नारी का सम्मान, सामाजिक मूल्य और TRP के भूखे भेड़िये… Sach Ka Samna, Star Plus, TRP & Dignity of a Woman

किसी महिला की इज़्ज़त, सम्मान और उसके परिवार के प्रति समर्पण की क्या कीमत तय की जा सकती है? उत्तरप्रदेश में तो रीता बहुगुणा ने मायावती की इज़्ज़त का भाव एक करोड़ लगाया है, लेकिन यहाँ बात दूसरी है। स्टार प्लस ने अपने कार्यक्रम “सच का सामना” में महिला की बेइज़्ज़ती की कीमत सीढ़ी-दर-सीढ़ी तय कर रखी है, कार्यक्रम में प्रतियोगी (चाहे वह मर्द हो या औरत) जिस स्तर तक अपमानित होना चाहता उसे उस प्रकार की कीमत दी जायेगी, यानी 1 लाख, 5 लाख, 10 लाख आदि।

जिन पाठकों ने अभी तक यह कार्यक्रम नहीं देखा है उन्हें ज़रूर देखना चाहिये, ताकि उन्हें भी पता चले कि “बालिका वधू” द्वारा बुरी तरह पिटाई किये जाने के बाद, TRP नामक गन्दगी के लिये इलेक्ट्रानिक मीडियारूपी भेड़िया कितना नीचे गिर सकता है।

कार्यक्रम के निर्माताओं द्वारा दावा किया जा रहा है कि यह कार्यक्रम “पॉलिग्राफ़िक टेस्ट” (झूठ पकड़ने वाली मशीन) के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें प्रतियोगी को पहले इस मशीन पर बैठाकर उससे उसकी निजी जिन्दगी से जुड़े 50 सवाल किये जाते हैं, जिसकी रिकॉर्डिंग मशीन में रखी जाती है कि किस सवाल पर उसने सच बोला या झूठ बोला (हालांकि इस मशीन की वैधानिकता कुछ भी नहीं है, शायद न्यायालय ने भी इसे सबूत के तौर पर मानने से इंकार किया हुआ है, क्योंकि व्यक्ति के मन में क्या चल रहा है इस बारे में यह मशीन शरीर में होने वाले परिवर्तनों और उतार-चढ़ावों के आधार पर “सम्भावना” – सिर्फ़ सम्भावना, व्यक्त करती है, इसमें दर्ज जवाबों को पूरी तौर पर सच नहीं माना जा सकता, क्योंकि यदि ऐसा होता तो भारत में सभी अपराधी सजा पा जाते)। प्रतियोगियों को उनके द्वारा दिये गये “मशीन टेस्ट” के उत्तरों के बारे में नहीं बताया जाता, और यही चालबाजी है।

हालांकि कहने के लिये तो इस कार्यक्रम को खेल का नाम दिया गया है, लेकिन हकीकत में यह “दूसरों की इज़्ज़त उतारकर उसे सरेआम नीचा दिखाकर खुश होने” के मानव के आदिम स्वभाव पर आधारित है। इसमें एंकर 21 सवाल पूछेगा और पूरी तरह से नंगा होने वाले आदमी (या औरत) को एक करोड़ रुपये दिये जायेंगे। जिस तरह आज भी दूरस्थ इलाके में स्थित गाँवों में दलितों की स्त्रियों को नंगा किया जाता है और लोग आसपास खड़े होकर तालियाँ पीटते हैं, यह कार्यक्रम “सच का सामना” उसी का “सोफ़िस्टिकेटेड” स्वरूप है। आपकी सास ज्यादा अच्छी है या माँ? क्या आपको अपने भाई से कम प्यार मिला? यह तो हुए आसान सवाल, लेकिन पाँचवां सवाल आते-आते स्टार प्लस अपनी औकात पर आ जाता है…… क्या आप अपने पति की हत्या करना चाहती थीं?, क्या आपने कभी अपने पति से बेवफ़ाई की है? (यहाँ बेवफ़ाई का मतलब पर्स में से रुपये से चुराने से नहीं है), यदि आपके पति को पता ना चले तो क्या आप किसी गैर-मर्द के साथ सो सकती हैं? ऐसे सवाल पूछे जाने लगते हैं, यानी निजी सम्बन्धों और बेडरूम को सार्वजनिक किया जाने लगता है “सच बोलने” के महान नैतिक कर्म(?) के नाम पर।

जिन्होंने पहला एपीसोड देखा है उन्होंने महसूस किया होगा कि किस प्रकार एक मध्यमवर्गीय महिला जो टीचर है और टिफ़िन सेंटर का भी काम करती है, जिसका पति मुश्किल से शराब की लत से बाहर निकला है और उस महिला ने एक बेहद संघर्षमय जीवन जिया है… ऐसी महिला को यह बताया जाना कि पॉलिग्राफ़िक मशीन में उसने यह जवाब दिया था कि, “हाँ वह किसी गैर-मर्द के साथ सो सकती है…” कितना कष्टदायक हो सकता है। प्रतियोगी स्मिता मथाई के चेहरे पर अविश्वास मिश्रित आश्चर्य और आँसू थे, तथा स्टार प्लस अपना TRP मीटर देख रहा था।

सवाल उठाया जा सकता है कि सब कुछ मालूम होते हुए भी प्रतियोगी क्यों ऐसे कार्यक्रम में शामिल होने के लिये राजी होते हैं? इसका जवाब यह है कि जो 50 सवाल उनसे पहले पूछे जाते हैं, उनमें से सिर्फ़ 10 सवाल ही ऐसे होते हैं जो उनके निजी जीवन और अंतरंग सम्बन्धों से जुड़े होते हैं, बाकी के सवाल… क्या आपको रसगुल्ला अच्छा लगता है?, क्या आप बगीचे में घूमते समय फ़ूल तोड़ लाती हैं? इस प्रकार के सवाल होते हैं, प्रतियोगी को पता नहीं होता कि इन 50 सवालों में से कौन से 21 सवाल कार्यक्रम में पूछे जायेंगे, फ़िर साथ में 10-20 लाख के “लालच की गाजर” भी तो लटकी होती है। एक सामान्य व्यक्ति का इस चालबाजी में फ़ँसना स्वाभाविक है। चालबाजी (बल्कि घटियापन कहना उचित है) भी ऐसी कि वह प्रतियोगी पॉलिग्राफ़िक मशीन के टेस्ट को चुनौती तो दे नहीं सकता, अब यदि स्टार प्लस ने कह दिया कि आपने उस समय यह जवाब दिया था, वही सही मानना पड़ेगा। भले ही फ़िर प्रतियोगी बाद में लाख चिल्लाते रहें कि मैंने कभी नहीं कहा था कि “मैं गैर-मर्द के साथ सोने को तैयार हूँ”, कौन सुनने वाला है? प्रतियोगी का तो परिवार बर्बाद हो गया, उसे आने वाले जीवन में ताने, लानत-मलामत सुनना ही है, इस सबसे चैनल को क्या… उस “गंदगी से खेलने वाले चैनल को तो मजा आ गया”, उसका तो मकसद यही था किस तरह से नाली की ढँकी हुई गन्दगी में थूथनी मारकर उसे सड़क पर सबसे सामने फ़ैला दिया जाये। दुख की बात यह है कि बात-बेबात पर नारी सम्मान का झण्डा बुलन्द करने वाले महिला संगठन नारी के इस असम्मान पर अभी तक चुप हैं।

हालांकि राखी सावन्त या मल्लिका शेरावत का सम्मान भी नारी का सम्मान ही है, लेकिन चूँकि वे लोग “पेज थ्री” नामक कथित सामाजिक स्टेटस(?) से आते हैं इसलिये वे खुद ही चाहती हैं कि लोग उनके निजी सम्बन्धों और गैर-मर्द से रोमांस के बारे में जानें, बातें करें, चिकने पृष्ठों पर उनकी अधनंगी तस्वीरें छपें। फ़िर वे ठहरीं कथित “हाई सोसायटी” की महिलायें, जिनके लिये समलैंगिकता, सरेआम चूमाचाटी या सड़क पर सेक्स करना भी “अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता” हो सकती है। दूसरे एपिसोड में आलोचना से बचने और महिला-पुरुष के बीच “बैलेंस” बनाने के लिये एक मुस्लिम अभिनेता को शो में बुलाया गया और उससे भी वही फ़ूहड़ सवाल पूछे गये कि “आपकी तीन बीवियों में से आप किसे अधिक चाहते हैं?”, “अपनी बेटी को दूसरी पत्नी को सौंपने पर आपको अफ़सोस है?”, “क्या आपकी दूसरी बीबी पैसों की लालची है?”, “क्या आपकी कोई नाजायज़ औलाद है?” आदि-आदि…। वे भी बड़ी बहादुरी(?) और खुशी से इन सवालों के जवाब देते रहे, लेकिन जैसा कि पहले कहा ये लोग “पेज थ्री सेलेब्रिटी”(?) हैं इन लोगों की इज्जत क्या और बेइज़्ज़ती क्या? लेकिन यहाँ मामला है एक आम स्त्री का जो शायद लालच, मजबूरी अथवा स्टार की धोखेबाजी के चलते सार्वजनिक रूप से शर्मिन्दा होने को बाध्य हो गई है।

अब आते हैं इस कार्यक्रम के असली मकसद पर, जैसा सर्वविदित है कि कलर्स चैनल पर आने वाले कार्यक्रम “बालिका वधू” द्वारा TRP के खेल में स्टार प्लस को बुरी तरह खदेड़ दिया गया है। स्टार प्लस पहले भी विदेशी कार्यक्रमों की नकल करके अपनी TRP बढ़ाता रहा है, अथवा एकता कपूर मार्का “घरतोड़क और बहुपतिधारी बीमारी वाले सीरियलों” को बढ़ावा देकर गन्दगी फ़ैलाता रहा है, लेकिन जब उसे एक खालिस देशी “कॉन्सेप्ट” पर आधारित बालिका वधू ने हरा दिया तो बेकरारी और पागलपन में स्टार प्लस को TRP बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका लगा “नंगई का प्रदर्शन”। पहले तो स्टार प्लस ने ओछे हथकण्डे अपनाकर कभी सामाजिक संगठनों, कभी बाल-विवाह विरोधी NGOs को आगे करके और कभी शरद यादव के जरिये संसद में सवाल उठवाकर बालिका वधू को बन्द करवाने / बदनाम करने की कोशिश की, लेकिन फ़िर भी बात नहीं बनी तो “लोकप्रियता”(?) पाने का यह नायाब तरीका ढूँढ निकाला गया। सच का सामना नामक यह कार्यक्रम पूरी तरह से धोखेबाजी पर आधारित है, जिसमें स्टार प्लस जब चाहे बेईमानी कर सकता है (पहले ही एपिसोड में की) (इस बात में कोई दम नहीं है कि इतना बड़ा चैनल और पैसे वाले लोग थोड़े से पैसों के लिये बेईमानी नहीं कर सकते)।

माना कि TRP के भूखे भेड़िये किसी भी हद तक गिर सकते हैं (मुम्बई हमलों के वक्त ये लोग राष्ट्रद्रोही की भूमिका में थे), लेकिन आखिर सेंसर बोर्ड क्या कर रहा है? सूचना-प्रसारण मंत्रालय क्यों सोया हुआ है? महिला आयोग क्या कर रहा है? सुषमा स्वराज, ममता बैनर्जी, गिरिजा व्यास, मीरा कुमार जैसी दबंग महिलायें क्यों हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं? क्या मायावती की इज़्ज़त ही इज़्ज़त है, स्मिता मथाई की इज़्ज़त कुछ नहीं है?

क्या स्टार प्लस किसी IAS अफ़सर को बुलाकर लाई-डिटेक्टर टेस्ट कर सकता है कि उस अफ़सर ने कितने करोड़ रुपये भ्रष्टाचार से बनाये हैं? या क्या स्टार प्लस किसी नेता को बुलाकर पूछ सकता है कि क्या आपने कभी चुनाव में धांधली की है? हरगिज़ नहीं, ऐसा कभी नहीं हो सकता, क्योंकि कार्यक्रम का मकसद सिर्फ़ नंगापन प्रदर्शित करके सनसनी फ़ैलाना है ताकि स्टार प्लस की “परम्परा” के अनुसार परिवारों और समाज में और दरारें पैदा हों… अमेरिका में इस शो के मूल संस्करण ने कई परिवारों को बरबाद कर दिया है (वह भी तब जबकि अमेरिका में परिवार नामक संस्था पहले ही कमजोर है), इसके निहितार्थ भारतीय संस्कृति और समाज पर कितने गहरे हो सकते हैं, इसका अन्दाज़ा शायद अभी किसी को नहीं है।

सुना है कि सिर्फ़ एक पोस्टकार्ड के आधार को भी सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश किसी मामले में जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार कर सकते हैं? क्या इस लेख को भी समाज में अनैतिकता फ़ैलाने और एक घरेलू महिला को सार्वजनिक तौर पर अपमानित करने की शिकायत हेतु जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार किया जा सकता है???

(नोट – इस लेख के लिये मैं अपनी कॉपीराइट वाली शर्त हटा रहा हूँ, इस लेख को कहीं भी कॉपी-पेस्ट किया जा सकता है। इस बात का भी विश्वास है कि महिला ब्लॉगर्स इस घटिया “खेल” को समझेंगी और इसके खिलाफ़ उचित मंचों से अवश्य आवाज़ उठायेंगी)

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92 Comments

  1. सागर नाहर said,

    July 17, 2009 at 12:33 pm

    बहुत दिनों से स्टार प्लस शोर मचा रहा था इस कार्यक्रम के लिये, और संयोग से पहले एपिसोड के दिन घर पर समय पर पहुंच भी गया था कुछ मिनीट्स का यह कार्यक्रम देखकर पहली बार टीवी शर्म महसूस हुई।
    सबसे पहला काम टीवी बंद करवाया, बच्चों को मूड खराब हो गया, पर उन्हें भी डाँटकर चुप करवाना पड़ा।
    इतना घटिया कार्यक्रम आज तक कभी नहीं देखा। इसे तुरंत बंद करवाना चाहिये वरना कितने घर बर्बाद होंगे।

  2. July 17, 2009 at 12:33 pm

    बहुत दिनों से स्टार प्लस शोर मचा रहा था इस कार्यक्रम के लिये, और संयोग से पहले एपिसोड के दिन घर पर समय पर पहुंच भी गया था कुछ मिनीट्स का यह कार्यक्रम देखकर पहली बार टीवी शर्म महसूस हुई।सबसे पहला काम टीवी बंद करवाया, बच्चों को मूड खराब हो गया, पर उन्हें भी डाँटकर चुप करवाना पड़ा। इतना घटिया कार्यक्रम आज तक कभी नहीं देखा। इसे तुरंत बंद करवाना चाहिये वरना कितने घर बर्बाद होंगे।

  3. सुनीता शानू said,

    July 17, 2009 at 12:33 pm

    सुरेश भाई कल ही पढी आवेश जी की पोस्ट यही सवाल उठाया था उन्होने। तब मुझे भी क्रोध आया मगर स्टार प्लस पर नही ,उन प्रतियोगियों पर जो खुद टी वी पर आना चाहते हैं कुछ पैसो और पब्लिसिटी के चक्कर में खुद को नंगा करने पर उतारूं हैं, आपने जवाब सही दिया कि पहले कुछ आसान सवाल पूछे जाते हैं जिनका व्यक्ति आसानी से जवाब दे पाता है, और फ़िर खोला जाता है अश्लील सवालों का पुलिंदा जिसमें आदमी फ़ंस जाता है कि जवाब क्या दे, सच या झूठ का फ़ैसला तो इश्वर के हाथ में है, सचमुच इस चैनल ने हद कर दी है, मगर ज्यादा दिन नही चल पायेगा यह खेल।

  4. July 17, 2009 at 12:33 pm

    सुरेश भाई कल ही पढी आवेश जी की पोस्ट यही सवाल उठाया था उन्होने। तब मुझे भी क्रोध आया मगर स्टार प्लस पर नही ,उन प्रतियोगियों पर जो खुद टी वी पर आना चाहते हैं कुछ पैसो और पब्लिसिटी के चक्कर में खुद को नंगा करने पर उतारूं हैं, आपने जवाब सही दिया कि पहले कुछ आसान सवाल पूछे जाते हैं जिनका व्यक्ति आसानी से जवाब दे पाता है, और फ़िर खोला जाता है अश्लील सवालों का पुलिंदा जिसमें आदमी फ़ंस जाता है कि जवाब क्या दे, सच या झूठ का फ़ैसला तो इश्वर के हाथ में है, सचमुच इस चैनल ने हद कर दी है, मगर ज्यादा दिन नही चल पायेगा यह खेल।

  5. पंकज बेंगाणी said,

    July 17, 2009 at 12:48 pm

    1. प्रतियोगी सोच समझ कर इस कार्यक्रम मे हिस्सा लेते हैं. उन्हे पता होता है कि क्या पूछा जाएगा.

    2. स्मीता मथाई जानती थी कि वे क्या कर रही है. तो वो क्यों रूकी नहीं? कार्यक्रम के दौरान होस्ट राजीव खंडेलवाल उनसे कोई 10 बार पूछते हैं कि आप जानती हैं कि मैं क्या पूछने जा रहा हूँ, क्या आप आगे बढना चाहती है. मथाई कहती है – हाँ. तो इज्ज्त लूटी नहीं गई, उन्होने खूद ही खोई.

    3. सेलेब्रिटी छोड दीजिए तो आम लोग यहाँ सिर्फ पैसों के लिए खेलेंगे. 21 अत्यंत निजी सवालो का जवाब देकर करोडपति बनने का लालच बडा होता है.

    4. चैनल लालच दे रहा है, पर स्वीकार लोग कर रहे हैं. यह वैसा ही है – शराब बेच रहा हूँ पीओगे? तो पीने वाला भी दोषी है ना. तो स्मिता और उसके परिवार वाले दोषी क्यों नहीं.

    आपकी पोस्ट से ऐसा लगता है मानो स्मिता की ईज्जत लूट ली गई. वो नहीं लूटी गई है. उनकी ईज्जत गई है तो उन्होने खूद ने खोई है. सोच समझ कर. लालच में.

    "बलात्कार" और "स-सहमति सहशयन" में फर्क है.

  6. July 17, 2009 at 12:48 pm

    1. प्रतियोगी सोच समझ कर इस कार्यक्रम मे हिस्सा लेते हैं. उन्हे पता होता है कि क्या पूछा जाएगा. 2. स्मीता मथाई जानती थी कि वे क्या कर रही है. तो वो क्यों रूकी नहीं? कार्यक्रम के दौरान होस्ट राजीव खंडेलवाल उनसे कोई 10 बार पूछते हैं कि आप जानती हैं कि मैं क्या पूछने जा रहा हूँ, क्या आप आगे बढना चाहती है. मथाई कहती है – हाँ. तो इज्ज्त लूटी नहीं गई, उन्होने खूद ही खोई. 3. सेलेब्रिटी छोड दीजिए तो आम लोग यहाँ सिर्फ पैसों के लिए खेलेंगे. 21 अत्यंत निजी सवालो का जवाब देकर करोडपति बनने का लालच बडा होता है. 4. चैनल लालच दे रहा है, पर स्वीकार लोग कर रहे हैं. यह वैसा ही है – शराब बेच रहा हूँ पीओगे? तो पीने वाला भी दोषी है ना. तो स्मिता और उसके परिवार वाले दोषी क्यों नहीं. आपकी पोस्ट से ऐसा लगता है मानो स्मिता की ईज्जत लूट ली गई. वो नहीं लूटी गई है. उनकी ईज्जत गई है तो उन्होने खूद ने खोई है. सोच समझ कर. लालच में. "बलात्कार" और "स-सहमति सहशयन" में फर्क है.

  7. संजय बेंगाणी said,

    July 17, 2009 at 12:53 pm

    कुछ से सहमती कुछ बातों से नहीं.

    सजा(?) के रूप में महिला को नंगा किया जाता है तब उसकी सहमती नहीं होती. मगर यहाँ सहमती से सवाल किये जाते है. इज्जत प्यारी है तो सवाल दागते ही कूर्सी से उठ खड़े हों तो कोई बात हो, वरना आपसी छिंटाकसी है, अपने को क्या, नहीं देखेंगे.

  8. July 17, 2009 at 12:53 pm

    कुछ से सहमती कुछ बातों से नहीं. सजा(?) के रूप में महिला को नंगा किया जाता है तब उसकी सहमती नहीं होती. मगर यहाँ सहमती से सवाल किये जाते है. इज्जत प्यारी है तो सवाल दागते ही कूर्सी से उठ खड़े हों तो कोई बात हो, वरना आपसी छिंटाकसी है, अपने को क्या, नहीं देखेंगे.

  9. भारतीय नागरिक - Indian Citizen said,

    July 17, 2009 at 1:07 pm

    कोई कमेंट नहीं.

  10. July 17, 2009 at 1:07 pm

    कोई कमेंट नहीं.

  11. प्रशांत गुप्ता said,

    July 17, 2009 at 1:25 pm

    देश की मीडिया से देश हित मे सोचना की उम्मीद भी बेकार है पर जब हम को पता है की प्रोग्राम कैसा है , क्या पुछा जा रहा है तो क्या जरुरी है की हम उस मे रुके रहे , यदि स्टार प्लस TRP के लिये काम कर रहा है तो उस मे शामिल होने वाले भी तो पैसे ओर नाम के लिये ही उस मे शामिल हो रहे है

  12. July 17, 2009 at 1:25 pm

    देश की मीडिया से देश हित मे सोचना की उम्मीद भी बेकार है पर जब हम को पता है की प्रोग्राम कैसा है , क्या पुछा जा रहा है तो क्या जरुरी है की हम उस मे रुके रहे , यदि स्टार प्लस TRP के लिये काम कर रहा है तो उस मे शामिल होने वाले भी तो पैसे ओर नाम के लिये ही उस मे शामिल हो रहे है

  13. चन्दन चौहान said,

    July 17, 2009 at 1:36 pm

    घटिया कार्यकम्र है इस प्रोग्राम को नही देखना चाहिये और साथ में विदेशी चैनल का भी बहिस्कार करना चाहिये

  14. July 17, 2009 at 1:36 pm

    घटिया कार्यकम्र है इस प्रोग्राम को नही देखना चाहिये और साथ में विदेशी चैनल का भी बहिस्कार करना चाहिये

  15. दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi said,

    July 17, 2009 at 1:49 pm

    टीवी पर ऐसे कार्यक्रमों के लिए समय नहीं मिलता। बस कुछ समाचार या डिस्कवरी या किसी खेल का लाइव टेलीकास्ट, इस से आगे गाड़ी नहीं बढ़ती। घर में मैं और पत्नी ही हैं। पुत्र रहता भी है तो साथ में टीवी नहीं देखता, पुत्री इतनी मेच्योर की उस से किसी भी विषय पर बात कर सकता हूँ और वह भी। शायद मैं आप लोगों से अधिक सुविधाजनक स्थिति में हूँ।

  16. July 17, 2009 at 1:49 pm

    टीवी पर ऐसे कार्यक्रमों के लिए समय नहीं मिलता। बस कुछ समाचार या डिस्कवरी या किसी खेल का लाइव टेलीकास्ट, इस से आगे गाड़ी नहीं बढ़ती। घर में मैं और पत्नी ही हैं। पुत्र रहता भी है तो साथ में टीवी नहीं देखता, पुत्री इतनी मेच्योर की उस से किसी भी विषय पर बात कर सकता हूँ और वह भी। शायद मैं आप लोगों से अधिक सुविधाजनक स्थिति में हूँ।

  17. अनिल कान्त : said,

    July 17, 2009 at 3:08 pm

    चैनल, मीडिया तो अब पैसे कमाने पर उतर आया है….चाहे उसे नंगई पेश करनी पड़े…और वो तो करते ही हैं…जो वहां जाता है वो कम लालची नहीं….मुफ्त में इस दुनिया में कुछ नहीं मिलता…ये बात समझनी चाहिए

  18. July 17, 2009 at 3:08 pm

    चैनल, मीडिया तो अब पैसे कमाने पर उतर आया है….चाहे उसे नंगई पेश करनी पड़े…और वो तो करते ही हैं…जो वहां जाता है वो कम लालची नहीं….मुफ्त में इस दुनिया में कुछ नहीं मिलता…ये बात समझनी चाहिए

  19. लवली कुमारी / Lovely kumari said,

    July 17, 2009 at 3:10 pm

    संजय जी से सहमत.

  20. July 17, 2009 at 3:10 pm

    संजय जी से सहमत.

  21. भुवनेश शर्मा said,

    July 17, 2009 at 3:20 pm

    आदरणीय जो सब हो रहा है वो तो होना ही है

    पर दुख तब होता है जब संस्‍कृति के ठेकेदार सब कुछ देखकर भी मौन हैं…और सत्‍ता की भूखी भाजपा क्‍यों नहीं सांस्‍कृतिक प्रदूषण के खिलाफ कोई आंदोलन चलाती…और क्‍या स्विस बैंक वाला मुद्दा केवल चुनाव में जनता को बेवकूफ बनाने के लिए था..उसे फुर्सत ही कहां है इतने सारे राज्‍यों में तो सरकार है ही…वहीं आराम से लूट-खसोट करें…फालतू बातों के लिए समय ही कहां पार्टी विद डिफरेंस के लिए

  22. July 17, 2009 at 3:20 pm

    आदरणीय जो सब हो रहा है वो तो होना ही हैपर दुख तब होता है जब संस्‍कृति के ठेकेदार सब कुछ देखकर भी मौन हैं…और सत्‍ता की भूखी भाजपा क्‍यों नहीं सांस्‍कृतिक प्रदूषण के खिलाफ कोई आंदोलन चलाती…और क्‍या स्विस बैंक वाला मुद्दा केवल चुनाव में जनता को बेवकूफ बनाने के लिए था..उसे फुर्सत ही कहां है इतने सारे राज्‍यों में तो सरकार है ही…वहीं आराम से लूट-खसोट करें…फालतू बातों के लिए समय ही कहां पार्टी विद डिफरेंस के लिए

  23. निशाचर said,

    July 17, 2009 at 3:26 pm

    सही कहा आपने! टी0 आर० पी० के भूखे सूअर किसी भी तरह की गन्दगी फैलाने से बाज नहीं आने वाले…………

    वैसे मैंने दो महीने पहले केबल कनेक्शन कटवा दिया और टी0 वी० को स्टोर रूम में बंद कर दिया है. तब से इतना सुकून है घर में कि इसका अंदाजा ऐसा करने के बाद ही लगाया जा सकता है.

  24. July 17, 2009 at 3:26 pm

    सही कहा आपने! टी0 आर० पी० के भूखे सूअर किसी भी तरह की गन्दगी फैलाने से बाज नहीं आने वाले…………वैसे मैंने दो महीने पहले केबल कनेक्शन कटवा दिया और टी0 वी० को स्टोर रूम में बंद कर दिया है. तब से इतना सुकून है घर में कि इसका अंदाजा ऐसा करने के बाद ही लगाया जा सकता है.

  25. smart said,

    July 17, 2009 at 3:42 pm

    सुरेश जी आप की बात से मैं बिलकुल सहमत हूँ. एकता कपूर ने जो टट्टी अपने धारावहिकों में परोसी थी उसको स्टार प्लस ने खूब दिखाया और घर में खाली पड़ी महिलाओं को बेवकूफ बनाया. एक सुन्दर सा धारावाहिक आया जो गन्दगी में कमल की तरह था. उसको इन @#@ टीवी वालों ने तरह तरह के हथकंडे अपनाकर बंद करवाने में कोई कसर नहीं छोडी.

  26. smart said,

    July 17, 2009 at 3:42 pm

    सुरेश जी आप की बात से मैं बिलकुल सहमत हूँ. एकता कपूर ने जो टट्टी अपने धारावहिकों में परोसी थी उसको स्टार प्लस ने खूब दिखाया और घर में खाली पड़ी महिलाओं को बेवकूफ बनाया. एक सुन्दर सा धारावाहिक आया जो गन्दगी में कमल की तरह था. उसको इन @#@ टीवी वालों ने तरह तरह के हथकंडे अपनाकर बंद करवाने में कोई कसर नहीं छोडी.

  27. Ratan Singh Shekhawat said,

    July 17, 2009 at 3:52 pm

    क्या कहें जब प्रतियोगी खुद अपनी इज्जत बेचने पर उतारू हो ! ऐसे चेनलों व कार्यक्रमों का बहिस्कार ही सबसे अच्छा तरीका है |

  28. July 17, 2009 at 3:52 pm

    क्या कहें जब प्रतियोगी खुद अपनी इज्जत बेचने पर उतारू हो ! ऐसे चेनलों व कार्यक्रमों का बहिस्कार ही सबसे अच्छा तरीका है |

  29. shubhi said,

    July 17, 2009 at 3:53 pm

    यह बेहद निंदनीय है कि टीआरपी बढ़ाने के लिए स्टार प्लस ऐसा घटिया कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहा है हमे इसे बिल्कुल एवाइड करना चाहिए। इसका असर उनकी जिंदगी पर भी पड़ेगा जो ऐसा प्रोग्राम देखते हैं सबकुछ बेमानी लगने लगेगा, इसके विरोध में आवाज उठाने के लिए साधुवाद

  30. shubhi said,

    July 17, 2009 at 3:53 pm

    यह बेहद निंदनीय है कि टीआरपी बढ़ाने के लिए स्टार प्लस ऐसा घटिया कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहा है हमे इसे बिल्कुल एवाइड करना चाहिए। इसका असर उनकी जिंदगी पर भी पड़ेगा जो ऐसा प्रोग्राम देखते हैं सबकुछ बेमानी लगने लगेगा, इसके विरोध में आवाज उठाने के लिए साधुवाद

  31. Shefali Pande said,

    July 17, 2009 at 4:08 pm

    kyunki sawaal ek karod kaa hai
    iseelie inka inka koi baap na maan
    aur naa koi saga hai

  32. July 17, 2009 at 4:08 pm

    kyunki sawaal ek karod kaa haiiseelie inka inka koi baap na maan aur naa koi saga hai

  33. Vibha Rani said,

    July 17, 2009 at 4:30 pm

    main apane ek program ke silsile mein ek jail gai. vaha ek mahila quaidi se poochha ki aap yahaa kaise pahunchii. usane bataya, Drug pahuchane ke karan. usane mujhe 2500/- dene ka vaada kiya tha. maine poochha ki tumhe laga nahin ki itane paise de raha hai to jaroor koi galat kaam hoga? usane javaab diya ki paisa jab samane ho to sab saval gum ho jate hain. Smita ko ap isase jod kar dekh sakate hain.

  34. Vibha Rani said,

    July 17, 2009 at 4:30 pm

    main apane ek program ke silsile mein ek jail gai. vaha ek mahila quaidi se poochha ki aap yahaa kaise pahunchii. usane bataya, Drug pahuchane ke karan. usane mujhe 2500/- dene ka vaada kiya tha. maine poochha ki tumhe laga nahin ki itane paise de raha hai to jaroor koi galat kaam hoga? usane javaab diya ki paisa jab samane ho to sab saval gum ho jate hain. Smita ko ap isase jod kar dekh sakate hain.

  35. काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif said,

    July 17, 2009 at 4:42 pm

    सुरेश जी, आपने मेरे दिल की बात लिख दी, मैने भी इसका पहला एपीसोड देखा था…मेरे घर में १० मिनट बाद सबने इस नाटक को देखने से मना कर दिया।

    मैं आज इस पर एक लेख लिख रहा था लेकिन बिजली की परेशानी की वजह से नही लिख सका।

    नेट चालू किया था तो आपका लेख दिख गया…

  36. July 17, 2009 at 4:42 pm

    सुरेश जी, आपने मेरे दिल की बात लिख दी, मैने भी इसका पहला एपीसोड देखा था…मेरे घर में १० मिनट बाद सबने इस नाटक को देखने से मना कर दिया।मैं आज इस पर एक लेख लिख रहा था लेकिन बिजली की परेशानी की वजह से नही लिख सका।नेट चालू किया था तो आपका लेख दिख गया…

  37. Vivek Rastogi said,

    July 17, 2009 at 4:59 pm

    हमारा टीवी प्रेम और ये टीवी वाले पश्चिमी सभ्यता से ओत प्रोत हो गये हैं इसलिये ये सड़े गले विचारों वाले कार्यक्रम परोसते हैं और समाज के लोग मजे से जीमते हैं।

    जो टीवी सीरियल्स में होता है क्या वो निजी जिंदगी में होता है, मुझे आज तक इसका कोई भी जबाब नहीं दे पाया। इसीलिये मैं और मेरा परिवार इस टीवी के सीरियल्स की बीमारी से दूर हैं।

  38. July 17, 2009 at 4:59 pm

    हमारा टीवी प्रेम और ये टीवी वाले पश्चिमी सभ्यता से ओत प्रोत हो गये हैं इसलिये ये सड़े गले विचारों वाले कार्यक्रम परोसते हैं और समाज के लोग मजे से जीमते हैं।जो टीवी सीरियल्स में होता है क्या वो निजी जिंदगी में होता है, मुझे आज तक इसका कोई भी जबाब नहीं दे पाया। इसीलिये मैं और मेरा परिवार इस टीवी के सीरियल्स की बीमारी से दूर हैं।

  39. डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said,

    July 17, 2009 at 5:52 pm

    tulsi ja sansaar men bhanti-bhanti ke log,
    kuchh to XXXXXXXXXX hain,
    kuchh bahutai XXXXXXXXXXX.

  40. July 17, 2009 at 5:52 pm

    tulsi ja sansaar men bhanti-bhanti ke log, kuchh to XXXXXXXXXX hain, kuchh bahutai XXXXXXXXXXX.

  41. Common Hindu said,

    July 17, 2009 at 6:24 pm

    Hello Blogger Friend,

    Your excellent post has been back-linked in
    http://hinduonline.blogspot.com/

    – a blog for Daily Posts, News, Views Compilation by a Common Hindu
    – Hindu Online.

  42. Common Hindu said,

    July 17, 2009 at 6:24 pm

    Hello Blogger Friend,Your excellent post has been back-linked inhttp://hinduonline.blogspot.com/– a blog for Daily Posts, News, Views Compilation by a Common Hindu- Hindu Online.

  43. Common Hindu said,

    July 17, 2009 at 6:25 pm

    Suresh Ji,

    as i have seen the promos earlier
    i knew what to expect from this show

    therefore till now i have not seen any episode

    truth is after realising the anti-hindu
    propoganda undertaken by media

    i spare very little time for TV news channel, newspaper
    most of the time its web and hinduonline blog

  44. Common Hindu said,

    July 17, 2009 at 6:25 pm

    Suresh Ji,as i have seen the promos earlieri knew what to expect from this showtherefore till now i have not seen any episodetruth is after realising the anti-hindupropoganda undertaken by mediai spare very little time for TV news channel, newspapermost of the time its web and hinduonline blog

  45. Common Hindu said,

    July 17, 2009 at 6:27 pm

    special thanks for :

    "इस लेख के लिये मैं अपनी कॉपीराइट वाली शर्त हटा रहा हूँ, इस लेख को कहीं भी कॉपी-पेस्ट किया जा सकता है।"

  46. Common Hindu said,

    July 17, 2009 at 6:27 pm

    special thanks for :"इस लेख के लिये मैं अपनी कॉपीराइट वाली शर्त हटा रहा हूँ, इस लेख को कहीं भी कॉपी-पेस्ट किया जा सकता है।"

  47. Ikraaz said,

    July 17, 2009 at 6:31 pm

    Suresh ji,
    Saharsh aapko badhayi ek aur man ki awaz samaaj tak pahuchaane ke liye.Aaj mai ye serial dekh raha tha mere kuchh saathi bhi bade utsaah ke saath ise dekhne ko betaab the, magar mera man baar baar ye kah raha tha ki kya kisi ki personal life ko bhare bazar nikaal ke naga karna sahi hai ? magar mere saathi ise bada hi achha aur bold programme maan rahe the. Mujhe hasi aa rahi the ki kya hum aisa samaaj apni aane waali generation ko denge jisme beti ko pata hoga ki uske baap ke kitni ladkiyon ke saath najayez sambandh hain.
    Aise beshram logo pe chot karne ke liye mai aur hamara samaaj apka abhari rahega.Aap apna kaam karte rahen hum apko protsahit karte rahenge.
    Apka
    Anil Mistery

  48. Ikraaz said,

    July 17, 2009 at 6:31 pm

    Suresh ji,Saharsh aapko badhayi ek aur man ki awaz samaaj tak pahuchaane ke liye.Aaj mai ye serial dekh raha tha mere kuchh saathi bhi bade utsaah ke saath ise dekhne ko betaab the, magar mera man baar baar ye kah raha tha ki kya kisi ki personal life ko bhare bazar nikaal ke naga karna sahi hai ? magar mere saathi ise bada hi achha aur bold programme maan rahe the. Mujhe hasi aa rahi the ki kya hum aisa samaaj apni aane waali generation ko denge jisme beti ko pata hoga ki uske baap ke kitni ladkiyon ke saath najayez sambandh hain.Aise beshram logo pe chot karne ke liye mai aur hamara samaaj apka abhari rahega.Aap apna kaam karte rahen hum apko protsahit karte rahenge.ApkaAnil Mistery

  49. Anil Pusadkar said,

    July 17, 2009 at 7:12 pm

    इनका बस चले तो ये इंसानियत बेच दें।

  50. July 17, 2009 at 7:12 pm

    इनका बस चले तो ये इंसानियत बेच दें।

  51. rajitsinha said,

    July 17, 2009 at 8:02 pm

    क्या सच का सामना? कौन राजीव खंडेलवाल और स्मिता मथाई? कैसा स्टार प्लस??? क्या किसी के घर में रिमोट नही है?अगर नही है तो उस बिजली के ख़टके को बन्द कर दो जिसमें टी.वी. का तार लगा है…
    फिर भी टी.वी. देखना है तो हंगामा पर शिन-चान देखो. निक देखो. डिसनी देखो. कार्टून नेट्वर्क देखो…

    पर क्या करें बुद्धिजीवी जो है … सहज-स्वाभविक हो नही सकते… पहले कोई वाहियात- बेहुदगी सी चीज देखेंगे फिर उसका पिष्ट पेषण और फिर उस पर् पर गम्भीर चिंतन मनन करेंगे… और निष्कर्ष होगा सामाजिक जागृति का आह्वान… अच्छा है, पहाड़ सी जिन्दगी है वक्त काटने को कुछ तो करना होगा ना.
    पर अपने कमरे में तो रिमोट भी है और अपन तो ख़टका भी बन्द कर देते है… पर अपने को तो ऐसे जालपृष्ठों को बन्द करने की कमान्ड भी मालूम है फिकर मत करो…Ctrl+W या Alt+F4 धन्यवाद!!!

  52. rajitsinha said,

    July 17, 2009 at 8:02 pm

    क्या सच का सामना? कौन राजीव खंडेलवाल और स्मिता मथाई? कैसा स्टार प्लस??? क्या किसी के घर में रिमोट नही है?अगर नही है तो उस बिजली के ख़टके को बन्द कर दो जिसमें टी.वी. का तार लगा है… फिर भी टी.वी. देखना है तो हंगामा पर शिन-चान देखो. निक देखो. डिसनी देखो. कार्टून नेट्वर्क देखो… पर क्या करें बुद्धिजीवी जो है … सहज-स्वाभविक हो नही सकते… पहले कोई वाहियात- बेहुदगी सी चीज देखेंगे फिर उसका पिष्ट पेषण और फिर उस पर् पर गम्भीर चिंतन मनन करेंगे… और निष्कर्ष होगा सामाजिक जागृति का आह्वान… अच्छा है, पहाड़ सी जिन्दगी है वक्त काटने को कुछ तो करना होगा ना.पर अपने कमरे में तो रिमोट भी है और अपन तो ख़टका भी बन्द कर देते है… पर अपने को तो ऐसे जालपृष्ठों को बन्द करने की कमान्ड भी मालूम है फिकर मत करो…Ctrl+W या Alt+F4 धन्यवाद!!!

  53. Mahesh Sinha said,

    July 17, 2009 at 8:26 pm

    पैसे के लोग कुछ भी करें को तैयार हैं पता नहीं ऐसी क्या मजबूरी है ?

  54. Mahesh Sinha said,

    July 17, 2009 at 8:26 pm

    पैसे के लोग कुछ भी करें को तैयार हैं पता नहीं ऐसी क्या मजबूरी है ?

  55. वाणी गीत said,

    July 18, 2009 at 2:33 am

    आज तक मैं आपके ब्लॉग को कविताओं को पसंद नहीं करने वाले ब्लॉग के रूप में ही देखती आयी थी ..मगर यह विचारोत्तजक लेख पढ़ कर मेरी धारणा बदलने लगी है ..सचमुच महिलाओं के लिए इस तरह तो किसी महिला ब्लॉगर ने भी नहीं सोचा ..नारी सम्मान पर आपकी विचारधारा को सलाम !!

  56. July 18, 2009 at 2:33 am

    आज तक मैं आपके ब्लॉग को कविताओं को पसंद नहीं करने वाले ब्लॉग के रूप में ही देखती आयी थी ..मगर यह विचारोत्तजक लेख पढ़ कर मेरी धारणा बदलने लगी है ..सचमुच महिलाओं के लिए इस तरह तो किसी महिला ब्लॉगर ने भी नहीं सोचा ..नारी सम्मान पर आपकी विचारधारा को सलाम !!

  57. वाणी गीत said,

    July 18, 2009 at 2:33 am

    आज तक मैं आपके ब्लॉग को कविताओं को पसंद नहीं करने वाले ब्लॉग के रूप में ही देखती आयी थी ..मगर यह विचारोत्तजक लेख पढ़ कर मेरी धारणा बदलने लगी है ..सचमुच महिलाओं के लिए इस तरह तो किसी महिला ब्लॉगर ने भी नहीं सोचा ..नारी सम्मान पर आपकी विचारधारा को सलाम !!

  58. July 18, 2009 at 2:33 am

    आज तक मैं आपके ब्लॉग को कविताओं को पसंद नहीं करने वाले ब्लॉग के रूप में ही देखती आयी थी ..मगर यह विचारोत्तजक लेख पढ़ कर मेरी धारणा बदलने लगी है ..सचमुच महिलाओं के लिए इस तरह तो किसी महिला ब्लॉगर ने भी नहीं सोचा ..नारी सम्मान पर आपकी विचारधारा को सलाम !!

  59. ताऊ रामपुरिया said,

    July 18, 2009 at 3:12 am

    बात आपने बडी सार्थक उठाई है. हमने वो कार्यक्रम देखा नही. और टीवी हम देखते नही..ऐसा देखने लायक वहां कुछ होता भी नही.

    देखिये आज समाज मे हर तरफ़ पैसा हाय पैसा की चिल्लापुकार लगी है. और टीवी भी हमारे समाज से ही लोग संचालित करते हैं. यामि कोई एलियंस नही आगये यह कार्यक्रम परोसने.

    इसके मूल मे पैसे कमाने का लालच है. चैनल वाला कमा रहा है. अब अगर आपको हमको कमाना है तो कर लें अपने आपको नंगा.

    जहां तक नारी के सम्मान अपमान की बात है तो माफ़ किजियेगा मैं यहां सहमत नही हो सकता. यहां लोगों की टिपणीयों से साफ़ लग रहा है कि सब कुछ स्पष्ट कर दिया गया था..अब जानते बूझते लालच के सामने हम अपने आपको चोराहे पर खडा कर दें तो दोष किसका?

    अगर आप और हम चाहे तो टीवी या मिडिया किसी के बाप की ताकत नही है कि वो कुछ उल्टा सीधा दिखा दे. जब तक आपको हमको देखना है वो दिखाता रहेगा. कुछ हम अपनी जिम्मेदारी समझे..अकेले मिडिया को दोष देना वाजिब नही लगता.

    रामराम.

  60. July 18, 2009 at 3:12 am

    बात आपने बडी सार्थक उठाई है. हमने वो कार्यक्रम देखा नही. और टीवी हम देखते नही..ऐसा देखने लायक वहां कुछ होता भी नही. देखिये आज समाज मे हर तरफ़ पैसा हाय पैसा की चिल्लापुकार लगी है. और टीवी भी हमारे समाज से ही लोग संचालित करते हैं. यामि कोई एलियंस नही आगये यह कार्यक्रम परोसने.इसके मूल मे पैसे कमाने का लालच है. चैनल वाला कमा रहा है. अब अगर आपको हमको कमाना है तो कर लें अपने आपको नंगा.जहां तक नारी के सम्मान अपमान की बात है तो माफ़ किजियेगा मैं यहां सहमत नही हो सकता. यहां लोगों की टिपणीयों से साफ़ लग रहा है कि सब कुछ स्पष्ट कर दिया गया था..अब जानते बूझते लालच के सामने हम अपने आपको चोराहे पर खडा कर दें तो दोष किसका?अगर आप और हम चाहे तो टीवी या मिडिया किसी के बाप की ताकत नही है कि वो कुछ उल्टा सीधा दिखा दे. जब तक आपको हमको देखना है वो दिखाता रहेगा. कुछ हम अपनी जिम्मेदारी समझे..अकेले मिडिया को दोष देना वाजिब नही लगता. रामराम.

  61. RDS said,

    July 18, 2009 at 3:29 am

    सुरेश जी, महज़ स्टार प्लस को दोषी करार देना पर्याप्त नहीं. निस्संदेह, धन की अभीप्सा में इस प्रकार के तमाम षडयंत्र होते रहेंगे जो ज़र और ज़मीर और कमजोर करते हों. लेकिन, अधिक मूर्खता तो हमारे दर्शकों की है जो चटखारे लेकर इसे देखते हैं, सार्वजनिक मंच पर इसकी प्रशंसा करते हैं और प्रकारांतर में इस प्रकार की गतिविधियों को बढावा देते हैं .

    जब नागरिक मद में चूर हों और मनोरंजन के नशे में विष के आदी हो चुके हों तो विदेशी षडयंत्रकारियों के हाथों उनकी इज्ज़त की नीलामी तय है.

    – RDS

  62. RDS said,

    July 18, 2009 at 3:29 am

    सुरेश जी, महज़ स्टार प्लस को दोषी करार देना पर्याप्त नहीं. निस्संदेह, धन की अभीप्सा में इस प्रकार के तमाम षडयंत्र होते रहेंगे जो ज़र और ज़मीर और कमजोर करते हों. लेकिन, अधिक मूर्खता तो हमारे दर्शकों की है जो चटखारे लेकर इसे देखते हैं, सार्वजनिक मंच पर इसकी प्रशंसा करते हैं और प्रकारांतर में इस प्रकार की गतिविधियों को बढावा देते हैं . जब नागरिक मद में चूर हों और मनोरंजन के नशे में विष के आदी हो चुके हों तो विदेशी षडयंत्रकारियों के हाथों उनकी इज्ज़त की नीलामी तय है. – RDS

  63. harminder kaur bublie said,

    July 18, 2009 at 3:44 am

    I live in USA and do not have Indian channels but one of my friends sent me this link.After reading the whole thing I was happy that I do not have Indian channels.It is a shame that every thing is so commercialized that they did not hesitate putting some ones family life on stake.
    God save the innocent people and especially women of India .

  64. July 18, 2009 at 3:44 am

    I live in USA and do not have Indian channels but one of my friends sent me this link.After reading the whole thing I was happy that I do not have Indian channels.It is a shame that every thing is so commercialized that they did not hesitate putting some ones family life on stake.God save the innocent people and especially women of India .

  65. cmpershad said,

    July 18, 2009 at 5:23 am

    जिस देश में बलात्कार एक शगल बन गया है, वहां मानसिक कुंठा के चलते ऐसे ‘खेल’ अब टीवी पर भी उस बीमार मानसिकता को सहलाएगी…सवाल यह है कि ऐसे खेलों की टी आर पी बढाए क्यों??? क्या दर्शक भी उसी मानसिकता के शिकार नहीं है????

  66. cmpershad said,

    July 18, 2009 at 5:23 am

    जिस देश में बलात्कार एक शगल बन गया है, वहां मानसिक कुंठा के चलते ऐसे ‘खेल’ अब टीवी पर भी उस बीमार मानसिकता को सहलाएगी…सवाल यह है कि ऐसे खेलों की टी आर पी बढाए क्यों??? क्या दर्शक भी उसी मानसिकता के शिकार नहीं है????

  67. संजय बेंगाणी said,

    July 18, 2009 at 5:38 am

    आपका ब्लॉग पढ़ने के बाद कल का एपिसोड देखा. एक बात स्पष्ट हुई कि बेईमानी हो सकती है, अगर चाहें तो. दुसरा मशीन गलत भी हो सकती है, इसलिए उसके उत्तर को सही नहीं माना जाना चाहिए, बस प्रतियोगी के भाग्य ने साथ नहीं दिया ऐसा मान कर चले. एक महत्त्वपूर्ण बात, शो में ऐसे वैसे सवाल ही ज्यादा किये जाएंगे अतः इसे व्यस्क शो मान कर चलें. क्या देश में व्यस्क शो का प्रसारण नहीं होना चाहिए? जिन्हे आपत्ति है वे बताए कि हम इतने ही पवित्र है तो महज पचास साल में बेशर्मी से तीस से एक सौ बीस करोड़ कैसे हो गए?

    अब पश्चीमी सभ्यता को दोष देने पर….महिलाओं को नंगा कर घुमाना हमने किस सभ्यता से सीखा है? हर गलत काम के लिए दुसरों को दोष देना हमारी नालायकी है. याद रखें स्वाभिमानी, सभ्य. ईमानदार प्रजा हजार साल तक गुलाम नहीं रहती. वो सिर्फ दुसरों की "जय हो" ही कर सकती है.

    मिर्च लगी? इस ब्लॉग पर आप मिठ्ठी गोली की उम्मीद क्यों करते है. लेख हो या टिप्पणी….

  68. July 18, 2009 at 5:38 am

    आपका ब्लॉग पढ़ने के बाद कल का एपिसोड देखा. एक बात स्पष्ट हुई कि बेईमानी हो सकती है, अगर चाहें तो. दुसरा मशीन गलत भी हो सकती है, इसलिए उसके उत्तर को सही नहीं माना जाना चाहिए, बस प्रतियोगी के भाग्य ने साथ नहीं दिया ऐसा मान कर चले. एक महत्त्वपूर्ण बात, शो में ऐसे वैसे सवाल ही ज्यादा किये जाएंगे अतः इसे व्यस्क शो मान कर चलें. क्या देश में व्यस्क शो का प्रसारण नहीं होना चाहिए? जिन्हे आपत्ति है वे बताए कि हम इतने ही पवित्र है तो महज पचास साल में बेशर्मी से तीस से एक सौ बीस करोड़ कैसे हो गए? अब पश्चीमी सभ्यता को दोष देने पर….महिलाओं को नंगा कर घुमाना हमने किस सभ्यता से सीखा है? हर गलत काम के लिए दुसरों को दोष देना हमारी नालायकी है. याद रखें स्वाभिमानी, सभ्य. ईमानदार प्रजा हजार साल तक गुलाम नहीं रहती. वो सिर्फ दुसरों की "जय हो" ही कर सकती है. मिर्च लगी? इस ब्लॉग पर आप मिठ्ठी गोली की उम्मीद क्यों करते है. लेख हो या टिप्पणी….

  69. Shiv Kumar Mishra said,

    July 18, 2009 at 5:49 am

    टॉम एंड जेरी, साराभाई, आफिस-आफिस, यस बॉस वगैरह जब तक टीवी पर दिखाया जा रहा है, हमें कोई फ़िक्र नहीं है, सुरेश जी.

  70. July 18, 2009 at 5:49 am

    टॉम एंड जेरी, साराभाई, आफिस-आफिस, यस बॉस वगैरह जब तक टीवी पर दिखाया जा रहा है, हमें कोई फ़िक्र नहीं है, सुरेश जी.

  71. रचना said,

    July 18, 2009 at 6:21 am

    suresh

    you have a good reader base why dont you ask your readers a simple question

    how many watch raakhi kaa swyambar and such kaa samnaa .

    lets see how many truthfully accept watching these

    regarding balika vadu its promoting illegal things by showing child marriage being registered

    rape and social injustice is something different then what is shown on tv channels

    time is changing and with changing times our gneration and new wants to see more things but the new age group is mor matured then old ones and they are really that effected as you seem to show

    and honestly the new generation hardly reads news papaer leave only page 3 !!

  72. रचना said,

    July 18, 2009 at 6:21 am

    suresh you have a good reader base why dont you ask your readers a simple question how many watch raakhi kaa swyambar and such kaa samnaa . lets see how many truthfully accept watching these regarding balika vadu its promoting illegal things by showing child marriage being registered rape and social injustice is something different then what is shown on tv channels time is changing and with changing times our gneration and new wants to see more things but the new age group is mor matured then old ones and they are really that effected as you seem to showand honestly the new generation hardly reads news papaer leave only page 3 !!

  73. डॉ .अनुराग said,

    July 18, 2009 at 7:17 am

    सुरेश जी
    लगता है आपने त्वरित प्रतिक्रिया दे दी है ओर कई मुद्दों को अकारण मिला दिया है ….ये मुखोटो का युग है…हर आदमी के पास एक अलग मुखोटा है ..ओर समय के साथ वो अपग्रेड होता रहता है..हमसबके भीतर एक ऐसा सच छिपा है जिसे केवल हम जानते है ..सबके पास अपने हिस्से का सच है…कभी कभी कुछ हालात ,कुछ वक़्त एक सच को पैदा करते है .ओर बाद के साल उस सच को झूठ बना देते है….
    पहली बात ये मशीन सौ फी सदी झूठ नहीं पकड़ सकती …….इसलिए अदालत में भी मान्य नहीं है
    दूसरी बात आने वाले कंटेस्टेंट व्यस्क है ..उन्हें मालूम है उनसे क्या प्रशन पूछे जाने है .कैसे प्रशन पूछे जाने वाले है….उनसे पहले ये प्रशन पूछे जा चुके है …जाहिर है इसमें दोनों का अपना फायदा है चैनल के अपने व्यवासायिक कारण है कंटेस्टेंट को पैसे मिल रहे है …….अब कोई व्यक्ति कितना अपने निजी ओर पारिवारिक जेवण को एक बड़े दर्शक वर्ग के सामने सामूहिक करता है ….ये उसका निजी फैसला है .
    वैसे किरण बेदी वाला प्रोग्राम भी किसी परिवार को लडाई को सबके सामने रखता है…हैरान हूँ उसपे कोई बावाल क्यों नहीं मचा ……वहां सामाजिक न्याय दिलाने का सार्वजनिक पराक्रम …बाजारीकरण का ही एक दूसरा रूप था .जिसे थोड़े परिष्कृत तरीके से दिखाया गया था …..
    चरित्र कभी भेदभाव नहीं करता हाई ओर लो सोसायटी में …पहली प्रतियोगी किसी हाई सोसायटी से नहीं थी पर मनुष्य थी …उनमे स्वाभाविक गुण दोष थे …हम अपने समाज में ऐसे कई चरित्र देखते है ….उनकी को भी बात ऐसी नहीं थी जो अजूबी लगी….अलबत्ता वे एक ऐसी महिला जो भारत की न जाने कितनी तमाम महिलाओं की तरह एक नाकारा ओर शराबी पति को सारी उम्र केवल इज्ज़त ओर बच्चो के नाम पे झेलती है ..शायद आर्थिक कारणों से ही वे वहां आयी थी ….
    सुबह से शाम तक हम न्यूज़ चिनल में बलात्कार .आयुषी काण्ड ….फलां काण्ड .चुम्बन काण्ड देखते है..कई बार …वे भी असर डालते होगे कही न कही बच्चो पर ……
    अन्दर से हम सभी जानते है की क्या सच है ओर क्या झूठ…….मूल बात ये है हमारा भारतीय समाज कितना परिपक्व है टी वी के इस नए रूप से ये …..ये तो आने वाला वक़्त की बताएगा …..
    फिलहाल सिर्फ ओर सिर्फ इतना कर सकते है .की इसके समय को ओर आधा घंटा आगे कर दे ..या बच्चो को इसे देखने न दे ….ओर सुबह इसके रिपीट टेलीकास्ट न करे…..

  74. July 18, 2009 at 7:17 am

    सुरेश जी लगता है आपने त्वरित प्रतिक्रिया दे दी है ओर कई मुद्दों को अकारण मिला दिया है ….ये मुखोटो का युग है…हर आदमी के पास एक अलग मुखोटा है ..ओर समय के साथ वो अपग्रेड होता रहता है..हमसबके भीतर एक ऐसा सच छिपा है जिसे केवल हम जानते है ..सबके पास अपने हिस्से का सच है…कभी कभी कुछ हालात ,कुछ वक़्त एक सच को पैदा करते है .ओर बाद के साल उस सच को झूठ बना देते है….पहली बात ये मशीन सौ फी सदी झूठ नहीं पकड़ सकती …….इसलिए अदालत में भी मान्य नहीं है दूसरी बात आने वाले कंटेस्टेंट व्यस्क है ..उन्हें मालूम है उनसे क्या प्रशन पूछे जाने है .कैसे प्रशन पूछे जाने वाले है….उनसे पहले ये प्रशन पूछे जा चुके है …जाहिर है इसमें दोनों का अपना फायदा है चैनल के अपने व्यवासायिक कारण है कंटेस्टेंट को पैसे मिल रहे है …….अब कोई व्यक्ति कितना अपने निजी ओर पारिवारिक जेवण को एक बड़े दर्शक वर्ग के सामने सामूहिक करता है ….ये उसका निजी फैसला है .वैसे किरण बेदी वाला प्रोग्राम भी किसी परिवार को लडाई को सबके सामने रखता है…हैरान हूँ उसपे कोई बावाल क्यों नहीं मचा ……वहां सामाजिक न्याय दिलाने का सार्वजनिक पराक्रम …बाजारीकरण का ही एक दूसरा रूप था .जिसे थोड़े परिष्कृत तरीके से दिखाया गया था ….. चरित्र कभी भेदभाव नहीं करता हाई ओर लो सोसायटी में …पहली प्रतियोगी किसी हाई सोसायटी से नहीं थी पर मनुष्य थी …उनमे स्वाभाविक गुण दोष थे …हम अपने समाज में ऐसे कई चरित्र देखते है ….उनकी को भी बात ऐसी नहीं थी जो अजूबी लगी….अलबत्ता वे एक ऐसी महिला जो भारत की न जाने कितनी तमाम महिलाओं की तरह एक नाकारा ओर शराबी पति को सारी उम्र केवल इज्ज़त ओर बच्चो के नाम पे झेलती है ..शायद आर्थिक कारणों से ही वे वहां आयी थी ….सुबह से शाम तक हम न्यूज़ चिनल में बलात्कार .आयुषी काण्ड ….फलां काण्ड .चुम्बन काण्ड देखते है..कई बार …वे भी असर डालते होगे कही न कही बच्चो पर …… अन्दर से हम सभी जानते है की क्या सच है ओर क्या झूठ…….मूल बात ये है हमारा भारतीय समाज कितना परिपक्व है टी वी के इस नए रूप से ये …..ये तो आने वाला वक़्त की बताएगा …..फिलहाल सिर्फ ओर सिर्फ इतना कर सकते है .की इसके समय को ओर आधा घंटा आगे कर दे ..या बच्चो को इसे देखने न दे ….ओर सुबह इसके रिपीट टेलीकास्ट न करे…..

  75. sunil patel said,

    July 18, 2009 at 7:24 am

    सुरेश जी आपने बहुत अच्छा लिखा। यह सही है कि पिछले सैंकड़ों हजारों सालों में हमारा समाज अडिग रहा है किन्तु पिछले 10 से 20 सालों में उसे टी.वी., फिल्मों खासकार फेमिली एवं स्कूलकालेज के धारावाहिको ने बदल दिया है। किसी की निजी, निहायत निजी जिन्दगी को गोपनीय ही रहना चाहिए। इसके खुलने से खासकर हमारे बच्चों पर बहुत बुरा प्रवाभ पड़ेगा।

  76. sunil patel said,

    July 18, 2009 at 7:24 am

    सुरेश जी आपने बहुत अच्छा लिखा। यह सही है कि पिछले सैंकड़ों हजारों सालों में हमारा समाज अडिग रहा है किन्तु पिछले 10 से 20 सालों में उसे टी.वी., फिल्मों खासकार फेमिली एवं स्कूलकालेज के धारावाहिको ने बदल दिया है। किसी की निजी, निहायत निजी जिन्दगी को गोपनीय ही रहना चाहिए। इसके खुलने से खासकर हमारे बच्चों पर बहुत बुरा प्रवाभ पड़ेगा।

  77. RAJ said,

    July 18, 2009 at 10:07 am


    देश का मीडीया पूरी तरह से बिका हुआ है इससे कोई उम्मीद करना बेवकूफी के सिवाए कुछ नही होगा|

    ज़रूरत सिर्फ़ स्वदेशी मीडीया की है जो सिद्धांतों पर काम करे |

    लोगो की आदत होती है दूसरो के दुख मे मज़ा लेने की| वही स्टार प्लस जैसे घटिया चैनल दिखा रहे है | जनता पर इसका क्या असर होगा या कितने परिवार इसकी वजह से टूटेंगे कितनी सास और पति अपनी पत्नियों को शक की नज़र से देखेंगे इसका अंदाज़ा कोई नही लगा सकता |

    इसे देखने के बाद हर किसी के दिमाग़ मे ऐसे सवाल यक्ष प्रश्न बनकर घूमेंगे |

    ******जो लोग इस प्रोग्राम का पक्ष ले रहे है उनसे एक सवाल पूछना चाहूँगा*****

    आख़िर क्यों बार बार हमारी संस्कृति पर विदेशी हमले होते रहते हैं ?

    पहले हमारा ख़ान-पान , रहन – सहन , शिक्षा छीन ली अब परिवार भी तोड़ने पर लगे हुए है|

    कुल मिलाकर हमें पूरी तरह से विदेशी सभ्यता का गुलाम बनाया जा रहा है |
    क्या यह उचित है पहले हम अंग्रजों के गुलाम थे अब उनकी विचारधारा के गुलाम हैं ?

    पहले से ज़्यादा लूट तो वे अब कर रहे हैं अपने विदेशी समान और विचारों को भारत मे बेचकर| हमारे नवयुवक और युवतियाँ अंग्रज़ी सभ्यता के पीछे पागलों की तरह भाग रहे है…..

    क्या किसी के पास समय है सोचने का , की ये आँधी दौड़ हमारे कथित " भारतवर्ष " को किस दिशा मे ले जा रहा है…..?

    हम अपने परिवार को तो बचा सकते हैं पर दूसरों की देखा देखी कल हमारे परिवार भी टूटने लगेंगे|
    जब तक समाज एकरूप नही होगा हम सुखी नही रह सकते| ज़रूरत है सभी को मिलकर इनका बाहिसकार करने की और आँधी दौड़ से बचने की|

  78. RAJ said,

    July 18, 2009 at 10:07 am

    देश का मीडीया पूरी तरह से बिका हुआ है इससे कोई उम्मीद करना बेवकूफी के सिवाए कुछ नही होगा|ज़रूरत सिर्फ़ स्वदेशी मीडीया की है जो सिद्धांतों पर काम करे |लोगो की आदत होती है दूसरो के दुख मे मज़ा लेने की| वही स्टार प्लस जैसे घटिया चैनल दिखा रहे है | जनता पर इसका क्या असर होगा या कितने परिवार इसकी वजह से टूटेंगे कितनी सास और पति अपनी पत्नियों को शक की नज़र से देखेंगे इसका अंदाज़ा कोई नही लगा सकता | इसे देखने के बाद हर किसी के दिमाग़ मे ऐसे सवाल यक्ष प्रश्न बनकर घूमेंगे |******जो लोग इस प्रोग्राम का पक्ष ले रहे है उनसे एक सवाल पूछना चाहूँगा*****आख़िर क्यों बार बार हमारी संस्कृति पर विदेशी हमले होते रहते हैं ? पहले हमारा ख़ान-पान , रहन – सहन , शिक्षा छीन ली अब परिवार भी तोड़ने पर लगे हुए है| कुल मिलाकर हमें पूरी तरह से विदेशी सभ्यता का गुलाम बनाया जा रहा है |क्या यह उचित है पहले हम अंग्रजों के गुलाम थे अब उनकी विचारधारा के गुलाम हैं ?पहले से ज़्यादा लूट तो वे अब कर रहे हैं अपने विदेशी समान और विचारों को भारत मे बेचकर| हमारे नवयुवक और युवतियाँ अंग्रज़ी सभ्यता के पीछे पागलों की तरह भाग रहे है…..क्या किसी के पास समय है सोचने का , की ये आँधी दौड़ हमारे कथित " भारतवर्ष " को किस दिशा मे ले जा रहा है…..? हम अपने परिवार को तो बचा सकते हैं पर दूसरों की देखा देखी कल हमारे परिवार भी टूटने लगेंगे|जब तक समाज एकरूप नही होगा हम सुखी नही रह सकते| ज़रूरत है सभी को मिलकर इनका बाहिसकार करने की और आँधी दौड़ से बचने की|

  79. Shastri JC Philip said,

    July 18, 2009 at 10:27 am

    प्रिय सुरेश,

    "हालांकि कहने के लिये तो इस कार्यक्रम को खेल का नाम दिया गया है, लेकिन हकीकत में यह “दूसरों की इज़्ज़त उतारकर उसे सरेआम नीचा दिखाकर खुश होने” के मानव के आदिम स्वभाव पर आधारित है।"

    समाज का जो नैतिक पतन हुआ है यह उसका एक और लक्षण है.

    दूसरी ओर

    "कार्यक्रम के दौरान होस्ट राजीव खंडेलवाल उनसे कोई 10 बार पूछते हैं कि आप जानती हैं कि मैं क्या पूछने जा रहा हूँ, क्या आप आगे बढना चाहती है. मथाई कहती है – हाँ. तो इज्ज्त लूटी नहीं गई, उन्होने खूद ही खोई."

    यह चिंतनीय बात है कि दो मिनिट के नाम के लिये लोग किस तरह से अपनी इज्जत लुटाने के लिये तय्यार हो जाते हैं.

    हां जहां तक पालीग्रफ मशीन की बात है, यह पूर्ण रूप से विश्वसनीय नहीं है. इसमें फेरबदल की जा सकती है.

    लिखते रहो, जनमानस जरूर चेतेगा !!

    सस्नेह — शास्त्री

    हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
    http://www.Sarathi.info

  80. July 18, 2009 at 10:27 am

    प्रिय सुरेश, "हालांकि कहने के लिये तो इस कार्यक्रम को खेल का नाम दिया गया है, लेकिन हकीकत में यह “दूसरों की इज़्ज़त उतारकर उसे सरेआम नीचा दिखाकर खुश होने” के मानव के आदिम स्वभाव पर आधारित है।"समाज का जो नैतिक पतन हुआ है यह उसका एक और लक्षण है.दूसरी ओर"कार्यक्रम के दौरान होस्ट राजीव खंडेलवाल उनसे कोई 10 बार पूछते हैं कि आप जानती हैं कि मैं क्या पूछने जा रहा हूँ, क्या आप आगे बढना चाहती है. मथाई कहती है – हाँ. तो इज्ज्त लूटी नहीं गई, उन्होने खूद ही खोई."यह चिंतनीय बात है कि दो मिनिट के नाम के लिये लोग किस तरह से अपनी इज्जत लुटाने के लिये तय्यार हो जाते हैं.हां जहां तक पालीग्रफ मशीन की बात है, यह पूर्ण रूप से विश्वसनीय नहीं है. इसमें फेरबदल की जा सकती है.लिखते रहो, जनमानस जरूर चेतेगा !!सस्नेह — शास्त्रीहिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती हैhttp://www.Sarathi.info

  81. woyaadein said,

    July 18, 2009 at 12:04 pm

    सरासर ग़लत है ये तो……इसे जल्द से जल्द बंद करवाना चाहिए…..इनकी धूर्तता तो देखिये किस प्रकार एक घिनौने कृत्य को खेल का नाम देकर परोसा जा रहा है…..टी आर पी और सनसनी फैलाने के नाम पर शर्मनाक हरक़त……

    साभार
    हमसफ़र यादों का…….

  82. woyaadein said,

    July 18, 2009 at 12:04 pm

    सरासर ग़लत है ये तो……इसे जल्द से जल्द बंद करवाना चाहिए…..इनकी धूर्तता तो देखिये किस प्रकार एक घिनौने कृत्य को खेल का नाम देकर परोसा जा रहा है…..टी आर पी और सनसनी फैलाने के नाम पर शर्मनाक हरक़त……साभारहमसफ़र यादों का…….

  83. Dipti said,

    July 18, 2009 at 12:20 pm

    इस पूरे खेल में कई लूप होल है। जैसे कि लाई-डिटेक्ट की प्रमाणिकता और प्रोग्राम का फ़ार्मेट जानते हुए भी इसका हिस्सा बनना।

  84. Dipti said,

    July 18, 2009 at 12:20 pm

    इस पूरे खेल में कई लूप होल है। जैसे कि लाई-डिटेक्ट की प्रमाणिकता और प्रोग्राम का फ़ार्मेट जानते हुए भी इसका हिस्सा बनना।

  85. मनुज said,

    July 18, 2009 at 3:05 pm

    good article. keep it up.

  86. मनुज said,

    July 18, 2009 at 3:05 pm

    good article. keep it up.

  87. Nirmla Kapila said,

    July 19, 2009 at 4:08 am

    रापकी हर बात से सहमत हूँ मगर चैनल को दोश देने से पहले वो सब अधिक दोशी हैं जो पैसे के लाल्च मे ऐसे घटिया खेल खेलने को राज़ी होते हैं सिवा सिर धुनने के क्या कर सकते हैं आभार्

  88. July 19, 2009 at 4:08 am

    रापकी हर बात से सहमत हूँ मगर चैनल को दोश देने से पहले वो सब अधिक दोशी हैं जो पैसे के लाल्च मे ऐसे घटिया खेल खेलने को राज़ी होते हैं सिवा सिर धुनने के क्या कर सकते हैं आभार्

  89. July 20, 2009 at 7:03 pm

    सुरेश जी आपने सही मुद्दा उठाया है | और इसे उतने के लिए धन्यवाद | किन्तु एक बात मुझे समझ मैं नहीं आयी : आपने सुषमा, ममता, गिरिजा, मीरा और माया का नाम निया और अपने देश की सबसे शक्तिशाली महिला (सोनिया मैडम जी) का नाम तक नहीं लिया ? क्या बात है दाल मैं कुछ काला है क्या?

  90. GATHAREE said,

    July 21, 2009 at 8:06 am

    लोग पैसा लेकर खुद को नंगा करवा रहे हैं ,जब मियां बीबी राजी तो ——– ? लेकिन हम भी तो इसका स्वाद ले रहे हैं ! आखिर दूसरों का नंगापन जो है !

  91. July 21, 2009 at 4:10 pm

    DESH KI SOOCHNA PRASARAN MANTRI MAHILA HAIN, AUR VO SAB KUCH DEKHTI HAI.

  92. ASHOK KHATRI said,

    July 31, 2009 at 4:29 pm

    dear,suresh ji, aapki battoo sey puri tareh sey sehmat ho, aaj dhan lipsa kee vajah sey hum kitna gir sakte hey kaffi sharmnak sthati hey aaj aap ke lekh ki pratiya chhapwakar batwana chahoonga aabhaar……


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