“हिन्दुत्व” और मीडिया के दुश्मनी के रिश्ते (भाग-2) Hindutva-BJP and Indian Media

(भाग-1 – भाजपा को “हिन्दुत्व” और “राष्ट्रवाद” से दूर हटने और “सेकुलर” वायरस को गले लगाने की सजा मिलनी ही चाहिये… से आगे)

मीडिया, सेकुलर पत्रकार, कुछ अन्य विदेशी ताकतें और “कथित प्रगतिशील” लोग भाजपा से उसकी पहचान छीनने में कामयाब हो रहे हैं और उसे “कांग्रेस-बी” बना रहे हैं। भ्रष्टाचार और हिन्दुत्व की वैचारिक शून्यता के कारण भाजपा धीरे-धीरे कांग्रेस की नकल बनती जा रही है, फ़िर आम मतदाता (यदि वह मन ही मन परिवर्तन चाहता भी हो) के पास ओरिजनल कांग्रेस को चुनने के अलावा विकल्प भी क्या है? मीडिया-सेकुलर-प्रगतिशील और कुलकर्णी जैसे बुद्धिजीवियों ने बड़ी सफ़ाई से भाजपा को रास्ते से भटका दिया है (कई बार शंका होती है कि कल्याण-उमा-ॠतम्भरा जैसे प्रखर हिन्दुत्ववादी नेताओं को धकियाने के पीछे कोई षडयन्त्र तो नहीं? और यदि नरेन्द्र मोदी ने अपनी छवि “लार्जर दैन लाइफ़” नहीं बना ली होती तो अब तक उन्हें भी “साइडलाइन” कर दिया होता)।

एक अन्य मुद्दा है भाजपा नेताओं का मीडिया-प्रेम। यह जानते-बूझते हुए भी कि भारत के मीडिया का लगभग 90% हिस्सा भाजपा-संघ (प्रकारान्तर से हिन्दुत्व) विरोधी है, फ़िर भी भाजपा मीडिया को गले लगाने की असफ़ल कोशिश करती रहती है। जिस प्रकार भाजपा को “भरभराकर थोक में मुस्लिम वोट मिलने” के बारे में मुगालता हो गया है, ठीक वैसा ही एक और मुगालता यह भी हो गया है कि “मीडिया या मीडियाकर्मी या मीडिया-मुगल कभी भाजपा की तारीफ़ करेंगे…”। जिस मीडिया ने कभी आडवाणी की इस बात के लिये तारीफ़ नहीं की कि उन्होंने हवाला कांड में नाम आते ही पद छोड़ दिया और बेदाग बरी होने के बाद ही चुनाव लड़े, जिस मीडिया ने कभी भी नरेन्द्र मोदी के विकास की तारीफ़ नहीं की, जिस मीडिया ने कभी भी भाजपा में लगातार अध्यक्ष बदलने की स्वस्थ लोकतान्त्रिक परम्परा की तारीफ़ नहीं की, जिस मीडिया ने मोदी-वाजपेयी-आडवाणी-जोशी जैसे दिग्गज नेताओं द्वारा अपने परिवार के सदस्यों को राजनीति में आगे नहीं बढ़ाने की तारीफ़ नहीं की, जिस मीडिया ने भाजपा की कश्मीर नीति का कभी समर्थन नहीं किया… (लिस्ट बहुत लम्बी है…) क्या वह मीडिया कभी भाजपा की सकारात्मक छवि पेश करेगा? कभी नहीं…। भागलपुर-मलियाना-मेरठ-मुम्बई-मालेगाँव जैसे कांग्रेस के राज में और कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के काल में हुए सैकड़ों दंगों के बावजूद सबसे बदनाम कौन है, नरेन्द्र मोदी…। नेहरू के ज़माने से जीप घोटाले द्वारा भ्रष्टाचार को “सदाचार” बनाने वाली पार्टी की मीडिया कोई छीछालेदार नहीं करता। पहले “पप्पा” और फ़िर राजकुमार सरेआम बेशर्मी से कहते फ़िरते हैं कि “दिल्ली से चला हुआ एक रुपया नीचे आते-आते 5 पैसे रह जाता है…” उनसे मीडिया कभी सवाल-जवाब नहीं करता कि 50 साल शासन करने के बाद यह किसकी जिम्मेदारी है कि वह पैसा पूरा नीचे तक पहुँचे…?, क्यों नहीं 50 साल में आपने ऐसा कुछ काम किया कि भ्रष्टाचार कम हो? उलटे मीडिया स्टिंग ऑपरेशन करता है किसका? बंगारू लक्ष्मण और दिलीप सिंह जूदेव का?

ज़ाहिर है कि लगभग समूचे मीडिया पर एक वर्ग विशेष का पक्का कंट्रोल है, यह वर्ग विशेष जैसा कि पहले कहा गया “मुल्ला-मार्क्स-मिशनरी-मैकाले” का प्रतिनिधित्व करता है, इस मीडिया में “हिन्दुत्व” का कोई स्थान नहीं है, फ़िर क्यों मीडिया को तेल लगाते फ़िरते हो? हाल ही में NDTV पर वरुण गाँधी की सुरक्षा सम्बन्धी एक बहस आ रही थी, एंकर बार-बार कह रही थी कि “भाजपा की ओर से अपना पक्ष रखने कोई नहीं आया…”, अरे भाई, आ भी जाता तो क्या उखाड़ लेता, क्योंकि “नेहरु डायनेस्टी टीवी” (NDTV) उसे कुछ कहने का मौका भी देता क्या? और यदि भाजपा की ओर से कोई कुछ कहे भी तो उसका दूसरा मतलब निकालकर हौवा खड़ा नहीं करता इसकी क्या गारंटी? इसलिये बात साफ़ है कि इन पत्रकारों को फ़ाइव स्टार होटलों में कितनी ही उम्दा स्कॉच पिलाओ, ये बाहर आकर “सेकुलर उल्टियाँ” ही करेंगे, इसलिये इनसे “दुरदुराये हुए खजेले कुत्ते” की तरह व्यवहार भी किया जाये तो कोई फ़र्क पड़ने वाला नहीं है, क्योंकि ये कभी भी तुम्हारी जय-जयकार करने वाले नहीं हैं। आज का मीडिया “हड्डी” का दीवाना है, उसे हड्डी डालना चाहिये, लेकिन पूरी कीमत वसूलने के बाद… (हालांकि इसकी उम्मीद भी कम ही है, क्योंकि इनके जो “टॉप बॉस” हैं वे खाँटी भाजपा-विरोधी हैं, मार्क्स-मुल्ला-मिशनरी-मैकाले की विचारधारा को आगे बढ़ाने के अलावा जो खबरें बच जाती हैं, वे एक और M यानी “मनी” से संचालित होती हैं, यानी कि जिन खबरों में पैसा कूटा जा सकता हो, किसी को ब्लैकमेल किया जा सकता हो, वही प्रकाशित हों, देश जाये भाड़ में, नैतिकता जाये चूल्हे में, पत्रकारिता के आदर्श और मानदण्डों पर राख डालो, ये लोग “हिन्दुत्व” और “राष्ट्रवाद” का साथ देने वाले नहीं हैं)।

क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का काम इतने वर्षों से मीडिया के बिना नहीं चल रहा है? आराम से चल रहा है। जब RSS के वर्ग, सभायें आदि हो रही होती हैं तब मीडिया वालों को उधर से दूर ही रखा जाता है, तो क्या बिगड़ गया RSS का? क्या संघ बरबाद हो गया? या संघ कमजोर हो गया? सीधा हिसाब है कि जो लोग तुम्हारा सही पक्ष सुनेंगे नहीं, तुम्हारे पक्ष में कभी लिखेंगे नहीं, तुम्हारे दृष्टिकोण को छूटते ही “साम्प्रदायिक” घोषित करने में लगे हों, उनसे मधुर सम्बन्ध बनाने की बेताबी क्यों? काहे उन्हें बुला-बुलाकर इंटरव्यू देते हो, काहे उन्हें 5 सितारा होटलों में भोज करवाते हो? भूत-प्रेत-चुड़ैल दिखाने, जैक्सन-समलैंगिकता-आरुषि जैसे बकवास मुद्दों पर समय खपाने और फ़ालतू की लफ़्फ़ाजी हाँकने की वजह से आज की तारीख में मीडिया की छवि आम जनता में बहुत गिर चुकी है…। क्यों यह मुगालता पाले बैठे हो कि इस प्रकार का मीडिया कभी भाजपा का उद्धार कर सकेगा? मीडिया के बल पर ही जीतना होता तो “इंडिया शाइनिंग” कैम्पेन के करोड़ों रुपये डकारकर भी ये मीडिया भाजपा को क्यों नहीं जितवा पाया? चलो माना कि हरेक राजनैतिक पार्टी को मीडिया से दोस्ती करना आवश्यक है, लेकिन यह भी तो देखो कि जो व्यक्ति खुलेआम तुम्हारा विरोधी है, जिस पत्रकार का इतिहास ही हिन्दुत्व विरोधी रहा है, जो मीडिया-हाउस सदा से कांग्रेस और मुसलमानों का चमचा रहा है, उसे इतना भाव क्यों देना, उसे उसकी औकात दिखाओ ना?

चुनाव जीता जाता है कार्यकर्ता के बल पर, आन्दोलनों के बल पर… तुअर दाल के भाव 80 रुपये को पार कर चुके हैं, क्या कोई आन्दोलन किया भाजपा ने? एकाध जोरदार किस्म का प्रदर्शन करते तो मीडिया वालों को मजबूर होकर कवरेज देना ही पड़ता (दारू भी नहीं पिलानी पड़ती), लेकिन AC लगे कमरों में बैठने से जनता से नहीं जुड़ा जायेगा। 5 साल विपक्ष में रहे, अगले 5 साल भी रहोगे… अब “सुविधाभोग” छोड़ो, हिन्दुत्व से नाता जोड़ो। सड़क-बिजली-पानी अति-आवश्यक मुद्दे हैं ये तो सभी सरकारें करेंगी, करना पड़ेगा… लेकिन “हिन्दुत्व” तो तुम्हारी पहचान है, उसे किनारे करने से काम नहीं चलेगा। नरेन्द्र मोदी वाला फ़ार्मूला एकदम फ़िट है, “विकास + हिन्दुत्व = पक्की सत्ता”, वही आजमाना पड़ेगा, खामखा इन सेकुलरों के चक्कर में पड़े तो न घर के रहोगे न घाट के। “आधी छोड़ पूरी को धाये, आधी पाये न पूरी पाये” वाली कहावत तो सुनी होगी, मुसलमानों को जोड़ने के चक्कर में “सेकुलर उलटबाँसियाँ” करोगे, तो नये मतदाता तो मिलेंगे नहीं, अपने प्रतिबद्ध मतदाता भी खो बैठोगे।

सार-संक्षेप : दो मुगालते भाजपा जितनी जल्दी दूर कर ले उतना अच्छा कि –

1) मुसलमान कभी भाजपा को सत्ता में लाने लायक वोटिंग करेंगे, और
2) मीडिया कभी भाजपा की तारीफ़ करेगा या कांग्रेस के मुकाबले उसे तरजीह देगा

मैं तो एक अदना सा व्यक्ति हूँ, बड़े-बड़े दिग्गजों को क्या सलाह दूँ, लेकिन एक बात तो तय है कि “हिन्दुत्व” और “राष्ट्रवाद” की बात करने वाली एक ठोस पार्टी और ठोस व्यक्ति की “मार्केट डिमाण्ड” बहुत ज्यादा है जबकि “सप्लाई” बहुत कम। इस सीधी-सादी इबारत को यदि कोई पढ़ नहीं सकता हो तो क्या किया जा सकता है। भाजपा के काफ़ी सारे समर्थक एक “विचारधारा” के समर्थक हैं, किसी खास “परिवार” के चमचे नहीं। जो भी हिन्दुत्व की विचारधारा को खोखला करने या उससे हटने की कोशिश करेगा (चाहे वह नरेन्द्र मोदी ही क्यों न हों) पहले उसे हराना या हरवाना उन समर्पित कार्यकर्ताओं का एक दायित्व बन जायेगा। हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद से दूर हटने की सजा भाजपा को अगले दो-चार-छः बार के चुनावों में देना होगी, शायद तब “सेकुलरिज़्म का भूत” उसके दिमाग से उतरे। हालांकि कांग्रेसी और वामपंथी यह सुनकर/पढ़कर बहुत खुश होंगे, लेकिन यदि और 10-20 साल तक कांग्रेस सत्ता में रह भी जाये तो क्या हर्ज है, पहले भी 50 साल शासन करके कौन से झण्डे गाड़ लिये हैं। लेकिन जब तक भाजपा “सेकुलर” वायरस मुक्त होकर, पूरी तरह से हिन्दुत्व की ओर वापस नहीं आती, तब तक उसे सबक सिखाना ही होगा (ज़ाहिर है कि वोट न देकर, और फ़िर भी नहीं सुधरे तो किसी ऐरे-गैरे को भी वोट देकर)।

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70 Comments

  1. बालसुब्रमण्यम said,

    July 14, 2009 at 4:09 pm

    मीडिया पर तो अब भरोसा रहा ही नहीं। मैंने तो टीवी के न्यूज़ चैनल देखना ही कबका छोड़ दिया है। अब तो अखबारों से भी विश्वास उठता जा रहा है, खास करके अंग्रेजी अखबारों से।

    मैं सहमत हूं कि बिजली-पानी-सड़क गलत नारा था। सही नारा हमारे देश के लिए अब भी रोटी-कपड़ा-मकान ही बना हुआ है।

    बिजली-पानी-सड़क वाला नारा लगाना व्यापारी वर्ग का समर्थन करने के समान था, और जनता इस बात को बखूबी समझ गई।

  2. July 14, 2009 at 4:09 pm

    मीडिया पर तो अब भरोसा रहा ही नहीं। मैंने तो टीवी के न्यूज़ चैनल देखना ही कबका छोड़ दिया है। अब तो अखबारों से भी विश्वास उठता जा रहा है, खास करके अंग्रेजी अखबारों से।मैं सहमत हूं कि बिजली-पानी-सड़क गलत नारा था। सही नारा हमारे देश के लिए अब भी रोटी-कपड़ा-मकान ही बना हुआ है।बिजली-पानी-सड़क वाला नारा लगाना व्यापारी वर्ग का समर्थन करने के समान था, और जनता इस बात को बखूबी समझ गई।

  3. Abhishek Mishra said,

    July 14, 2009 at 4:11 pm

    Chaliye aapke sujhavon ko swikar kar desh hit ke muddon par aandolan karne kio shayad soche BJP. Varna vo to swayan ko satta ki swabhavik davedar samajh hath-par-hath dhare baithi hi rahegi.

  4. July 14, 2009 at 4:11 pm

    Chaliye aapke sujhavon ko swikar kar desh hit ke muddon par aandolan karne kio shayad soche BJP. Varna vo to swayan ko satta ki swabhavik davedar samajh hath-par-hath dhare baithi hi rahegi.

  5. दहाड़ said,

    July 14, 2009 at 4:15 pm

    bjp ko unhi netaon ko promote karna chahiye jo ghise hue sanghee hon arthaat jinhone kam se kam 5-10 saal sangh karya kiya ho.Unko kripya door rakhen jo satta kee malai chatne aaye hain.
    bjp ko sangh ko hijack nahin karnee chahiye kyonki sangh to hijack hoga nahin ulte sangh ke karyakarta Esee karan se sangh se naraaz ho sakte hain….sawdhan mohan rao ji …kripaya dhyan dijiye…BJP ko aukat mein hee rakhiye..warna desh aur sangh ka bahut nuksaan hoga

  6. दहाड़ said,

    July 14, 2009 at 4:15 pm

    bjp ko unhi netaon ko promote karna chahiye jo ghise hue sanghee hon arthaat jinhone kam se kam 5-10 saal sangh karya kiya ho.Unko kripya door rakhen jo satta kee malai chatne aaye hain.bjp ko sangh ko hijack nahin karnee chahiye kyonki sangh to hijack hoga nahin ulte sangh ke karyakarta Esee karan se sangh se naraaz ho sakte hain….sawdhan mohan rao ji …kripaya dhyan dijiye…BJP ko aukat mein hee rakhiye..warna desh aur sangh ka bahut nuksaan hoga

  7. Manisha said,

    July 14, 2009 at 4:16 pm

    आपने बिलकुल मेरी बात कह दी है। साफ दिखाई देता है कि कौन सा चैनल भाजपा विरोधी है पर फिर भी पता नहीं क्यों ऐसे पत्रकारों के पीछे भाजपाई भागते रहते हैं।

    मायावती इस मामले में ठीक हैं वो न माडिया से उम्मीद करती हैं न ही उनके चक्कर काटती हैं बल्कि अपना काम करती है।

    मनीषा
    http://www.hindibaat.com

  8. Manisha said,

    July 14, 2009 at 4:16 pm

    आपने बिलकुल मेरी बात कह दी है। साफ दिखाई देता है कि कौन सा चैनल भाजपा विरोधी है पर फिर भी पता नहीं क्यों ऐसे पत्रकारों के पीछे भाजपाई भागते रहते हैं। मायावती इस मामले में ठीक हैं वो न माडिया से उम्मीद करती हैं न ही उनके चक्कर काटती हैं बल्कि अपना काम करती है। मनीषाwww.hindibaat.com

  9. Ratan Singh Shekhawat said,

    July 14, 2009 at 4:23 pm

    आपके विचारों से सौ प्रतिशत सहमत | भाजपा को हिंदुत्व का मुद्दा कभी नहीं छोड़ना चाहिए | हमें छद्म धर्मनिरपेक्षता नहीं चाहिए |

  10. July 14, 2009 at 4:23 pm

    आपके विचारों से सौ प्रतिशत सहमत | भाजपा को हिंदुत्व का मुद्दा कभी नहीं छोड़ना चाहिए | हमें छद्म धर्मनिरपेक्षता नहीं चाहिए |

  11. Common Hindu said,

    July 14, 2009 at 5:38 pm

    Your excellent post has been back-linked in
    http://hinduonline.blogspot.com/

  12. Common Hindu said,

    July 14, 2009 at 5:38 pm

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  13. Common Hindu said,

    July 14, 2009 at 5:41 pm

    they have posted my thoughts earlier than me

    by बालसुब्रमण्यम :

    मीडिया पर तो अब भरोसा रहा ही नहीं। मैंने तो टीवी के न्यूज़ चैनल देखना ही कबका छोड़ दिया है। अब तो अखबारों से भी विश्वास उठता जा रहा है, खास करके अंग्रेजी अखबारों से।

    by Manisha :

    मायावती इस मामले में ठीक हैं वो न माडिया से उम्मीद करती हैं न ही उनके चक्कर काटती हैं बल्कि अपना काम करती है।

  14. Common Hindu said,

    July 14, 2009 at 5:41 pm

    they have posted my thoughts earlier than me by बालसुब्रमण्यम : मीडिया पर तो अब भरोसा रहा ही नहीं। मैंने तो टीवी के न्यूज़ चैनल देखना ही कबका छोड़ दिया है। अब तो अखबारों से भी विश्वास उठता जा रहा है, खास करके अंग्रेजी अखबारों से।by Manisha :मायावती इस मामले में ठीक हैं वो न माडिया से उम्मीद करती हैं न ही उनके चक्कर काटती हैं बल्कि अपना काम करती है।

  15. Common Hindu said,

    July 14, 2009 at 5:43 pm

    Dear Blogger Friend,

    i have been following and compiling good posts from your blog.
    recently a guest on my blog has requested for an article
    on the subject of building a memorial in rememberance of
    the INDIANS killed in the Mumbai attack.

    As i only compile on my blog and not write anything original
    may i request you to consider writing to the subject.

    http://hinduonline.blogspot.com/

    – a blog for Daily Posts, News, Views Compilation by a Common Hindu
    – Hindu Online.

  16. Common Hindu said,

    July 14, 2009 at 5:43 pm

    Dear Blogger Friend,i have been following and compiling good posts from your blog.recently a guest on my blog has requested for an articleon the subject of building a memorial in rememberance of the INDIANS killed in the Mumbai attack.As i only compile on my blog and not write anything originalmay i request you to consider writing to the subject.http://hinduonline.blogspot.com/– a blog for Daily Posts, News, Views Compilation by a Common Hindu- Hindu Online.

  17. राज भाटिय़ा said,

    July 14, 2009 at 6:00 pm

    आप की सभी बातो से सहमत हुं

  18. July 14, 2009 at 6:00 pm

    आप की सभी बातो से सहमत हुं

  19. काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif said,

    July 14, 2009 at 6:14 pm

    सुरेश जी, काफ़ी अच्छा लिखा है आपने काफ़ी गहराई से देखा है आपने मुद्दे को…

    कोई भी भरोसे के लायक नही है सब नोटों के हमदर्द है…बस पैसे से मतलब नही हैं

    आप हिन्दु है और उस धर्म का अच्छी तरह पालन करते है जो अच्छी बात है…मैं मुसलमान हूं और मैं भी अपने मज़हब का अच्छे से पालन करता हूं..

    लेकिन सिर्फ़ एक धर्म की विचारधारा, या सिर्फ़ एक धर्म की राजनीति एक देशव्यापी पार्टी को शोभा नही देती….

    एक पार्टी जो देश की गद्दी को संभालेगी और वो सिर्फ़ एक धर्म की विचारधारा पर चले तो उस पार्टी को कौन वोट देगा?

    हिदुस्तान में हिन्दु-मुस्लिम के अलावा और धर्मों के लोग भी रहते हैं..और इस देश पर सबका बराबर का हक है

  20. July 14, 2009 at 6:14 pm

    सुरेश जी, काफ़ी अच्छा लिखा है आपने काफ़ी गहराई से देखा है आपने मुद्दे को…कोई भी भरोसे के लायक नही है सब नोटों के हमदर्द है…बस पैसे से मतलब नही हैं आप हिन्दु है और उस धर्म का अच्छी तरह पालन करते है जो अच्छी बात है…मैं मुसलमान हूं और मैं भी अपने मज़हब का अच्छे से पालन करता हूं..लेकिन सिर्फ़ एक धर्म की विचारधारा, या सिर्फ़ एक धर्म की राजनीति एक देशव्यापी पार्टी को शोभा नही देती….एक पार्टी जो देश की गद्दी को संभालेगी और वो सिर्फ़ एक धर्म की विचारधारा पर चले तो उस पार्टी को कौन वोट देगा?हिदुस्तान में हिन्दु-मुस्लिम के अलावा और धर्मों के लोग भी रहते हैं..और इस देश पर सबका बराबर का हक है

  21. Anil Pusadkar said,

    July 14, 2009 at 6:39 pm

    भाऊ इसमे कोई शक़ नही के मीडिया का रोल गलत है मगर भाजपा को भी अपनी मूल विचारधारा से भटकना नही चाहिये।

  22. July 14, 2009 at 6:39 pm

    भाऊ इसमे कोई शक़ नही के मीडिया का रोल गलत है मगर भाजपा को भी अपनी मूल विचारधारा से भटकना नही चाहिये।

  23. smart said,

    July 14, 2009 at 7:27 pm

    देखो जी सुरेश जी एक नरेन्द्र मोदी को छोड़ दो बाकी भाजपा में कोई दम है नहीं. लालकृष्ण आडवानी पे जनता भरोसा करती नहीं है,वो जानती है के ये गरजने वाले मेघ है.यदि जनता के सामने कोई विशेष मजबूरी नहीं आई तो वो लालकृष्ण आडवानी को प्रधानमंत्री नहीं देखना चाहती. बाजपेयी जी की गंभीरता से भाजपा सत्ता में आई थी और लालकृष्ण आडवानी की "बातां री ब्यालू" वाले व्यक्तित्व के कारण सत्ता से बाहर हो गई. राजस्थान में भाजपा अपने स्तर से बहुत नीचे गिर चुकी है.यहाँ अगर किसी का विकास हुआ है तो वो सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के मंत्रियों का और फिर सबसे बड़ी बात आप जिस गाँधी परिवार को गरियाते हो भाजपा भी उसी गाँधी परिवार (मेनका और वरुण गाँधी) के कन्धों पर चढ़ कर सत्ता तक पहुँचने के जुगाड़ में है …..सिद्धांत वगैरह तो तेल लेने गए. राजस्थान में भाजपा का सामंती चेहरा स्पष्ट नज़र आ रहा है . श्रीमती वसुंधरा राजे जनता को खुश करने के वैसे ही टोटके आजमा रही है जैसे पुराने ज़माने में राजा महाराजा अपनाते थे. अब श्रीमती राजे पॉँच साल तक इंतजार करेंगी की जनता कांग्रेस से "बोर" होकर सत्ता उनकी "झोली" में डाल दे सिद्धांतों को तो आप जैसे लोग पकडे बैठे है. मुद्दों को लेकर लड़ने के लिए "एसी" से बाहर निकलने की हिम्मत चाहिए. आर एस एस के सिद्धांतों की भी मैंने धज्जियाँ उड़ते देखी की एक सज्जन भाजपा के मंत्री से स्थानांतरण करवाने के लिए आर एस एस की गणवेश में आये की,"मंत्री महोदय मैं आर एस एस में हूँ (और आर एस एस पे अहसान कर रहा हूँ.)" इतने बड़े और प्रतिष्ठित संगठन का क्षुद्र उपयोग का इससे घटिया और क्या उदहारण हो सकता है ………
    आप से मेरी शिकायत आज भी है की आप अपने प्रदेश(महाराष्ट्र) के तथाकथित दो ठेकेदारों बाल ठाकरे और राजठाकरे के बारे में तो लिखो, की डर लगता है सुरेश जी…

  24. smart said,

    July 14, 2009 at 7:27 pm

    देखो जी सुरेश जी एक नरेन्द्र मोदी को छोड़ दो बाकी भाजपा में कोई दम है नहीं. लालकृष्ण आडवानी पे जनता भरोसा करती नहीं है,वो जानती है के ये गरजने वाले मेघ है.यदि जनता के सामने कोई विशेष मजबूरी नहीं आई तो वो लालकृष्ण आडवानी को प्रधानमंत्री नहीं देखना चाहती. बाजपेयी जी की गंभीरता से भाजपा सत्ता में आई थी और लालकृष्ण आडवानी की "बातां री ब्यालू" वाले व्यक्तित्व के कारण सत्ता से बाहर हो गई. राजस्थान में भाजपा अपने स्तर से बहुत नीचे गिर चुकी है.यहाँ अगर किसी का विकास हुआ है तो वो सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के मंत्रियों का और फिर सबसे बड़ी बात आप जिस गाँधी परिवार को गरियाते हो भाजपा भी उसी गाँधी परिवार (मेनका और वरुण गाँधी) के कन्धों पर चढ़ कर सत्ता तक पहुँचने के जुगाड़ में है …..सिद्धांत वगैरह तो तेल लेने गए. राजस्थान में भाजपा का सामंती चेहरा स्पष्ट नज़र आ रहा है . श्रीमती वसुंधरा राजे जनता को खुश करने के वैसे ही टोटके आजमा रही है जैसे पुराने ज़माने में राजा महाराजा अपनाते थे. अब श्रीमती राजे पॉँच साल तक इंतजार करेंगी की जनता कांग्रेस से "बोर" होकर सत्ता उनकी "झोली" में डाल दे सिद्धांतों को तो आप जैसे लोग पकडे बैठे है. मुद्दों को लेकर लड़ने के लिए "एसी" से बाहर निकलने की हिम्मत चाहिए. आर एस एस के सिद्धांतों की भी मैंने धज्जियाँ उड़ते देखी की एक सज्जन भाजपा के मंत्री से स्थानांतरण करवाने के लिए आर एस एस की गणवेश में आये की,"मंत्री महोदय मैं आर एस एस में हूँ (और आर एस एस पे अहसान कर रहा हूँ.)" इतने बड़े और प्रतिष्ठित संगठन का क्षुद्र उपयोग का इससे घटिया और क्या उदहारण हो सकता है ……… आप से मेरी शिकायत आज भी है की आप अपने प्रदेश(महाराष्ट्र) के तथाकथित दो ठेकेदारों बाल ठाकरे और राजठाकरे के बारे में तो लिखो, की डर लगता है सुरेश जी…

  25. Rakesh Singh - राकेश सिंह said,

    July 14, 2009 at 8:32 pm

    बहुत सटीक लिखा है आपने | आपकी बातों से सत -प्रतिसत सहमत हूँ | आज की मीडिया से अच्छाई की आशा करना बेकार है, इन मेक्ले की संतानों के पीछे बजने से कुछ नहीं मिलेगा हमें अपना काम करते रहना है | मीडिया हमारी बात सुनकर सही-सही दिखाना चाहते है तो दिखाएँ नहीं तो हम अपने रस्ते-तुम अपने रस्ते | मैं तो कहता हूँ की अपनी एक अलग tv chanel ही khol loo |

  26. July 14, 2009 at 8:32 pm

    बहुत सटीक लिखा है आपने | आपकी बातों से सत -प्रतिसत सहमत हूँ | आज की मीडिया से अच्छाई की आशा करना बेकार है, इन मेक्ले की संतानों के पीछे बजने से कुछ नहीं मिलेगा हमें अपना काम करते रहना है | मीडिया हमारी बात सुनकर सही-सही दिखाना चाहते है तो दिखाएँ नहीं तो हम अपने रस्ते-तुम अपने रस्ते | मैं तो कहता हूँ की अपनी एक अलग tv chanel ही khol loo |

  27. mahashakti said,

    July 15, 2009 at 3:57 am

    सीधी अपनी बात आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ, मीडिया की लल्‍लो पच्‍चो से बचना चाहिये। हिन्‍दुत्‍व की सर्वश्रेष्‍ठ मार्ग है।

  28. mahashakti said,

    July 15, 2009 at 3:57 am

    सीधी अपनी बात आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ, मीडिया की लल्‍लो पच्‍चो से बचना चाहिये। हिन्‍दुत्‍व की सर्वश्रेष्‍ठ मार्ग है।

  29. काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif said,

    July 15, 2009 at 4:00 am

    सुरेश जी आपने कहा :-

    "नरेन्द्र मोदी वाला फ़ार्मूला एकदम फ़िट है, “विकास + हिन्दुत्व = पक्की सत्ता”, वही आजमाना पड़ेगा"

    नरेन्द्र मोदी को गुजरात के लोग सिर्फ़ उस विकास की वजह से ही झेल रहे है…वहां के लोग इस "हिन्दुत्व" की विचारधारा से कितना परेशान आ चुका है ज़रा किसी से पुछकर देखियेगां….

    मेरे स्कुल टाइम के तीन दोस्त अहमदाबाद में निलोन’स में नौकरी करते हैं उसमें से दो पंडित और एक मुसलमान है वो तीनों साथ में रहते है…उनसें वहां के हाल सुने है….सब परेशान है कोई भी इस विचारधारा को बर्दाशत नहीं कर पा रहा है…

    इस विचारधारा नें लोगो के दिल-दिमाग पर असर करना शुरु कर दिया है और अगर ८-१० साल और वहां मोदी ने राज किया तो वो राज्य सिर्फ़ हिन्दु राज्य रह जायेगा

  30. July 15, 2009 at 4:00 am

    सुरेश जी आपने कहा :-"नरेन्द्र मोदी वाला फ़ार्मूला एकदम फ़िट है, “विकास + हिन्दुत्व = पक्की सत्ता”, वही आजमाना पड़ेगा"नरेन्द्र मोदी को गुजरात के लोग सिर्फ़ उस विकास की वजह से ही झेल रहे है…वहां के लोग इस "हिन्दुत्व" की विचारधारा से कितना परेशान आ चुका है ज़रा किसी से पुछकर देखियेगां….मेरे स्कुल टाइम के तीन दोस्त अहमदाबाद में निलोन’स में नौकरी करते हैं उसमें से दो पंडित और एक मुसलमान है वो तीनों साथ में रहते है…उनसें वहां के हाल सुने है….सब परेशान है कोई भी इस विचारधारा को बर्दाशत नहीं कर पा रहा है…इस विचारधारा नें लोगो के दिल-दिमाग पर असर करना शुरु कर दिया है और अगर ८-१० साल और वहां मोदी ने राज किया तो वो राज्य सिर्फ़ हिन्दु राज्य रह जायेगा

  31. Suresh Chiplunkar said,

    July 15, 2009 at 4:49 am

    @ स्मार्ट भाई – आपकी शिकायत पर अवश्य ध्यान देता, यदि मैं महाराष्ट्र का होता। आपने मेरा प्रोफ़ाइल नहीं देखा मैं उज्जैन (मप्र) का निवासी हूँ। राज ठाकरे की आलोचना पहले ही एक लेख में कर चुका हूँ, पुराने आर्काइव देखिये। रही बात आरएसएस के गणवेश में जाने की, तो भाजपा के मंत्रियों को अभी यह तमीज ठीक से नहीं आई है कि आरएसएस के व्यक्ति से किस तरह बात की जाती है। और यदि आरएसएस में बरसों तक काम करने वाला व्यक्ति यदि भाजपा से कोई छोटी से अपेक्षा रखता है तो उसमें बुराई क्या है। क्या संघ का आम कार्यकर्ता अथवा भाजपा का प्रतिबद्ध वोटर भाजपा के मंत्रियों से लाखों रुपये माँग रहा है? क्या RSS का आदमी मनुष्य नहीं है, या उसका परिवार नहीं है, या उसकी कोई मामूली सी इच्छायें नहीं हैं, क्या कांग्रेसियों और वामपंथियों ने अपनी सत्ता के राज्यों में अपने-अपने आदमियों को लाभ नहीं पहुँचाया? जिन कार्यकर्ताओं के बल पर सत्ता मिली है, यदि उन्हें ही अपने जायज़ काम के लिये भी मंत्रियों के चक्कर लगाने पड़ें, तब तो ऐसे मंत्रियों की चर्बी उतारना ही ठीक होगा…। 10 साल विपक्ष में रहकर भी यह चर्बी नहीं उतरी तो कोई और रास्ता तलाशेंगे…। "दहाड़" की टिप्पणी ठीक है कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद 8-10 साल तक संघ में काम कर चुके सिर्फ़ घिसे हुए संघी को ही उच्च पदों पर आसीन करवाना चाहिये… जब संघ नहीं रहेगा या कमजोर होगा तो भाजपा नाम की चीज़ ही नहीं बचने वाली।

  32. July 15, 2009 at 4:49 am

    @ स्मार्ट भाई – आपकी शिकायत पर अवश्य ध्यान देता, यदि मैं महाराष्ट्र का होता। आपने मेरा प्रोफ़ाइल नहीं देखा मैं उज्जैन (मप्र) का निवासी हूँ। राज ठाकरे की आलोचना पहले ही एक लेख में कर चुका हूँ, पुराने आर्काइव देखिये। रही बात आरएसएस के गणवेश में जाने की, तो भाजपा के मंत्रियों को अभी यह तमीज ठीक से नहीं आई है कि आरएसएस के व्यक्ति से किस तरह बात की जाती है। और यदि आरएसएस में बरसों तक काम करने वाला व्यक्ति यदि भाजपा से कोई छोटी से अपेक्षा रखता है तो उसमें बुराई क्या है। क्या संघ का आम कार्यकर्ता अथवा भाजपा का प्रतिबद्ध वोटर भाजपा के मंत्रियों से लाखों रुपये माँग रहा है? क्या RSS का आदमी मनुष्य नहीं है, या उसका परिवार नहीं है, या उसकी कोई मामूली सी इच्छायें नहीं हैं, क्या कांग्रेसियों और वामपंथियों ने अपनी सत्ता के राज्यों में अपने-अपने आदमियों को लाभ नहीं पहुँचाया? जिन कार्यकर्ताओं के बल पर सत्ता मिली है, यदि उन्हें ही अपने जायज़ काम के लिये भी मंत्रियों के चक्कर लगाने पड़ें, तब तो ऐसे मंत्रियों की चर्बी उतारना ही ठीक होगा…। 10 साल विपक्ष में रहकर भी यह चर्बी नहीं उतरी तो कोई और रास्ता तलाशेंगे…। "दहाड़" की टिप्पणी ठीक है कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद 8-10 साल तक संघ में काम कर चुके सिर्फ़ घिसे हुए संघी को ही उच्च पदों पर आसीन करवाना चाहिये… जब संघ नहीं रहेगा या कमजोर होगा तो भाजपा नाम की चीज़ ही नहीं बचने वाली।

  33. संजय बेंगाणी said,

    July 15, 2009 at 5:08 am

    अपने को तो राष्ट्रवादी विचारधारा भाती है. ऐसी विचारधारा जो भारत को शक्तिशाली राष्ट्र बनाए. भाजपा में वह झलक दिखी तो वोट दिया. गुजरात में मोदी का समर्थन करते रहें है, जब तक लगेगा सही है, देते रहेंगे.
    मीडिया में तमाम तरह के ज्ञानीजन है, पता नहीं इनके होते हुए देश को शायर, डॉक्टर, इंजिनियर, न्यायाधिश की कहाँ आवश्यकता है. ये समाचार नहीं सीधे सीधे निश्कर्ष सुनाते है. रबीस, डुबा वगेरे इसके उत्तम उदाहरण है. यह पत्रकारिता का स्वर्णकाल है.

  34. July 15, 2009 at 5:08 am

    अपने को तो राष्ट्रवादी विचारधारा भाती है. ऐसी विचारधारा जो भारत को शक्तिशाली राष्ट्र बनाए. भाजपा में वह झलक दिखी तो वोट दिया. गुजरात में मोदी का समर्थन करते रहें है, जब तक लगेगा सही है, देते रहेंगे. मीडिया में तमाम तरह के ज्ञानीजन है, पता नहीं इनके होते हुए देश को शायर, डॉक्टर, इंजिनियर, न्यायाधिश की कहाँ आवश्यकता है. ये समाचार नहीं सीधे सीधे निश्कर्ष सुनाते है. रबीस, डुबा वगेरे इसके उत्तम उदाहरण है. यह पत्रकारिता का स्वर्णकाल है.

  35. cmpershad said,

    July 15, 2009 at 5:28 am

    सत्ता की भूख पथभ्रष्ट कर देती है….और यही भाजपा की हार का मुख्य कारण रहा॥

  36. cmpershad said,

    July 15, 2009 at 5:28 am

    सत्ता की भूख पथभ्रष्ट कर देती है….और यही भाजपा की हार का मुख्य कारण रहा॥

  37. चन्दन चौहान said,

    July 15, 2009 at 6:01 am

    पया नही सब क्या उल-जलूल टिप्पणी कर देतें है।

    हिन्दुत्व विचारधारा क्या है? पहले पता कर लेना चाहिये आखिर हिन्दुत्व, हिन्दुत्व विचारधारा है क्या चीज

    हिन्दुत्व एक जीवन जीने का कला है, हिन्दुत्व हिन्दुस्तान का संस्कृ्ति है, हिन्दुत्व यहाँ कि कला, विज्ञान, समाजिक प्रणाली जो हमें सदभाव से जिना सिखाता है (ना कि अपने भाई, बाप को मार कर सत्ता हासिल करना)

    गुजरात हि क्या विश्व के किसी भी कोने से हिन्दुत्व विचार के विरुद्ध आज तक कभी किसी ने कुछ नही कहा।
    वैसे कई यैसे धर्म हैं जिससे विश्व के लगभग सभी देश परेशान है।

    मुर्ख, अनपंढ, गवार, मिडीया और सेकुलर को छोड दिया जाय तो हिन्दुत्व विचार धारा को सभी पुजते है

    विश्व के सभी देशे में अगर कोई विचारधारा पूज्यनिय है तो वह है हिन्‍दुत्‍व

    हिन्‍दुत्‍व की सर्वश्रेष्‍ठ मार्ग है।

  38. July 15, 2009 at 6:01 am

    पया नही सब क्या उल-जलूल टिप्पणी कर देतें है।हिन्दुत्व विचारधारा क्या है? पहले पता कर लेना चाहिये आखिर हिन्दुत्व, हिन्दुत्व विचारधारा है क्या चीजहिन्दुत्व एक जीवन जीने का कला है, हिन्दुत्व हिन्दुस्तान का संस्कृ्ति है, हिन्दुत्व यहाँ कि कला, विज्ञान, समाजिक प्रणाली जो हमें सदभाव से जिना सिखाता है (ना कि अपने भाई, बाप को मार कर सत्ता हासिल करना)गुजरात हि क्या विश्व के किसी भी कोने से हिन्दुत्व विचार के विरुद्ध आज तक कभी किसी ने कुछ नही कहा। वैसे कई यैसे धर्म हैं जिससे विश्व के लगभग सभी देश परेशान है। मुर्ख, अनपंढ, गवार, मिडीया और सेकुलर को छोड दिया जाय तो हिन्दुत्व विचार धारा को सभी पुजते हैविश्व के सभी देशे में अगर कोई विचारधारा पूज्यनिय है तो वह है हिन्‍दुत्‍वहिन्‍दुत्‍व की सर्वश्रेष्‍ठ मार्ग है।

  39. RAJ SINH said,

    July 15, 2009 at 8:02 am

    प्रखर राष्ट्र वाद की अवधारणा से भाजपा दूर हो गयी है. सत्ता का भोग और सिर्फ उसकी लालच ही स्थायी भाव रह गए हैं.
    डा. मुखर्जी के ' एक देश , एक ध्वज ,एक विधान का मार्ग ही अपने आप में सौ सेकुलर बक्वासियों पर भारी है.भाजपा अब देश की बात ही कहाँ कर रही है.

    रही बात मीडिया की तो वह तो हर वेश्या , छिनाल से भी गयी गुज़री हो गयी है. उसका चरित्र ही वही रह गया है .
    हिंदुत्व कोई मजहब नहीं है . वह धर्म है.समस्त मानव मात्र की मानव धर्मिता का उद्घोष.

  40. RAJ SINH said,

    July 15, 2009 at 8:02 am

    प्रखर राष्ट्र वाद की अवधारणा से भाजपा दूर हो गयी है. सत्ता का भोग और सिर्फ उसकी लालच ही स्थायी भाव रह गए हैं.डा. मुखर्जी के ' एक देश , एक ध्वज ,एक विधान का मार्ग ही अपने आप में सौ सेकुलर बक्वासियों पर भारी है.भाजपा अब देश की बात ही कहाँ कर रही है.रही बात मीडिया की तो वह तो हर वेश्या , छिनाल से भी गयी गुज़री हो गयी है. उसका चरित्र ही वही रह गया है .हिंदुत्व कोई मजहब नहीं है . वह धर्म है.समस्त मानव मात्र की मानव धर्मिता का उद्घोष.

  41. khursheed said,

    July 15, 2009 at 8:22 am

    मुस्लिम विरोध को अपनी राजनीति का आधार बनाने वाली संघ परिवार को समझ नहीं आ रहा की अब क्या किया जाये. मीडिया को दोष दिया जाये? उस मीडिया को जिसने वर्ष २००४ में संघ परिवार की सत्ता में वापसी की घोषणा की थी मगर हुआ उल्टा. ईवीएम को दोष दिया जाये? या फिर बड़े नेताओं को दोष दिया जाये? खैर ये तो संघ परिवार का मामला है.
    सिर्फ मुस्लिम्स विरोध को अपनी राजनीति का आधार बनाकर अब सत्ता हासिल की जाती. मुस्लिम्स विरोध की कुछ मिसाले दी जा रही हैं:-
    १- अभी हाल ही में चीन के शिनजियांग में दंगे हुए उसमे कई मासूम मुस्लिम्स मरे गए मगर संघ परिवार ने इसको भी इस्लामिक विद्रोह का नाम दिया. उसी चीन में जब तिब्बती विद्रोह करते हैं तो संघ परिवार उनका समर्थन करता है और कभी धर्म का नाम नहीं देता.
    २. केंद्र सरकार ने जब सिख दंगा पीडितों को पैकेज दिया तो संघ परिवार को कोई परेशानी नहीं हुई मगर जब उसी केंद्र सरकार ने गुजरात दंगा पीडितों को पैकेज दिया तो संघ परिवार की पेट में दर्द चालू हो गया. और दिखने लगा तुष्टिकरण.

  42. khursheed said,

    July 15, 2009 at 8:22 am

    मुस्लिम विरोध को अपनी राजनीति का आधार बनाने वाली संघ परिवार को समझ नहीं आ रहा की अब क्या किया जाये. मीडिया को दोष दिया जाये? उस मीडिया को जिसने वर्ष २००४ में संघ परिवार की सत्ता में वापसी की घोषणा की थी मगर हुआ उल्टा. ईवीएम को दोष दिया जाये? या फिर बड़े नेताओं को दोष दिया जाये? खैर ये तो संघ परिवार का मामला है.सिर्फ मुस्लिम्स विरोध को अपनी राजनीति का आधार बनाकर अब सत्ता हासिल की जाती. मुस्लिम्स विरोध की कुछ मिसाले दी जा रही हैं:-१- अभी हाल ही में चीन के शिनजियांग में दंगे हुए उसमे कई मासूम मुस्लिम्स मरे गए मगर संघ परिवार ने इसको भी इस्लामिक विद्रोह का नाम दिया. उसी चीन में जब तिब्बती विद्रोह करते हैं तो संघ परिवार उनका समर्थन करता है और कभी धर्म का नाम नहीं देता.२. केंद्र सरकार ने जब सिख दंगा पीडितों को पैकेज दिया तो संघ परिवार को कोई परेशानी नहीं हुई मगर जब उसी केंद्र सरकार ने गुजरात दंगा पीडितों को पैकेज दिया तो संघ परिवार की पेट में दर्द चालू हो गया. और दिखने लगा तुष्टिकरण.

  43. khursheed said,

    July 15, 2009 at 8:26 am

    नंदन चौहान जी, क्या मनुस्मृति हिंदुत्व की किताब है और जीवन जीने की कला सिखाती है?

  44. khursheed said,

    July 15, 2009 at 8:26 am

    नंदन चौहान जी, क्या मनुस्मृति हिंदुत्व की किताब है और जीवन जीने की कला सिखाती है?

  45. भारतीय नागरिक - Indian Citizen said,

    July 15, 2009 at 2:39 pm

    जड़ों तक जाना चाहिये, गौरवशाली भारतीय इतिहास जोकि पूर्व वैदिक काल से प्रारम्भ होता है, वह बताया जाना चाहिये, क्योंकि सरकार तो सिर्फ इतिहास का मतलब गंगा जमुनी से ही समझती है. ग्रास-रूट पर काम करना आवश्यक है. मैंने आजतक नहीं देखा कि पचास हिन्दू एक होकर किसी एक मुसलमान पर हमला करते नहीं देखा. खुर्शीद जी सिर्फ एक बात का उत्तर दें कि दंगा मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों से ही क्यों शुरू होता है. मनुस्मृति पहले पूरी पढ़ें! रही बात अस्पृश्यता की तो हिन्दुओं ने ही स्वयं उसे खत्म करने की पहल की.

  46. July 15, 2009 at 2:39 pm

    जड़ों तक जाना चाहिये, गौरवशाली भारतीय इतिहास जोकि पूर्व वैदिक काल से प्रारम्भ होता है, वह बताया जाना चाहिये, क्योंकि सरकार तो सिर्फ इतिहास का मतलब गंगा जमुनी से ही समझती है. ग्रास-रूट पर काम करना आवश्यक है. मैंने आजतक नहीं देखा कि पचास हिन्दू एक होकर किसी एक मुसलमान पर हमला करते नहीं देखा. खुर्शीद जी सिर्फ एक बात का उत्तर दें कि दंगा मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों से ही क्यों शुरू होता है. मनुस्मृति पहले पूरी पढ़ें! रही बात अस्पृश्यता की तो हिन्दुओं ने ही स्वयं उसे खत्म करने की पहल की.

  47. भारतीय नागरिक - Indian Citizen said,

    July 15, 2009 at 2:45 pm

    आपका ब्लाग पोस्ट करने के बाद प्रारम्भ में नहीं खुलता है, कृपया देखें.

  48. July 15, 2009 at 2:45 pm

    आपका ब्लाग पोस्ट करने के बाद प्रारम्भ में नहीं खुलता है, कृपया देखें.

  49. प्रशांत गुप्ता said,

    July 15, 2009 at 3:56 pm

    अपनी जड़ो से कटने के बाद कोई पेड बच नहीं पता है , प्रकृति का अटूट नीयम है , फिर भाजापा हिंदुत्व को छोड़ कर कैसे जिन्दा रह सकती है , हिंदुत्व के मूल मे ही समय के साथ विकास का सिधांत निहित है ,
    रही बात मीडिया की , देश की मीडिया ने अपना हाल खुद ही ख़राब कर लिया है इन पर तो क्या कहै

  50. July 15, 2009 at 3:56 pm

    अपनी जड़ो से कटने के बाद कोई पेड बच नहीं पता है , प्रकृति का अटूट नीयम है , फिर भाजापा हिंदुत्व को छोड़ कर कैसे जिन्दा रह सकती है , हिंदुत्व के मूल मे ही समय के साथ विकास का सिधांत निहित है , रही बात मीडिया की , देश की मीडिया ने अपना हाल खुद ही ख़राब कर लिया है इन पर तो क्या कहै

  51. चन्दन चौहान said,

    July 16, 2009 at 4:46 am

    @ Khursheed Ji

    जब आपके आँख के सामने लिखा हुआ मेरा नाम चन्दन चौहान कि जगह आपको नंदन चौहान दिख रहा हो वैसे आँख वालों को मनु स्मृति की अच्छी बातें कैसे दिखेगी।

    मनु स्मृति में कम से कम यैसी बाते तो नही लिखा है कि जिहाद के नाम पर इंसान को मारो, दारुल हरव के नाम पर औरतों का बलात्कार करो, दुसरों के मेहनत की कमाई पर कामचोरों के द्वारा ऎस करने के लिये जजिया कर लो। हराम का कमाई करो अपने भाई, बाप सत्ता के लिये को मारो जिस देश में रहो उसी के साथ गद्दारी करो दुसरों का घर लूटों। और मनु स्मृति में क्या क्या नही लिखा है और बताऊ क्या

    चलो मनु स्मृति कि बात को छोडते हैं आपने आँखो का कम से कम आप इलाज ही करबा लो आप श्रीमान खुर्शीद जी जिससे अगले बार जो कुछ पढों उसके बारे में समझो भी।

    श्रीमान खुर्शीद जी शायद आप जैसों के लिये ही ये मुहावरा बना है

    आँख का अन्धा नाम नयन सुख

  52. July 16, 2009 at 4:46 am

    @ Khursheed Jiजब आपके आँख के सामने लिखा हुआ मेरा नाम चन्दन चौहान कि जगह आपको नंदन चौहान दिख रहा हो वैसे आँख वालों को मनु स्मृति की अच्छी बातें कैसे दिखेगी।मनु स्मृति में कम से कम यैसी बाते तो नही लिखा है कि जिहाद के नाम पर इंसान को मारो, दारुल हरव के नाम पर औरतों का बलात्कार करो, दुसरों के मेहनत की कमाई पर कामचोरों के द्वारा ऎस करने के लिये जजिया कर लो। हराम का कमाई करो अपने भाई, बाप सत्ता के लिये को मारो जिस देश में रहो उसी के साथ गद्दारी करो दुसरों का घर लूटों। और मनु स्मृति में क्या क्या नही लिखा है और बताऊ क्याचलो मनु स्मृति कि बात को छोडते हैं आपने आँखो का कम से कम आप इलाज ही करबा लो आप श्रीमान खुर्शीद जी जिससे अगले बार जो कुछ पढों उसके बारे में समझो भी।श्रीमान खुर्शीद जी शायद आप जैसों के लिये ही ये मुहावरा बना हैआँख का अन्धा नाम नयन सुख

  53. Dikshit Ajay K said,

    July 16, 2009 at 11:20 am

    Suresh Jee,

    कोर्ट ने सबरवाल साहब की हत्या के सभी आरोपीयों को रीहा कर दिया. इस बात का जशन आज उज्जैन माना रहा है.
    पर मेरी समझ यह नहीं आया की ये लोग किस बात का जशन माना रहे हैं-
    सबरवाल साहब की मौत का
    या
    इस मामले मैं MP प्रशासन के असफलता का
    या
    अभियुक्तों की रीहाई का.
    बात कोई भी हो मामला जशन का तो हरगिज़ नहीं बनता, क्यों की मामला एक मौत का है और हमारी सांस्कृिती
    केसी की मौत पर जशन मानने की अनुमती नहीं देती,

    मेरा सौभाग्या है की आप मेरे पात्रा मित्रा हैं (मेरे विचार से) साथ ही आप पत्रकारिता मे भी दक्ष और उज्जैन वासी हैं.
    अतः मेरी आप से अपेक्षा है की आप निज़ी टॉर पर / या अपने ब्लॉग के ज़ारिया एस मामले मैं अपनी निष्पक्ष टिप्पणी से
    मुझे/ अपने पाठक समुदाय को अवगत करवाने की कृपा करेंगे.

    Regards

    DIKSHIT; AJAY K

  54. July 16, 2009 at 11:20 am

    Suresh Jee,कोर्ट ने सबरवाल साहब की हत्या के सभी आरोपीयों को रीहा कर दिया. इस बात का जशन आज उज्जैन माना रहा है. पर मेरी समझ यह नहीं आया की ये लोग किस बात का जशन माना रहे हैं- सबरवाल साहब की मौत का या इस मामले मैं MP प्रशासन के असफलता का या अभियुक्तों की रीहाई का. बात कोई भी हो मामला जशन का तो हरगिज़ नहीं बनता, क्यों की मामला एक मौत का है और हमारी सांस्कृिती केसी की मौत पर जशन मानने की अनुमती नहीं देती,मेरा सौभाग्या है की आप मेरे पात्रा मित्रा हैं (मेरे विचार से) साथ ही आप पत्रकारिता मे भी दक्ष और उज्जैन वासी हैं. अतः मेरी आप से अपेक्षा है की आप निज़ी टॉर पर / या अपने ब्लॉग के ज़ारिया एस मामले मैं अपनी निष्पक्ष टिप्पणी से मुझे/ अपने पाठक समुदाय को अवगत करवाने की कृपा करेंगे.– RegardsDIKSHIT; AJAY K

  55. khursheed said,

    July 16, 2009 at 11:54 am

    चन्दन चौहान जी इतना गुस्सा होने की क्या ज़रुरत है. मैं तो बस आपसे सवाल कर रहा था. खैर आपने तो कह दिया. कुरान में जो कुछ लिखा है पहले उसको ठीक से और विस्तार से पढ़ ले तो अच्छा है. मनुस्मृति में क्या लिखा है खुद ही देख लें. खैर आपने जो कुछ लिखा है तो मैं बस इतना कहूँगा कि काले भेड़े हर कौम में होती हैं. जैसे कि ने अपने पिता बिम्बिसरा का खून करके सत्ता हासिल कि थी और फिर उसके बाद अजातुसत्रू के पुत्र उदायभाद्र ने अपने पिता को मारकर सत्ता हासिल कि थी. लेकिन आप लोग को ये बात समझ में नहीं आयेगी क्योंकि आप लोग तो वाकई अंधे हो चुके हैं और हिंसक चश्मा आप लोग कि आँख पर चढ़ चुका है. खैर आप लोग से कुछ उम्मीद भी नहीं है. क्योंकि आप लोग तो आज़ादी कि लडाई के वक्त से गद्दारी करते चले आ रहें है.

    एक सवाल मैं भारतीय नागरिक से करना चाहता हूँ कि दंगा केवल वहीँ क्यों होता हैं जहाँ भाजपा मज़बूत होती है
    उदहारण कर्नाटक दंगा न होने का उदहारण- पश्चिम बंगाल जहाँ भाजपा मज़बूत नहीं है. उत्तर प्रदेश में पिछले कई साल से दंगे क्यों नहीं हुए वजह क्योंकि भाजपा वहां कई साल से कमज़ोर है. खैर ये मैंने क्या कह दिया? कहीं मेरी इस बात का जवाब देने के लिए आप लोग इन जगहों पर दंगे न चालू कर दे.

    हिन्दू किताबें अम्बेडकर ने भी पढ़ी थी और उसके बाद ही १९३५ में अम्बेडकर ने घोषणा कर दी थी कि- ‘‘आप लोगों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि मैं धर्म परिवर्तन करने जा रहा हूँ। मैं हिन्दू धर्म में पैदा हुआ, क्योंकि यह मेरे वश में नहीं था लेकिन मैं हिन्दू धर्म में मरना नहीं चाहता।

  56. khursheed said,

    July 16, 2009 at 11:54 am

    चन्दन चौहान जी इतना गुस्सा होने की क्या ज़रुरत है. मैं तो बस आपसे सवाल कर रहा था. खैर आपने तो कह दिया. कुरान में जो कुछ लिखा है पहले उसको ठीक से और विस्तार से पढ़ ले तो अच्छा है. मनुस्मृति में क्या लिखा है खुद ही देख लें. खैर आपने जो कुछ लिखा है तो मैं बस इतना कहूँगा कि काले भेड़े हर कौम में होती हैं. जैसे कि ने अपने पिता बिम्बिसरा का खून करके सत्ता हासिल कि थी और फिर उसके बाद अजातुसत्रू के पुत्र उदायभाद्र ने अपने पिता को मारकर सत्ता हासिल कि थी. लेकिन आप लोग को ये बात समझ में नहीं आयेगी क्योंकि आप लोग तो वाकई अंधे हो चुके हैं और हिंसक चश्मा आप लोग कि आँख पर चढ़ चुका है. खैर आप लोग से कुछ उम्मीद भी नहीं है. क्योंकि आप लोग तो आज़ादी कि लडाई के वक्त से गद्दारी करते चले आ रहें है.एक सवाल मैं भारतीय नागरिक से करना चाहता हूँ कि दंगा केवल वहीँ क्यों होता हैं जहाँ भाजपा मज़बूत होती है उदहारण कर्नाटक दंगा न होने का उदहारण- पश्चिम बंगाल जहाँ भाजपा मज़बूत नहीं है. उत्तर प्रदेश में पिछले कई साल से दंगे क्यों नहीं हुए वजह क्योंकि भाजपा वहां कई साल से कमज़ोर है. खैर ये मैंने क्या कह दिया? कहीं मेरी इस बात का जवाब देने के लिए आप लोग इन जगहों पर दंगे न चालू कर दे.हिन्दू किताबें अम्बेडकर ने भी पढ़ी थी और उसके बाद ही १९३५ में अम्बेडकर ने घोषणा कर दी थी कि- ‘‘आप लोगों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि मैं धर्म परिवर्तन करने जा रहा हूँ। मैं हिन्दू धर्म में पैदा हुआ, क्योंकि यह मेरे वश में नहीं था लेकिन मैं हिन्दू धर्म में मरना नहीं चाहता।

  57. Suresh Chiplunkar said,

    July 16, 2009 at 12:17 pm

    @ खुर्शीद – खुर्शीद जी पता नहीं आपकी समस्या क्या है। जब सेकुलरिज़्म की आलोचना करो तब भी आपको बुरा लगता है, हिन्दुत्व की बात पर तो बुरा लगना स्वाभाविक ही है, लेकिन अब जबकि मैं भाजपा का विरोध कर रहा हूँ तब भी आपको बुरा लग रहा है? बात हो रही है खेत की आप पहुँच गये खलिहान पर? मीडिया और भाजपा के रिश्तों तथा भाजपा के हिन्दुत्व से भटकने के लेख में मनु स्मृति और कुरान कहाँ से टपक पड़े? आप मनु स्मृति की आलोचना कर रहे हैं, क्या आप चाहते हैं कि कुरान के खिलाफ़ नेट पर चारों तरफ़ बिखरी सामग्री को यहाँ प्रकाशित किया जाये? खामखा दूसरे के धर्मग्रंथों की आलोचना ना करें…। आपका कहना है कि भाजपा जहाँ-जहाँ मजबूत होती है वहाँ दंगे होते हैं… निश्चित रूप से आपको कांग्रेस का इतिहास पढने की आवश्यकता है… असम में भाजपा कब मजबूत थी? केरल में कभी आज तक भाजपा मजबूत हुई है? और गुजरात में भाजपा पिछले 10 साल में मजबूत हुई है, उसके पहले के 50 सालों में कितने दंगे हुए हैं पता है आपको? अब अंबेडकर को भी घसीट लाये अपनी टिप्पणी में? पहले अपने तथ्य साफ़ कीजिये, यूँ ही विरोध करने के लिये विरोध करना गलत बात है… अथवा जिस मुद्दे से आपको कोई लेना-देना नहीं (जैसे भाजपा के चाहने वालों द्वारा भाजपा की आलोचना) उस पर टिप्पणी करने की क्या जरूरत है? बेवजह विवाद पैदा होता है, और मैं उन ब्लॉग लेखकों में से नहीं हूँ, जो चाहते हैं कि उनके ब्लॉग पर विवाद हो और उनका ब्लॉग चमके।

  58. July 16, 2009 at 12:17 pm

    @ खुर्शीद – खुर्शीद जी पता नहीं आपकी समस्या क्या है। जब सेकुलरिज़्म की आलोचना करो तब भी आपको बुरा लगता है, हिन्दुत्व की बात पर तो बुरा लगना स्वाभाविक ही है, लेकिन अब जबकि मैं भाजपा का विरोध कर रहा हूँ तब भी आपको बुरा लग रहा है? बात हो रही है खेत की आप पहुँच गये खलिहान पर? मीडिया और भाजपा के रिश्तों तथा भाजपा के हिन्दुत्व से भटकने के लेख में मनु स्मृति और कुरान कहाँ से टपक पड़े? आप मनु स्मृति की आलोचना कर रहे हैं, क्या आप चाहते हैं कि कुरान के खिलाफ़ नेट पर चारों तरफ़ बिखरी सामग्री को यहाँ प्रकाशित किया जाये? खामखा दूसरे के धर्मग्रंथों की आलोचना ना करें…। आपका कहना है कि भाजपा जहाँ-जहाँ मजबूत होती है वहाँ दंगे होते हैं… निश्चित रूप से आपको कांग्रेस का इतिहास पढने की आवश्यकता है… असम में भाजपा कब मजबूत थी? केरल में कभी आज तक भाजपा मजबूत हुई है? और गुजरात में भाजपा पिछले 10 साल में मजबूत हुई है, उसके पहले के 50 सालों में कितने दंगे हुए हैं पता है आपको? अब अंबेडकर को भी घसीट लाये अपनी टिप्पणी में? पहले अपने तथ्य साफ़ कीजिये, यूँ ही विरोध करने के लिये विरोध करना गलत बात है… अथवा जिस मुद्दे से आपको कोई लेना-देना नहीं (जैसे भाजपा के चाहने वालों द्वारा भाजपा की आलोचना) उस पर टिप्पणी करने की क्या जरूरत है? बेवजह विवाद पैदा होता है, और मैं उन ब्लॉग लेखकों में से नहीं हूँ, जो चाहते हैं कि उनके ब्लॉग पर विवाद हो और उनका ब्लॉग चमके।

  59. paryavaranvimarsh said,

    July 16, 2009 at 12:21 pm

    very good

  60. July 16, 2009 at 12:21 pm

    very good

  61. भारतीय नागरिक - Indian Citizen said,

    July 16, 2009 at 3:30 pm

    खुर्शीद जी, भाजपा के शासन काल में नोआखाली के दंगे नहीं हुये, अलीगढ़ और मुरादाबाद में भी नहीं. डा० अम्बेडकर ने बौद्ध पन्थ अपनाया था जो हिन्दू (सनातन) धर्म का ही एक अंग है. यह अलग बात है कि अब अपने को अल्पसंख्यक कहलाने की होड़ में लोग अपने पन्थों को धर्म में बदल रहे हैं. डा० अम्बेडकर की जीवनी पढ़ें, आप स्वयं जान जायेंगे कि ऐसे भी तथाकथित सवर्ण रहे हैं जिन्होने डा० अम्बेडकर को आगे बढ़ने में मदद की.

  62. July 16, 2009 at 3:30 pm

    खुर्शीद जी, भाजपा के शासन काल में नोआखाली के दंगे नहीं हुये, अलीगढ़ और मुरादाबाद में भी नहीं. डा० अम्बेडकर ने बौद्ध पन्थ अपनाया था जो हिन्दू (सनातन) धर्म का ही एक अंग है. यह अलग बात है कि अब अपने को अल्पसंख्यक कहलाने की होड़ में लोग अपने पन्थों को धर्म में बदल रहे हैं. डा० अम्बेडकर की जीवनी पढ़ें, आप स्वयं जान जायेंगे कि ऐसे भी तथाकथित सवर्ण रहे हैं जिन्होने डा० अम्बेडकर को आगे बढ़ने में मदद की.

  63. Rakesh Singh - राकेश सिंह said,

    July 16, 2009 at 4:57 pm

    खुर्शीद जी ज्यादातर हिन्दू कभी भी इस्लाम या कुरान का अपमान नहीं करते | हम हिन्दू तो खुदा, जीजस और ना जाने कितने को भी मानते हैं | इतिहास का रिसर्च बुक पढिये और बताइए की हिन्दुओं ने कितने मस्जिद तोडे ? मुस्लिमों ने कितने हिन्दू मंदिर तोडे ये सभी जानते हैं | क्या कभी मक्का, काबा, इरान , इराक़ …. कही पे भी मस्जिद से बिलकुल सटा मंदिर देखा है, तो phir भारत मैं मंदिर का आतिक्रमण कर सैंकडों मस्जिद क्यों ?

    अब ये बात अलग है की आप आँख बंद कर बोल दे की भारत मैं मस्जिदों से सटे मंदिर मस्जिद तोड़ कर बनाये गए हैं | सच्चे मन से सोचें की यदि काबा की आधी मस्जिद का अतिक्रमण कर मंदिर बना दिया जाए तो आपको कैसा लगेगा |

    वैसे इस्लाम को बदनाम करने का काम मुस्लिम ही कर रहा है ; एक हाथ मैं कुरान दुसरे हाथ मैं बन्दूक ; ताजुब की बात ये है की मुस्लिम भाई लोग इसकी निंदा भी नहीं करते | सच को स्वीकार करना ही चाहिए, ये बातें सबके लिए हिन्दू, मुस्लिम …. पे लागू होती हैं |

  64. July 16, 2009 at 4:57 pm

    खुर्शीद जी ज्यादातर हिन्दू कभी भी इस्लाम या कुरान का अपमान नहीं करते | हम हिन्दू तो खुदा, जीजस और ना जाने कितने को भी मानते हैं | इतिहास का रिसर्च बुक पढिये और बताइए की हिन्दुओं ने कितने मस्जिद तोडे ? मुस्लिमों ने कितने हिन्दू मंदिर तोडे ये सभी जानते हैं | क्या कभी मक्का, काबा, इरान , इराक़ …. कही पे भी मस्जिद से बिलकुल सटा मंदिर देखा है, तो phir भारत मैं मंदिर का आतिक्रमण कर सैंकडों मस्जिद क्यों ? अब ये बात अलग है की आप आँख बंद कर बोल दे की भारत मैं मस्जिदों से सटे मंदिर मस्जिद तोड़ कर बनाये गए हैं | सच्चे मन से सोचें की यदि काबा की आधी मस्जिद का अतिक्रमण कर मंदिर बना दिया जाए तो आपको कैसा लगेगा | वैसे इस्लाम को बदनाम करने का काम मुस्लिम ही कर रहा है ; एक हाथ मैं कुरान दुसरे हाथ मैं बन्दूक ; ताजुब की बात ये है की मुस्लिम भाई लोग इसकी निंदा भी नहीं करते | सच को स्वीकार करना ही चाहिए, ये बातें सबके लिए हिन्दू, मुस्लिम …. पे लागू होती हैं |

  65. SUMANT said,

    July 17, 2009 at 3:22 am

    खुर्शीद जी क्या आपने मनु स्मृति पढी है, या नेताओं जैसे भाषण करने की आदत है. आपका बहुत बार बकवास पढ़ा चुका हूँ. अपना धर्म शास्त्र तो ठंग से पढ़ नहीं सकते, दुसरे के धर्म शास्त्र पर प्रश्न करते हो!

  66. SUMANT said,

    July 17, 2009 at 3:22 am

    खुर्शीद जी क्या आपने मनु स्मृति पढी है, या नेताओं जैसे भाषण करने की आदत है. आपका बहुत बार बकवास पढ़ा चुका हूँ. अपना धर्म शास्त्र तो ठंग से पढ़ नहीं सकते, दुसरे के धर्म शास्त्र पर प्रश्न करते हो!

  67. निशाचर said,

    July 17, 2009 at 9:21 am

    जनाब खुर्शीद साहब, आपने मनुस्मृति की जो रट लगा रखी है तो आपको जानकारी होनी चाहिए कि मनुस्मृति धर्मग्रन्थ नहीं बल्कि सामाजिक नियम कानून की पुस्तक है जैसे इसलाम में हदीस. इसका रचनाकाल २०० ई0 पू0 से लेकर २०० ई0 के मध्य माना जाता है. इस तरह की अनेकों स्मृतियों (नारद, आपस्तम्ब, बृहस्पति आदि) की रचना २०० ई0 पू0 से लेकर 500 ई0 के मध्य हुई. इनके अनेकों प्रावधानों को संविधान में सम्मिलित किया गया है (जैसे- हिन्दू विवाह, उत्तराधिकार, दायभाग आदि) परन्तु अधिकांश कठोर प्रावधानों को न सिर्फ संविधान ने निषेध कर दिया है वरन स्वयं हिन्दू समाज भी उसे छोड़ चुका है.

    समय के साथ परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है. जिस समय इन ग्रंथों की रचना हुई थी (महाकाव्य काल अथवा ब्राह्मण काल), हिन्दू धर्म जीवन पद्यति से कर्मकांडो की संकीर्णता की ओर बढ़ रहा था या कहें संकीर्णता अपने चरम पर थी. जिस काल में इन ग्रंथों कि रचना हुई थी इसलाम का दुनिया में कोई अस्तित्व नहीं था. पैगम्बर मुहम्मद के काल (५७० ई० -६३२ ई० में हिन्दू धर्म सुधार के संक्रमण काल में था ( जैन और बौद्ध धर्म की स्थापना इसके प्रमाण है). उसके बाद से डेढ़ हजार साल बीत चुके हैं और हिन्दू धर्म ने इस दौरान अनेकों पड़ाव पर किये हैं, अनेको आघातों को सहा है, नए विचारों को अपनाया है. जो कुछ रूढियां अभी बाकी हैं आशा है कि आने वाली पीढियां विवेक पूर्वक उनसे निजात पा लेंगी.

    जहाँ तक इसलाम की बात है तो आश्चर्य है कि स्थापना के तेरह -चौदह सौ वर्षों बाद और आधुनिक विश्व परिदृश्य में भी इसलाम स्वयं को उदार बनाने के बजाय और रूढ़ तथा कट्टरता की ओर बढ़ रहा है. वास्तव में इसलाम को सदा ही धर्म मानने के बजाय उसे एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया और किया जा रहा है. ऐसे में इसमें सुधार की गुंजाईश कम ही दिखती है. इसके लिए स्वयं मुसलमानों को ही पहल करने की आवश्यकता है.

    एक बात और….. भारतीय प्रायद्वीप के अधिकांश मुसलमानों के पूर्वज हिन्दू ही थे. किस मजबूरी की वजह से उन्होंने इसलाम ग्रहण किया यह अलग विषय है परन्तु यही एक तथ्य भारत की साझा संस्कृति का आधार है और इसी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की पैरोकरी संघ और भाजपा करते हैं. अगर आप मजहब के लिए अपनी जन्मभूमि को नकारते हैं, हजारों वर्षों में विकसित संस्कृति को ठुकराते हैं और अपने मार्गदर्शन के लिए अरब के मोहताज रहते हैं तो वास्तव में आपने मजहब नहीं अपनाया बल्कि वैचारिक गुलामी कुबूल की है………..

  68. July 17, 2009 at 9:21 am

    जनाब खुर्शीद साहब, आपने मनुस्मृति की जो रट लगा रखी है तो आपको जानकारी होनी चाहिए कि मनुस्मृति धर्मग्रन्थ नहीं बल्कि सामाजिक नियम कानून की पुस्तक है जैसे इसलाम में हदीस. इसका रचनाकाल २०० ई0 पू0 से लेकर २०० ई0 के मध्य माना जाता है. इस तरह की अनेकों स्मृतियों (नारद, आपस्तम्ब, बृहस्पति आदि) की रचना २०० ई0 पू0 से लेकर 500 ई0 के मध्य हुई. इनके अनेकों प्रावधानों को संविधान में सम्मिलित किया गया है (जैसे- हिन्दू विवाह, उत्तराधिकार, दायभाग आदि) परन्तु अधिकांश कठोर प्रावधानों को न सिर्फ संविधान ने निषेध कर दिया है वरन स्वयं हिन्दू समाज भी उसे छोड़ चुका है. समय के साथ परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है. जिस समय इन ग्रंथों की रचना हुई थी (महाकाव्य काल अथवा ब्राह्मण काल), हिन्दू धर्म जीवन पद्यति से कर्मकांडो की संकीर्णता की ओर बढ़ रहा था या कहें संकीर्णता अपने चरम पर थी. जिस काल में इन ग्रंथों कि रचना हुई थी इसलाम का दुनिया में कोई अस्तित्व नहीं था. पैगम्बर मुहम्मद के काल (५७० ई० -६३२ ई० में हिन्दू धर्म सुधार के संक्रमण काल में था ( जैन और बौद्ध धर्म की स्थापना इसके प्रमाण है). उसके बाद से डेढ़ हजार साल बीत चुके हैं और हिन्दू धर्म ने इस दौरान अनेकों पड़ाव पर किये हैं, अनेको आघातों को सहा है, नए विचारों को अपनाया है. जो कुछ रूढियां अभी बाकी हैं आशा है कि आने वाली पीढियां विवेक पूर्वक उनसे निजात पा लेंगी.जहाँ तक इसलाम की बात है तो आश्चर्य है कि स्थापना के तेरह -चौदह सौ वर्षों बाद और आधुनिक विश्व परिदृश्य में भी इसलाम स्वयं को उदार बनाने के बजाय और रूढ़ तथा कट्टरता की ओर बढ़ रहा है. वास्तव में इसलाम को सदा ही धर्म मानने के बजाय उसे एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया और किया जा रहा है. ऐसे में इसमें सुधार की गुंजाईश कम ही दिखती है. इसके लिए स्वयं मुसलमानों को ही पहल करने की आवश्यकता है.एक बात और….. भारतीय प्रायद्वीप के अधिकांश मुसलमानों के पूर्वज हिन्दू ही थे. किस मजबूरी की वजह से उन्होंने इसलाम ग्रहण किया यह अलग विषय है परन्तु यही एक तथ्य भारत की साझा संस्कृति का आधार है और इसी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की पैरोकरी संघ और भाजपा करते हैं. अगर आप मजहब के लिए अपनी जन्मभूमि को नकारते हैं, हजारों वर्षों में विकसित संस्कृति को ठुकराते हैं और अपने मार्गदर्शन के लिए अरब के मोहताज रहते हैं तो वास्तव में आपने मजहब नहीं अपनाया बल्कि वैचारिक गुलामी कुबूल की है………..

  69. चन्दन चौहान said,

    July 17, 2009 at 1:26 pm

    खुर्शीद जी मैं कुरान नही पढा़ सच्च है क्यों कि मेरे पास इतना समय नही है कि मै फाल्तु में बर्बाद करु लेकिन आप के इस्लाम के एक महान लेखक और मेरे पूज्यनीय श्रीमान असलम शेख जी का लिखा हुआ किताब Islam and Terrorism पढा़ हू और हो सके तो आप भी पढ़ ले उसमें जो कुछ भी लिखा है वह वह कुरान से ही लिया गया है। जिसी आप तर्क के द्वारा छुठला नही सकतें हैं और शायद आपका इतिहास कमजोर है इस लिये आप भाजपा और दंगा का गठजोड़ करने पर तुले हैं चलिये मान लेतें हैं हिन्दुस्तान में भाजपा है इस लिये दंगा होता है (शायद आपक सच्च स्विकार करना नही चाहते है जितना भी बडा़ दंगा हुआ है सभी शुक्रवार को हुआ है) लेकिन क्या चीन में भी भाजपा है? क्या रुस में भी भाजपा है? क्या इन्डोनेसीया में भी भाजपा है? क्या पाकिस्तान में भी भाजपा है? क्या अफगानिस्तान में भी भाजपा है? क्या इराक में भी भाजपा? कितना गिनाउ खुर्शीद जी सच्चाई से मुहचुराने से सच्चाई छुप नही जाता है और हिन्दुस्तान में दंगा का इतिहास कोई नया नही है हाँ भाजपा नई पार्टी जरुर है। और जहाँ तक बाबा भीमराव अम्बेडकर जी के बारे में आप कह रहें है उन्के लिखे कुछ किताब पढ़ लिजीये आपका भला होगा। और साथ में एक बार मनुस्मृति पढ लिजीये ऊल-जलुल बकने से ज्यादा अच्छा है बुद्धी और विवेक से तर्क किया जाय।

    धन्यवाद

  70. July 17, 2009 at 1:26 pm

    खुर्शीद जी मैं कुरान नही पढा़ सच्च है क्यों कि मेरे पास इतना समय नही है कि मै फाल्तु में बर्बाद करु लेकिन आप के इस्लाम के एक महान लेखक और मेरे पूज्यनीय श्रीमान असलम शेख जी का लिखा हुआ किताब Islam and Terrorism पढा़ हू और हो सके तो आप भी पढ़ ले उसमें जो कुछ भी लिखा है वह वह कुरान से ही लिया गया है। जिसी आप तर्क के द्वारा छुठला नही सकतें हैं और शायद आपका इतिहास कमजोर है इस लिये आप भाजपा और दंगा का गठजोड़ करने पर तुले हैं चलिये मान लेतें हैं हिन्दुस्तान में भाजपा है इस लिये दंगा होता है (शायद आपक सच्च स्विकार करना नही चाहते है जितना भी बडा़ दंगा हुआ है सभी शुक्रवार को हुआ है) लेकिन क्या चीन में भी भाजपा है? क्या रुस में भी भाजपा है? क्या इन्डोनेसीया में भी भाजपा है? क्या पाकिस्तान में भी भाजपा है? क्या अफगानिस्तान में भी भाजपा है? क्या इराक में भी भाजपा? कितना गिनाउ खुर्शीद जी सच्चाई से मुहचुराने से सच्चाई छुप नही जाता है और हिन्दुस्तान में दंगा का इतिहास कोई नया नही है हाँ भाजपा नई पार्टी जरुर है। और जहाँ तक बाबा भीमराव अम्बेडकर जी के बारे में आप कह रहें है उन्के लिखे कुछ किताब पढ़ लिजीये आपका भला होगा। और साथ में एक बार मनुस्मृति पढ लिजीये ऊल-जलुल बकने से ज्यादा अच्छा है बुद्धी और विवेक से तर्क किया जाय।धन्यवाद


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