राजा बाबू और नीरा राडिया की जुगलबन्दी, 2G स्पेक्ट्रम महाघोटाला और सीबीआई के कुछ गोपनीय दस्तावेज… (अंतिम भाग) … Spectrum Scandal, A Raja, Neera Radia, CBI, PMO (Part-3)

भाग-1 में हमने देखा कि 2G स्पेक्ट्रम घोटाला क्या है, तथा भाग-2 में हमने देखा कि इस महाघोटाले को कैसे अंजाम दिया गया तथा पैसा किस प्रकार ठिकाने लगाया गया, इस वजह से अब उन पत्रों और दस्तावेजों के मजमून में से कुछ खास-खास बातें पेश करने पर किसी को भी इसे समझने में आसानी होगी, कि किस तरह से उद्योगपति-नेता-अफ़सर का बदकार त्रिकोण हमारे देश को लूट-खसोट रहा है… पेश है तीसरा और अन्तिम भाग…

चूंकि पत्रों-दस्तावेजों की स्कैन प्रति यहाँ अटैच कर ही रहा हूं, इसलिये उसमें उल्लेखित सिर्फ़ कुछ खास-खास बातें ही लिखूंगा… ऐसा करने पर भी लेख लम्बा हो गया है… अतः अधिक विस्तार से पढ़ने के लिये उस पर चटका लगाकर अक्षर बड़े करके पढ़ा जा सकता है –

राजा बाबू को मंत्री बनवाने के समय राजा-राडिया और कनिमोझी के किये गये फ़ोन टेप का चित्र यह है,
जिसमें नीरा, कनिमोझी से कहती हैं – “DMK के कोटे से कौन मंत्री बनेगा कौन नहीं बनेगा इससे प्रधानमंत्री को कोई मतलब नहीं है…प्रधानमंत्री ने कहा है कि उन्हें टीआर बालू अथवा ए राजा से कोई तकलीफ़ नहीं है, दयानिधि मारन ने गुलाम नबी आज़ाद से बात की है, लेकिन अन्तिम निर्णय तो करुणानिधि का ही होगा…, प्रधानमंत्री के सामने पाँच मंत्रालयों की माँग रख दी है और कह दिया है कि यदि नहीं मिले तो हम सरकार में शामिल नहीं होंगे…”
दूसरे फ़ोन में नीरा, राजा बाबू से कहती हैं, “अझागिरी या मारन में से कोई एक मंत्रिमण्डल में आ सकता है, लेकिन एक ही परिवार के तीन लोग होंगे तो करुणानिधि को इसकी सफ़ाई देना मुश्किल होगा… कपड़ा मंत्रालय या उर्वरक मंत्रालय? राजा बाबू कहते हैं कि “हाँ… एक ही परिवार के तीन लोग मंत्री, मुश्किल तो होगी… लेकिन राजनीति में यह तो चलता है…” (हँसते हैं…) खैर देखते हैं आगे क्या होता है…। अन्ततः टाटा और राडिया मिलकर मारन को मंत्रिमण्डल से बाहर रखने में सफ़ल होते हैं… और जमकर सौदेबाजी के बाद DMK के लिये 5 मंत्रालय दिये जाते हैं।

अगले पत्र में सीबीआई के आईपीएस अधिकारी श्री विनीत अग्रवाल ने श्री मिलाप जैन को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने केस क्रमांक और दिनांक के उल्लेख सहित इस बात को रेखांकित किया है कि नीरा राडिया की कम्पनी नोएसिस कंसल्टेंसी इस पूरे षडयंत्र में पूरी तरह से शामिल है, और इन लोगों पर कड़ी नज़र रखने की जरूरत है, चाहे फ़ोन टेपिंग ही क्यों न करनी पड़े…और इससे जाँच के काम में मदद मिलेगी…

पत्र क्रमांक 2, श्री आशीष अबरोल (आयकर संयुक्त आयुक्त) द्वारा श्री विनीत अग्रवाल को लिखा गया, जिसमें अबरोल ने कहा है कि CBDT से मिली सूचना के आधार पर (गृह सचिव की अनुमति से) नीरा राडिया की फ़ोन लाइनें निगरानी पर ली गई हैं। नीरा राडिया की कम्पनियाँ नोएसिस, वैष्णवी कंसल्टेंसी, विटकॉम और न्यूकॉम, सरकार के विभिन्न विभागों जैसे, टेलीकॉम, पावर, एवियेशन, और इन्फ़्रास्ट्रक्चर में खामख्वाह दखल और सलाह देती हैं। पत्र में दो प्रमुख बातें हैं –
1) यह स्पष्ट है कि नीरा राडिया का टेलीकॉम लाइसेंस के मामले में कुछ भूमिका है।
2) नीरा राडिया और संचार मंत्री के बीच अक्सर सीधी बातचीत होती रहती है।

(अर्थात आयकर, सीबीआई, CBDT तीनों विभागों की निगरानी राडिया और राजा पर थी और इसमें सरकार की सहमति, अनुमति और जानकारी थी…) जबकि सरकार लगातार (आज भी) कहती रही है कि किसी की भी फ़ोन टैपिंग नहीं की गई है…

अगला दस्तावेज़, CBDT के श्री सुधीर चन्द्रा को सम्बोधित किया गया है, और इसमें सौदे में Unitech कम्पनी की संदिग्ध भूमिका, उसकी अनियमितताएं आदि के बारे में बाकायदा टेबल बनाकर बताया गया है, कि किस तरह यूनिटेक ने फ़र्जी लोन एंट्रियाँ दर्शाईं, और केपिटल गेन के 240 करोड़ रुपयों को भी हेराफ़ेरी करके दिखाया।

अगला चित्र इसी का दूसरा पेज है, जिसमें बताया गया है कि अमेरिका के लेहमैन ब्रदर्स के धराशाई हो जाने पर यूनिटेक घबरा गई तब नीरा राडिया ने ही टाटा रियलिटी से कहकर यूनिटेक के लिये 650 करोड़ का एडवांस जुगाड़ करवाया (इसे कहते हैं हाईटेक हाईफ़ाई दल्लेबाजी)। यूनिटेक ने टाटा को जो चेक दिये वह बाउंस हो गये जबकि राडिया ने प्रेस कान्फ़्रेंस में कहा था कि उस एडवांस का हिसाब-किताब हो चुका है। नीरा राडिया ने ही यूनीटेक को लाइसेंस दिलवाने में मुख्य भूमिका निभाई।

अगला पत्र आयकर विभाग की अन्तरिम जाँच रिपोर्ट (जून 2009) का है, जिसमें विभाग द्वारा सरकार को रिपोर्ट पेश की गई है कि नीरा राडिया की कम्पनियों की 9 लाइनों को 180 दिनों तक लगातार निगरानी और टेप किया गया, और इस बातचीत से पता चलता है कि टेलीकॉम, पावर और एवियेशन (उड्डयन) मंत्रालय में इन चारों फ़र्मों की गहरी पैठ है तथा इनके द्वारा कई काम करवाये गये हैं (अर्थात जून 2009 में ही सरकार को पता चल गया था कि राडिया-राजा के बीच जमकर घी-खिचड़ी है, तब भी राजा बाबू को दूरसंचार मंत्रालय सौंपने में “ईमानदार” बाबू को कोई अड़चन नहीं आई?)

अगले पत्र में विभाग की जुलाई 2009 की अन्तरिम जाँच रिपोर्ट है, जिसमें सरकार को बताया गया है कि फ़ोन पर सुनी गई बातों के मुताबिक, सरकार के गोपनीय दस्तावेज और सरकार की नीतियों सम्बन्धी जानकारी राडिया की कम्पनियों को कहीं से लीक हो रही है। टेपिंग के अनुसार अफ़्रीका के गिनी अथवा सेनेगल देशों से भी भारी मात्रा में पैसों के लेनदेन की बात सामने आई है। यह बात भी सामने आई है कि बड़ी मात्रा में निवेश करके भारत के किसी चैनल को खरीदने और अपने पक्ष में तथा विरोधी को परेशान करने के लिये अदालतों में NGOs द्वारा जनहित याचिका लगाने के लिये पैसा दिया जा रहा है। (तात्पर्य यह कि यह सब काले धंधे सरकार को जुलाई 2009 में ही पता चल चुके थे, तब भी “भलेमानुष” हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे? और आज भी कह रहे हैं कि “जाँच जारी है…)

अगला दस्तावेज़ कहता है कि “भारतीय टेलीकॉम के बेताज बादशाह” (अर्थात सुनील भारती मित्तल), नीरा राडिया की मदद से ए राजा से मधुर सम्बन्ध बनाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि दक्षिण अफ़्रीका की कम्पनी के अधिग्रहण करने में आसानी हो (हालांकि राजा के मंत्री बनने से पहले भारती मित्तल पूरी कोशिश कर चुके थे कि राजा मंत्री न बनने पायें)। इसी पत्र में बताया गया है कि राडिया की “विटकॉम” कम्पनी NDTV इमेजिन का भी काफ़ी कामधाम संभालती है (शायद इसीलिये बरखा दत्त, राडिया की लॉबिंग में लगी थीं), “वैष्णवी” कम्पनी टाटा समूह के “पर्यावरण सम्बन्धी” मामलों का “निपटारा” करती है, जबकि “न्यूकॉम” कम्पनी मुकेश अम्बानी की कुछ कम्पनियों की देखरेख करती है। (अब बताईये भला, टाटा-अम्बानी जैसों से मधुर सम्बन्ध रखने वाली राडिया का बाल भी बाँका हो सकता है क्या?) टेलीफ़ोन टेपिंग से पता चला कि जिन चार कम्पनियों को राडिया ने प्रमुख स्पेक्ट्रम और लाइसेंस दिलवाये उसमें से DataComm कम्पनी को वीडियोकॉन के धूत साहब ने मुकेश अम्बानी समूह के एक खास रसूखदार मनोज मोदी से साँठगाँठ कर खड़ा किया, मनोज मोदी भी लगातार नीरा राडिया के सम्पर्क में बने रहे हैं।

इसी दस्तावेज के अगले पेज पर भी टेलीफ़ोन टेपिंग से सम्बन्धित सीबीआई के कुछ नोट्स हैं – जैसे कि रतन टाटा और नीरा राडिया के बीच लम्बी बातचीत हुई जिसमें टाटा ने दयानिधि मारन को किसी भी कीमत पर मंत्री बनने से रोकने सम्बन्धी पेशकश की है। अप्रत्यक्ष रूप से रतन टाटा Aircell (एयरसेल) कम्पनी के मालिक हैं, और उन्होंने कह दिया था कि यदि मारन संचार मंत्री बने तो वे टेलीकॉम का धंधा ही छोड़ देंगे। नीरा राडिया और कनिमोझी (करुणानिधि की पुत्री) की तरफ़ से बरखा दत्त और वीर संघवी, राजा को मंत्री बनवाने के लिये कांग्रेस में बातचीत कर रहे थे। जबकि दूसरी तरफ़ एयरटेल (मित्तल) चाहते थे कि राजा को मंत्री नहीं बनने दिया जाये और उसे अपना मनपसन्द स्पेक्ट्रम मिल जाये, क्योंकि अनिल अम्बानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस को वह अपना प्रमुख प्रतिद्वंद्वी मानते हैं। बरखा दत्त और नीरा राडिया की इस काम में मदद के लिये तरुण दास, वीर संघवी तथा सुनील अरोरा (राजस्थान कैडर के एक IAS) तैनात थे। इसी प्रकार भारती एयरटेल चाहती थी कि मारन संचार मंत्री बन जायें ताकि CDMA लॉबी की बजाय GSM लॉबी में प्रभुत्व जमाया जा सके। सुनील मित्तल ने राडिया के समक्ष उनके लिये काम करने की पेशकश भी की, लेकिन राडिया ने कहा कि जब तक वे उधर हैं “टाटा” के हितों पर आँच आने जैसा कोई काम नहीं करेंगी। फ़ोन टेप से यह भी पता चला कि सुहैल सेठ के निवास पर सुनील मित्तल से मिलने एक तीसरा व्यक्ति आया था जो कि राडिया और मित्तल के बीच की कड़ी की तरह काम कर रहा था, यही व्यक्ति बाद में मुकेश अम्बानी से भी मिला और उन्होंने नीरा राडिया और सुनील मित्तल के बीच चल रही संदेहास्पद चालों पर अप्रसन्नता व्यक्त की।

अर्थात नीरा राडिया की घुसपैठ लगभग प्रत्येक बड़े उद्योग घराने, मीडिया के प्रमुख लोगों तथा स्वाभाविक रुप से राजनीतिकों तक भी थी… अगले पत्र में यह बताया गया है कि किस तरह से नीरा राडिया के दो सहयोगियों अमित बंसल और आरएस बंसल ने यूनीटेक के लिये पैसों की जुगाड़ की, यूनिटेक को रीयल एस्टेट के धंध मे हुए नुकसान की भरपाई किस तरह करवाई, किस तरह से सरकार को चूना लगाने हेतु काम किया, आदि-आदि। नीरा राडिया और जहाँगीर पोचा, “नईदुनिया” के छजलानी के भी निरन्तर सम्पर्क में थे, ताकि भारत में एक न्यूज़ चैनल शुरु किया जा सके (सम्भवतः न्यूज़ 9X) जिसे बाद में पीटर और इन्द्राणी मुखर्जी अधिग्रहण कर सकें। लगभग सभी मामलों में काम करने का तरीका एक ही था, मीडिया वालों और बड़े पत्रकारों को महंगे उपहार जैसे कार, विदेश यात्रा (और शायद पद्मश्री भी?) आदि का लालच देकर अपने पक्ष में करना

झारखण्ड में टाटा एक खदान की लीज़ बढ़वाना चाहते थे, मधु कौड़ा उनसे 180 करोड़ मांग रहे थे, लेकिन राडिया ने झारखण्ड के राज्यपाल की मदद से टाटा को खदान की लीज़ आगे बढ़वा दी, उसकी उन्हें फ़ीस (आँकड़ा मालूम नहीं) मिली। नीरा राडिया का वित्तीय कारोबार अफ़्रीकी देशों में भी फ़ैला हुआ है, इसीलिये उनकी फ़र्म “ग्लोबल मिनरल्स” के जरिये अफ़्रीकी देशों में पैसा निवेश करने के लिये करुणानिधि के CA मुथुरामन और IAS अधिकारी प्रदीप बैजल उनसे एक ई-मेल में अनुरोध करते हैं।

ADAG और रिलायंस के झगड़ों, हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स में मुकेश अम्बानी की दिलचस्पी, राडिया और मनोज मोदी द्वारा रिलायंस कम्युनिकेशंस को घेरने के षडयन्त्र, मनोज मोदी के मार्फ़त दिल्ली के एक NGO को पैसा देकर न्यायालय में फ़र्जी जनहित याचिकाएं दायर करने… इत्यादि बातों के बारे में पढ़ने के लिये अगला चित्र देखें…

डॉ स्वामी ने आरोप लगाया है कि इस सौदे में सोनिया गाँधी के  केमैन आइलैण्ड स्थित बैंक ऑफ़ अमेरिका के खाते में करोड़ों डॉलर की एंट्रियाँ हुई हैं…। राजनैतिक (और बौद्धिक) क्षेत्रों में अक्सर डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी को गम्भीरता से नहीं लिया जाता, इसकी वजह या तो स्वामी का अधिक बुद्धिमान होना है या फ़िर राजनैतिक दलों में उनके तर्कों के प्रति घबराहट का भाव… कारण जो भी हो, लेकिन डॉ स्वामी ने अकेले दम पर सोनिया गाँधी के खिलाफ़ उनकी नागरिकता, उनके KGB से सम्बन्धों, उन पर बहुमूल्य कलाकृतियों की स्मगलिंग आदि के बारे में कोर्ट केस, आरोपों और याचिकाओं की झड़ी लगा दी है। यदि विपक्ष में जरा भी दम होता और वह एकजुट होता तो उसे डॉ स्वामी का साथ देना चाहिये था? जरा डॉ स्वामी द्वारा प्रेस विज्ञप्ति में जारी विभिन्न आरोपों की सूची देखिये… http://www.janataparty.org/pressdetail.asp?rowid=58

इस महाघोटाले के सम्बन्ध में और भी पढ़ना चाहते हैं तो निम्न लिंक्स पर जाकर देख सकते हैं…

1) http://www.hinduonnet.com/fline/fl2601/stories/20090116260112800.htm

2) http://jgopikrishnan.blogspot.com/2009/03/spectrum-scandal-and-telecom-ministers.html

3) http://www.businessworld.in/bw/2009_10_24_CBI_Raid_Turns_The_Heat_On_DoT.html

4) http://www.telecomasia.net/content/proving-charges-tricky-indias-spectrum-scandal

सारे मामले-झमेले का लब्बेलुबाब यह है कि सीबीआई के अधिकारी और पुलिस जानती है कि किस नेता या उद्योगपति की असल में क्या “औकात” है, किस-किस ने अपने हाथ कहाँ-कहाँ गन्दे किये हुए हैं, लेकिन सीबीआई हो, पुलिस हो या चाहे सेना ही क्यों न हो… सभी के हाथ बँधे हुए हैं, जनता को महंगाई के बोझ तले इतना दबा दिया गया है कि उसे अपनी रोजी-रोटी से ही फ़ुर्सत नहीं मिलती… विपक्षी दलों की पूँछ भी सीबीआई के डण्डे तले ही दबा दी गई है, 95% मीडिया या तो बिका हुआ है अथवा “विचारधारा” के आधार पर लॉबिंग कर रहा है। गिने-चुने हिन्दी ब्लॉगर, 50-100 अंग्रेजी ब्लॉगर और कुछ स्वतन्त्र पत्रकार जिन्हें बमुश्किल 1000-2000 लोग भी नहीं पढ़ते, अपना सिर फ़ोड़ रहे हैं, भला ऐसे में जनता तक बात पहुँचेगी कैसे? 

बहरहाल, प्रस्तुत लेख सीरिज में जो भी दस्तावेज़ पेश किये गए हैं उनमें से कुछ इंटरनेट से, कुछ पत्रकार मित्रों से तथा कुछ अन्य सहयोगियों से ई-मेल पर प्राप्त हुए हैं… इनकी विश्वसनीयता की जाँच कर सकना, मेरे जैसे सीमित संसाधनों वाले आम आदमी के बस की बात नहीं है, लेकिन यह बात भी उतनी ही सच है कि इसमें से (बल्कि इससे भी अधिक) गोपनीय दस्तावेज़ देश के लगभग सभी प्रमुख मीडिया संस्थानों और बड़े-बड़े पत्रकारों के पास पहले से ही मौजूद हैं। उनमें से सभी ने इस मामले को दिखाने-छापने से या तो परहेज किया अथवा अपने-अपने स्वार्थ पूर्ति के अनुसार काट-छाँट कर प्रकाशित किया, ऐसा करने के पीछे उनके “आपसी व्यावसायिक सम्बन्ध” हैं।

राजा बाबू आज भी तनकर चल रहे हैं, नीरा राडिया सारा माल-असबाब समेटकर लन्दन में आराम फ़रमा रही हैं… उद्योगपति-IAS अफ़सर के गठजोड़ मस्ती छान रहे हैं, आज तक भ्रष्टाचार के किसी मामले में किसी नेता को सलाखों के पीछे नहीं भेजा जा सका है… तो इसके पीछे कब्र में पैर लटकाये बैठे उनके करुणानिधि टाइप के सैकड़ों मसीहा, “ऊपर” से आदेश लेकर हर काम करते हमारे भलेमानुष प्रधानमंत्री, “त्यागमूर्ति” और भारत के युवाओं को सपने बेचते भोंदू युवराज, गठबन्धन की कीचड़नुमा राजनीतिक मजबूरी, हमारा सड़ा हुआ लोकतांत्रिक सिस्टम, और कुछ हद तक “लूट से बेखबर”, वोटिंग के दिन घर पर आराम फ़रमाने वाले हम-आप-सभी मिलजुलकर जिम्मेदार हैं…

इति श्री 2G स्पेक्ट्रम महाकथा स्रोत सम्पूर्णम्

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34 Comments

  1. May 14, 2010 at 7:05 am

    जनता तो है ही पिसने के लिये और पिस ही रही है, मजे तो ये पहली टिप्पणी वाले लोग ही कर रहे हैं, खाओ भी उसी थाली में और जब पेट भर जाये तो उसी को कोसो और दूसरे को भी मत खाने दो।

  2. Cyril Gupta said,

    May 14, 2010 at 7:18 am

    देश की कीमत पर पूंजी बनाना राष्ट्रद्रोह है. बेईमानों को जल्द से जल्द सरकार से बाहर कर उनके खिलाफ इमानदार आफिसरों से जांच करवा उन्हें सजा दिलवानी चाहिये.आज आप जागृत हैं. आपकी मदद से और भी जागृत होंगे.इस बारे में और बात होनी चाहिये.

  3. May 14, 2010 at 7:39 am

    @ सलीम – ये तुम्हारे समझने लायक पोस्ट है भी नहीं… तुम सिर्फ़ "एक ही किताब" समझते हो, तो वहीं रहो जितना तुम्हारा दिमाग है, क्यों खामखा टिप्पणी करते हो, इससे तुम और भी Expose हो जाते हो। 🙂

  4. man said,

    May 14, 2010 at 7:48 am

    सचाई आंखे खोल देने वाली हे सर ,लकिन दुख हे की ये बाते ज्यादा दूर तक नहीं जा पायेगी अरबो के वारे न्यारे कर रहे ये लोग …और दो जून की रोटी के लिए पिस्ता ये पूरा ७०% गरीब और लाचार भारत ..क्या ये तस्वीर हमें कोई विकास शील देश की कहानी कह रही हे ?क्या ऐसे अंत हीन घोटालो का कंही अंत होगा या ऐसे लुंज पुंज चूतिये टाइप इमानदार के हाथो अपना देश के भविष्य खेलता रहेगा ?????????????

  5. May 14, 2010 at 8:27 am

    ब्लॉग जगत की तरह पत्रकारिता में भी 'ग़लत' लोग घुस आए हैं… जिनका बस एक ही 'मिशन' होता है… सिर्फ़ अपना उल्लू सीधा करना…

  6. May 14, 2010 at 8:45 am

    सुरेश जी , आपकी इस मेहनत के परिणाम भले ही जो भी हो , ( इन मोटी चमड़ी के बेशर्मों पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला )लेकिन आपने अपना धर्म निभाया , जिसके लिए मेरा नमन !

  7. May 14, 2010 at 9:01 am

    फ़िरदौस जी से सहमत

  8. May 14, 2010 at 9:09 am

    सुरेश जी मैं तो बहुत दुखी हूँ,तभी तो पूरे देश से सर पर कफन बांधने के लिए कह रहा हूँ / इन कुकर्मियों ने लोकतंत्र को दलाल तन्त्र और पता नहीं कैसे-कैसे कुकर्म तन्त्र में बदल दिया है / आपकी अच्छी सोच और उम्दा पोस्ट के लिए आपको धन्यवाद /

  9. May 14, 2010 at 9:13 am

    पाठकों की माँग पर सलीम खान की अति-मूर्खतापूर्ण टिप्पणी हटाई गई है, क्योंकि वह विषय से हटकर भी थी और गलीज़ मानसिकता वाली भी थी… 🙂

  10. May 14, 2010 at 9:26 am

    अच्छा किया सुरेश जी आपने. इसी सम्बन्ध में आज का मेरा लेख पढ़े.

  11. May 14, 2010 at 9:37 am

    वकई इसे ही लोकतंत्र, जिसमे जनता को जितना लूट सको उतना ही अच्‍छा है। आज कल ही महाअंक पढ़ सका हूँ, पिछले भी पढ़कर पूरी टिप्‍पणी करूँगा।

  12. kunwarji's said,

    May 14, 2010 at 9:39 am

    अब शायद मेरे उस कमेन्ट की भी जरुरत नहीं!सच में आपको पढ़ कर ब्लॉग्गिंग के मायनों का पता चलता है!अपनी प्रतिभा और उर्जा का कैसे प्रयोग करना चाहिए पता चलता है!इस विषय पर इस से बेहतर और सब स्पष्ट करने वाला लेख और दूसरा नहीं हो सकता!गोदियाल जी से सहमत!कुंवर जी,

  13. May 14, 2010 at 9:46 am

    राजा जी देश को लूटे चलो, जनता जिसे तुम लोग महामूर्ख समझते हो है (समझना क्या है, वो है ही) वो तुम्हे फिर से वोट दे के जिता देगी, फिर आके जो बचा खुचा रहे लूट लेना…..=======बिहार के पिछले विधानसभा चुनावों की बात है (जिसमें राजग का शासन आया), उस समय लालू भैया के चमचों की तरफ से आम जनता में यह बात समझाया जा रहा था कि, तुम किसी और को वोट मत दो, ये लोग भी आकर पहले अपना पेट ही भरेंगे। चूंकि इतने सालों तक लालू जी ने शासन किया है, तो अपना, अपने परिवार, साले-बहनोई सबका अच्छी तरह पेट भर दिया है, अबकी बार हमारे लालू भैया आएंगे ना तो बिहार के विकास के लिए काम करेंगे….

  14. May 14, 2010 at 9:52 am

    बेईमान और देश का सौदा करनेवाले व्यापक तंत्र के बीच कुछ गिनती के लोग हैं जो भारत को भारत बनाये रखने की दिशा में अलख जगाये हुए हैं.क़ानून सबूत और प्रशन सामने है. पद, कर्त्तव्य और आदेश अब किस दिशा में चलेगा ये देखने की बात है.इस श्रमसाध्य कार्य के लिए आपको पुनः: बधाई.

  15. May 14, 2010 at 10:04 am

    सभी ब्लॉग लेखकों, पाठको से अपील है की, इस तरह के खबर को अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाए, इन्टरनेट मीडिया से बाहर के मोहल्ले, समाज, दफ्तरों में चर्चा करें. विभिन्न विभागों को इमेल करें. विरोध स्वर को मुखर करें.ज्यादा से ज्यादा जनजागरण करने की जरुरत है. मंजिल दूर है परन्तु असंभव नहीं.

  16. May 14, 2010 at 12:23 pm

    इस किश्त में आप चूक गये. इसे और भी बेहतर तरीके से सामने रखा जा सकता था.

  17. May 14, 2010 at 1:05 pm

    टी.वी. तो आजकल देख नही पाता.एक वीडियो यहाँ देखनो को मिली – http://www.youtube.com/watch?v=urBsk9IXqY0&feature=player_embedded

  18. May 14, 2010 at 1:17 pm

    आदरणीय सुरेशजी,सादर प्रणाम, आप ऐसी ख़ुफ़िया और गुप्त सूचनाए जुटाते कहाँ से है. ?? यार आप आँखे क्या नाक , कान , मूह और खोपड़ी सब खोलकर रख देते.है.. मान गये जनाब आपको, आपके ब्लॉग पर आने के बाद पता चला की रांड़ पार्टी कांग्रेस मे क्या हो रहा है.. वरना हम जैसे चूतियो को तो ये भी नही मालूम की हर दिन हमारा गला कटा जा रहा है.. आज मान गये साहब की इसे कहते है खोजी पत्रकारिता.. वरना. सलीम ख़ान , नवभारत टाइम्स के नीरेंद्र नगर, आलोक पुराणिक, जैसे लोगों को सोनिया ने और कांग्रेस ने ना जाने क्या खिला दिया.. बस भड़ड़ूवे की तरह भांड बनकर कांग्रेस का झुनझुना बजाते रहते है.. राहुल बाबा ने चप्पल पहन ली, सोनिया मम्मी ने धोती पहन ली. मनमोहन काका ने लंगोट उतार ली इत्यादि.. साले पत्रकार के नाम पर कलंक है ये लोग. जिन्हे अपनी धोने का पता नही वो देश की समाज की क्या धोएंगे,,. !!!! खैर जाने दीजिए, सुरेश जी.. पर आप के ब्लॉग पर आकर लगा यार इस देश मे कोई है जिसने अपना जमीर नही बेचा.. में आपकी बड़ाई नही करूँगा पर दिल से कहता हूँ की आप मे कुछ बात है, आप लिखते रहिए, ऐसे ही लिखिए, दिल खोल के लिखिए.. देखते है कौन सला सेक्युल्रिसम का चमचा आपका क्या बिगड़ता है.. पर इतना पका है अबकी बार चुनावों मे राजस्थान मे आपके ब्लॉग से हम एक नयी सुरुवात करेंगे..( जिसमे सोनिया जैसी चुड़ैल, कॉंग्रेसी भेड़ियों, के बारे मे आपने जो लिखा है वो अब पूरे समाज के सामने लाएँगे. आशा है आप हमेशा यूँही अपनी धारदार लेखनी से लिखकर इनकी फाड़ ते रहेंगे.. धन्यवादम साधुवाद,AAPKA ANUYAYI,Rajendra

  19. man said,

    May 14, 2010 at 2:44 pm

    खुशवंत सिंह ,कुलदीप नेयार ,जेसे बूढ़े वफादार पालतू कुते ,सोनिया तै के सामने पूंछ हिलाते हे तो राजदीप सरदेसाई ,कारन थापर जेसे जवान (बंध्या) गंडक कलाबजिया दिखाते हे ,,सालो को इसके बदले भारी पैकेज जो मिलता होगा ,पंजाब केसरी जेसे के अश्वनी के हाथ भी कंही ने कंही कीसीने बांध दिए हे …

  20. Pranay said,

    May 14, 2010 at 3:11 pm

    Sureshji bahut bahut dhanyawad………. Bahut dukh hua yeh jankar ki bharat ke ek se badkar ek vyapari is desh ko lutane khasotane me lage hue hai…… Pehale kuchh Vyavsayio ke prati achchhi soch thi parntu aapke is lekh ko padane ke bad wah bhi badal gayi………Aaj jo vyakti achchha dikhata usake pichhe usaka achchha hona nahi hai…….. Usane kitana paisa Media ko bata hai yeh hai…….Aaj yeh log Directors ko paisa batkar apni vah vahi ke liye achchhi filme banva lete hai……parantu vastav me yeh log kya hai yeh to aap jaise logo ke madhyam se hi pata chalta hai…….waise jab me is comment ko post kar raha hu…….. mera man ro raha hai……… Kya hoga is desh ka, Yadi in jaise corrupt logo ka kuchh nahi hua………..Bas ab to aap jaise logo ke lekh Tino senadhyaksho tak pahuchate rahe aur kisi din bhagwan unhe sadbuddhi de de aur woh is desh ko bacha le…..Vande Matram Vande Matram Vande Matram

  21. May 14, 2010 at 3:19 pm

    I am following your blog for years. you are serving the nation in true sense. plz carry on the good work. bharat mata ki jay.

  22. man said,

    May 14, 2010 at 4:10 pm

    चाइना या अमेरिका होता तो अभी पिछवाडा भंगार हो जाता …ए रजा का …साल्ल्ला शकल से ही चोर लगता हे ..और ये जो महिला दलाल कंसलटिंग कम्पनी की आड़ लेकर जो सोदे बाजी करने वाली हाय प्रोफाइल रा डे होती हे सबसे खतरना क होती हे …..किसी भी तरह ये काम निकलने में माहिर होती हे ,,,,चाहे ए रजा जेसे चूने हुवे भेडिये को किसी भी तरह खुश किया होगा ??खुद ने ही mand ली होगी ????????????????/

  23. May 14, 2010 at 5:56 pm

    घर के बैरी लंका ढाएँ

  24. Dhananjay said,

    May 14, 2010 at 7:31 pm

    Abhi khabar aa rahi hai ki ye poora mamla 1,00,000 crore ka hai. Yani around 1.5% of our GDP. Whoops…what these *&%%%#@ people would do of this much money? Marne ke baad kya ek chavanni bhi apne saath le kar jaa sakate hain ye log? Har shaakh pe ullu baitha hai…. Totally hopeless situation!!!!

  25. sunil patel said,

    May 14, 2010 at 7:49 pm

    धन्यवाद सुरेश जी.वाकई बड़े शर्म की बात है की इतना बड़ा घोटाला उजागर होने के बाद भी प्रधान मंत्री जी चुप चाप बेठे है. सत्ता जो न कराय ……. सुरेश जी आप लिखते रहिये, लोग जुड़ते रहेंगे, पढ़ते रहेंगे, कभी तो बदलाब आएगा.

  26. May 15, 2010 at 4:33 am

    सुंदर एक्सपोजर के बधाई।

  27. May 15, 2010 at 7:06 am

    कुछ शब्द लिख रहा हूं शार्ट में, हटाइयेगा मत…ये सा…… ह……सू.कु…. के पि…. नेताओं, अधिकारियों और उद्योगपतियों देश की जनता के साथ रोज बलात्कार करते हैं… सबके लिये दोषी है वह जिसने जनता को मंहगाई, अशिक्षा, बेरोजगारी का उपहार देखकर उसे नपुंसक बना दिया… मरता हुआ देश है गिद्ध नोच रहे हैं… कसाई के काम के लिये सली एण्ड कम्पनी है..

  28. May 15, 2010 at 11:30 am

    सुरेश जी इस कड़ी के तीनो लेख पड़े . काफी बाते समझ में ही नहीं आयीं. उन में समझ में न आने वाली बातो में एक बात प्रमुख है अगर समझा सकें तो अहसानमंद होऊं गा -हर शाख पर उल्लू बैठे हैं, अंजाम-इ-गुलिस्तान क्या होगा?

  29. May 16, 2010 at 2:41 am

    जागरूकता फ़ैलाने वाले आपके आलेखों का हृदय से स्वागत व आभार |इसे ही कहते है सार्थक ब्लोगिंग 🙂

  30. May 17, 2010 at 11:31 am

    भाऊ ये पोस्ट साबित करता है कि देश की सत्ता ठीक हाथो मे कतई नही है !देश को इस सरकार को चयन करने का दोष लम्बे समय तक भोगना होगा !

  31. aarya said,

    May 17, 2010 at 2:07 pm

    सादर वन्दे !भाई साहब, आप के इस प्रयाश को क्या कहूँ/ बस नमन करता हूँ

  32. Kautilya said,

    May 18, 2010 at 6:29 am

    प्रिय सुरेशजी, नीरा राडिया और अनंत कुमार के संबंधों पर भी आपको थोडा प्रकाश डालना चाहिए था।

  33. May 18, 2010 at 9:08 am

    अगर खोदते खोदते गहराई में जाएंगे तो पाएंगे कि सभी एक ही हमाम में पड़े है.

  34. May 18, 2010 at 10:59 pm

    I wish you all the best and assure you that i am with you….u r really workig hard..keep it up man !!


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