” पर हमले के समान लगा।  पिछले कुछ समय से मेजर निदाल मलिक, इस्लामिक बुद्धिजीवी(?) अनवर-अल-अवलाकी के सम्पर्क में था, उससे निर्देश लेता था और उसकी इस्लामिक शिक्षाओं(?) से बेहद प्रभावित था…(खुद मनोचिकित्सक है, और शिक्षा ले रहा है अनवर अवलाकी से? है ना मजेदार बात…)

पूरा विवरण यहाँ देखें… http://f8ba48be.linkbucks.com

2) इसी तरह उच्च दर्जे की शिक्षा प्राप्त और पाकिस्तान के एयरफ़ोर्स अफ़सर बहरुल-हक के लड़के फ़ैज़ल शहजाद को अमेरिका से दुबई भागते वक्त हवाई जहाज में से गिरफ़्तार कर लिया गया (यहाँ देखें http://1d866b57.linkbucks.com)। फ़ैज़ल ने स्वीकार किया है कि उसी ने टाइम्स स्क्वेयर पर कार बम का विस्फ़ोट करने की योजना बनाई थी, क्योंकि अमेरिका उसे इस्लाम का दुश्मन लगता है। (http://4cfa0c9a.linkbucks.com)

इन दोनों मामलों में कुछ बातें समान है, और वह यह कि दोनों आतंकवादी अमेरिकी नागरिक बन चुके थे (अर्थात अमेरिका “उनका” देश था), दोनों अच्छे प्रतिष्ठित परिवारों से हैं, दोनों उच्च शिक्षित हैं, अमेरिका में स्थाई नौकरी कर रहे थे… लेकिन, लेकिन, लेकिन, लेकिन… दोनों ने प्रकारान्तर से यह स्वीकार किया कि उन्होंने यह हमले करके “इस्लाम” की सेवा की है। पिछले कुछ समय से अमेरिका में हुए आत्मघाती और हमले के षडयन्त्र की कुछ और घटनाएं देखिये –

1) गत दिसम्बर में फ़ोर्ट जैक्सन के मिलेट्री बेस में पाँच व्यक्तियों (यानी मुस्लिमों) को गिरफ़्तार किया गया, जब वे साउथ केरोलिना मिलेट्री बेस के लिये आये हुए खाने में जहर मिलाने की कोशिश कर रहे थे।

http://www.nypost.com/p/news/national/five_muslim_soldiers_arrested_over_zYTtFXIBnCecWcbGNobUEJ#ixzz0gEmjO5C8

2) 1 जून 2009 को अब्दुल हकीम मोहम्मद ने अरकंसास प्रान्त में दो अमेरिकी सैनिकों को गोली से उड़ा दिया।

3) अप्रैल 2009 में साउथ जर्सी में फ़ोर्ट डिक्स पर हमला करने का षडयन्त्र करते हुए चार मुस्लिम युवक धराये।

तात्पर्य यह कि अमेरिका में ऐसी घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, इसीलिये इनकी इस हरकत से यह सवाल महत्वपूर्ण हो जाते हैं कि –

1) इस्लाम बड़ा या राष्ट्र बड़ा?

2) कोई व्यक्ति जिस देश का नागरिक है उसे अपने देश के प्रति वफ़ादार रहना चाहिये या अपने धर्म के प्रति?

3) यदि इतनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी किसी व्यक्ति के दिल में अपने देश के प्रति (जहाँ से वह रोजी-रोटी कमा रहा है) प्रेम का भाव नहीं जागता, बल्कि उसके धर्म के प्रति ऐसा “अनुराग” जाग जाता है कि उसके लिये वह मरने-मारने पर उतारू हो जाता है, तो क्या फ़ायदा है ऐसी उच्च शिक्षा का?

4) “अपने” देश से गद्दारी करने के संस्कार, उन्हें कहाँ से मिले?

5) अच्छे खासे कमाते-खाते-पीते अचानक उसी देश के प्रति गद्दारी का भाव कहाँ से जागा, जहाँ की वे रोटी खा रहे हैं?

यह ब्रेन-वॉश किसने किया?

अब आते हैं, माधुरी गुप्ता मामले पर, जैसा कि सभी जानते हैं “गद्दार” माधुरी गुप्ता को जासूसी के आरोप में पुलिस ने गिरफ़्तार किया हुआ है और उससे पूछताछ जारी है। पूछताछ में पता चला है कि माधुरी के बैंक खातों में किसी भी प्रकार की “असामान्य एंट्रियाँ” नहीं पाई गई हैं, अतः यह गद्दारी, धन के लिये होने की सम्भावना कम लगती है। वहीं दूसरी ओर जाँच में यह सामने आया है कि माधुरी गुप्ता, इस्लामाबाद में एक पाकिस्तानी सेना के अफ़सर मुदस्सर राणा के प्रेम(?) में फ़ँसी हुई थी, और माधुरी ने लगभग 6 साल पहले ही इस्लाम कबूल कर लिया था। फ़रवरी 2010 में अफ़गानिस्तान में भारतीयों पर हुए हमले के सम्बन्ध में माधुरी ने तालिबान को मदद पहुँचाने वाली जानकारी दी थी।

माधुरी गुप्ता ने कुछ समय पहले भी खुलेआम एक इंटरव्यू में कहा था कि उसे पाकिस्तान और पाकिस्तानियों से “सहानुभूति” है। यह कैसी मानसिकता है? क्या धर्म बदलते ही राष्ट्र के प्रति निष्ठा भी बदल गई? इससे पहले भी अमेरिका के एडम गैडहॉन ने इस्लाम अपनाया था और बाकायदा टीवी पर एक टेप जारी करके अमेरिकी मुसलमानों से मेजर निदाल मलिक के उदाहरण से “कुछ सीखने”(?) की अपील की थी, अर्थात जिस देश में जन्म लिया, जो मातृभूमि है, जहाँ के नागरिक हैं… उसी पर हमला करने की साजिश रच रहे हैं और वह भी “इस्लाम” के नाम पर… ये सब क्या है? 

माधुरी गुप्ता के मामले में पाखण्ड और डबल-क्रास का उदाहरण भी देखिये, कि पाकिस्तान के मीडिया ने कहा कि “माधुरी गुप्ता एक शिया मुस्लिम है और उसने यह काम करके इस्लाम को नीचा दिखाया है”। यानी यहाँ भी शिया-सुन्नी वाला एंगल फ़िट करने की कोशिश की जा रही है…। सवाल उठता है कि सानिया मिर्ज़ा भी तो शिया मुस्लिम है, उसे अपनाने में तो भाभी-भाभी कहते हुए पाकिस्तानी मीडिया, बैंड-बाजे बजाकर आगे-आगे हो रहा है, तो माधुरी गुप्ता पर यह इल्ज़ाम क्यों लगाया जा रहा है कि “वह एक शिया है…”। इससे तो ऐसा लगता है, कि मौका पड़ने पर और सानिया मिर्जा का बुरा वक्त (जो कि शोएब जैसे रंगीले रतन और सटोरिये की वजह से जल्द ही आयेगा) आने पर, पाकिस्तान का मीडिया फ़िर से शोएब के पीछे ही खड़ा होगा और सानिया मिर्ज़ा को दुत्कार देगा, क्योंकि वह शिया है? मौलाना कल्बे जव्वाद ने पाकिस्तानी मीडिया की “शिया-सुन्नी” वाली थ्योरी की जमकर आलोचना की है, लेकिन उससे उन लोगों को कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला, क्योंकि विभाजन के वक्त भारत से गये हुए मुसलमानों को वे लोग आज भी “मुहाजिर” कहते हुए लताड़ते हैं। 

अन्त में इतना ही कहना चाहूंगा कि, भारत पर हमला करने वाला अजमल कसाब तो युवा है और लगभग अनपढ़ है अतः उसे बहकाना और भड़काना आसान है, लेकिन यदि मोहम्मद अत्ता जैसा पढ़ा-लिखा पायलट सिर्फ़ “धर्म” की खातिर पागलों की तरह हवाई जहाज ट्विन टावर से टकराता फ़िरे… या लन्दन स्कूल ऑफ़ ईकोनोमिक्स का छात्र उमर शेख, डेनियल पर्ल का गला रेतने लगे… तब निश्चित ही कहीं न कहीं कोई गम्भीर गड़बड़ी है। गड़बड़ी कहाँ है और इसका “मूल” कहाँ है, यह सभी जानते हैं, लेकिन स्वीकार करने से कतराते, मुँह छिपाते हैं, शतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर गड़ा लेते हैं… और ऐसे लोग ही या तो “सेकुलर” कहलाते हैं या “बुद्धिजीवी”। सॉरी, सॉरी… एक और विषधर जमात भी है, जिसे “पोलिटिकली करेक्ट” कहा जाता है…।

खैर… यदि कसाब जैसे अनपढ़ों की बात छोड़ भी दें (क्योंकि वह पाकिस्तान का नागरिक है और भारत के विरुद्ध काम कर रहा था) लेकिन यह सवाल बार-बार उठेगा कि, उच्च शिक्षा प्राप्त युवा, 5 अंकों में डालरों की तनख्वाह पाने वाले, जब किसी दूसरे देश के “स्थायी नागरिक” बन जाते हैं तब उनके लिये “धर्म बड़ा होना चाहिये या वह देश?”

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71 Comments

  1. May 21, 2010 at 9:48 am

    जिस मज़हब की बुनियाद ही कटी खोपड़ियों पर रखी गयी है, उसमें ऐसा होना कोई ताज्ज़ुब की बात नहीं. इस्लाम तो जिहाद के नाम पर सिखाता ही दुसरे धर्म के लोगों को मारना है. और धर्म अगर किसी के लिए अफीम है तो वो यही कौम है.

  2. May 21, 2010 at 9:51 am

    आप ऐसा सवाल करोगे तो हम भी गाएंगे, मजहब नहीं सीखाता….तो फिर कौन सीखाता है, समझ नहीं आया? खूद को असुरक्षित समझती यह कौम दुनिया को असुरक्षित किये हुए है. अतं में चुंकि मुझे देश की सेवा में चुनाव लड़ना पड़ सकता है, कुछ लोगों कि वजह से सारी कौम बदनाम हो रही है. वास्तव में आतंकवादी का कोई मजहब या मुल्क नहीं होता. वह केवल आतंकवादी होता है. भटके हुए लोगों के प्रति सहानुभूति रखें. हिंसा का जवाब हिंसा कतई नहीं है. सत्य के प्रयोग पढ़ें.

  3. May 21, 2010 at 9:57 am

    झकझोरने वाला लेख और सार्थक चिन्ता….पढ़े लिखे भी राष्ट्र से पहले धर्म की सोचते हैं..यही विडंबना है

  4. May 21, 2010 at 9:57 am

    ओह बड़ा मुश्किल है समझना!ये मजहब बड़ा संवेदनशील मामला है….

  5. May 21, 2010 at 10:00 am

    .देश हित में हथियार उठे या न उठे, सच्चा मुसलमान बनने के चक्कर में हथियार जरुर उठ जाता है.

  6. SANJEEV RANA said,

    May 21, 2010 at 10:05 am

    मैं इस पर क्या कहू ."बस यही की जो इंसान इंसानियत छोड़कर लड़े वो इंसान नही और जो धर्म इंसानों को लड़ाए वो धर्म नही "

  7. kunwarji's said,

    May 21, 2010 at 10:09 am

    ये पक्की बात है की आज सलीम नहीं आएगा अपना वो "केवल एक जन्म लेने वाला ही राष्ट्रवादी हो सकता है"राग लेकर!पढ़ेगा जरुर,वो बात नहीं दोहराएगा!बहुत कुछ स्पष्ट तरीके से बताती आपकी ये पोस्ट!कुंवर जी,

  8. vikas mehta said,

    May 21, 2010 at 10:17 am

    suresh jee apka lekh sunder hai samy kam hai isliye adha padha hai abhi kuch der dosto ke saath jaa rhaa hoo baad me sara lekh padhunga acche lekh ke liye dhnywad

  9. May 21, 2010 at 11:49 am

    जब मुल्क मुसीबत में हो तब 'हम' जैसा कोई भी नागरिक मज़हब की बजाय अपने वतन के बारे में सोचेगा और उसके लिए अपनी जान तक क़ुर्बान कर देगा… इसलिए कह सकते हैं कि 'राष्ट्र'… क्योंकि राष्ट्र से हम हैं और हम से मज़हब…

  10. zeal said,

    May 21, 2010 at 12:04 pm

    Nothing could be bigger than nation.PS- Madhavi type of people should be chopped into pieces.

  11. May 21, 2010 at 12:11 pm

    इसमें कोई सन्देह नहीं कि राष्ट्र सर्वोपरि है लेकिन भारतीय संसकृति व सुरक्षावलों का अपमान करने वाले जानवर जो खुद को आदमखोर जिहादी अल्लहा का वंसज बताते हैं गद्दारी व नमकहरामी उनकी रग-रग में है व इस सारे अलगाववाद व आतंकवाद को ठीक ठहराने के लिए ये लोग सहारा लेते हैं हदीश व कुरान शरीफ का।

  12. Shah Nawaz said,

    May 21, 2010 at 12:52 pm

    सुरेश जी, आप अपने लेख के ज़रिये और मुट्ठी भर लोगो के सच्चे-झूठे उदहारण देकर आप एक पुरे समुदाय को निशाना बना रहे हैं, ज़रा सोचिये अगर डेड अरब लोग आपकी बताई हुई मानसिकता के हो तो इस विश्व का क्या होगा? आप इशारों में बता रहे हैं, की इसका मूल कहाँ है…. अगर आपको मालूम है तो हमें भी बता दीजिये…. यह हमारा आपसे वादा है की आपकी बात को झुटा साबित ना कर दिया तो हमारा नाम बदल देना.वैसे आपको बताता चलूँ, की अपने धर्म के ग्रंथो को पढ़ कर ही पले बढे मुझ जैसे अरबों लोग अपने देश के लिए अपनी जान कुर्बान रखने का जज्बा रखते हैं. मेरे देश के ही हजारों मुसलमानों ने इस भारत वर्ष के लिए अपने शीश गवाएँ हैं. आतंकवाद के खिलाफ में पहले भी अपने धर्म ग्रंथो से सबूत दे चूका हूँ, अगर आप कहेंगे तो जिस देश में रहते हैं, उस देश के कानून का पालन करने के सबूत भी आपको अपने ही धर्म ग्रंथो से दे सकता हूँ.बस इतना कहना चाहता हूँ, की अगर दोस्ती की भावना फैला नहीं सकते हो तो कम से कम दुश्मनियों को तो मत बढाओ.

  13. May 21, 2010 at 1:15 pm

    सुरेश जी, इसमें एक और जोड़ते हुए: अयोध्या केस भले ही जो भी हो मैं उसमे नहीं जा रहा अभी हाल में अयोध्या पर १९९२ की आडवानी जी की सुरक्षा की तब की स्पेशल ऑफिसर अंजू गुप्ता ( मुस्लिम से शादी के बाद अब नया नाम क्या है, नहीं मालूम ) के हालिया बयानों में भी विरोधाभास पाया गया जिसकी वजह से अदालत ने नया केस दायर करने की अनुमति नहीं दी !

  14. May 21, 2010 at 1:22 pm

    AGREE WITH SHAHNAWAZ!सुरेश जी, आप अपने लेख के ज़रिये और मुट्ठी भर लोगो के सच्चे-झूठे उदहारण देकर आप एक पुरे समुदाय को निशाना बना रहे हैं, ज़रा सोचिये अगर डेड अरब लोग आपकी बताई हुई मानसिकता के हो तो इस विश्व का क्या होगा? आप इशारों में बता रहे हैं, की इसका मूल कहाँ है…. अगर आपको मालूम है तो हमें भी बता दीजिये…. यह हमारा आपसे वादा है की आपकी बात को झुटा साबित ना कर दिया तो हमारा नाम बदल देना.वैसे आपको बताता चलूँ, की अपने धर्म के ग्रंथो को पढ़ कर ही पले बढे मुझ जैसे अरबों लोग अपने देश के लिए अपनी जान कुर्बान रखने का जज्बा रखते हैं. मेरे देश के ही हजारों मुसलमानों ने इस भारत वर्ष के लिए अपने शीश गवाएँ हैं. आतंकवाद के खिलाफ में पहले भी अपने धर्म ग्रंथो से सबूत दे चूका हूँ, अगर आप कहेंगे तो जिस देश में रहते हैं, उस देश के कानून का पालन करने के सबूत भी आपको अपने ही धर्म ग्रंथो से दे सकता हूँ.बस इतना कहना चाहता हूँ, की अगर दोस्ती की भावना फैला नहीं सकते हो तो कम से कम दुश्मनियों को तो मत बढाओ

  15. May 21, 2010 at 1:33 pm

    आपका लिखा हुआ सत्य है.. फिरदौस से सहमत… दर-असल इस्लाम में कट्टर अंध-धार्मिकों ने, फिर चाहे वे पढ़े लिखे लबादे में ही क्यों न हों, प्रगतिशीलों को आगे आने ही नहीं दिया.. परिवर्तन प्रकृति का नियम है, ये इन लोगों को समझ ही नहीं आया जिनकी समझ में आया उन्हें इन्होंने उबरने नहीं दिया…

  16. May 21, 2010 at 1:36 pm

    जो लोग इस्लाम की गोद में आ जाता है, वह अपने फ़र्ज़ को बख़ूबी समझता है.अपने झूठे तर्कों से आप लोगों को बरगलाईये नहीं !!!

  17. May 21, 2010 at 1:47 pm

    एक हिन्दू और कट्टर मुसलमान के बीच अन्तर यहीं नजर आता है… हिन्दू अपने बीच के शैतान की हमेशा लानत-मलामत करता है लेकिन कट्टर मुसलमान उनके समर्थन में बचाव में कुतर्कों से भी नहीं चूकता… शाहनवाज और सलीम जी – आप इन तीन लोगों के बारे में क्या सोचते हैं, क्या ये उदाहरण झूठे हैं क्या इन्होंने अपने मादरेवतन के साथ धोखा नहीं किया. क्या ये इस्लाम से खारिज होने योग्य नहीं हैं… क्या ये इस्लाम पर बदनुमा दाग नहीं हैं///

  18. May 21, 2010 at 1:58 pm

    सलीम और शाहनवाज़ जी जल्दी ही मुझे बतायेंगे कि – हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचार और ईसाई धर्मान्तरण के खिलाफ़ इंडोनेशिया अथवा अमेरिका में कितने हिन्दुओं ने "उनके ही" देश के खिलाफ़ साजिश की है या कुछ ईसाईयों अथवा मुस्लिमों को मारा है। मेरा स्पष्ट मानना है कि यदि मेरा कोई भाई अमेरिका का नागरिक है और इस बीच भारत-अमेरिका के बीच युद्ध हो जाये तो निश्चित रूप से उस हिन्दू भाई को अमेरिका का ही साथ देना चाहिये… यदि किसी हिन्दू को सऊदी अरब की नागरिकता मिल जाती है तो भले ही वह धर्म न बदले, लेकिन भारत और सऊदी की लड़ाई में यह उसका फ़र्ज़ बनता है कि वह सऊदी का पक्ष ले। इसी प्रकार यदि किसी पश्चिमी देश के ईसाई संगठन भारत में धर्मान्तरण करते हैं तो वहाँ रहने वाले हिन्दू नागरिक को इस बात से कोई लेना-देना नहीं होना चाहिये, क्योंकि वह वहाँ का नागरिक है और वह उसका देश है। संदेश साफ़ है कि “धर्म बाद में आता है, देश पहले आता है…” लेकिन यह बात निदाल मलिक और शहजाद जैसे लोग नहीं समझते और यही बात सबसे अधिक आशंकित और चिन्तित करती है। बहरहाल मैं इन्तज़ार करूंगा कि सलीम और शाहनवाज़ जी मुझे 2-4 उदाहरण देंगे जिसमें भारत के अलावा किसी अन्य देश में रहने वाले वहां के किसी हिन्दू "नागरिक" ने "हिन्दू धर्म" की खातिर खूनखराबा किया हो।

  19. May 21, 2010 at 2:04 pm

    @ गोदियाल जी – अंजू गुप्ता का पूरा नाम है "अंजू गुप्ता रिज़वी" और मोहतरमा, चिदम्बरम के विशेष सचिव ए रिज़वी की धर्मपत्नी हैं…। अयोध्या काण्ड के समय शायद यह सिर्फ़ अंजू गुप्ता ही थीं, बाद में "रिज़वी" बनी हैं। पाठकों से मैंने एक पोस्ट में पहले भी अर्ज़ किया था कि यदि "पूरा नाम" पता हो तो पूरा नाम ही लिखा जाना चाहिये, जैसे "अंजू गुप्ता रिज़वी", "तीस्ता जावेद सीतलवाड", "राजशेखर सेमुअल रेड्डी", इत्यादि।

  20. May 21, 2010 at 3:40 pm

    राष्ट्रधर्म ही सबसे बड़ा धर्म है….

  21. May 21, 2010 at 3:57 pm

    aadrniy bhaai jaan aadaab aap to vidvaan hen mene bhi lgbhg sbhi dhrm pdhe hen or sbhi dhrmon ki aek hi shiksha he ki dhrm se bdhaa raashtr he kyonki raashtr he to hm hen . mera hindi blog akhtarkhanakela.blogspot.com

  22. May 21, 2010 at 4:02 pm

    ज़ालिम को ज़ालिम कहने का इनाम यह मिलता है कि उस सच्चे आदमी को ही आतंकवादी घोषित कर दिया जाता है और ज़ालिमों की चरणवंदना करने वाले उनकी हां में हां मिलाते हैं । दुनिया का दरोग़ा आज अमेरिका को कहा जाता है । रूस को उजाड़ने के लिए ही उसने पाकिस्तान के मदरसों के छात्रों को हथियार दिए । आज वही उसके लिए भस्मासुर साबित हो रहे हैं तो दोष इस्लाम के देवबंदी मसलक को क्यों दिया जाता है । रावण तो जब भी अत्याचार करेगा अपने अंजाम को पहुंचेगा । रावण के पुतलों को हर साल जलाने वालों को तो इसमें शक न होना चाहिये । लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पाकिस्तान के तमाम खूनी इसलाम के शहीद कहलाने के हक़दार हैं । भारत के विरूद्ध , कश्मीर में उसकी खूनी कार्यवाही केवल चाणक्यनीति है इसलाम नहीं । दुनिया का विनाश कूटनीतिकों ने मारा है और विडम्बना यह है कि उसे धर्म के नाम की आड़ में किया गया । आज दुनिया प्रबुद्ध है वह जानती है कि सबसे बड़ा केवल ईश्वर है और इनसानों में केवल वह बड़ा है जो मानवता के हित में बलिदान देता है । अब आप यह तय कीजिए कि मानवता का हित ज़ालिम के विरोध में है या फिर उसके जयगान में जैसा कि बुज़दिलों की सनातन रीत है । http://blogvani.com/blogs/blog/15882

  23. May 21, 2010 at 4:32 pm

    मेरा तो मानना है की रास्ट्र और धर्म (पंथ नहीं .. धर्म और पंथ में बहुत फर्क है) एक दुसरे के पूरक होने चाहिए | लेकिन हमारे देश में इस मामले में बहुत कुछ गलत हो रहा है | देखिये ना मुस्लिमों के लिए कई अलग धारा बनायी गई है, सबसे चर्चित मामला साहबानो का है | आखिर कारन क्या है? इसका एक उत्तर तो साफ़ साफ़ ये झलकता है की ज्यादातर मुस्लिमों का ये उद्घोषणा की "पहले इस्लाम और उसके बाद ही राष्ट्र" | ऐसा नहीं है की सारे मुस्लिम भाई राष्ट्र से प्यार नहीं करते पर राष्ट्र द्रोहियों का खुल कर विरोध भी नहीं करते | अब अफजल गुरु का ही मामला देख लीजिये … कांग्रेस सरकार ये समझती है की राष्ट्र द्रोहि अफजल को फांसी दे देने से मुस्लिम भड़क जायेंगे …. पर आज तक मुस्लिम भाईयों से कोई आवाज़ नहीं उठी की अफजल को जल्द से जल्द फांसी दो .. अलबत्ता कई मुस्लिम बुद्धिजीवी उसे बचाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं | आतंकवादी क्या कर रहे हैं एक हाथ में कुरान, जुबान पे अल्लाह का नाम और दुसरे हाथ में AK56 | दुनिया में ज्यादातर राष्ट्र का इस्लामी आतंकवाद से पीड़ित होना बहुत कुछ बयां नहीं करता ?

  24. Shah Nawaz said,

    May 21, 2010 at 4:37 pm

    सुरेश जी, जिन तीन लोगो को ज़िक्र आपने किया, मैंने कब कहा की वह ठीक कार्य कर रहे थे. हम जिस भी देश के कानून को मानते की कसम खाते हैं, उसके कानून के खिलाफ कार्य करना इस्लाम में हराम (निषिद्ध) है. इस्लाम के अनुसार यह मुसलमानों पर अनिवार्य है गैर मुस्लिम पार्टी के साथ किया करार या संधियों का सम्मान करें. एक मुसलमान अगर किसी देश में जाने की अनुमति चाहने के लिए नियमों का पालन करने पर सहमत है (जैसा कि वीसा इत्यादि के समय) और उसने पालन करने का वादा कर लिया है, तब उसके लिए यह अनुमति नहीं है कि उक्त देश में शरारत करे, किसी को धोखा दे, चोरी करे, किसी को जान से मार दे अथवा किसी भी तरह की विनाशकारी कार्रवाई करे. इस तरह के किसी भी कृत्य की अनुमति इस्लाम में बिलकुल नहीं है. (इस विषय पर मेरा लेख "गैर-मुसलमानों के साथ संबंधों के लिए इस्लाम के अनुसार दिशानिर्देश" पढ़ें)ऐसे किसी भी कार्य को किसी भी तरह से जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं की इन जैसो के उदहारण देकर आप पुरे के पुरे समुदाय को संदेह के घेरे में खड़ा करने की कोशिश करें. चाँद लोगो की वजह से अरबों लोगो को बुरा नहीं कहा जा सकता है. जहाँ तक बात आतंकवाद की है, तो दुनिया के सभी बड़े धर्मों को मानने वाले लोग किसी न किसी बहाने से आंतकवाद फैला रहे हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं की वह धर्म ही बुरा है. अगर आपको लगता है की मेरे धर्म की कोई बात गलत है, तो आप अच्छे शब्दों का प्रयोग करते हुए मुझे बताइए. मेरा फ़र्ज़ बनेगा की मैं उसके बारे में सही बात आपको बताऊ, या मानु की आपकी बात सही है……. यही एक सही तरीका है. लेकिन आप जो दो-चार लोगो का उदहारण देकर पुरे समुदाय और धर्म ग्रंथो को गलत ठहराते है, यह बिलकुल गलत है. मैं इसका पूरी तरह से विरोध करता हूँ. और जानता हूँ सभी बुद्धिजीवी इसका भरपूर विरोध करेंगे.

  25. May 21, 2010 at 4:53 pm

    @ शाहनवाज़ – "जिन तीन लोगो को ज़िक्र आपने किया, मैंने कब कहा की वह ठीक कार्य कर रहे थे. हम जिस भी देश के कानून को मानते की कसम खाते हैं, उसके कानून के खिलाफ कार्य करना इस्लाम में हराम (निषिद्ध) है…" बिलकुल सही बात कही आपने… लेकिन Practically क्या ऐसा होता है? और यदि नहीं होता तो दोष किसका है? सम्बन्धित व्यक्ति(यों) का अथवा उसे प्राप्त शिक्षा और ब्रेन-वॉश का? और ऐसा "ब्रेन-वॉश" पढ़े-लिखों के साथ भी हो जाता है, यह भी आश्चर्य का ही विषय है। जैसा कि आपने कहा कि चन्द लोगों के कारण पूरी कौम को बदनाम ना करें… आपसे खुद-ब-खुद सवाल बन जाता है कि दुनिया के कितने मुस्लिम बुद्धिजीवियों, कितने उलेमाओं, कितने देवबन्दियों ने इन तीनों को शरीयत के मुताबिक "देशद्रोह" की सजा सुनाने की माँग की है? ऐसा क्यों होता है कि आजमगढ़ से ट्रेन भरकर दिल्ली में प्रदर्शन होते हैं लेकिन अफ़ज़ल गुरु को फ़ाँसी दिये जाने के मुद्दे पर कांग्रेस की तरह ही मुस्लिम बुद्धिजीवियों के मुँह में दही जम जाता है। ऐसे में दोष किसका हुआ? जनता के मन में तो यही संदेश जाता है कि, "देखो… इस्लाम के नाम पर खूनखराबा फ़ैलाया जा रहा है और इस्लामी लोग ही चुप बैठे हैं…" और चुप्पी का अर्थ हमेशा समर्थन माना जाता है। इस्लाम की छवि तभी सुधरेगी जब सुधारवादी और उदारवादी मुस्लिम मिलकर उग्रवादियों और जेहादियों को खदेड़ देंगे… उसके बिना तो उनकी "इमेज" वैसी ही रहने वाली है… मेरे कहने से क्या होता है।

  26. May 21, 2010 at 7:03 pm

    lIjiye jamaal sahab ka mulamma utar gaya….

  27. May 21, 2010 at 7:15 pm

    @DR. ANWER JAMAL जी बड़ी अजीब बात है …. दूसरों को नसीहत देने से पहले अपनी गिरेबान तो झाँक लें ! आप और सलीम खान लोग रोज हिन्दू धर्म ग्रंथों का मजाक उड़ा रहे हो और खुद दुसरे को नसीहत दे रहे हैं … उतला चोर कोतवाल को डांटे ….

  28. May 21, 2010 at 7:15 pm

    जमाल साहब का भद्रता का मुलम्मा उतर गया है.. इनकी टिप्पणी को हटाइयेगा मत, सहेज कर रखियेगा जिससे दूसरे भी देख सकें..

  29. May 21, 2010 at 7:20 pm

    @जमाल जी की प्रथम टिप्पणी-हथियार देने वाला गुनहगार है, क्या उसका इस्तेमाल करने वाला गुनाहगार नहीं है?? प्रयोग करने वाले को नहीं पता कि वह किस पर प्रयोग कर रहा है और क्यों… वाह जनाब…

  30. May 21, 2010 at 10:23 pm

    सुरेश जी, लिखते रहिये jo naraz ya phir who doosri trff jata hai matlab usi ki…..jli phir kehta hai ki मैं बहुत बड़ी मानसिक परेशानी से गुज़र रहा हूँ

  31. SHIVLOK said,

    May 22, 2010 at 2:10 am

    किसी समाज में कोई एक आदमी बलात्कार या हत्या करे तो क्या सारा का सारा समाज बलात्कार या हत्या का अपराधी हो जाता है? इस देश में पहले भी ऐसा होता रहा है, एक नाथूराम गोडसे ने घृणित अपराध किया था, उसके लिए आज तक सारे आरएसएस को अपराधी कहा जाता है| आज पूरे विश्व परिदृश्य को ध्यान से देखो हज़ारों हज़ार मुसलमान सारे विश्व में अपराध कर रहे हैं, तो क्या करोड़ो नेक दिल मुसलमानों को भी अपराधी मान लिया जाना चाहिए| आप सारे भारत के विभिन्न पुलिस थानों के रेकॉर्ड उठा कर देख लो, गली मोहल्लों में किए जाने वाले अपराधों में से 50% से भी ज़्यादा अपराध मुस्लिमो द्वारा किए जाते हैं, मुसलमानों द्वारा किए जाने वाले अपराधों का प्रतिशत उनकी आबादी की तुलना में बहुत अधिक है| तो क्या सारे मुसलमानों को हम अपराधी घोषित कर दें| नहीं, मेरे देशवासियों, मुट्ठीभर लोगों के कारण, सबको अपराधी नहीं कहा जा सकता|लेकिन एक बात पक्के तौर पर सही है, कि मुसलमानों में धर्मांधता सबसे ज़्यादा है| अपराध और अपराधियों का आनुपातिक प्रतिशत भी मुस्लिमों में सर्वाधिक है| हमारे देश में या विश्व के किसी भी भाग में देख लो, किसी भी शहर में देख लो, जिस क्षेत्र में मुसलमान ज़्यादा हैं वहीं अपराध, अशांति और भय ज़्यादा है| सारे भारत के पुलिस थानों के रेकॉर्ड्स का विश्लेषण किया जाए तो अपराधों में मुसलमानों का प्रतिशत उनकी आबादी के प्रतिशत का तीन या चार गुना मिलेगा| इस धरम में कोई ना कोई खराबी तो निश्चित ही है| यह धर्म जहाँ भी है वहीं मुसीबत है|@ जमाल जी @शाहनवाज़ आपको इस मुद्दे पर खुले दिमाग़ दे विचार करना चाहिए| आप लोग कृपा करके मेरे ससुरे कि तरह मत बनो| कई बरसों पहले मेरे ससुरे ने ग़लती से कप को गिलास कह दिया, आज तक वो उस कप को गिलास कह देने के लिए सारे कुतर्क गढ़ता रहता है | ऐसा ही हाल इस्लाम के पैरोकारों का है|

  32. May 22, 2010 at 4:19 am

    "भारत पर हमला करने वाला अजमल कसाब तो युवा है और लगभग अनपढ़ है अतः उसे बहकाना और भड़काना आसान है, लेकिन यदि मोहम्मद अत्ता जैसा पढ़ा-लिखा पायलट सिर्फ़ “धर्म” की खातिर पागलों की तरह हवाई जहाज ट्विन टावर से टकराता फ़िरे… या लन्दन स्कूल ऑफ़ ईकोनोमिक्स का छात्र उमर शेख, डेनियल पर्ल का गला रेतने लगे… तब निश्चित ही कहीं न कहीं कोई गम्भीर गड़बड़ी है। गड़बड़ी कहाँ है और इसका “मूल” कहाँ है, यह सभी जानते हैं, लेकिन स्वीकार करने से कतराते, मुँह छिपाते हैं, शतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर गड़ा लेते हैं… और ऐसे लोग ही या तो “सेकुलर” कहलाते हैं या “बुद्धिजीवी”। सॉरी, सॉरी… एक और विषधर जमात भी है, जिसे “पोलिटिकली करेक्ट” कहा जाता है…। "आदरणीय सुरेश जी,सेकुलर हूँ…बुद्धि का खाता हूँ इसलिये बुद्धिजीवी भी हुआ…पर "गड़बड़ी कहाँ है और इसका “मूल” कहाँ है, यह सभी जानते हैं, लेकिन स्वीकार करने से कतराते, मुँह छिपाते हैं, शतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर गड़ा लेते हैं"… मैं तो रेत में सिर नहीं गड़ा रहा…अब जानिये गड़बड़ी कहाँ है…गड़बड़ी है Pan-Islamization by Hook or Crook की Doctrine में… गड़बड़ी है पूरी दुनिया को अपने ईश्वर के आधीन करने के सपने में… और गड़बड़ी है अपने ग्रंथ में लिखे को ही अंतिम व एकमात्र सत्य समझने के भरोसे में!आभार!

  33. SANJEEV RANA said,

    May 22, 2010 at 4:57 am

    में सुरेश जी की इस पोस्ट पे कोई भी प्रतिक्रिया नही देना चाहता था, क्योंकि कुछ तो समय की कमी थी और कुछ मैं खुद को इन धर्म से जुड़े सभी मुद्दों से अलग रखना चाहता था.लेकिन अनवर जमाल भाईजान की टिप्पणी ने मुझे मजबूर कर दिया.शायद सुरेश जी तो उनका जवाब ना दे . पर मैं जरुर कुछ कहना चाहता हूँ भाईजान से .@ अनवर जमाल भाईजान आपने कहा था की "अब आप ही बताईये जब कोई हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं का अपमान करता है तो क्या आपकी झांटे नहीं सुलगती? अवश्य सुलगती होंगी."सबसे पहले तो आपको शर्म आनी चाहिए ऐसी घटिया भाषा का प्रयोग करते हुए. आप तो शिक्षित हो आपसे ये उम्मीद नही थी.सुरेश जी के मुद्दे पर आपकी बोख्लाहट साफ़ नजर आ रही हैं.अगर आपके पास उनको देने के लिए कोई उचित जवाब नही हैं तो आप कम से कम हिंदू देवताओं का वास्ता देकर इतनी घटिया भाषा का प्रयोग मत करे."रही बात जब मैंने ब्लॉग शुरू किया था तो उस वक्त आप इकलोते ऐसे चेहरे नजर आये थे जो सिर्फ और सिर्फ धर्मं के नाम पर आग लगाने वाली पोस्टे लिखते करते थे, अब आपको क्यों जलन हो रही हैं "कभी बैठकर ठन्डे दिमाग से भी इस बारे में सोचिये तो सही .इस पर बहस की बजाये अगर मुस्लिम लोगो में शिक्षा के प्रचार पर जोर देंगे तो अल्लाह ने चाहा तो कभी भी धर्म के नाम पे किसी से झगडने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी.बहुत अच्छी बात हैं की आप धरम के लेख छोड़कर समाज पे लिखना चाहते हैं आपका स्वागत हैं .और आशा करता हू की आप मेरी बातों को रंजिश के हिसाब से न लेकर इनपे विचार जरुर करोगे .

  34. vedvyathit said,

    May 22, 2010 at 7:24 am

    islam ka mool swr hi yh hai fir us se manvta ki kya ummid ki jaye dr. ved vyathit

  35. May 22, 2010 at 7:47 am

    राष्ट्र धर्म को ही बड़ा होना चाहिए मगर यहाँ तो जात धर्म , प्रान्त धर्म , बोली धर्म ज्यादा बड़ा है …

  36. kunwarji's said,

    May 22, 2010 at 8:09 am

    @ शाहनवाज आपके विचारो का बहुत सम्मान हैं मेरे मन में . लेकिन कई बार दोहरी मानसिकता मन में द्वन्द उत्पन करती हैं यहाँ मैं समझ नही पा रहा हूँ की आप "प्रेम-रस " पर लिखने वाले शाहनवाज हो या सलीम भाईजान की पोस्ट पर धर्म को ही दोषी बताने वाले शाहनवाज हो .कृपया मेरी शंका का समाधान करे .आपको याद तो होगी वो सलीम भाईजान की दाढ़ी, टोपी वाली पोस्ट जिसमे जिसमे उन्होंने जहाज उडाया था .कृपा दुविधा का समाधान करे और मन में कुछ भी अन्यथा ना ले .मैं तो सिर्फ अपने मन की दुविधा को शांत करने के लिए ही ये पुछा हैं.

  37. vikas mehta said,

    May 22, 2010 at 8:40 am

    suresh ji jo log bhaart me rahkar rashtrwaad nhi sikh sake manvtaa nhi sikh sake we amerika me kya sikhenge or maadhuri gupta ko chodiye hmaare desh me jo muslaman hai vo bhi to kabhi hindu hi the vah kya kar rahe hai

  38. May 22, 2010 at 9:26 am

    @सुरेश जी और आदरणिय टिप्पणी करने वालो! उपरोक्त टिप्पणी जो अनवर साहब के नाम से की गई है वो किसी कमीने की साजिश है जो अनवर जमाल का नाम का प्रयोग कर गालियां दे रहा है इसी तरह की कोशिश इस कमीने व्यक्ति ने कल अनवर साहब के ब्लाग पर भी की थी जिसका खंडन अनवर साहब के द्वारा तुरंत कर दिया गया था ये कमीना व्यक्ति इस तरह की कोशिश आगे भी कर सकता है इसलिए आप लोग सावधान रहे वारिष्ठ ब्लागर इस फर्जी कमेँट को आसानी से पहचान सकते है

  39. May 22, 2010 at 10:36 am

    DESH BADAA YA PAISAA PAHELE POORI JAANKARI TO LIYE KARO AGAR SIRF LIKHNE KA SHAIUK PURA KARNA HAI TO BAAT ALAG HAIhttp://www.bhaskar.com/article/NAT-diplomat-spy-madhuri-guptas-bail-plea-dismissed‎-991861.htmlमाधुरी एक लाख में देती थी गुप्त सूचनाएंनई दिल्ली. महिला राजनयिक माधुरी गुप्ता के जमानत आवेदन को यहां की एक अदालत ने शुक्रवार को खारिज कर दिया है। जांचकर्ताओं के मुताबिक वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों को एक लाख रुपए में गुप्त सूचनाएं मुहैया कराती थी। जांचकर्ताओं ने खुलासा किया कि पूछताछ में गुप्ता ने पाक खुफिया एजेंटों के नाम मुबशर रजा राणा तथा जमशेद बताए हैं। इसके बाद चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कावेरी बावेजा ने गुप्ता को कोई राहत देने से इनकार कर दिया। बावेजा के मुताबिक उसके खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर किस्म के हैं। इससे पहले अपने जमानत आवेदन में माधुरी ने कहा था कि संसद में 29 अप्रैल को विदेश राज्य मंत्री परणीत कौर ने एक बयान दिया था। इसमें कहा गया था कि माधुरी इस्लामाबाद में भारतीय उच्चयोग की सूचना शाखा में पदस्थ थी और गुप्त दस्तावेजों तक उसकी पहुंच नहीं थी।इन तर्कों के जवाब में अतिरिक्त सरकारी वकील रीता शर्मा ने कहा कि माधुरी के खिलाफ दर्ज मामले में कुछ और अधिकारियों से पूछताछ की जानी है। फिर माधुरी के पास से मिले कंप्यूटरों की फोरेंसिक रिपोर्ट आने वाली है। अत: उसे जमानत नहीं दी जाए। माधुरी को पाकिस्तान से दिल्ली आने पर 22 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था।

  40. man said,

    May 22, 2010 at 10:55 am

    जो अभी चल रहा हे ,वो हजारो वर्षो से चल रहा हे ,कुछ नहीं बदला हे .जो विचार दरीन्दगी से दिए वो दरीन्दगी अभी भी चल रही हे ,चलो मान लेते हे अमेरिका ने रूस को उखाड़ फेकने के लिए तालीबानी पैदा किये लकिन भारत क्यों खा जाना कहते अंदर से भी बहार से भी ,आप ने शायद इतिहास नहीं पढ़ा या जानबूझ के इस तथ्य को उड़ाना चाहते हो की एक हजार साल तक हिन्दू वो ने कितनी जलात और अत्याचार की जिन्दगी जी ,,उनका सामूहिक नरसंहार हुआ ,,३०००० हजार माँ बहनों का सामूहिक बलात्कार हुवे ये तो एक एक बार की घटनाये हे ,ना जानी कितने जुर्म्म के दर्रिन्दो ने छोटे छोटे मासूम बचो को उनकी मावो से अलग किया गया, वो अपने माँ बाप की हालत देख के बिलखते थे ,बाबर जेसा कुता दरिंदा शराब की चुस्कियो के साथ हिंदुवो के सर कट ते देख उसको असीम आनंद आता ,हिंदुवो की बहन बेटियों को काबुल कंधार की गलियों में दो दो दिनारो में बेचा गया ,,हिन्दू अपने परिवार की हत्या कर सकता हे लकिन गो हत्या नहीं kar sakta he उसी गोउ को उसकी आँखों के सामने मंदिरों में काटा गया ,ye siksha knha se miltee he?

  41. Shah Nawaz said,

    May 22, 2010 at 12:25 pm

    @ kunwarji'sभाई कुंवर जी मेरे उस टिपण्णी को अन्यथा ना लें, परन्तु जैसा उन महाशय के साथ हुआ अक्सर मुसलमानों के साथ तभी होता है जब सामने वाला इस्लाम धर्म के साथ गलत प्रकार की सोच रखता है. मैं एक बहुत बड़ी कंपनी में जॉब करता हूँ, भारत पाकिस्तान का मैच होने पैर मैं ही नहीं मेरे घर में सभी अपने मुल्क भारत की जीत के लिए दुआएं मांगते हैं और जीतने पर और भारतियों की तरह खुशियाँ मानते हैं, एक बार २०-२० मैच के फ़ाइनल में जब हमने पाकिस्तान को हराया तो मेरे ही ऑफिस के एक सहकर्मी ने जो की मेरे काफी करीब भी है, मुझपर व्यंगात्मक टिपण्णी करते हुए कहा की हमने तेरी टीम को हरा दिया. जब मैंने मालूम किया की मैं भी तो इंडियन हूँ, तो वह बोला कि पाकिस्तानी भी मुसलमान है और तू भी. यह बात मेरे कार्यालय के सभी बड़े ऑफिसर ने सुनी लेकिन किसी ने उसे कुछ नहीं कहा, बस मुझे ही तसल्ली दी की कोई बात नहीं वह बेवक़ूफ़ है ही ऐसा. यकीन मानो इस तरह की बहुत सी बातें मुस्लिम्स को रोज़ सुननी पड़ती है.

  42. RAJAN said,

    May 22, 2010 at 12:41 pm

    @shah nawazFirdaus ki tarah seedhe seedhe batao ki tumhare liye aisi stithi me rashtra bada hai ya dharam? ye baat ko ghuma kyo rahe ho?

  43. man said,

    May 22, 2010 at 1:08 pm

    राष्ट्र वन्दनीय हे ,लकिन ये लोग देवबंद फतवे से बंधे हुवे हे ,की भारत की हम इज्जत करते हे उसकी पूजा नहीं कर सकते हे ,परणाम नहीं कर सकते हे ,ये तो अरब ऑस्ट्रेलिया के ग्रीन कारीडोर की विश्राम स्थली हे |मोलाना मदनी ने जो की कांग्रेस का m.p भी था और जमायतुल उलेमा नमक रास्ट्रीय मुसलमानों की स्नस्था का अध्यक्ष भी था, ने २२-३-१९८० देच्बंद को मजबूत बनाने के लिए और शरियत का शाशन लागू करवाने के लिए कोल्कता में लीग के एक पतर्क में ये कहा …हम मुसलमानों के पास ताज रहा हे और हमने शाशन किया हे दिल छोटा मत करो ,तलवार उठावो आखीर हम काफीरो के दास क्यों हे ?ऐ काफीरो तुम्हारा सर्व नाश दूर नहीं तुम्हारा कत्ले आम किया जाने वाला हे ,हम हाथ में तलवार ले कर अपनी किर्ती स्थापित करने वाले हे ,अन्तिम विजय हमारी होगी |

  44. May 22, 2010 at 4:43 pm

    अंधविश्वास का ख़ात्मा होना निश्चित है । इनके ख़त्म होने से बहुत से ऐसे लोगों का वुजूद ही मिट जाएगा जिन्हें झूठ और अंधविश्वास के बल पर ही समाज में धन,पद और वैभव प्राप्त है । ऐसे लोग जब धर्म और सत्य के मुक़ाबले में स्वयं को निर्बल और तर्कहीन पाते हैं तो वे सत्य के प्रचारक को समाज की नज़रों में अविश्वसनीय बनाने की घृणित चाल चलते हैं ।कल ब्लॉगिस्तान ने पवित्र कुरआन की आयतों को साक्षात होते हुए देखा । कल किसी दुर्जन ने मेरे फ़ोटो और मेरे नाम का ग़लत उपयोग करते हुए बहन फ़िरदौस को भी भरमाया औरमहाजाल के पाठकों को भी चकराया । नीचता की हद तो उसने तब की जब उसने मेरे ही ब्लॉग पर मेरे विचार और अभियान के खि़लाफ़ ही टिप्पणी कर डाली और यही आदमी मेरा फ़ालोअर भी बन गया ।यह आदमी उर्दू नहीं जानता इसीलिये हर्फ़ ‘क़ाफ़‘ के बजाए ‘काफ़‘ का इस्तेमाल करता है ।उसका यह कर्म ‘वसवसा डालना‘ कहा जाएगा । वसवसे का मक़सद उपद्रव फैलाना होता है जो कि ‘ख़न्नास‘ अर्थात शैतान का मिशन है । इसका समाधान यह है कि पालनहार प्रभ की शरण पकड़ी जाए ।ईश्वर दया, प्रेम, ज्ञान और उपकार आदि गुणों का स्रोत है और जो भी उसकी शरण में जाएगा उसमें भी यही गुण झलकेंगे । इन्हीं गुणों के होने या न होने से पता चलता है कि आदमी परमेश्वर की शरण में वास्तव में है कि नहीं ?http://blogvani.com/blogs/blog/15882

  45. May 23, 2010 at 2:13 am

    desh first, janani janmbhumish swargadapi gariyasi desh nahi to dharm kahaan se aayega janaab ?

  46. Mahak said,

    May 23, 2010 at 5:49 am

    "भारत पर हमला करने वाला अजमल कसाब तो युवा है और लगभग अनपढ़ है अतः उसे बहकाना और भड़काना आसान है, लेकिन यदि मोहम्मद अत्ता जैसा पढ़ा-लिखा पायलट सिर्फ़ “धर्म” की खातिर पागलों की तरह हवाई जहाज ट्विन टावर से टकराता फ़िरे… या लन्दन स्कूल ऑफ़ ईकोनोमिक्स का छात्र उमर शेख, डेनियल पर्ल का गला रेतने लगे… तब निश्चित ही कहीं न कहीं कोई गम्भीर गड़बड़ी है। गड़बड़ी कहाँ है और इसका “मूल” कहाँ है, यह सभी जानते हैं, लेकिन स्वीकार करने से कतराते, मुँह छिपाते हैं, शतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर गड़ा लेते हैं… और ऐसे लोग ही या तो “सेकुलर” कहलाते हैं या “बुद्धिजीवी”। सॉरी, सॉरी… एक और विषधर जमात भी है, जिसे “पोलिटिकली करेक्ट” कहा जाता है…। "मुझे समझ नहीं आता की इस पोस्ट से हमारे मुस्लिम भाइयों को क्यों आपत्ति है, इससे परेशानी तो उन लोगों को होनी चाहिए जो जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं, सुरेश जी ने कहाँ पूरे मुस्लिम समुदाय को दोषी ठहराया है ,उन्होंने तो उस सोच के खिलाफ आवाज़ उठायी है जिससे सम्मोहित होकर ये लोग इतने अन्धें हो जाते हैं की फिर इन्हें सही क्या है और गलत क्या ये भी दिखाई नहीं देता ,हम सबका, हिन्दुओं का भी और मुस्लिम भाइयों का भी ये फ़र्ज़ बनता है की इस गलत मानसिकता का विरोध करें और जो विरोध कर रहा है उसका साथ दें लेकिन जब आप साथ देने की बजाये उसी व्यक्ति पर ऊँगली उठा देते हैं जो की इसका विरोध कर रहा है तब आप पर भी इस गलत सोच को रखने का और इसे और बढाने का संदेह पैदा होता है.

  47. Mahak said,

    May 23, 2010 at 5:57 am

    और हमारे एक भी भाई ने सुरेश जी के इस प्रशन का उत्तर नहीं दिया की –"धर्म बड़ा या राष्ट्र बड़ा ?""इस्लाम बड़ा या राष्ट्र बड़ा? "तो कम से कम मैं तो इसका उत्तर देना चाहूँगा की हमारा राष्ट्र कल भी सबसे बड़ा और अधिक महत्वपूर्ण था, आज भी है और आगे भी यही सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण रहेगा .इसके सामने हर मज़हब, हर जाती, हर प्रांत हमेशा छोटा था और रहेगा .वन्दे मातरममहक

  48. Mahak said,

    May 23, 2010 at 6:13 am

    @ आदरनिये एवं गुरुतुल्य सुरेश जीआपको अपने ब्लॉग पर आने का निमंत्रण देता हूँ. कृपया आयें और अपना comment रुपी आशीर्वाद देकर अनुग्रहित करें.http://rashtravaad-mahak.blogspot.com/धन्यवादमहक

  49. nitin tyagi said,

    May 24, 2010 at 7:37 am

    बुद्दिमान मुस्लिमों को अपने मजहबी पुस्तकों के बारे में आत्ममंथन करने की अत्यधिक आवश्यकता है। कितना ही वो अपने को शांति का दूत बताने का कुतर्क देलें किन्तु यह उनका जेहाद का कुचक्र सर्वविदित और प्रत्यक्ष है उसको कोई कैसे नकार सकता है कि उनको यह प्रेरणा कहाँ से मिलती है। इसीलिए मिथ्या प्रलापों को छोड़ कर अपनी पुस्तकों का निष्पक्ष हो कर बुद्धिमत्ता से विवेचन करें और तथ्य को समझें और अपने वर्ग को समझाएं।

  50. May 24, 2010 at 8:16 am

    ज़ालिम को ज़ालिम कहने का इनाम यह मिलता है कि उस सच्चे आदमी को ही आतंकवादी घोषित कर दिया जाता है और ज़ालिमों की चरणवंदना करने वाले उनकी हां में हां मिलाते हैं । दुनिया का दरोग़ा आज अमेरिका को कहा जाता है । रूस को उजाड़ने के लिए ही उसने पाकिस्तान के मदरसों के छात्रों को हथियार दिए । आज वही उसके लिए भस्मासुर साबित हो रहे हैं तो दोष इस्लाम के देवबंदी मसलक को क्यों दिया जाता है । रावण तो जब भी अत्याचार करेगा अपने अंजाम को पहुंचेगा । रावण के पुतलों को हर साल जलाने वालों को तो इसमें शक न होना चाहिये । लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पाकिस्तान के तमाम खूनी इसलाम के शहीद कहलाने के हक़दार हैं । भारत के विरूद्ध , कश्मीर में उसकी खूनी कार्यवाही केवल चाणक्यनीति है इसलाम नहीं । दुनिया का विनाश कूटनीतिकों ने मारा है और विडम्बना यह है कि उसे धर्म के नाम की आड़ में किया गया । आज दुनिया प्रबुद्ध है वह जानती है कि सबसे बड़ा केवल ईश्वर है और इनसानों में केवल वह बड़ा है जो मानवता के हित में बलिदान देता है । अब आप यह तय कीजिए कि मानवता का हित ज़ालिम के विरोध में है या फिर उसके जयगान में जैसा कि बुज़दिलों की सनातन रीत है । http://blogvani.com/blogs/blog/15882

  51. May 24, 2010 at 8:32 am

    अंधविश्वास का ख़ात्मा होना निश्चित है । इनके ख़त्म होने से बहुत से ऐसे लोगों का वुजूद ही मिट जाएगा जिन्हें झूठ और अंधविश्वास के बल पर ही समाज में धन,पद और वैभव प्राप्त है । ऐसे लोग जब धर्म और सत्य के मुक़ाबले में स्वयं को निर्बल और तर्कहीन पाते हैं तो वे सत्य के प्रचारक को समाज की नज़रों में अविश्वसनीय बनाने की घृणित चाल चलते हैं ।कल ब्लॉगिस्तान ने पवित्र कुरआन की आयतों को साक्षात होते हुए देखा । कल किसी दुर्जन ने मेरे फ़ोटो और मेरे नाम का ग़लत उपयोग करते हुए बहन फ़िरदौस को भी भरमाया औरमहाजाल के पाठकों को भी चकराया । नीचता की हद तो उसने तब की जब उसने मेरे ही ब्लॉग पर मेरे विचार और अभियान के खि़लाफ़ ही टिप्पणी कर डाली और यही आदमी मेरा फ़ालोअर भी बन गया ।यह आदमी उर्दू नहीं जानता इसीलिये हर्फ़ ‘क़ाफ़‘ के बजाए ‘काफ़‘ का इस्तेमाल करता है ।उसका यह कर्म ‘वसवसा डालना‘ कहा जाएगा । वसवसे का मक़सद उपद्रव फैलाना होता है जो कि ‘ख़न्नास‘ अर्थात शैतान का मिशन है । इसका समाधान यह है कि पालनहार प्रभ की शरण पकड़ी जाए ।ईश्वर दया, प्रेम, ज्ञान और उपकार आदि गुणों का स्रोत है और जो भी उसकी शरण में जाएगा उसमें भी यही गुण झलकेंगे । इन्हीं गुणों के होने या न होने से पता चलता है कि आदमी परमेश्वर की शरण में वास्तव में है कि नहीं ?http://blogvani.com/blogs/blog/15882

  52. May 25, 2010 at 3:35 am

    vaah-vaah, utaam ati uttam

  53. man said,

    May 25, 2010 at 4:02 am

    सुरेश जी सर डॉ. अनवर जमाल ने जिस तरह अपने ब्लॉग पर आपकी पोस्ट पर टिपण्णी के मुझे दोषी बता दिया में ये पढ़ के सन्न रह गया ,सर ये चल मुझे समझ में नहीं आरही हे के ये लोग क्या चाहते हे ,,में सोच भी नहीं सकता हूँ की आप के ब्लॉग पर कुछ ऐसा लिख दू ,आप इस पर उचित एक्शन ले |

  54. May 25, 2010 at 5:11 am

    प्रिय पाठकों एवं मित्रों,गत दो दिनों से कोई फ़र्जी आईडी बनाकर मेरे नाम से और अनवर जमाल के नाम से कमेंट कर रहा है, लेकिन चूंकि उसकी भाषा, वर्तनी और लेखन बहुत अशुद्ध और भद्दा है इसलिये वह तुरन्त पहचान में आ जाता है। फ़िलहाल मैंने वह अश्लील कमेण्ट डिलीट कर दिये हैं लेकिन वह फ़र्जी ऐसी कोशिश दोबारा भी कर सकता है… फ़िर भी मित्रों और पाठकों को सावधान करने के लिये बताना चाहता हूं कि यदि मेरे नाम से (अथवा किसी और के नाम से भ) लिखे गये अश्लील और भद्दे कमेण्ट को देखें तो तड़ से इस नतीजे पर न पहुँचें कि वह कमेण्ट सम्बन्धित व्यक्ति ने ही किया होगा। फ़र्जी की पहचान करने का एक तरीका है तस्वीर पर राइट क्लिक करके ब्लॉगर प्रोफ़ाइल देखें, मेरे प्रोफ़ाइल में आपको Blogger Since January 2007 लिखा दिखाई देगा, जबकि फ़र्जी वाले की फ़ोटो पर क्लिक करने से May 2010 दिखा रहा है। अतः भविष्य में यदि घटिया भाषा वाली टिप्पणी देखें तो सावधान रहें, क्योंकि भाषा, वर्तनी, व्याकरण और लेखन सम्बन्धी मेरा पिछले 3 वर्ष का ब्लॉगिंग रिकॉर्ड बेदाग रहा है… अतः पाठक भ्रमित ना हों… मैं मॉडरेशन का विरोधी रहा हूं, लेकिन कुछ लोग मुझे मजबूर कर रहे हैं कि मैं मॉडरेशन लगाना शुरु करूं…

  55. May 25, 2010 at 7:14 am

    बोलने की आजादी का अर्थ कुछ भी बोलने की आजादी नहीं है. अतः मोडरेशन लागू करें. कल बहुत ही अभद्र व अश्लील बातें पढ़ी थी. अनवर से मतभेद एक बात है मगर ऐसी बाते नहीं लिख सकता यह भी पता है. अगर लिखता तो सचमुच आश्चर्य होता. खैर आपने हटा कर अच्छा किया. सभी ब्लॉगर बन्धुओं से भी अनुरोध है कि कोई भी अभद्र टिप्पणी मिले उसे मिटा दें. तभी यह गंदी हरकत रूकेगी.

  56. May 25, 2010 at 9:35 am

    मिस्टर मराठी ! आप भी अच्छी तरह जान लीजिये मैं इतना हौसला रखता हूं कि जिसे गालियां देना चाहूं अपने नाम से दे सकूं । आपके ब्लॉग पर जिसने भी यह घटिया हरकत की है उसने अपनी नीचता का ही परिचय दिया है । मेरे ब्लॉग पर तो काबा तक को गालियां दी गई हैं और देने वाला कोई और नहीं बल्कि ‘हर हर महादेव‘ ब्लॉग का स्वामी है जोकि आजकल मान बनकर एंज्वाय कर रहा है । मुझे शक है कि यह घटिया हरकत भी इसी आर्यसमाजीनुमा शूद्र या आपकी तरह के जाली राष्ट्रवादी की है । आप इस पर क़ानूनी कार्यवाही करें ताकि बाद जांच असली मुजरिम सामने आ जाये , और हां अपनी उस नीचता को मत भूल जाना जो आपने चमुपति बनकर मेरे ब्लॉग पर की थी और उसकी शिकायत मैंने आजतक आपसे नहीं की । अपना ज़र्फ़ देखो और हमारा भी देखो और फिर खुद को बुलन्द करने की कोशिश करो । इस ब्लागिंग की दुनिया में चिड़िया का दिल लेकर कैसे जी पाओगे ?

  57. May 25, 2010 at 9:56 am

    @ संजय बेंगाणी – मुझे लगता है कि आपकी सलाह पर अमल करने का समय आ गया है. ये फर्जी कमेंट्स का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है.@ अनवर जमाल – आपका ये संबोधन मिस्टर मराठी या ठाकरे प्रेमी अत्यन्त हास्यास्पद है. मैं भी आपको लादेन-प्रेमी या मिस्टर जेहादी कहूं तो कैसा रहेगा? खासकर कि अब आप ये कमेन्ट कर रहे है जब कि मैं स्पष्ठीकरण दे चूका हूँ कि ये हरकत किसी फर्जी ब्लॉगर की है जिसने मेरे प्रोफाइल जैसी प्रोफाइल बना रखी है.

  58. man said,

    May 25, 2010 at 10:38 am

    जो उपर डॉ अनवर जमाल और सुरेश जी के नाम से दोनों कमेन्ट आये हे दोनों फर्जी हे ,,दोनों का प्रोफाइल ओपन करने पर ब्लॉग ओपन करने पर ब्लॉग ओं सिंस may 2010 बता रहा हे , दखे

  59. May 25, 2010 at 1:49 pm

    कुछ साल पहले मुम्बई के घाटकोपर इलाके में जेहादियों ने बम विस्फोट किया था. मजहब की सेवा में समर्पित इन जेहादियों मे से एक बन्दा छह महीने पहले हिन्दू ( कोइ जाधव नाम था) था, लेकिन एक मुस्लिम लड़की से शादी करने के चक्कर में मुस्लिम बन बैठा था. अब मजे की बात ये है कि सिर्फ छह महीने के अंतराल में ही उसके नए मजहब ने उसके दिलो-दिमाग में इतना जहर भर दिया कि वह ना केवल अपने मूल धर्म के बल्कि देश के भी खिलाफ हो गया. ये है मजहब का कमाल. कुछ सेकुलर और जेहादी इसे मनगढ़ंत कहानी मानते होंगे लेकिन बता दू कि बुनियाद और हमलोग के ख्यातनाम लेखक मनोहर श्याम जोशी हिन्दी साप्ताहिक आउटलुक में 'समाज' नाम का एक स्तम्भ लिखते थे. और इसमे इस वाकये का जिक्र भी किया था.इसी तरह नरेन्द्र मोदी को मारने के लिए अहमदाबाद गयी इशरत जहां के साथ एक मलयाली लड़का भी था. जिसकी कहानी भी जाधव जैसी है.यानी मजहब बदलते ही आस्थाए, ईमान, सोच-समझ और दिलो-दिमाग भी बदल जाती हैं.

  60. May 25, 2010 at 2:02 pm

    एक और गौर करने लायक बात ये है कि जेहाद जेन और हेडली से लेकर जाधव या मलयाली युवक की जेहादी वृत्ति की बात हो या मानवाधिकार के नाम पर अपना गोरखधंधा करनेवाली तीस्ता जावेद सेतलवाड की बात हो. कट्टरपंथी मुस्लिम जमाते जेहाद के लिए इन धर्मान्तरित बेवकूफों का इस्तेमाल करना बखूबी जानती हैं. इसी तरह आप गुजरात के दंगो से लेकर देश में हुए बम विस्फोटो को देखेंगे तो अधिकाँश मामलो में पायेंगे कि कोई घांची (हिन्दू आदिवासी से धर्मं परिवर्तित) या जुलाहा या अंसारी (हिन्दू बुनकरों से धर्मं परिवर्तित) को ही लिप्त पायेंगे. यानी जेहाद के लिए 'शहीद' होने के लिए सिर्फ धर्मान्तरित और दलित मुस्लिम ही!! जाहिर है मुस्लिम समाज में जातिवाद किस कदर तक व्याप्त है और नीचली जातियों सहित धर्मान्तरित लोगो को किस कदर इस्लामी फर्ज और जेहाद के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

  61. May 25, 2010 at 2:16 pm

    @सुरेशजी एवं अन्य पाठकगनकुछ हिन्दू द्वेषी बार-बार सुरेशजी को 'मिस्टर मराठी' या 'ठाकरे प्रेमी' संबोधित करके एक खास 'टैग' लगाने की कोशिश कर रहे हैं. खैर जेहादी, पाकिस्तानी-प्रेमी और इंसानीयत के दुश्मन होने से तो बेहतर है मराठी होने या ठाकरे-प्रेमी (बाल ठाकरे) होने में. लेकिन ऐसे संबोधन देकर हिन्दू-द्वेषी जेहादियों की कुटील मंशा साफ़ हो जाती है कि ब्लॉग जगत में एकजुट राष्ट्रवादी-हिन्दुत्वप्रेमी ब्लोगरो में विभाजन करके उन्हें मराठी बनाम उत्तरभारतीय के रूप में आमने-सामने कर दिया जाए, उन्हें अलग-अलग खान्को में बाँट दिया जाए. ताकि देशभक्तों की ताकत कम हो जाए. मुगलों, अंग्रेजो ने भी यही किया था. आजकल राजनीति में कोंग्रेस-समाजवादी-मायावती-पासवान-मुलायम यही कर रहे हैं ब्लॉगजगत में यह काम ये जेहादी ब्लोगर कर रहे हैं, वही महाराष्ट्र में यह काम १९९२ के ब्लास्ट के आरोपी रह चुके समाजवादी अबू आजमी और कोंग्रेसी नेता नसीम खान आदि कर रहे हैं.अत: सभी सावधान रहे.

  62. tarun goel said,

    May 25, 2010 at 2:19 pm

    सुरेश जी नमस्कार, सर जी कल में आपके पुराने ब्लोगों को पद रहा था बिलकुल ऐसा लगा जेसे किसी ने मेरी दहकती नस पर हाथ रख दिया हैकांग्रेस और मीडिया के बारे में मेरे और आपके बिचार पूरी तरह मिलते हैं जनसाधारण को मीडिया और कांग्रेस के बारे में जानकारी देने के लिए धन्यवाद !!!मैं पिछले कुछ दिनों से ही ब्लॉग्गिंग पर जुड़ा हूँमेरी एक रेकुएस्ट है आपसे मुझे मेककाले के बारे पड़ना है जिसने सारी संस्कृति बदल दी अपने देश की और शिक्षा पदात्ति भीमैं उसके बारे में जानना चाहता हूँ कृपया मेरी मदद करेंसाथ ही आपसे एक रेकुएस्ट भी करता हूँ की अपने देश पर अंग्रेजों के किये हुए जुर्मओं को भी लोगों को बताएं,तथा लोर्ड मेककाले के उन karyon के बारें में बातेंजिससे अज की पढ़ी लिखी पीडी अपने इतिहास के बारे कहेती है बुल शित !!!!!!!!!नए पीडी आपके इस कार्य से क्रताज़ होगी सदन्याबाद तरुण गोयल

  63. May 25, 2010 at 3:26 pm

    @ Man से सहमत हूं – ऊपर किये गये मेरे और अनवर जमाल दोनों के कमेण्ट फ़र्जी हैं… क्योंकि उसमें ब्लागर प्रोफ़ाइल on Blogger since May'10 दिखा रहा है…। वैसे मुझे पहले भी "मराठी", ठाकरे-प्रेमी इत्यादि कहकर उकसाने की कोशिश की जा चुकी है, लेकिन पहले असली अनवर जमाल ने की थी, इस बार नकली अनवर जमाल ने की है… 🙂 ऊपर की टिप्पणी इसलिये नहीं हटा रहा क्योंकि इसमें अश्लील कुछ भी नहीं है… कमेण्ट मोडरेशन का फ़ैसला भी जल्द ही… 🙂

  64. May 25, 2010 at 5:03 pm

    "मेरा स्पष्ट मानना है कि यदि मेरा कोई भाई अमेरिका का नागरिक है और इस बीच भारत-अमेरिका के बीच युद्ध हो जाये तो निश्चित रूप से उस हिन्दू भाई को अमेरिका का ही साथ देना चाहिये… यदि किसी हिन्दू को सऊदी अरब की नागरिकता मिल जाती है तो भले ही वह धर्म न बदले, लेकिन भारत और सऊदी की लड़ाई में यह उसका फ़र्ज़ बनता है कि वह सऊदी का पक्ष ले।" bilkul galat bat hai ye. hamko sirf insaf ka saath dena chahiye.hamara desh agar nirdosho ka khoon baha raha hai to ham kabhi bhi apne desh ka sath nahi denge. aur dosri baat. bharat me hinsa aur atankwad ka mool kahan hai. sab jante hai, par kahne me hichkichate hain.

  65. मनुज said,

    May 27, 2010 at 2:30 pm

    @suresh jeeye post 21 tareekh ko aayee thee. ab kaafee samay beeet chuka hai, aur intazaar nahee ho rahaa hai. kripayaa jaldi se nayee post layen.

  66. May 27, 2010 at 6:31 pm

    सच को सच कहने में लोगों को बड़ा कष्ट होता है। जो आपकी इस पोस्ट पर की गई टिप्पणियों में दिखा।

  67. May 28, 2010 at 7:19 am

    जीत भार्गव से सावधान ये पवित्र इस्लाम धर्म को भी हिन्दू धर्म की तरह जातिवाद से दूषित करना चाहता है.इससे पूछो इराक और अफगानिस्तान में भी क्या भारतीय पिछड़े मुस्लमान लड़ रहे है

  68. May 28, 2010 at 8:34 am

    भारतीय गरीब मुसलमानों को झूठे केस में फ़साना ज्यादा आसान है इसलिए केवल वे ही पकडे जाते है.

  69. ram kunwar said,

    May 29, 2010 at 7:00 am

    khursid saab v dr. anwer saab a- sallam -valekum aapkai bloging prasansha karne yogya hai thik hai vande matram gana v rasthragana bhi galat hai aaye din uljulul fatve aate hai unka kya ? aap to kabuter ki trah aankh band ka pationt ka ilaz karte raho

  70. Anonymous said,

    June 1, 2010 at 3:23 pm

    wrong fatwa is wrong prediction of islam' rules so, mullahs issuing wrong fatwa should be stoned in public for committing blashphemy. will you please elaborate more this theme?

  71. Anonymous said,

    August 9, 2011 at 3:24 am


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