>महिलाओं को पुरोहिताई ट्रेनिंग एवं बाढ़पीड़ितों को मकान :- दो उत्साहवर्धक खबरें…… Hindu Female Priest, VHP-RSS Social Work

>इस समय पूरे देश में हिन्दुत्व के खिलाफ़ एक जोरदार षडयन्त्र चल रहा है, और केन्द्र सरकार समेत सभी मुस्लिम वोट सौदागर सिमी जैसे देशद्रोही और रा स्व संघ को एक तराजू पर रखने की पुरज़ोर कोशिशें कर रहे हैं। हिन्दुत्व और विकास के “आइकॉन” नरेन्द्र मोदी को जिस तरह मीडिया का उपयोग करके बदनाम करने और “अछूत” बनाने की कोशिशें चल रही हैं, इससे सम्बन्धित देशद्रोही सेकुलरों और गद्दार वामपंथियों द्वारा इस्लामिक उग्रवाद की अनदेखी की पोल खोलने की खबरें पाठक लगातार पढ़ते रहते हैं। केरल, पश्चिम बंगाल, कश्मीर, असम, नागालैण्ड में जिस तरह की देश विरोधी गतिविधियाँ चल रही हैं और दिल्ली में बैठकर जिस प्रकार मीडिया के बिकाऊ भाण्डों के जरिये हिन्दुत्व की छवि मलिन करने का प्रयास किया जा रहा है उसके बारे में पाठकों को सतत जानकारी प्रदान की जाती रही है, और यह आगे भी जारी रहेगा…

फ़िलहाल आज दो उत्साहवर्धक खबरें लाया हूं, जिसे 6M (मार्क्स, मुल्ला, मिशनरी, मैकाले, मार्केट, माइनो) के हाथों “बिका हुआ मीडिया” कभी हाइलाईट नहीं करेगा…

1) पहली खबर है नागपुर से –

कुछ “तथाकथित प्रगतिशील” लोग भले ही पुरोहिताई और कर्मकाण्ड को पिछड़ेपन की निशानी(?) मानते हों, लेकिन यह समाज की हकीकत और मानसिक/आध्यात्मिक शान्ति की जरुरत है, कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक कई-कई बार वेदपाठी, मंत्रोच्चार से ज्ञानी पंडितों-पुरोहितों की आवश्यकता पड़ती ही है। (यहाँ तक कि “घोषित रुप से नास्तिक” लेकिन हकीकत में पाखण्डी वामपंथी भी अपने घरों में पूजा-पाठ करवाते ही हैं)। आज के दौर में अपने आसपास निगाह दौड़ाईये तो आप पायेंगे कि यदि आपको किसी पुरोहित से छोटी सी सत्यनारायण की पूजा ही क्यों न करवानी हो, “पण्डित जी बहुत भाव खाते हैं”। पुरोहितों को भी पता है कि “डिमाण्ड-सप्लाई” में भारी अन्तर है और उनके बिना यजमान का काम चलने वाला नहीं है, साथ ही एक बात और भी है कि जिस तरह से धार्मिकता और कर्मकाण्ड की प्रथा बढ़ रही है, अच्छा और सही पुरोहित कर्म करने वालों की भारी कमी महसूस की जा रही है।

इसी को ध्यान में रखते हुए, विश्व हिन्दू परिषद ने महिलाओं को पुरोहिताई के क्षेत्र में उतारने और उन्हें प्रशिक्षित करने का कार्यक्रम चलाया है। सन 2000 से चल रहे इस प्रोजेक्ट में अकेले विदर्भ क्षेत्र में 101 पूर्ण प्रशिक्षित महिला पुरोहित बनाई जा चुकी हैं तथा 1001 महिलाएं अभी सीख रही हैं। महिला पुरोहितों का एक विशाल सम्मेलन हाल ही में नागपुर में विश्व हिन्दू परिषद द्वारा रखा गया जिसकी अध्यक्षता श्रीमती जयश्री जिचकर (पूर्व कांग्रेसी नेता श्रीकान्त जिचकर की पत्नी) द्वारा की गई। इस अवसर पर विदर्भ क्षेत्र की सभी महिला पुरोहितों की एक डायरेक्ट्री का विमोचन भी किया गया ताकि आम आदमी को (यदि पुरुष पुरोहित ज्यादा भाव खायें) तो कर्मकाण्ड के लिये महिला पुरोहित उपलब्ध हो सकें।

ऐसा नहीं है कि अपने “क्षेत्राधिकार में अतिक्रमण”(?) को लेकर पुरुष पुरोहित चुप बैठे हों, ज़ाहिर सी बात है उनमें खलबली मची। अधिकतर पुरुष पुरोहितों ने बुलावे के बावजूद सम्मेलन से दूरी बनाकर रखी, संख्या में कम होने के कारण उनमें “एकता” दिखाई दी और किसी न किसी बहाने से उन्होंने महिला पुरोहित सम्मेलन से कन्नी काट ली। कुछ पुरोहितों को दूसरे पुरोहितों ने “अप्रत्यक्ष रुप से धमकाया” भी, फ़िर भी नागपुर के वरिष्ठ पुरोहित पण्डित श्रीकृष्ण शास्त्री बापट ने सम्मेलन में न सिर्फ़ भाग लिया, बल्कि पौरोहित्य सीख रही युवतियों और महिलाओं को आशीर्वचन भी दिये। बच्चे के जन्म, जन्मदिन, गृहप्रवेश, सत्यनारायण कथा, किसी उपक्रम की आधारशिला रखने, लघुरुद्र-महारुद्र का वाचन, शादी-ब्याह, अन्तिम संस्कार जैसे कई काम हैं जिसमें आये-दिन पुरोहितों की आवश्यकता पड़ती रहती है। हाल ही में पूर्व सरसंघचालक श्री सुदर्शन जी की उपस्थिति में 1001 महिला पुरोहितों ने विशाल “जलाभिषेक” का सफ़लतापूर्वक संचालन किया था। महिलाओं को इस “उनके द्वारा अब तक अछूते क्षेत्र” में प्रवेश करवाने के लिये विश्व हिन्दू परिषद ने काफ़ी काम किया है, महिला पुरोहितों को ट्रेनिंग देने के लिये अकोला में भी एक केन्द्र बनाया गया है।

कुछ वर्ष पूर्व महाराष्ट्र के पुणे में महिलाओं द्वारा अन्तिम संस्कार और “तीसरे से लेकर तेरहवीं” तक के सभी कर्मकाण्ड सम्पन्न करवाने की शुरुआत की जा चुकी है, और निश्चित रुप से इस कार्य के लिये महिलाओं का उत्साहवर्धन किया जाना चाहिये। आजकल युवाओं में अच्छी नौकरी पाने की चाह, भारतीय संस्कृति से कटाव और अंग्रेजी शिक्षा के “मैकाले इफ़ेक्ट” की वजह से पुरोहिताई के क्षेत्र में अच्छी खासी “जॉब मार्केट” उपलब्ध है, यदि वाकई कोई गम्भीरता से इसे “करियर” (आजीविका) के रुप में स्वीकार करे तो यह काम काफ़ी संतोषजनक और पैसा कमाकर देने वाला है।

दूसरी बात “क्वालिटी” की भी है, समय की पाबन्दी, मंत्रों का सही और साफ़ आवाज़ में उच्चारण, उचित दक्षिणा जैसे सामान्य “बिजनेस एथिक्स” हैं जिन्हें महिलाएं ईमानदारी से अपनाती हैं, स्वाभाविक रुप से कर्मकाण्ड करवाने वाला यजमान यह भी नोटिस करेगा ही। अब चूंकि युवा इसमें आगे नहीं आ रहे तो महिलाओं के लिये यह क्षेत्र भी एक शानदार “अवसर” लेकर आया है। विश्व हिन्दू परिषद के कई अन्य प्रकल्पों की तरह यह प्रकल्प भी महिलाओं में काफ़ी लोकप्रिय और सफ़ल हो रहा है। कर्मकाण्ड और हिन्दू धर्म को लेकर लोग भले ही नाक-भौं सिकोड़ते रहें, पिछड़ापन बताते रहें, तमाम वैज्ञानिक तर्क-कुतर्क करते रहें, लेकिन यह तो चलेगा और खूब चलेगा, बल्कि बढ़ेगा भी, क्योंकि जैसे-जैसे लोगों के पास “पैसा” आ रहा है, उसी अनुपात में उनमें धार्मिक दिखने और कर्मकाण्डों पर जमकर खर्च करने की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है। इसे एक सीमित सामाजिक बुराई कहा जा सकता है, परन्तु “पौरोहित्य कर्म” जहाँ एक ओर घरेलू महिलाओं के लिये एक “अच्छा करियर ऑप्शन” लाता है, वहीं भारतीय संस्कृति-वेदों-मंत्रपाठ के संरक्षण और हिन्दुत्व को बढ़ावा देने के काम भी आता है, यदि विहिप का यह काम सेकुलरों-प्रगतिशीलों और वैज्ञानिकों की तिकड़ी को बुरा लगता है तो उसके लिये कुछ नहीं किया जा सकता।

2) दूसरी खबर कर्नाटक के बागलकोट से –

संघ परिवार की ही एक और संस्था “सेवा भारती” द्वारा कर्नाटक के बाढ़ पीड़ित गरीब दलितों के लिये 77 मकानों का निर्माण किया गया है और उनका कब्जा सौंपा गया। सेवा भारती द्वारा बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित 13 गाँवों को गोद लेकर मकानों का निर्माण शुरु किया गया था। 18 अक्टूबर 2010 को श्री सुदर्शन जी एवं अन्य संतों की उपस्थिति में पहले गाँव के 77 मकानों का कब्जा सौंपा गया। 12 अन्य गाँवों में भी निर्माण कार्य तेजी से प्रगति पर है, इस प्रकल्प में अनूठी बात यह रही कि मकान बनाते समय बाढ़ पीड़ितों को ही मजदूरी पर रखकर उन्हें नियमित भुगतान भी किया गया, और जैसे ही मकान पूरा हुआ उसी व्यक्ति को सौंप दिया गया, जिसने उसके निर्माण में अपना पसीना बहाया।

इन सभी 77 परिवारों के लिये एक सामुदायिक भवन और स्कूल भी बनवाया गया है, जहाँ सेवा भारती से सम्बद्ध शिक्षक अपनी सेवाएं मुफ़्त देंगे। सभी मकानों को जोड़ने वाली मुख्य सड़क का नामकरण “वीर सावरकर मार्ग” किया गया है (सेकुलरों को मिर्ची लगाने के लिये यह नाम ही काफ़ी है)। जल्दी ही अन्य 12 गाँवों के मकानों को भी गरीबों को सौंप दिया जायेगा। (“बिना किसी सरकारी मदद” के बने इन मकानों को किसी इन्दिरा-फ़िन्दिरा आवास योजना का नाम नहीं दिया गया है, यह मिर्ची लगने का एक और कारक बन सकता है)।

इस प्रकार के कई प्रकल्प संघ परिवार द्वारा हिन्दुत्व रक्षण के लिये चलाये जाते रहे हैं और आगे भी जारी रहेंगे। चूंकि संघ से जुड़े लोग बिना किसी प्रचार के अपना काम चुपचाप करते हैं, “मीडियाई गिद्धों” को अनुचित टुकड़े नहीं डालते, इसलिये यह बातें कभी जोरशोर से सामने नहीं आ पातीं…। वरना “एक परिवार के मानसिक गुलाम बन चुके” इस देश में 450 से अधिक प्रमुख योजनाएं उसी परिवार के सदस्यों के नाम पर हों और मीडिया फ़िर भी ही-ही-ही-ही-ही करके न सिर्फ़ देखता रहे, बल्कि हिन्दुत्व को गरियाता भी रहे… ऐसा सिर्फ़ भारत में ही हो सकता है।

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24 Comments

  1. October 25, 2010 at 8:41 am

    >संघ को ऐसा संगठन प्रचारित किया जाता है जो जातिवादी और नारी विरोधी है. संघ से "साम्प्रदायिक" दूरी रखने वाले यही समझने लगे है. यह दोनो खबरें भ्रम तोड़ती है. [एक खबर मैने लिखी थी. दिल्ली के मुस्लिम क्षेत्र में मस्जिद में संघ का दवाखाना चलता है. और पूर्व के उपेक्षित क्षेत्र से बालकों को दिल्ली लाकर पढ़ाया जा रहा है ताकि वे भारत की एकता को मजबूत कर सके. हर जगह जातिवाद को सुँगते रविशकुमारों को ऐसी खबरें कहाँ मिलती है? ]

  2. October 25, 2010 at 9:01 am

    >ऐसे सुखदायी समाचार भांडों के मीडिया चैनलों व समाचार-पत्रों में प्रकाशित हो भी नहीं सकती है । इनके कहने न कहने और छापने न छापने से क्या होता है, "परमवैभवन्नेतुमेतत्‌ स्वराष्ट्रं" के ध्येय-वाक्य के पुजारी इसकी चिन्ता भी नहीं करते….

  3. October 25, 2010 at 9:31 am

    >वाह…अत्यंत उत्साहजनक बात है !!!!आपका बहुत बहुत आभार ऐसे समाचारों को प्रकाश में लाने के लिए..

  4. October 25, 2010 at 5:12 pm

    >अँधेरे में उम्मीद की किरण हैं इस तरह के खबरें. लगे रहो सुरेश भाई.

  5. October 25, 2010 at 5:40 pm

    >RSS ki tulna SIMI ke sath kuchdin pahle ek mand buddhi BABUA ne kithi, unhe bhi jara samaz lena chahiye ke kuch bolne se pahle HINDUSTAN ke bare me pura jan lena chahiye, mammi ( medam ) ka pallu pakdne se neta nahi bana jata,,,,,,,,,

  6. October 25, 2010 at 6:06 pm

    >इस सब को दिखाकर सिक-उलर मीडिया बदनाम न हो जायेगा. क्या बात करते हो आप भी..

  7. October 26, 2010 at 6:10 am

    >आदरणीय सुरेश भाई आपली लेखनी जब चलती है तो पूरे सच को निचोड़ निचोड़ कर सामने लाती है| इस पर तो कोई सवाल उठा ही नहीं सकता| संघ की उज्वल छवि को सामने लाने का जो पवित्र कार्य आपने किया है उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद| हमारी बिकाऊ मीडिया तो यह काम करने से रही, किन्तु आपके द्वारा किया यह कार्य सच में प्रशंसनीय है|

  8. man said,

    October 26, 2010 at 7:14 am

    >सादर वन्दे सर ,काफी अच्छी और पर्ग्तीशील रिपोर्ट ,शर्म निर्प्क्सो और सफ़ेद खून के सियारों के लिए ये दोनों रिपोर्टे """देगी मिर्च """ का काम करेगी ?(देगी मिर्च का तड़का ,,अंग अंग फड़का )|संघ औरविशव हिन्दू परिषद् हमेशा से ही दूर दराज के गाँवो में सेवा कार्य और आपदा पर्बंधन कार्य बिना किसी परचार के करते हे आ रहे हे ,इनको मेरा परणाम ,में अपने को भाग्य शाली मानता हूँ की में भी इसी परिवार विशव हिन्दू परिषद् का सद्श्य हूँ|

  9. nitin tyagi said,

    October 26, 2010 at 7:54 am

    >great job rss

  10. October 26, 2010 at 8:06 am

    >vakai acchi khabrein

  11. Kumar said,

    October 26, 2010 at 10:26 am

    >सुरेश जी ..आप भाहोत फमेस हो गए … यह सलीम खान आप की वर्ड उसे करना सिख गया है …जैसे की दोगला मीडिया … लेकिन अभी नक़ल पूरी तरह से नहीं कर पता बेचारा … बिना किसी साबुत के भी क्या बोलगा बेचारा … बोल रहा है .. मैं आवाज उठा रहा हूँ … कलम की ताकत से…जैसे कुते भोकते है न.. वैसे ही भोक रह है .. मुजे तरस आती है … की इन की दिमाग की हालत इतनी भयानक कैसे है ??इस को कैसे बदल / खतम किया जाये ??हमेशा मुस्लिम पर अत्याचार हुआ … कर के रोना चालू करते है … आगर इन का अल्लाह है .. तो इन पर अत्याचार कैसे होता है ?? वो भी बार बार ??जैसे कोई इन के धर्म पर rape कर रहा है ??आतंकवादी को ( निर्दोष मुस्लिम ) कहता है ?? मेरा तो यही मानना है की.. मुस्लिम निर्दोष हो या सदोष .. लेकिन उन में आतंकवादी … कूट कूट कर भरा होता है … निचे दी गयी लिंक पर देखो.. इन का १२ साल का निर्दोष बचा क्या कर रहा है … http://www.truthtube.tv/play.php?vid=2008 एक सूचना : कृपया दी गयी लिंक भयानक है!

  12. October 26, 2010 at 12:03 pm

    >very nice post

  13. October 26, 2010 at 5:56 pm

    >स्वागत योग्य समाचार।आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। साधुवाद।

  14. October 27, 2010 at 5:34 pm

    >उत्साहवर्धक ! ऐसी खबरें को मुख्य धारा की बिकी मीडिया प्रसारित ही नहीं करती तो आम जनों को विश्व हिन्दू परिषद् या रास्ट्रीय स्व्येम सेवक संघ द्वारा किये जा रहे अच्छे कार्यों की खबर ही नहीं मिलती ऐसी खबरों को प्रमुखता से अपने ब्लॉग पे समय-समय पे लाते रहे…

  15. October 27, 2010 at 5:58 pm

    >क्या बात कर रहे हो सुरेशजी?? नारीविरोधी, दलितविरोधी संघ भला ऐसे कैसे कर सकता है (जैसाकि हमारे बौद्धिक नपुंसक सेकुलर-वामपंथी फरमाते हैं).खैर यह तो एक मात्र झलक है. देश-विदेश में संघ के हजारो प्रकल्प चल रहे है लेकिन इसे सही कहो या गलत, प्रसार-प्रचार से दूर रहने वाला संघ परिवार मौन व्रती की तरह सेवा कार्य में ही लीन रहता है. जबकि चर्च या उसके पैसे से काम करनेवाले एनजीओ थोड़ी बहुत सेवा करके 'बड़ा' विज्ञापन करते हैं. अखबारों में खबरे चलवाते है, आर्टिकल लिखवाते है. रविश कुमार जैसे टट्टू भाड़े पे लेते है. और बाकायदा पब्लिक रिलेशन एजेंसी नियुक्त करके प्रेस और कोर्पोरेट घरानों से लायजनिंग करते हैं और बहुत माल लूटते है. लेकिन सही काम करने के बावजूद संघ इस मामले में उदासीन रहा है.कल ही अंगरेजी DNA में पढ़ा था की लेह की त्रासदी का फ़ायदा उठाकर कुछ क्रिश्चियन संगठनो ने एनजीओ का लबादा ओढ़कर सैकड़ो बच्चो को अपने कब्जे में लिया और फिर उनका धर्मांतरण किया. यानी मासूम बच्चो की मजबूरी का गलत फ़ायदा उठाना, ईसाईयत की 'सेवा' है. खैर अभी तो पुलिस ने इन सेवा कर्मी पादरियों को पकड़ लिया है लेकिन कुछ दिन बाद ही दिल्ली से मेडम का फोन आने पर या मुट्ठीभर स्थानीय ईसाइयों को खुश करने के लाच में कोए लोकल दिग्विजय इन धर्मांतरण-उतारू मिशनरियो को छुड़वा देगा तो कोई हैरत नहीं.चर्च ने ऐसे कारनामे सुनामी के दौरान भी किये थे. और जाने-माने राष्ट्रवादी एक्टर विवेक ओबेराय तक को अपने लिए काम करने के लिए अप्रोच किया था. लेकिन उनकी असलियत से वाकिफ विवेक ने चर्च के साथ जाने की बजाय तमिलनाडु में किसी संत की शरण में जाकर उनके साथ लगन और ईमानदारी से काम किया. जिसकी वजह से चर्च और उसके भाड़े के टट्टू सेकुलर मीडिया ने विवेक की बहुत बदनामी की थी. और इसी वजह से आज भी विवेक ओबेराय के प्रति मीडिया का रवैया नकारात्मक है.दूसरी तरफ सेवा भारती के पास हेमा मालिनी ब्रांड एम्बेसेडर होने के बावजूद वह उसका फ़ायदा नहीं उठाती, लेकिन निष्ठावान राष्ट्रभक्तो और जागरुक हिन्दुओ से ही प्राप्त अल्प राशि सहयोग और सीमित संसाधनों से सेवा भारती प्रभावी काम कर रही है.पुरोहित वाली खबर वाकई में उत्साह वर्धक है. करीब चार साल पहले मुम्बई में भी ऐसी पहल का श्रीगणेश हो चुका है. इसमे अच्छी बात ये है कि हिन्दू महिलाओं के लिए रोजगार और स्वावलंबन के नए अवसर निर्मित होंगे. और वैसे भी यदि घर की कोई नारी सुसंस्कारी और धर्म की ज्ञाता होगी तो पूरा परिवार, समाज और देश भी सस्न्कारित बनेगा. क्योंकि वही तो सृष्टी की धुरी है. उसके बिना दुनिया अधूरी है.

  16. October 28, 2010 at 1:38 am

    >सुरेश जी आप के सद् प्रयासों से हम इन जानकारियों से रूबरू हो रहे हैं अन्यथा मीडिया को तो सिर्फ राखी सावंत के charities ही दिखती हैं। पुनःश्च धन्यवाद इस जानकारी हेतु।

  17. Anonymous said,

    October 28, 2010 at 6:28 pm

    >महाभारत धर्म युद्ध के बाद राजसूर्य यज्ञ सम्पन्न करके पांचों पांडव भाई महानिर्वाण प्राप्त करने को अपनी जीवन यात्रा पूरी करते हुए मोक्ष के लिये हरिद्वार तीर्थ आये। गंगा जी के तट पर ‘हर की पैड़ी‘ के ब्रह्राकुण्ड मे स्नान के पश्चात् वे पर्वतराज हिमालय की सुरम्य कन्दराओं में चढ़ गये ताकि मानव जीवन की एकमात्र चिरप्रतीक्षित अभिलाषा पूरी हो और उन्हे किसी प्रकार मोक्ष मिल जाये।हरिद्वार तीर्थ के ब्रह्राकुण्ड पर मोक्ष-प्राप्ती का स्नान वीर पांडवों का अनन्त जीवन के कैवल्य मार्ग तक पहुंचा पाया अथवा नहीं इसके भेद तो परमेश्वर ही जानता है-तो भी श्रीमद् भागवत का यह कथन चेतावनी सहित कितना सत्य कहता है; ‘‘मानुषं लोकं मुक्तीद्वारम्‘‘ अर्थात यही मनुष्य योनी हमारे मोक्ष का द्वार है।मोक्षः कितना आवष्यक, कैसा दुर्लभ !मोक्ष की वास्तविक प्राप्ती, मानव जीवन की सबसे बड़ी समस्या तथा एकमात्र आवश्यकता है। विवके चूड़ामणि में इस विषय पर प्रकाष डालते हुए कहा गया है कि,‘‘सर्वजीवों में मानव जन्म दुर्लभ है, उस पर भी पुरुष का जन्म। ब्राम्हाण योनी का जन्म तो दुश्प्राय है तथा इसमें दुर्लभ उसका जो वैदिक धर्म में संलग्न हो। इन सबसे भी दुर्लभ वह जन्म है जिसको ब्रम्हा परमंेश्वर तथा पाप तथा तमोगुण के भेद पहिचान कर मोक्ष-प्राप्ती का मार्ग मिल गया हो।’’ मोक्ष-प्राप्ती की दुर्लभता के विषय मे एक बड़ी रोचक कथा है। कोई एक जन मुक्ती का सहज मार्ग खोजते हुए आदि शंकराचार्य के पास गया। गुरु ने कहा ‘‘जिसे मोक्ष के लिये परमेश्वर मे एकत्व प्राप्त करना है; वह निश्चय ही एक ऐसे मनुष्य के समान धीरजवन्त हो जो महासमुद्र तट पर बैठकर भूमी में एक गड्ढ़ा खोदे। फिर कुशा के एक तिनके द्वारा समुद्र के जल की बंूदों को उठा कर अपने खोदे हुए गड्ढे मे टपकाता रहे। शनैः शनैः जब वह मनुष्य सागर की सम्पूर्ण जलराषी इस भांति उस गड्ढे में भर लेगा, तभी उसे मोक्ष मिल जायेगा।’’मोक्ष की खोज यात्रा और प्राप्तीआर्य ऋषियों-सन्तों-तपस्वियों की सारी पीढ़ियां मोक्ष की खोजी बनी रहीं। वेदों से आरम्भ करके वे उपनिषदों तथा अरण्यकों से होते हुऐ पुराणों और सगुण-निर्गुण भक्ती-मार्ग तक मोक्ष-प्राप्ती की निश्चल और सच्ची आत्मिक प्यास को लिये बढ़ते रहे। क्या कहीं वास्तविक मोक्ष की सुलभता दृष्टिगोचर होती है ? पाप-बन्ध मे जकड़ी मानवता से सनातन परमेश्वर का साक्षात्कार जैसे आंख-मिचौली कर रहा है;खोजयात्रा निरन्तर चल रही। लेकिन कब तक ? कब तक ?……… ?ऐसी तिमिरग्रस्त स्थिति में भी युगान्तर पूर्व विस्तीर्ण आकाष के पूर्वीय क्षितिज पर एक रजत रेखा का दर्शन होता है। जिसकी प्रतीक्षा प्रकृति एंव प्राणीमात्र को थी। वैदिक ग्रन्थों का उपास्य ‘वाग् वै ब्रम्हा’ अर्थात् वचन ही परमेश्वर है (बृहदोरण्यक उपनिषद् 1ः3,29, 4ः1,2 ), ‘शब्दाक्षरं परमब्रम्हा’ अर्थात् शब्द ही अविनाशी परमब्रम्हा है (ब्रम्हाबिन्दु उपनिषद 16), समस्त ब्रम्हांड की रचना करने तथा संचालित करने वाला परमप्रधान नायक (ऋगवेद 10ः125)पापग्रस्त मानव मात्र को त्राण देने निष्पाप देह मे धरा पर आ गया।प्रमुख हिन्दू पुराणों में से एक संस्कृत-लिखित भविष्यपुराण (सम्भावित रचनाकाल 7वीं शाताब्दी ईस्वी)के प्रतिसर्ग पर्व, भरत खंड में इस निश्कलंक देहधारी का स्पष्ट दर्शन वर्णित है, ईशमूर्तिह्न ‘दि प्राप्ता नित्यषुद्धा शिवकारी।31 पदअर्थात ‘जिस परमेश्वर का दर्शन सनातन,पवित्र, कल्याणकारी एवं मोक्षदायी है, जो ह्रदय मे निवास करता है,पुराण ने इस उद्धारकर्ता पूर्णावतार का वर्णन करते हुए उसे ‘पुरुश शुभम्’ (निश्पाप एवं परम पवित्र पुरुष )बलवान राजा गौरांग श्वेतवस्त्रम’(प्रभुता से युक्त राजा, निर्मल देहवाला, श्वेत परिधान धारण किये हुए )ईश पुत्र (परमेश्वर का पुत्र ), ‘कुमारी गर्भ सम्भवम्’ (कुमारी के गर्भ से जन्मा )और ‘सत्यव्रत परायणम्’ (सत्य-मार्ग का प्रतिपालक ) बताया है।स्नातन शब्द-ब्रम्हा तथा सृष्टीकर्ता, सर्वज्ञ, निष्पापदेही, सच्चिदानन्द , महान कर्मयोगी, सिद्ध ब्रम्हचारी, अलौकिक सन्यासी, जगत का पाप वाही, यज्ञ पुरुष, अद्वैत तथा अनुपम प्रीति करने वाला।अश्रद्धा परम पापं श्रद्धा पापमोचिनी महाभारत शांतिपर्व 264ः15-19 अर्थात ‘अविश्वासी होना महापाप है, लेकिन विश्वास पापों को मिटा देता है।’पंडित धर्म प्रकाश शर्मागनाहेड़ा रोड, पो. पुष्कर तीर्थराजस्थान-305 022

  18. October 28, 2010 at 7:07 pm

    >विचारों की बढिया प्रस्तुति

  19. abhishek1502 said,

    October 28, 2010 at 7:33 pm

    >जिस जिस सेकुलर ने आप का ये लेख पढ़ा होगा उस का पाव भर खून जल गया होगा . मैं गर्व से कहता हू की मैं एक स्वयंसेवक हू और देश के गद्दारों के खिलाफ हमेशा राष्ट्रवादियो के साथ डट कर खड़ा रहूँगा .वन्दे मातरम ( इस नारे से गद्दारों की नानी मरती है )

  20. Shailendra said,

    October 28, 2010 at 9:19 pm

    >सुरेश जी आपके प्रति आभार को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता इंटरनेट पर आप हिन्दुओं के हनुमान है

  21. Amit said,

    October 29, 2010 at 4:58 am

    >Pranaam Sir,Bahut hi achhi khabar hai. Main to soch raha hoon ki es pakhandi Sarkar (Pariwar) ko Tax dena band karun aur RSS ko dena suru kar dun. Kam se kam meri mehnat ki kamai par Kashmir ke "Gumrah Naujawan"(?) to aish nahinh kar payenge.

  22. Anonymous said,

    October 30, 2010 at 10:54 am

    ><<ईसाई लोग ईसा के द्वारा दी हुई शिक्षा जिसे ईसाई मानते और करते है। नीचे लिंक देखें। जरुर देंखें हकीकत http://www.youtube.com/results?search_query=benny+hinn+fire&aq=9sxhttp://www.youtube.com/results?search_query=tb+joshua+miracles&aq=1sx >>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>><<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<>> <<मुहम्मद की दी हुई शिक्षा जिसे मुसलमान लोग मानते और उसे अन्जाम देते है। नीचे लिंक देखें। हकीकतwww.truthtube.tv/play.php?vid=2008 दुनिया 21 वीं सदी में प्रवेश कर चुकी है। ये कथा कहानियों का दौर नही है।ये प्रमाण है।

  23. Rupesh said,

    October 30, 2010 at 11:09 am

    >bhai sahab, mai to apka murid ho gaya hnoo. apko dandvat pranam karne ka man karta hai. apk jis sevabhav se hindutva ke prachar me lage hain. aise aj tak kisi ne nahi kiya hai. plz mujhe hindi me comment karna sikhaye. pranam


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