बलातकार का सीधा प्रसारण

मैने नही सोचा था कि अन्‍य ब्‍लागरों की तरह जूता पुराण का लिखने का हिस्‍सा बनूँगा, किन्‍तु इसका मुख्‍य कारण मीडिया का बड़बोला पन है। जो अपनी बेहुदगी से बाज नही आ रही है। आज कल तेज न्‍यूज के दौर में ये समाचार वाले इतनी गिर‍ी स्थिति में पहुँच गये है कि कहीं बलात्‍कार भी हो रहा होगा तो वे सबसे तेज के दौर इसका भी सजीव प्रसारण कर रहे होगे। क्‍योकि सच दिखाना मीडिया काम है और वे इसे कई ऐगेल से दिखायेगे।

कितनी अजीव विडम्‍बना है हमारे देश भारत देश की मीडिया की। मीडिया की बेहुदगी उस समय देखी जा सकती थी जब भारत की वीर सैनिको की स्थियों की सही सही जानकारी ये अपने न्‍यूज चैलन के जरिये आतंकवादियों को दे रहे थे। इन मीडिया कर्मियों से बेहुदगी से चुल्‍लु भर पानी भी शर्म से सूख जायेगा।

आज लाईव इन्डिया पर न्‍यूज सुनना हो रहा था। पूर्व उपसभापति राज्‍यसभा नज़मा हेप्‍द्दुला ने मीडिया पर हमला बोलते हो कहा कि आप लोगों ने ही भारत देश की गरिमा गिराने का काम किया। एक आम आदमी को ये मीडिया वाले जूता मारने के कारण हाईलाईट कर देते है और उसे लाईम लाईट में ले आते है। अगर कोई जूता मारने से देश की मीडिया पर आ जाये तो इससे बड़ा काम और क्‍या हो सकता है ?

आज समय है कि मीडिया अपने लिये आचार सहिंता बनाने, क्‍या दिखना जरूरी है क्‍या नही, जब तक यह प्रथा नही शुरू होगी। मीडिया अपने साख को गिरायेगा ही। मुझे उस दिन की प्रतीक्षा है जब वो दिन दूर नही जब, कोई इन मीडिया पर जूता फेकेगा और इसकी न्‍यूज हमे टीवी पर देखने को मिले। ऐसा नही होगा क्‍योकि यह मीडिया के लिये कड़आ सच होगा।

10 Comments

  1. श्यामल सुमन said,

    April 16, 2009 at 11:38 pm

    प्रहरी था जनतंत्र का बना आज बाजार।
    जो देगा पैसा उसे उसका करे प्रचार।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    http://www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

  2. Anonymous said,

    April 17, 2009 at 12:40 am

    मीडिया को अपनी भूमिका तय करनी होगी

  3. समयचक्र - महेन्द्र मिश्र said,

    April 17, 2009 at 5:28 am

    आपके विचारो से सहमत हूँ . अब मीडिया को भी सचेत हो जाना चाहिए .

  4. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said,

    April 17, 2009 at 4:48 pm

    मीडिया भी अब व्यावसायिकता और ‘क्विक मनी’ के चक्कर में अपनी गरिमा भूलकर नेताओं जैसा व्यवहार कर रहा है।

  5. "मुकुल:प्रस्तोता:बावरे फकीरा " said,

    April 17, 2009 at 7:47 pm

    Ab to sahi waqt hai sabako
    ek kataar men baitha kar shikshit kiyaa jae

  6. समयचक्र - महेन्द्र मिश्र said,

    April 19, 2009 at 2:22 pm

    आपकी पोस्ट चिठ्ठी चर्चा में
    >

  7. अनिल कान्त : said,

    April 19, 2009 at 3:42 pm

    media ko kuchh daayre to banane hi chahiye…aur theek se kaam karti nahi hai …kaam to kare kam se kam

  8. अविनाश वाचस्पति said,

    April 19, 2009 at 4:16 pm

    मीडिया की भूमिका तो बाजार है
    इससे वो बेजार नहीं होने वाला
    और यही दुखद है।

  9. Babli said,

    April 21, 2009 at 1:10 am

    बहुत बढिया!!

  10. Kashif Arif said,

    April 30, 2009 at 11:27 am

    हिन्दुस्तान की मीडिया में बहुत ताकत है यह पल में आसमान में बिठा सकती है और पल में धरती में गाड़ सकती है, और हमारे देश में ताकत के मिलने से पहले ही उसके कितनी तरह से गलत इस्तेमाल हो सकते है वो सारे तरीके ढूंढ लिए जाते हैं, तो मीडिया ने अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया और बराबर कर रही है तो उसमे कौन सी बड़ी बात है….


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