एक पराक्रमी चित्र और कुछ आसान सवाल (एक नैनो पोस्ट)…

नीचे दिया गया चित्र देखिये और फ़िर कुछ उत्तर देने की कोशिश कीजिये…

1) क्या इस “पराक्रम” के लिये बजाज ऑटो कम्पनी को धन्यवाद दिया जाना चाहिये? क्योंकि इतने नारियल लादने के बावजूद ऑटो चल रहा है।

2) क्या इस पराक्रम के लिये ऑटो ड्राइवर को सलामी देनी चाहिये?

3) क्या इस पराक्रम के लिये उस मजदूर (मजदूरों) को सलामी देनी चाहिये, जिन्होंने इतने सारे नारियलों को इस खूबसूरती से जमाया और बाँधा, कि न तो नारियल गिरने पायें और न ही ड्राइवर को ऑटो चलाने में कोई तकलीफ़ हो?

4) क्या उस रास्ते-गली-मोहल्ले में तैनात पुलिस या ट्रैफ़िक जवान को भी विशेष धन्यवाद अदा किया जाना चाहिए, जिसने इस “सर्कस” को देखकर भी अनदेखा किया?

5) सबसे बड़ा सवाल, यह तस्वीर किस देश की हो सकती है, भारत-श्रीलंका-बांग्लादेश-मालदीव-मलेशिया-इंडोनेशिया-पाकिस्तान-बर्मा या नेपाल?

क्योंकि यह तो पक्का है कि तस्वीर किसी ऐसे देश की ही है, जो पूरी तरह से “भदेस”, अनुशासनहीन, रिश्वतखोर, जुगाड़ू किस्म का और गैरकानूनी कामों में अव्वल है, और ऐसा देश दक्षिण-एशिया क्षेत्र छोड़कर कहाँ मिलेगा…

कहीं यह चित्र कम्प्यूटर ग्राफ़िक्स का कमाल तो नहीं? जैसे कुछ सवाल आपके मन भी उठ रहे होंगे, उसे भी लिख डालिये…
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नोट – कभीकभार ऐसी “फ़ालतू किस्म की पोस्ट” लिखने की इच्छा भी हो जाती है… इसे झेल जाईये…

चित्र – ईमेल से प्राप्त

31 Comments

  1. June 9, 2010 at 7:54 am

    एक सवाल बाकी रह गया था – कहीं इस ऑटो का ड्राइवर वॉरेन एण्डरसन तो नहीं, जिसने "मुनाफ़े" को वरीयता दी है, "सुरक्षा" को नहीं? 🙂 🙂

  2. June 9, 2010 at 7:56 am

    या कहीं यह "लालू" तो नहीं, जो जनता को बकरियाँ समझते हुए, रेल्वे स्लीपर में 72 की जगह 81 बर्थ लगाये थे… 🙂 🙂

  3. June 9, 2010 at 8:12 am

    सुरेश जी, प्रथम दृष्टया तो यह ग्राफिक्स ही कमाल लगता है..दूसरी बात यदि यह सही है, तो इलाके के टाप के पुलिस और परिवहन के अफसर को निलम्बित करना चाहिये और जिस इलाके का है उसके एआरटीओ, सीओ, एस ओ तथा चौकी इन्चार्ज की तीन वेतनवृद्धियां क्युमुलेटिव प्रभाव से रोकना चाहिए..

  4. Anurag Geete said,

    June 9, 2010 at 8:18 am

    आपके सारे सवालो का एक ही जवाब है… जब तक धकता है तब तक धकाओ..

  5. June 9, 2010 at 8:30 am

    क्योंकि यह तो पक्का है कि तस्वीर किसी ऐसे देश की ही है, जो पूरी तरह से “भदेस”, अनुशासनहीन, रिश्वतखोर, जुगाड़ू किस्म का और गैरकानूनी कामों में अव्वल है, और ऐसा देश दक्षिण-एशिया क्षेत्र छोड़कर कहाँ मिलेगा…भाया इस लेंन पर हम आप से सहमत नी है जुगाड हमारी मजबूरी है राम राम

  6. June 9, 2010 at 8:33 am

    जिस देश का भी यह चित्र हो, है बड़ा मजेदार. भाया, मन मत खराब कीजिए, जुगाड़ु लोग अईसन काम में माहिर होत हैं. बाकी जुगाड़ के अन्दर त सभे मशीनरिया नु आ जाते हैं। चाहे परिवहन पुलिस हो या नेता-तंत्र….

  7. aarya said,

    June 9, 2010 at 8:36 am

    सादर वन्दे!बाकी सब छोडिये! अभी हैरानी इस बात की हो रही है की एक नापसंद का चटका लग गया है ! अरे भईया आप कौन हो भाई , इस पोस्ट में तो कोई ऐसी बात ही नहीं लिखी की जिससे तुम्हारी असिलियत जाहिर हो, अमा तुम लोग इतना घबरा गए हो की कुछ भी पसंद नहीं आता ! रत्नेश त्रिपाठी

  8. June 9, 2010 at 9:08 am

    1) क्या इस “पराक्रम” के लिये बजाज ऑटो कम्पनी को धन्यवाद दिया जाना चाहिये? क्योंकि इतने नारियल लादने के बावजूद ऑटो चल रहा है।जबाब: दरह्सल ऑटो पर सिर्फ उतना ही भार पड़ रहा है, जितने नारियल उसके ठीक ऊपर है बाकी भार हवा सह रही है, इसलिए ऑटो पर कोई ख़ास दबाब नहीं है भार का ! 2) क्या इस पराक्रम के लिये ऑटो ड्राइवर को सलामी देनी चाहिये? jabaab: दुस्साहस है, जिसमे रिस्क छुपा है ! 3) क्या इस पराक्रम के लिये उस मजदूर (मजदूरों) को सलामी देनी चाहिये, जिन्होंने इतने सारे नारियलों को इस खूबसूरती से जमाया और बाँधा, कि न तो नारियल गिरने पायें और न ही ड्राइवर को ऑटो चलाने में कोई तकलीफ़ हो? जबाब: निश्चित तौर पर कलात्मक काम है, मगर यह भारत में अक्सर होता है जैसे टैक्टरों में गोभी लाड कर लेजाना, भूसा ले जाना, गन्ना ले जाना इत्यादि 4) क्या उस रास्ते-गली-मोहल्ले में तैनात पुलिस या ट्रैफ़िक जवान को भी विशेष धन्यवाद अदा किया जाना चाहिए, जिसने इस “सर्कस” को देखकर भी अनदेखा किया? जबाब: पहले तो कोई पोलिसे वाला उस रास्ते पर होगा ही नहीं, होगा भी तो कहीं सुरती फांक रहा होगा ! 5) सबसे बड़ा सवाल, यह तस्वीर किस देश की हो सकती है, भारत-श्रीलंका-बांग्लादेश-मालदीव-मलेशिया-इंडोनेशिया-पाकिस्तान-बर्मा या नेपाल? क्योंकि यह तो पक्का है कि तस्वीर किसी ऐसे देश की ही है, जो पूरी तरह से “भदेस”, अनुशासनहीन, रिश्वतखोर, जुगाड़ू किस्म का और गैरकानूनी कामों में अव्वल है, और ऐसा देश दक्षिण-एशिया क्षेत्र छोड़कर कहाँ मिलेगा… जबाब: अपने ही देश की है !कहीं यह चित्र कम्प्यूटर ग्राफ़िक्स का कमाल तो नहीं? जैसे कुछ सवाल आपके मन भी उठ रहे होंगे, उसे भी लिख डालिये…जबाब : वह भी हो सकता है मगर दोनों ही बाते संभव है !@aarya जी : यह जो विकृत मानसिकता का इंसान है उसे कल ही मैंने यह करते पकड़ा था, दरहसल इसको भी पैदा होते वक्त २५ साल पहले युनिओं कार्बाइड के एन्डरसन ने काटा था इसलिए इसकी बुद्धि विकृत हो गई !

  9. SHREEKANT said,

    June 9, 2010 at 9:37 am

    Thanks for posting this. Look at the picture once again carefully. The heap of coconut waste is about to hit electric pole on the way. This is because the driver is unable to see the obstruction on the road.This is the nation were Supreme court is required to give a direction for using Helmet or wear seat belt but we the Indians dont give a heed to it on our own. We have become habitual of getting hackled by someone after the slavery of 1000 years. Until someone does not hit us even if the court we do not learn or understand on our own. We have lake of civic sense, lake of sincerty towards life, lurred by populist slogans, far too critical, we love in making obliganation on others or complaing about everything rather then loving our own life. We the Indian…….Great.

  10. kunwarji's said,

    June 9, 2010 at 10:55 am

    जबरदस्त है जी…..फिलहाल तो आपको और गोदियाल जी को सलाम जो इतनी कल्पनाशीलता यहाँ दिखाई और हमें सोचने पर मजबूर कर दिया….कुंवर जी,

  11. man said,

    June 9, 2010 at 12:10 pm

    मुझे फक्क मोहन सरकार और इस तस्वीर में ज्यादा अंतर नजर नहीं आता हे |वो टेम्पो हे ,नारियल उसकी सरकार हे ,ड्राईवर तो आप समझ ही गए होंगे ? बाकी इसे रोकने वाले कोन हे ?ड्राईवर का आप को पता नहीं हे क्या?उल्टा टोपी उछाल दे रोकने वाले की ?

  12. June 9, 2010 at 12:52 pm

    कुछ न कहेंगे? अपनी समझदानी कमजोर है।

  13. June 9, 2010 at 1:34 pm

    कृपया कभी कभी ऐसी पोस्ट भी लिखा कीजिये आप…आपने जो पूछा उन प्रश्नों में ही उत्तर भी निहित हैं…अलग से क्या कहा जाय…

  14. June 9, 2010 at 1:39 pm

    हमें तो भाई यह चित्र ग्राफिक्स का कमाल जैसा ही लग रहा है।

  15. Parul said,

    June 9, 2010 at 2:01 pm

    ranjna ji ki baat se sehmat hoon :)par bade prabhavi aur rochak tarike se ukera hai aapne bhi.. 🙂

  16. June 9, 2010 at 3:06 pm

    सुरेश जी सारा देश ही जुगाड से चल रहा है,प्रधानमंत्री जुगाड का, राष्ट्रपति जुगाड की. संसद जुगाड की, जहां देखो जुगाड ही जुगाड, यहा तो मूतने के लिये भी जुगाड ही करना पडता है।

  17. June 9, 2010 at 3:13 pm

    GODIYAL JEE KE SABHI JAWAB SAHI HAI.HAMARE CHHATTISGARH ME BHI TENDU PATTE (BIRI LEAVES)SE LADI HUI TRUCKS ISI PRKAR KA DRISHY SADKO PAR PRADARSHIT KARTI HAI.TENDU PATTE KA WEIGHT KAM & VOLUME JYADA HOTA HAI.NARAYAN BHUSHANIA RAIPUR.

  18. June 9, 2010 at 4:20 pm

    राजपथ पर २६ जनवरी को मोटर साईकिल सर्कस के बारे मे भी प्रश्न उठ रहे है यह सब देखकर . वहा तो राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री से लेकर आम आदमी तक देखता है

  19. June 9, 2010 at 4:20 pm

    राजपथ पर २६ जनवरी को मोटर साईकिल सर्कस के बारे मे भी प्रश्न उठ रहे है यह सब देखकर . वहा तो राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री से लेकर आम आदमी तक देखता है

  20. ajit gupta said,

    June 9, 2010 at 7:11 pm

    हमारे गाँव में एक जीप वाले पर पुलिस वाले ने केस ठोक दिया कि यह 35 सवारियां भरकर जीप चलाता है। जज के सामने ड्राइवर ने कहा कि साहब आप ही बताइए कि कोई भी व्‍यक्ति कैसे एक जीप में 35 सवारियां भर सकता है। इनसे कहिए कि ये भरकर दिखाएं, इन्‍होंने मुझपर झूठा केस बनाया है। जज ने कहा कि ठीक बात लगती है और केस खारिज कर दिया। बाहर निकलकर ड्राइवर ने पुलिस वाले से कहा कि देख मैं तुझे दिखाता हूँ कि कैसे 35 सवारियां बिठाते हैं। आपकी पोस्‍ट देखकर आनन्‍द आ गया और लालू वाली बात पढ़कर तो और भी।

  21. June 9, 2010 at 7:33 pm

    अगर तस्वीर को ध्यान से देखें तो पायेंगे कि ये नारियल नहीं है बल्कि नारियल के खोल हैं वो भी सूखे हुए कोई भी तीनपहिया ऑटो इतने नारियल नहीं ढो सकती ये नारियल के सूखे खोल है जो नारियल की अपेक्षा ७० % कम भाई होते हैं और इन्हें दूरी से माला की तरह गूथा गया है इसलिए इसके बिखरने का सवाल ही पैदा नहीं होता मेरे ख्याल से १० बोरा चीनी का वजन इस चित्र मे दिखाए गये नारियल के खोल से अधिक होगा जो कि ऑटो मे आराम से ढोई जा सकती है 🙂

  22. The Moon said,

    June 10, 2010 at 4:25 am

    Suresh Jee, NamaskarEs tarah ke chitra to aap ko , Hamare yaha bhi dekhne ko mil jayenge. Hamre yaha to sarkar bhi eshi tarah ka vajan dho jahi hai.Jai Hind.

  23. SHREEKANT said,

    June 10, 2010 at 4:33 am

    I am sorry to say that i am not convience or agree with many of you. We are very quick to raise finger on others. The bigger question remains still as it is and i.e. we dont want to improve ourselves "yeh ek bahut badi vidamabana hai". We the Indian are always depencent on someone to do for us. We are very quick to blame the system and by doing this we think that we have done our bit of responsibility as a responsible citizen. But we ourselves always try to mold the system to suit to ourselves. To do that we the Indian are very clever and intelligent to make number of excuses. Some tiems i think that this is not one country infact there are 1 billion contries in itself. Each one of us is having their own "CONSTITUTION – SAMVIDHAN". Its our history that we are alwayas been ruined and rulled by others, not because of others intelligence or power but because of our own weaknesses.

  24. Anonymous said,

    June 10, 2010 at 5:01 am

    agree with shreekant, jab koi police wala aapko rokta hai .. to uske maange se pahale hi aap bol dete hai .. are sir kuch le de kar choodh dijiye naa..kahi line me lagna ho to .. to approach dhoondhte hai.. kuch kaam karana ho to pahahchaan dekhte haiincome tex imandaari se nahi bharteVote nahi dete, ya dete hai to purvaghah se dete haijaati waaad aur sampradaika ko badava dete hai ek dusre ko samman dene ki jaghahaapke samne koi accident ho jaaye to bhi ignore kar ke nikal jaate haipadosi padosi ko pahchaanta nahi.. Gundaraj ke kilaf koi bolta nahipradesh aur desh me brashtachaar ho raha hai .. per koi kranti nahi aati..kya kare .. na hum indian jo hai.. so nahi bolenge..

  25. SHREEKANT said,

    June 10, 2010 at 5:57 am

    Suresh Ji, Waren Anderson aur uski media trial par kab likh rahe hai. Kyunki lokpriya lagne vaale narro se pura media jagat pata hua hai, jabaki kuchh kadavi lagane vaaali aur apane garebaan main jhankane vali baton se sabhi ko avagat karana bhi bahut jaroori hai.

  26. June 10, 2010 at 6:19 am

    Suresh ji, I have just posted an e-mail to you on your gmail address. This mail is especially for our "Jugaad" freiendly highly qualified and literate citizen's of India, who feel proud to use "Jugaad" as part of our daily life. Request you to plesae share it with them. Let them enjoy and have competition with these ultimate "Jugaad" mastros.

  27. June 12, 2010 at 8:41 am

    चलिए बहुत कुछ उभरकर आया इस चित्र से.@SHREEKANT जी आप के विचार महत्वपूर्ण हैं.@सुरेश जी,बीच बीच में माइक्रो, नैनो, सानो (नेपाली में छोटा को सानो बोलते हैं) पोस्ट जरुरी है. कम से कम हँसना याद रहता है 🙂

  28. Chasta said,

    June 13, 2010 at 10:45 pm

    हा हा हा …. मजा आया. लेकिन हमारे देश की हालत भी ऐसी हो रही है. वैसे अनेक द्श्‍य ऐसे देखने को मिल जायेगें.

  29. khalid said,

    August 3, 2010 at 4:18 pm

    hum kab sudhrenge?

  30. Raul Vinci said,

    August 30, 2010 at 2:27 pm

    सुरेश जी आप सचमुच में शानदार है काफी ज्ञान कि बाते बताते है और हसते भी काफी खूब है जीते रहो !

  31. October 13, 2010 at 5:56 pm

    >LALU KO YEH CHITRA DEKH KAR HI SVARI GADI KO MAL GADI RUPI BANVA DIYA HOGA


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