400 सब्स्क्राइबर और 1 लाख हिट्स के अवसर पर…,,, 400 Subscribers and 1 lakh hits of a Hindi Blog

एक छोटी सी संतुष्टि आप सभी ब्लॉगरों के साथ बाँटना चाहता हूँ, लगभग 1 साल पहले 7 अक्टूबर 2008 को 100 सब्स्क्राइबर होने के उपलक्ष्य में एक पोस्ट लिखी थी, और अब पाठकों के प्यार के विस्तार के रूप में एक साल के भीतर ही मेरे स्नेही सब्स्क्राइबरों की संख्या 400 पार कर गई है। हालांकि यह कोई उपलब्धि तो नहीं है, लेकिन एक छोटी सी आत्मसंतुष्टि अवश्य है, कि एक साल पहले स्टेटकाउंटर 40,000 हिट्स बता रहा था और अब यह 1 लाख को पार कर चुका है… (यह भी कोई खास बात नहीं है, क्योंकि इसमें नये पाठकों की हिट्स कितनी हैं? यह एक प्रश्न है) फ़िर भी देखा जाये तो पिछले एक वर्ष में 300 सब्स्क्राइबर बढ़े और 60,000 हिट्स मिलीं… मुझे लगता है कि यह ठीकठाक तरक्की कही जा सकती है, और गर्व की बात भले न हो लेकिन हिन्दी ब्लॉगिंग में “एकल” (टीम बनाकर नहीं) लिखने वाले चुनिंदा ब्लॉग ही होंगे जिनके 400 से अधिक सब्स्क्राइबर हैं (130 फ़ॉलोअर भी हैं, लेकिन वह गणित मेरी समझ में अभी तक नहीं आया है)। हालांकि इस विषय पर लिखने से मैं कतरा रहा था (कि कहीं इसे आत्मप्रशंसा न समझ लिया जाये), लेकिन मेरे बहुत पुराने मित्र श्री सागर नाहर ने जोर दिया कि इस पर अवश्य लिखना चाहिये, इसलिये यह पोस्ट उन्हें समर्पित है।

इस अवसर पर एक साल पुरानी पोस्ट का कुछ हिस्सा पेश कर रहा हूं, इसमें कुछ सलाह हैं, कुछ हकीकत… क्योंकि हिन्दी ब्लॉग जगत के माहौल में एक साल में कोई खास बदलाव तो नहीं आया है, इस बीच जो नये ब्लॉगर आये हैं, उन्हें यह सामग्री काम की लग सकती है।

हिन्दी ब्लॉग जगत अभी भी शैशव अवस्था में ही कहा जा सकता है, 8000-10000 हिन्दी चिठ्ठे रजिस्टर्ड हैं जिनमें से नियमित (हफ़्ते में कम से कम दो या तीन पोस्ट) लिखने वाले काफ़ी कम ही हैं, लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि अपने-आप को अभिव्यक्त करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। धीरे-धीरे अखबारों में, सेमिनारों में, चिकने पन्नों वाली पत्रिकाओं में भी हिन्दी ब्लॉग की चर्चा छपने लगी है। एक अखबारी लेख में कहा गया है कि “ब्लॉग शुरु करना बेहद आसान होने के कारण लिखने वाले आ तो जाते हैं, लेकिन फ़िर निरन्तरता नहीं बनाये रखते, जल्द ही बोर हो जाते हैं और उनका ब्लॉग काफ़ी समय तक अपडेट नहीं होता और धीरे-धीरे मृतप्राय हो जाता है”…। इस दृष्टि से गत लगभग ढाई साल में तकरीबन 375 पोस्ट लिखकर मैं अभी अपनी ऊर्जा को बनाये हुए हूँ, इसका भी मुझे आश्चर्य है।

इस अवसर पर मैं चिठ्ठा लिखने वाले नये लेखकों से मुखातिब होना चाहता हूँ… कि वे अपना ब्लॉग ज़रूर शुरु करें, लेकिन उसे नियमित बनाये रखें। कुछ भी लिखें, लेकिन लिखें, धीरे-धीरे उनमें समझ बनेगी कि क्या लिखना चाहिये और कैसे लिखना चाहिये (हालांकि यह समझ तो मेरी भी अभी नहीं बन पाई है)। यदि वे अपना चिठ्ठा किसी विषय आधारित रखना चाहते हैं जैसे संगीत, फ़िल्म, राजनीति, समाज आदि, तो पहले से तय कर लें। यदि मेरे ब्लॉग जैसी “औघड़ दुकान” सजानी है तो बात और है, क्योंकि मैं कभी भी पहले से तय करके नहीं लिखता कि किस विषय पर लिखना है, जो बात आपके दिल-दिमाग पर असर करे उस पर लिखो।

कुछ भी लिखने के लिये आवश्यक है “कच्चा माल” यानी कि विचार, सबसे पहले मन ही मन सोचो कि क्या लिखना है, फ़िर उस विषय पर आधारित विभिन्न चिठ्ठे पढ़ो, फ़िर अपना एक विचार बनाओ कि कौन सी लाइन पकड़ना है, फ़िर उस पर मजबूती से जम जाओ। ब्लॉग को पठनीय बनाने के लिये “सर्च और रिसर्च” दोनों ही बेहद महत्वपूर्ण हैं। ज्यादा नहीं तो थोड़ा सा ही समय इन कामों के लिये निकालो, ताकि तुम्हारा चिठ्ठा अधिक तथ्यपरक और समझदारी की बातों से भरा हुआ लगे। नये चिठ्ठाकार विषय को आधा-अधूरा उठाते हैं, फ़िर उस पर मात्र एकाध पैराग्राफ़ लिखकर उसे पोस्ट कर देते हैं, ऐसे में जो भी पाठक उनके चिठ्ठे पर आता है उसे निराशा होती है। ऐसे में अपेक्षा की जाती है कि उस विषय का विस्तार से अध्ययन करके फ़िर लिखा जाये, चाहे उससे पोस्ट लम्बी ही क्यों न हो जाये, पर उसमें उस ब्लॉगर का खुद का एक “एंगल” स्पष्ट हो। पहले मैं भी सोचता था कि छोटी-छोटी पोस्ट लिखने से फ़ायदा होता होगा, लेकिन हर विषय के प्रत्येक पहलू को लिखने या उस पर अपने विचार देने पर पोस्ट लम्बी हो ही जाती है, लम्बी पोस्टों को आप भाग 1, भाग 2 करके लिखें। हो सकता है इस विधि से आपकी पोस्टों की संख्या न बढ़े, लेकिन आप जो भी लिखेंगे वह ठोस होगा और लम्बे समय तक चलेगा।

यदि आप किसी दूसरे के ब्लॉग से कोई सामग्री लेना चाहते हैं तो कोशिश करें कि उसकी अनुमति ले लें, यदि यह सम्भव नहीं हो पाता है तो जहाँ से सामग्री ली गई है उस ब्लॉग / ब्लॉगर का नाम और लिंक का अपने लेख में अवश्य उल्लेख करें, इससे आपकी छवि तो साफ़-सुथरी रहेगी ही, आपका नेटवर्क भी मजबूत होगा। यदि किसी पुस्तक का अथवा नेट की किसी वेबसाईट का उल्लेख करते हैं या उसमें से जानकारी लेते हैं तो उसकी भी लिंक देने की कोशिश करें, इससे आपका चिठ्ठा अधिक विश्वसनीय और तथ्यपूर्ण लगता है और पाठक को नई जानकारी मिलती है। हो सकता है कि 50-75 पोस्ट लिखने के बाद आपको लगने लगे कि “यार ये तो बेकार का काम है, भला ब्लॉग लिखने से कुछ होता भी है?” यही वह वक्त होता है जब कोई ब्लॉगर निराश होकर ब्लॉगिंग छोड़ देता है, लेकिन ऐसा नहीं होने दें। एक बात अच्छी तरह समझ लें कि आपके या मेरे लिखने से भले ही तुरन्त कोई बड़ी क्रान्ति होने वाली नहीं है, न ही कोई सरकारी नीति बदलने वाली है, फ़िर भी कोशिश करना अपने हाथ में है, कम से कम यह तो संतोष रहेगा कि हमने जनजागरण की दिशा में, चींटी जितना ही सही, योगदान तो दिया, तटस्थ होकर चुपचाप बैठे रहने से बुरा काम कोई भी नहीं है। जैसा कि मैंने अपने प्रोफ़ाइल में लिखा है “गंदगी भरे तालाब में पत्थर फ़ेंकना जारी रहे, जमी हुई काई अवश्य साफ़ होगी… किनारे पर बैठकर सिर्फ़ कहना कि तालाब बहुत गन्दा है”, ठीक नहीं है। हम यह क्यों भूलें कि ब्लॉग नामक विधा ने ही हमें अपनी बात लोगों तक पहुँचाने का रास्ता दिया है, वरना कौन सा अखबार मेरा आग उगलता लेख छापने वाला है? आप अपने ब्लॉग के राजा हैं, इंटरनेट सबको बराबरी से मौका देता है, यहाँ किसी की मठाधीशी नहीं चलती। अच्छा रचनात्मक लिखते रहें, एक न एक दिन किसी पारखी जौहरी की निगाह आप पर पड़ेगी, बस अपने विचार मजबूती से प्रकट करते रहें, अपने मित्र बनायें, बहस करें, नेटवर्क बढ़ायें… विचारों का प्रवाह निश्चित आगे बढ़ेगा और प्रबल सम्भावना है कि कोई “खामोश क्रांति” हो ही जाये।

यह तो हुई कुछ मामूली सी नसीहतें, अब आते हैं हिन्दी ब्लॉग जगत के काले पक्ष पर… जब मैंने अखबारों में लेख लिखना छोड़कर ब्लॉग शुरु किया तब मुझे नहीं पता था कि इस “छोटे से गढ्ढेनुमा हिन्दी ब्लॉग जगत” में भी भारी उठापटक होती होगी, इतनी गुटबाजी होती होगी। लेकिन शीघ्र ही मुझे समझ में आ गया कि यह “वर्चुअल दुनिया” भी “भारत की असली तस्वीर” से कुछ अलग नहीं है। यहाँ भी राजनीति होती है, यहाँ चाटुकारिता होती है, यहाँ गुटबाजी होती है, व्यक्तिगत हमले भी होते हैं। नये ब्लॉगर जो सचमुच इस क्षेत्र में टिकना चाहते हैं और कुछ गम्भीर वैचारिक लिखना चाहते हैं तो उन्हें डटे रहना सीखना होगा। यदि आप किसी विषय विशेष पर चिठ्ठा लिखते हैं तब तो कोई बात नहीं, प्रोत्साहन करने वाले बहुत मिल जायेंगे, लेकिन यदि आप राजनैतिक लेख लिखना चाहते हैं तब आपका मानसिक रूप से मजबूत होना बेहद आवश्यक है, खासकर उस स्थिति में जब आप कोई “हिन्दूवादी”(???) लेख लिखने की सोचें। ब्लॉग जगत में तथाकथित सेकुलरों की एक बहुत बड़ी गैंग है, जेएनयू की सेकुलर और वामपंथी “वैचारिक सड़ांध” फ़ैलाने में यह गैंग माहिर है, इस गैंग में कुछ पत्रकार भी शामिल हैं जिनकी हैसियत असल में एक ब्लैकमेलर से ज्यादा कुछ नहीं हैं, लेकिन वे सेकुलरिज़्म का लबादा ओढ़े हुए हैं और जमाने भर को ज्ञान बाँटते फ़िरते हैं। यह गैंग नये ब्लॉग लेखकों को पहले “हीनता बोध” से ग्रसित कराती है, आलोचना करती है, कभी अपमान भी करती है, फ़िर पुचकार कर अपना “पठ्ठा” बना लेती है, और इनमें कुछ बड़े नाम ऐसे भी हैं जो यह चाहते हैं कि नये ब्लॉगर इनकी चमचागिरी करके ही आगे बढ़ पायें।

लेकिन नये लिखने वालों से मैं यह कहना चाहता हूँ कि शुरुआत में बिलकुल भी न घबरायें, हो सकता है कि एक-दो महीने तक कोई टिप्पणी न मिले, या शुरुआती पोस्ट कोई भी न पढ़े (कोई दूसरा पढ़े या न पढ़े, आपके चिठ्ठे पर उड़न तश्तरी जरूर आयेगी और आपका हौसला बढ़ायेगी)। फ़िर धीरे-धीरे लोग आपको जानने लगेंगे, “Content is the King” की अवधारणा काम करने लगेगी, आप दूसरों के ब्लॉग पर जाकर टिपियायें, अपना नेटवर्क बनायें, अपने मित्रों से आपका ब्लॉग पढ़ने को कहें… धीरे-धीरे आप जम जायेंगे। जब आप जम जायेंगे और फ़िर भी किसी की चमचागिरी नहीं करेंगे तो आपको सताने की एक प्रक्रिया शुरु होगी, लेकिन यदि आप मजबूती से जमे रहे तो ही रहेंगे, वरना मैंने कईयों को भागते देखा है, इसलिये बस लिखते रहें, लिखते रहें, फ़ालतू की बातों पर ध्यान दिये बगैर और हिट्स की चिन्ता किये बगैर। आपके राष्ट्रवादी विचारों को पढ़कर “सेकुलर” किस्म के पाठक बगैर टिप्पणी दिये “पतली गली से” कट लेंगे, लेकिन यदि आपका लेखन अच्छा, तर्कपूर्ण, तथ्यपरक है तो आपको हिट होने से कोई रोक नहीं सकता, ध्यान रहे कि अच्छा लिखने वाले को लोग पढ़ते हैं, भले ही टिप्पणी न करें, या किसी चिठ्ठा/चिठ्ठी चर्चा में उसका उल्लेख न करें। मुझे भी इस बात की ज्यादा खुशी है कि मेरे 400 सब्स्क्राइबर में से लगभग 50 प्रतिशत से अधिक ऐसे हैं जो हिन्दी ब्लॉग जगत के बाहर से हैं, जिन्हें मेरा ब्लॉग देखने से पहले यही पता नहीं था कि हिन्दी में भी ब्लॉगिंग की जाती है (उन्हें सिर्फ़ यह पता था कि अमिताभ बच्चन ब्लॉग नामक कोई खिचड़ी पकाते हैं)।

इस बात का अहसास भी गंभीरता से है कि मेरी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। स्पष्ट है कि अब पाठक मुझसे कुछ अपेक्षा रखने लगे हैं, और मुझे उन पर खरा उतरना है, लेकिन पिछले ढाई साल में कई अच्छे ब्लॉगरों को ब्लॉगिंग छोड़ते या बहुत कम करते देखा है, जिसके पीछे कई कारण हुए हैं जिसमें मुख्य तौर पर ब्लॉगिंग त्यागने के पीछे आर्थिक कारण देखा गया है। पंगेबाज ब्लॉगिंग छोड़ने के बाद बहुत खुश हैं, क्योंकि अब वे अपने बिजनेस को अधिक समय दे पाते हैं, सागर नाहर जी भी लिखना काफ़ी कम कर चुके हैं, कारण यहाँ भी वही है, श्रीश शर्मा जी तो अचानक ऐसे गायब हुए कि उनका कुछ पता ही नहीं, ऐसे कई लोग गायब हो गये…। ज़ाहिर है कि ब्लॉगिंग एक “शौक” है, जबकि अपने परिवार के लिये पैसा कमाना “कर्तव्य”, जब शौक कर्तव्य पर हावी होने लगता है उस समय ब्लॉगिंग से “सन्यास” लेने की भावना प्रबल होने लगती है। यदि शौक ही अतिरिक्त कमाई का साधन बन जाये तो मजा दोगुना हो जाता है। हर ब्लॉगर तो अवधिया जी अथवा पाबला जी जैसा बन नहीं सकता कि एडसेंस के चेक उनके घर चलकर आयें, उसमें भी मेहनत लगती है, ट्रिक्स लगती हैं। कहने को तो लोगबाग कहते हैं कि “हम तो स्वान्तः सुखाय लिखते हैं लेकिन यदि कोई यह कहता है कि मैं अपने ब्लॉग से एक पैसे की भी कमाई नहीं चाहता, तब वह झूठ बोल रहा होता है। अर्थात विज्ञापनों के अलावा, ब्लॉग से कमाई के दूसरे रास्ते भी तलाशने ही होंगे, जैसे कि मैंने अनुवाद का काम हाथ मे लिया है, तो मेरा ब्लॉग एक तरह से मेरे काम के “शो-केस” की तरह है, जहाँ मैंने अपनी “हिन्दी लेखनी” को सजाया है, अब कभी-कभार कोई न कोई ग्राहक इस “हिन्दी कर्म” और अनुवाद को देखकर छिटपुट काम दे जाता है। लेखों का पुस्तक के रूप में प्रकाशन करना, लेखों को अखबारों में प्रकाशित करवाने की कोशिश करना आदि कुछ अन्य विकल्प हैं जिनसे थोड़ा-बहुत खर्चा-पानी निकाला जा सकता है, क्योंकि ब्लॉग लिखने में भी कुछ न कुछ खर्चा तो हो ही रहा है, मेहनत लगती है, ऊर्जा लगती है, समय लगता है। जिस दिन ब्लॉगिंग का यह नशा, मूल आजीविका पर चोट करने लगेगा अथवा जिस दिन मन में यह विचार आयेगा कि “हाँ, यदि मैंने ब्लॉगिंग को जितना समय और ऊर्जा दी, उतनी ही अपने बिजनेस को देता तो ज्यादा अच्छा होता…” हो सकता है कि उस दिन मैं भी अचानक इस लत को छोड़ बैठूं, और गायब हो जाऊं…। अभी तो दमखम है, आगे देखते हैं मेरा ब्लॉगिंग का यह सिलसिला कहाँ तक जाता है… कब तक चलता है।

बहरहाल, इस अवसर पर मैं अपने सभी पाठकों का आभार व्यक्त करता हूँ…कि वे ऐसे ही स्नेह बनाये रखें, और नये ब्लॉगरों को शुभकामनायें देता हूँ कि वे हिन्दी को और आगे बढ़ायें, देशहित में लिखें, समाजहित में लिखें… आमीन।

(लेख हमेशा की तरह कुछ लम्बा हो गया है, यहीं समाप्त करते हुए कहना चाहता हूं कि, इस अवसर को यादगार बनाने के लिये जल्द ही ब्लॉग से सम्बन्धित एक और खुशखबरी भी आप सभी प्रिय पाठकों के साथ बाँटूंगा…)

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68 Comments

  1. September 15, 2009 at 8:35 am

    बहुत बहुत बधाई आपकोअपने क्षोभ को एक दिशा देने के प्रयास की तारीफ तो होनी ही चाहिए। नए ब्लॉगरों को दी गई सलाह भी संतुलित है।निश्चित तौर पर ब्लॉग से आमदनी शुरू होने पर रूचि बढ़ेगी लोगों की।अपनी ऊर्जा बनाए रखिए। मेरी शुभकामनाएँ। बी एस पाबला

  2. September 15, 2009 at 8:51 am

    बहुत बहुत बधाई सुरेश जी!400 सब्क्राइबर का अर्थ है कि आपका ब्लोग हिन्दी ब्लोगिंग में एक मील का पत्थर बन चुका है।आपका यह लेख भी नये लेखकों के लिए अवश्य ही प्रेरणास्पद सिद्ध होगा।जहाँ तक ब्लोग से आर्थिक लाभ का सवाल है, वह भी होगा और जल्दी ही होगा। थोड़ा धैर्य से काम लेना है।

  3. September 15, 2009 at 9:17 am

    आशा है कि आपका यह चिटठा हमेशा इसी शान से बना रहेगा और आपकी लेखनी के तौर-तरीके ब्लॉग्गिंग के आदर्श के रूप में अपनाई जाती रहे .आपने साबित किया है कि "content " अच्छा हो तो सब संभव है .

  4. September 15, 2009 at 9:18 am

    खुश खबर की प्रतिक्षा है…

  5. psudo said,

    September 15, 2009 at 9:23 am

    Ummed hai ki aap likte rahange..

  6. September 15, 2009 at 9:31 am

    आपको बहुत – बहुत बधाई तथा भविष्य के लिए शुभकामनायें

  7. Ram said,

    September 15, 2009 at 9:33 am

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  8. September 15, 2009 at 9:33 am

    सुरेश भाई साहब ,बहुत बहुत बधाई | मेरे जैसे नए ब्लोगेर्स के लिए आपने जो राय दी उसके लिए सब की ओर से बहुत बहुत आभार |कभी मौका मिले तो तो मेरे ब्लॉग पर भी आये |http://burabhala.blogspot.comhttp://jaagosonewalo.blogspot.comएक बार फिर बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं |

  9. September 15, 2009 at 10:13 am

    बहुत बहुत बधाई!!!!!!!!!!!

  10. September 15, 2009 at 10:17 am

    कोटिशः हार्दिक बधाइयाँ….. शुभास्ते पन्थानः सन्तु…..

  11. September 15, 2009 at 10:40 am

    आपको बहुत बहुत बधाई और परामर्श के लिये धन्यवाद अगली खुश खबरी का इन्तज़ार रहेगा शुभकामनायें

  12. September 15, 2009 at 10:53 am

    "अभी तो दमखम है, आगे देखते हैं मेरा ब्लॉगिंग का यह सिलसिला कहाँ तक जाता है… कब तक चलता है। "निराशावादी बात मत करो. जिस दिन चिट्ठाकारी से मन उठे उस दिन मुझे एक ईपत्र भेज देना, मैं निराशा के भूत को झाड दूँगा.400 सबस्क्राईबर पाने पर बधाई. आगे 4,000 और फिर 40,000 देखने की मेरी इच्छा है. लगे रहो. एक महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हो, फल जरूर होगा!बदाम लगाने वाला कई बार फल नहीं देख पाता है, लेकिन उसकी पीढियां वह फल खाती हैं. लगे रहो सुरेश, लगे रहो!!सस्नेह — शास्त्रीहिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती हैhttp://www.Sarathi.info

  13. September 15, 2009 at 11:07 am

    बहुत बहुत बधाइयाँ | 🙂 😦 😛 😀 :$ 😉

  14. September 15, 2009 at 11:16 am

    बहुत बहुत बधाई आपको…आपके एक एक शब्द से पूर्णतः सहमत हूँ….ठीक ठाक शब्द नहीं ढूंढ पा रही आपकी कर्मठता की प्रशंशा तथा अपनी भावना अभिव्यक्त कर पाने के लिए …..इसलिए इतना भर कहूंगी….अनंत शुभकामना आपको ''बिना रुके बिना झुके अनवरत आपकी लेखनी इसी तरह चलती रहे….निश्चिंत रहें,जमीन तैयार हो रही है…….

  15. September 15, 2009 at 12:17 pm

    बहुत बहुत बधाई। लेकिन आपका कहना शायद सही नहीं है,"यदि कोई यह कहता है कि मैं अपने ब्लॉग से एक पैसे की भी कमाई नहीं चाहता, तब वह झूठ बोल रहा होता है।"

  16. Ishwar said,

    September 15, 2009 at 12:29 pm

    सुरेशजीमेरे जैसे नए ब्लोगेर्स के लिए आपने जो राय दी उसके लिए धन्यवाद खुश खबरी की प्रतिक्षा है

  17. Azad said,

    September 15, 2009 at 1:08 pm

    इस उपलब्धि पर ढेर सारी शुभकामनाएं…!उम्मीद करता हूँ कि आपकी ब्लॉग्गिंग का सिलसिला ऐसे ही चलता रहे, और हम जैसों का ज्ञान बढ़ता रहे!!-जय हिंद

  18. September 15, 2009 at 1:15 pm

    लख लख बधाईयां प्रभु को सुनील की तरफ से;)ऐसे ही कीर्तिमान स्थापित करते रहें

  19. sdsdsd said,

    September 15, 2009 at 1:18 pm

    दादा दौड़ते रहो यही जीवन है। बधाई स्वीकार करों।।

  20. September 15, 2009 at 1:56 pm

    बहुत बहुत शुभकामनायें ।

  21. September 15, 2009 at 2:02 pm

    बहुत बहुत बधाई सुरेश जी ! आपके चिट्ठे पर इस साल २,००,००० हिट हो यही कामना है !

  22. September 15, 2009 at 2:36 pm

    बहुत बहुत बधाई. एक बार स्टैटकाउंटर की बजाय गूगल एनालिटिक्स का प्रयोग करके देखें. इससे आपको बेहतर जानकारी मिल पायेगी

  23. September 15, 2009 at 2:43 pm

    बहुत बहुत बधाई !!!!

  24. September 15, 2009 at 3:15 pm

    बहुत बहुत बधाई…

  25. September 15, 2009 at 3:21 pm

    जल्द ही ब्लॉग से सम्बन्धित एक और खुशखबरी भी आप सभी प्रिय पाठकों के साथ बाँटूंगा…)यानि अभी ऐसी बातें भी है जो मुझे भी नहीं पता!खैर कोई बात नहीं खुशखबरी का इन्तजार कर ही लेते हैं, देखते हैं सब्र का फल कितना मीठा होता है, और हां ४०० ग्राहकों की बधाई स्वीकार करें।ये अलग बात है मैं अभी तक आपका ग्राहक नहीं बना। 🙂

  26. September 15, 2009 at 3:35 pm

    प्रिय सुरेश भाई, मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार करें | इस आलेख मैं भी आपकी उर्जा का कमाल झलकता है | नए ब्लॉगर के लिए आपका सुझाव काबिले तारीफ़ है | मैं आपकी बातों से बिलकुल सहमत हूँ की हिंदी ब्लॉग्गिंग मैं भी सेकुलर अपना बर्चस्व स्थापित करना चाहते हैं | ये मैंने खुद देखा है … आपके ब्लॉग्गिंग छोड़ने की आशंका से दुःख होता है … | भारत या भारत के बहार भी आपके जैसे उर्जावान, प्रखर, निडर लेखन नहीं के बराबर हैं | लगभग सभी लेखक सेकुलर जाल मैं फसे हुए हैं, आप जैसे एक्का-दुक्का लोग ही सेकुलर के खिलाफ झंडा बुलंद किये हुए हैं | कृपया ब्लॉग्गिंग छोड़ने की बात ना कीजिये … | हमें आप जैसे लोगों की जरुरत है | धन्यवाद – राकेश

  27. September 15, 2009 at 3:39 pm

    ब्लागस्पाट के ब्लॉग पर एक लाख व्यूज बहुत बढ़ी सफलता हैं, इसके लिए बधाई.दीपक भारतदीप

  28. September 15, 2009 at 4:10 pm

    सुरेश जी आपके लेख हमेशा ध्यानाकर्षण का केंद्र रहे हैं ….इस उपलब्धि पर आपको बधाई

  29. September 15, 2009 at 4:16 pm

    आप जैसे निडर ब्लॉगर को बधाई. काश लोग आपकी पोस्टों की रूह को समझे और सारे भारतवासी प्रेम और सौहार्द से रहना सीखें.जय भारत. जय भारतवासी.

  30. Shyam Verma said,

    September 15, 2009 at 4:29 pm

    First of all congratulation.I wish to give you 2 suggestion.1. Please remove unnecessary widgets on your blog and make it more professional looking.2. Please add a contribution button on your blog, so that we can help you financially. I know at least 30 of my friends who reads you regularly and wish to contribute into this blog. Contact me if you need help regarding setup of contribution button.ThanksShyamer.ssverma@gmail.com

  31. aarya said,

    September 15, 2009 at 4:37 pm

    सुरेश जीसादर वन्दे!आपकी एक -एक नसीहत सभी नए और पुराने ब्लागरों के लिए अनमोल है, यकीं मानिये आपके लेखों की निरंतर पठनीयता ने मुझे इससे जोड़े रखा नहीं तो बिना जानकारी के चिल्लाने वाले ब्लागरो को पढ़कर निराशा होती थी, आपने जो प्लेटफार्म तैयार किया है वह बहुत ही मजबूत है, चूँकि मै शोध छात्र हूँ इसलिए खोजना व लिखना मेरे रग- रग में है, लेकिन ब्लागिंग की दुनिया में बिना दूसरे की लाइन काटे अपनी लाइन बड़ी करना मैंने आपके लेखों में देखा है, जो मुझे सहायता प्रदान करती है,चूँकि समय कम मिलता है अतः बहुत ही शोधात्मक व प्रमाणिक इतिहास व भारतीय सभ्यता को जानते हुए भी नहीं लिख पाता, दूसरे अपने ब्लॉग को कैसे सजाना है तथा अपने द्वारा खींचे गए देश भर के ऐतिहासिक जगहों का चित्र व विश्लेषण उनके साथ कैसे प्रस्तुत करना है ठीक से नहीं जानता.भविष्य में आपसे इस विषय में विस्तृत चर्चा अवश्य होगी, अभी मै अपनी संस्था के द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार की तैयारी में ब्यस्त हूँ, जिसका निंंत्रण मैंने आपको मेल के माध्यम से दिया है.पुनः ब्लागरो के समग्र समस्याओं के लिए चिंता व उसके निराकरण के मार्ग बताने के लिए आभार.रत्नेश त्रिपाठी ratneshgkp@gmail.com

  32. cmpershad said,

    September 15, 2009 at 4:54 pm

    बधाई हो बधाई:)

  33. September 15, 2009 at 5:02 pm

    …सुरेश जी, बहुत बहुत बधाई आपको…ब्लॉगिंग छोड़ने के बारे में सोचें भी न, हिन्दी ब्लॉग जगत अधूरा हो जायेगा आपके बिना…मैं खुद को सेक्युलर मानता हूं और 'तथाकथित सेक्युलर' अथवा 'छद्म सेक्युलर' संबंधी आपके विचारों से सहमत नहीं पर आज इस खुशी के मौके पर प्रतिवाद नहीं करूंगा…फिर कभी…आज एक बार फिर बधाई…

  34. September 15, 2009 at 5:03 pm

    आपका लंबा लेखआपने ही बतलाया हैहम पढ़ गए हैंकाफी कुछ सीखना हैथोड़ा सा सीख पाए हैंअभी तो और भीबहुत पढ़ना हैथोड़ा सा और सीखना हैहम चाहते हैंब्‍लॉगिंग में टिकनापर पता नहीं कोई टिकने देता हैया भगा देता है।

  35. September 15, 2009 at 5:24 pm

    Suresh ji , Safar jaari rahe…….hum sadev aapke saath hain.jai hind, jai bharat, jai hindi.VANDE MATARAM.

  36. September 15, 2009 at 5:58 pm

    एक बात लिखना भूल गया था कि रवि रतलामी जी, आर सी मिश्र जी भी नियमित चेक पाते हैं एडसेंस के बी एस पाबला

  37. Common Hindu said,

    September 15, 2009 at 6:07 pm

    ..बहुत बहुत बधाई सुरेश जी!अपनी ऊर्जा बनाए रखिए।मेरी शुभकामनाएँ।..

  38. September 15, 2009 at 6:44 pm

    Surse ji aapko is uplabdhee par saharsh dheron badhaiyaan, aap bahut bada kaam kar rahe hain , hamari subhkamnaye aapke saath hain. aap lage rahen.Apka ShubekshooAnil Mistery

  39. September 15, 2009 at 6:48 pm

    भाऊ बहुत-बहुत बधाई हो।देर से पढ रहा हूं इसलिये आधी रात को फ़ोन करके बधाई देने की बजाये ऐसे बधाई दे रहा हूं,उत्तरोत्तर प्रगति की कामनाओं समेत,ढेरों शुभकामनाएँ ।

  40. September 15, 2009 at 7:07 pm

    बधाई और आगे के लिये शुभकामनायें।

  41. sajid khan said,

    September 15, 2009 at 7:52 pm

    badhayi ho bhayya

  42. anitakumar said,

    September 15, 2009 at 7:58 pm

    इस उपलब्धी के लिए आप को बहुत बहुत बधाई, वाकई इतनी ऊर्जा बनाए रखना मायने काबिले तारीफ़ है। आप चाहे किसी भी विषय पर लिखे आप के लेखो से हमेशा कुछ न कुछ नया जानने को मिलता है, और कुछ नहीं तो सोचने को तो मजबूर करते ही है। आप ने नये ब्लोगरों के लिए जो जानकारी दी है वो अमूल्य है। आशा है आप ऐसे ही शतक बनाते रहेगे

  43. Kumar Dev said,

    September 15, 2009 at 9:50 pm

    प्रिय सुरेश जी,हार्दिक बधाई आपके ४०० अनुसरणकर्ताओं और ४००००० बार आपको महाजाल पर खोजने के लिए…बहुत अच्छी बढ़त बना ली है आपने मजाक मजाक में, वैसे आप के हिम्मत की मैं दाद देता हूँ की बहुत सारे नपुंसक आपके खिलाफ उगलते रहते है और आप है की उनके उगले उहे को उनके ^#$%$*)^$) में वापस ठूस देते है I कुछ भी कहिये हिंदी जगत में कोई तो है जो हिंदुस्तान का दर्द महसूस करता है और हिंदुस्तान को आर्यावत बनाने का स्वप्न देखता है, बस जरुरत है एक क्रांति की I मैं प्रभु से यही प्रार्थना करूँगा की वो आपको असीमित शक्ति और धैर्य प्रदान करे ताकि आप कभी भी थक कर ना बैठ जाएँ I आपके द्वारा प्रदान की जाने वाली खुशखबरी का बेसब्री से इन्तेज़ार है….." जय जवान जय किसान जय विज्ञानं और जय भगवान् "

  44. September 16, 2009 at 12:17 am

    हार्दिक बधाई सुरेश जी.

  45. September 16, 2009 at 12:49 am

    हार्दिक बधाइयां। आपका ब्लॉग मील का पत्थर बने इन्हीं शुभकामनाओं के साथ आपका ही– वेद रत्न शुक्ल

  46. September 16, 2009 at 1:11 am

    बहुत बहुत बधाई !!

  47. Anurag Harsh said,

    September 16, 2009 at 2:08 am

    बहुत बहुत बधाई। इस मौके पर काफी कुछ सच लिखने के लिए भी आपको साधुवाद। हम लिखते वक्‍त कई बार मन के बजाय दिमाग पर अधिक जोर देने लगते हैं। मेरा मानना है जब कोई दिमाग से लिखता है तो लेखन उसका नहीं बल्कि किसी 'वाद' को समर्पित हो जाता है। लेखन 'वाद' के बजाय मन की भावनाओं को उकेरने का माध्‍यम है। अब बात भले ही हिन्‍दूवाद की हो या फिर साम्‍यवाद की। मैं आपके विचारों से भले ही असहमत रहा होउंगा लेकिन आपकी लेखनी का कायल हूं। हिन्‍दी दिवस पर पिछले दिनों कुछ सामग्री देखनी थी तो वर्ष 2007 की आपकी एक पोस्‍ट पढ़ने को मिली। अच्‍छा लगा कि आप इतने पुराने वक्‍त से लिख रहे हैं। पुन आपको बधाई।

  48. September 16, 2009 at 2:39 am

    सबसे पहले तो बधाई स्वीकार करे..नए ब्लोगर्स के लिए आपके दिए गए सुझाव बहुत उपयोगी हैं..पूरी कोशिश रहेगी उन्हें अमल में लाने की..चाटुकारिता और समन्वय की रीढ़ पर टिके समाज में अपने निर्भीक और स्पष्ट विचारों के बावजूद ब्लॉग जगत में इतने लम्बे समय तक टिके रहना आपकी जीवटता को दर्शाता है.. आपकी लिखने अनवरत चलती रही बहुत शुभकामनायें ..!!

  49. September 16, 2009 at 2:41 am

    भूल सुधार.. " आपकी लेखनी अनवरत चलती रहे "

  50. September 16, 2009 at 5:23 am

    सुरेश जी, बहुत बहुत बधाई…आप ब्लोगिंग मत छोडियेगा नही…आप ही एक शख्स है हिन्दी ब्लोगिंग में जिससे बहस करने में मज़ा आता है क्यौकि आप तर्क के जवाब में तर्क देते है लिन्क और सबुत के साथ….वरना कुछ लोग तो ऐसे है जिनके पास तर्क का जवाब नही होता तो वो गाली देकर निकल लेते है….

  51. dschauhan said,

    September 16, 2009 at 6:43 am

    सुरेश जी बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभाकामनाएं !

  52. PD said,

    September 16, 2009 at 7:32 am

    Congratulation Sir ji.. 🙂

  53. September 16, 2009 at 8:03 am

    इस मुकाम को हासिल करना हर किसी के बस का नहीं…आपको बहुत बहुत बधाई…आपने जो कुछ कहा है वो बिलकुल सत्य है…ब्लॉग चलाये रखने के लिए हिम्मत चाहिए…उम्मीद करते हैं की सैंकडो से हज़ार सब्सक्राइबर और लाख से दस लाख हिट्स तक शीघ्र ही पहुंचें…नीरज

  54. sunil patel said,

    September 16, 2009 at 10:45 am

    Suresh Ji,Accept congratulations.Keep writing.

  55. bat pate ki said,

    September 16, 2009 at 10:45 am

    इस उपलब्धी के आप वाकई में हकदार हैं…और इसके लिए आपको ढेरों बधाईयां..

  56. September 16, 2009 at 10:49 am

    एक सुझाव है, किसी दिन भारत तथा अन्य देशों की भाषाई गुलामी पर कोई पोस्ट लिखें.

  57. Abel said,

    September 16, 2009 at 12:30 pm

    बधाई हो सुरेशजी.

  58. anitakumar said,

    September 16, 2009 at 1:39 pm

    सुरेश जी आप को इस उपलब्धि के लिए ढेर सारी बधाई। सच में बहुत ऊर्जा और लगन चाहिए ये मुकाम हासिल करने के लिए।

  59. September 17, 2009 at 2:56 am

    बधाई,एक लाख से एक करोड़ हिट होते देखेंगे

  60. September 17, 2009 at 7:56 am

    प्रिय सुरेश जी बहुत बहुत बधाई। मैरे भी दो ब्‍लाग हैं। गुल्‍लक और यायावरी। भोपाल से हूं और फिलहाल बंगलौर में हूं। निश्चत ही आपके इस लेख से मुझ जैसे नए ब्‍लागरों को बहुत फायदा होगा। आपका ईमेल ढूंढ रहा था नहीं मिला। एक संदेश इसी बाक्‍स में डाल रहा हूं। मदद करें। शिक्षकों के लिए ई-मंच : टीचर्स आफ इंडिया यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि शिक्षक हमारी शिक्षा व्यवस्था के हृदय हैं। शिक्षा को अगर बेहतर बनाना है तो शिक्षण विधियों के साथ-साथ शिक्षकों को भी इस हेतु पेशवर रूप से सक्षम तथा बौद्धिक रूप से सम्पन्न बनाए जाने की जरूरत है।राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 में भी शिक्षक की भूमिका पर विशेष रूप से चर्चा की गई है। इसमें कहा गया है कि शिक्षक बहुमुखी संदर्भों में काम करते हैं। शिक्षक को शिक्षा के संदर्भों,विद्यार्थियों की अलग-अलग पृष्ठुभूमियों,वृहत राष्ट्रीय और खगोलीय संदर्भों,समानता,सामाजिक न्याय, लिंग समानता आदि के उत्कृष्ठता लक्ष्यों और राष्ट्रीय चिंताओं के प्रति ज्या्दा संवेदनशील और जवाबदेह होना चाहिए। इन अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए आवश्यृक है कि शिक्षक-शिक्षा में ऐसे तत्वों का समावेश हो जो उन्हें इसके लिए सक्षम बना सके। इसके लिए हर स्तर पर तरह-तरह के प्रयास करने होंगे। टीचर्स आफ इंडिया पोर्टल ऐसा ही एक प्रयास है। गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की प्राप्ति के लिए कार्यरत अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन (एपीएफ) ने इसकी शुरुआत की है। महामहिम राष्ट्र पति महोदया श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने वर्ष 2008 में शिक्षक दिवस इसका शुभांरभ किया था। यह हिन्दीर,कन्नीड़, तमिल,तेलुगू ,मराठी,उडि़या, गुजराती ‍तथा अंग्रेजी में है। जल्द ही मलयालम,पंजाबी,बंगाली और उर्दू में भी शुरू करने की योजना है। पोर्टल राष्ट्री़य ज्ञान आयोग द्वारा समर्थित है। इसे आप http://www.teachersofindia.org पर जाकर देख सकते हैं। यह सुविधा निशुल्क है। क्या है पोर्टल में ! इस पोर्टल में क्या है इसकी एक झलक यहां प्रस्तुत है। Teachers of India.org शिक्षकों के लिए एक ऐसी जगह है जहां वे अपनी पेशेवर क्षमताओं को बढ़ा सकते हैं। पोर्टल शिक्षकों के लिए-1. एक ऐसा मंच है, जहां वे विभिन्न विषयों, भाषाओं और राज्यों के शिक्षकों से संवाद कर सकते हैं। 2. ऐसे मौके उपलब्ध कराता है, जिससे वे देश भर के शिक्षकों के साथ विभिन्न शैक्षणिक विधियों और उनके विभिन्न पहुलओं पर अपने विचारों, अनुभवों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। 3. शैक्षिक नवाचार,शिक्षा से सम्बंधित जानकारियों और स्रोतों को दुनिया भर से विभिन्न भारतीय भाषाओं में उन तक लाता है। Teachers of India.org शिक्षकों को अपने मत अभिव्य्क्त करने के लिए मंच भी देता है। शिक्षक अपने शैक्षणिक जीवन के किसी भी विषय पर अपने विचारों को पोर्टल पर रख सकते हैं। पोर्टल के लिए सामग्री भेज सकते हैं। यह सामग्री शिक्षण विधियों, स्कूत के अनुभवों, आजमाए गए शैक्षिक नवाचारों या नए विचारों के बारे में हो सकती है। विभिन्न शैक्षिक विषयों, मुद्दों पर लेख, शिक्षानीतियों से सम्बंधित दस्तावेज,शैक्षणिक निर्देशिकाएं, माडॅयूल्स आदि पोर्टल से सीधे या विभिन्न लिंक के माध्यम से प्राप्त किए जा सकते हैं। शिक्षक विभिन्न स्तलम्भोंट के माध्यनम से पोर्टल पर भागीदारी कर सकते हैं। माह के शिक्षक पोर्टल का एक विशेष फीचर है। इसमें हम ऐसे शिक्षकों को सामने ला रहे हैं,जिन्होंने अपने उल्लेखनीय शैक्षणिक काम की बदौलत न केवल स्कूल को नई दिशा दी है, वरन समुदाय के बीच शिक्षक की छवि को सही मायने में स्थाकपित किया है। पोर्टल पर एक ऐसी डायरेक्टरी भी है जो शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही संस्थाओं की जानकारी देती है। आप सबसे अनुरोध है कि कम से कम एक बार इस पोर्टल पर जरूर आएं। खासकर वे साथी जो शिक्षक हैं या फिर शिक्षा से किसी न किसी रूप में जुड़े हैं। अगर आपका अपना कोई ब्लाग है तो इस जानकारी को या टीचर्स आफ इंडिया की लिंक को उस पर देने का कष्ट करें। पोर्टल के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप utsahi@gmail.com या utsahi@azimpremjifoundation.org पर संपर्क कर सकते हैं। तो आपका इंतजार रहेगा।

  61. September 17, 2009 at 12:01 pm

    Congrats for this ahievment ….!!I believe Hindi blogging will also achieve similar hights like english blogs.Really A Great job done by you ……

  62. September 17, 2009 at 7:11 pm

    बहुत बहुत बधाई आपकोइस उपलब्धी के आप वाकई में हकदार हैं…

  63. September 17, 2009 at 7:11 pm

    बहुत बहुत बधाई आपकोइस उपलब्धी के आप वाकई में हकदार हैं…

  64. gg1234 said,

    September 18, 2009 at 10:42 am

    badhai ho..

  65. September 18, 2009 at 6:33 pm

    सुरेश जी , बधाईयां स्वीकार करें.खामोश क्रांति की अवधारणा में काफ़ी दम है.आप चले अकेले थे, मगर देखिये आपके हमराह अब कितने हैं.यूं हि लिखते रहें…..

  66. September 19, 2009 at 7:53 am

    बहुत बहुत बधाई । निश्चय ही संतोष देने वाली खुशखबरी सुनायी आपने । नयी खबर का इंतजार है । आभार ।

  67. September 19, 2009 at 3:10 pm

    sureshji apka bahut bahut dhnaywaad………main in dono ko nahin jaanta……..

  68. मनुज said,

    September 20, 2009 at 7:47 pm

    आपको हार्दिक बधाई सुरेश जी, लिखते रहिये!!!


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