>इस बहादुर विधवा की दर्दनाक आपबीती से मनमोहन सिंह की नींद उचाट नहीं होती… Manmohan Singh, Hindu Widow, Haneef Case, Australian, Saudi Government

>आप सभी को याद होगा कि किस तरह से ऑस्ट्रेलिया में एक डॉक्टर हनीफ़ को वहाँ की सरकार ने जब गलती से आतंकवादी करार देकर गिरफ़्तार कर लिया था, उस समय हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने बयान दिया था कि “हनीफ़ पर हुए अत्याचार से उनकी नींद उड़ गई है…”  और उस की मदद के लिये सरकार हरसंभव प्रयास करेगी। डॉक्टर हनीफ़ के सौभाग्य कहिये कि वह ऑस्ट्रेलिया में कोर्ट केस भी जीत गया, ऑस्ट्रेलिया सरकार ने उससे लिखित में माफ़ी भी माँग ली है एवं उसे 10 लाख डॉलर की क्षतिपूर्ति राशि भी मिलेगी…

अब चलते हैं सऊदी अरब… डॉक्टर शालिनी चावला इस देश को कभी भूल नहीं सकतीं… यह बर्बर इस्लामिक देश, रह-रहकर उन्हें सपने में भी डराता रहेगा, भले ही मनमोहन जी चैन की नींद लेते रहें…

डॉक्टर शालिनी एवं डॉक्टर आशीष चावला की मुलाकात दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में हुई, दोनों में प्रेम हुआ और 10 साल पहले उनकी शादी भी हुई। आज से लगभग 4 वर्ष पहले दोनों को सऊदी अरब के किंग खालिद अस्पताल में नौकरी मिल गई और वे वहाँ चले गये। डॉ आशीष ने वहाँ कार्डियोलॉजिस्ट के रुप में तथा डॉ शालिनी ने अन्य मेडिकल विभाग में नौकरी ज्वाइन कर ली। सब कुछ अच्छा-खासा चल रहा था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था…

जनवरी 2010 (यानी लगभग एक साल पहले) में डॉक्टर आशीष चावला की मृत्यु हार्ट अटैक से हो गई, अस्पताल की प्रारम्भिक जाँच रिपोर्ट में इसे Myocardial Infraction बताया गया था अर्थात सीधा-सादा हार्ट अटैक, जो कि किसी को कभी भी आ सकता है। यह डॉ शालिनी पर पहला आघात था। शालिनी की एक बेटी है दो वर्ष की, एवं जिस समय आशीष की मौत हुई उस समय शालिनी गर्भवती थीं तथा डिलेवरी की दिनांक भी नज़दीक ही थी। बेटी का खयाल रखने व गर्भावस्था में आराम करने के लिये शालिनी ने अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा पहले ही दे दिया था। इस भीषण शारीरिक एवं मानसिक अवस्था में डॉ शालिनी को अपने पति का शव भारत ले जाना था… जो कि स्थिति को देखते हुए तुरन्त ले जाना सम्भव भी नहीं था…।

फ़िर 10 फ़रवरी 2010 को शालिनी ने एक पुत्र “वेदांत” को जन्म दिया, चूंकि डिलेवरी ऑपरेशन (सिजेरियन) के जरिये हुई थी, इसलिये शालिनी को कुछ दिनों तक बिस्तर पर ही रहना पड़ा… ज़रा इस बहादुर स्त्री की परिस्थिति के बारे में सोचिये… उधर दूसरे अस्पताल में पति का शव पड़ा हुआ है, दो वर्ष की बेटी की देखभाल, नवजात शिशु की देखभाल, ऑपरेशन की दर्दनाक स्थिति से गुज़रना… कैसी भयानक मानसिक यातना सही होगी डॉ शालिनी ने… 

लेकिन रुकिये… अभी विपदाओं का और भी वीभत्स रुप सामने आना बाकी था…

1 मार्च 2010 को नज़रान (सऊदी अरब) की पुलिस ने डॉ शालिनी को अस्पताल में ही नोटिस भिजवाया कि ऐसी शिकायत मिली है कि “आपके पति ने मौत से पहले इस्लाम स्वीकार कर लिया था एवं शक है कि उसने अपने पति को ज़हर देकर मार दिया है”। इन बेतुके आरोपों और अपनी मानसिक स्थिति से बुरी तरह घबराई व टूटी शालिनी ने पुलिस के सामने तरह-तरह की दुहाई व तर्क रखे, लेकिन उसकी एक न सुनी गई। अन्ततः शालिनी को उसके मात्र 34 दिन के नवजात शिशु के साथ पुलिस कस्टडी में गिरफ़्तार कर लिया गया व उससे कहा गया कि जब तक उसके पति डॉ आशीष का दोबारा पोस्टमॉर्टम नहीं होता व डॉक्टर अपनी जाँच रिपोर्ट नहीं दे देते, वह देश नहीं छोड़ सकती। डॉ शालिनी को शुरु में 25 दिनों तक जेल में रहना पड़ा, ज़मानत पर रिहाई के बाद उसे अस्पताल कैम्पस में ही अघोषित रुप से नज़रबन्द कर दिया गया, उसकी प्रत्येक हरकत पर नज़र रखी जाती थी…। चूंकि नौकरी भी नहीं रही व स्थितियों के कारण आर्थिक हालत भी खराब हो चली थी इसलिये दिल्ली से परिवार वाले शालिनी को पैसा भेजते रहे, जिससे उसका काम चलता रहा… लेकिन उन दिनों उसने हालात का सामना बहुत बहादुरी से किया। जिस समय शालिनी जेल में थी तब यहाँ से गई हुईं उनकी माँ ने दो वर्षीय बच्ची की देखभाल की। शालिनी के पिता की दो साल पहले ही मौत हो चुकी है…

डॉ आशीष का शव अस्पताल में ही रखा रहा, न तो उसे भारत ले जाने की अनुमति दी गई, न ही अन्तिम संस्कार की। डॉक्टरों की एक विशेष टीम ने दूसरी बार पोस्टमॉर्टम किया तथा ज़हर दिये जाने के शक में “टॉक्सिकोलोजी व फ़ोरेंसिक विभाग” ने भी शव की गहन जाँच की। अन्त में डॉक्टरों ने अपनी फ़ाइनल रिपोर्ट में यह घोषित किया कि डॉ आशीष को ज़हर नहीं दिया गया है उनकी मौत सामान्य हार्ट अटैक से ही हुई, लेकिन इस बीच डॉ शालिनी का जीवन नर्क बन चुका था। इन बुरे और भीषण दुख के दिनों में भारत से शालिनी के रिश्तेदारों ने सऊदी अरब स्थित भारत के दूतावास से लगातार मदद की गुहार की, भारत स्थित सऊदी अरब के दूतावास में भी विभिन्न सम्पर्कों को तलाशा गया लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली, यहाँ तक कि तत्कालीन विदेश राज्यमंत्री शशि थरुर से भी कहलवाया गया, लेकिन सऊदी अरब सरकार ने “कानूनों”(?) का हवाला देकर किसी की नहीं सुनी। मनमोहन सिंह की नींद तब भी खराब नहीं हुई…

शालिनी ने अपने बयान में कहा कि आशीष द्वारा इस्लाम स्वीकार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता था, यदि ऐसा कोई कदम वे उठाते तो निश्चित ही परिवार की सहमति अवश्य लेते, लेकिन मुझे नहीं पता कि पति को ज़हर देकर मारने जैसा घिनौना आरोप मुझ पर क्यों लगाया जा रहा है।

इन सारी दुश्वारियों व मानसिक कष्टों के कारण शालिनी की दिमागी हालत बहुत दबाव में आ गई थी एवं वह गुमसुम सी रहने लगी थी, लेकिन उसने हार नहीं मानी और सऊदी प्रशासन से लगातार न्याय की गुहार लगाती रही। अन्ततः 3 दिसम्बर 2010 को सऊदी सरकार ने यह मानते हुए कि डॉ आशीष की मौत स्वाभाविक है, व उन्होंने इस्लाम स्वीकार नहीं किया था, शालिनी चावला को उनका शव भारत ले जाने की अनुमति दी। डॉ आशीष का अन्तिम संस्कार 8 दिसम्बर (बुधवार) को दिल्ली के निगमबोध घाट पर किया गया… आँखों में आँसू लिये यह बहादुर महिला तनकर खड़ी रही, डॉ शालिनी जैसी परिस्थितियाँ किसी सामान्य इंसान पर बीतती तो वह कब का टूट चुका होता…

यह घटनाक्रम इतना हृदयविदारक है कि मैं इसका कोई विश्लेषण नहीं करना चाहता, मैं सब कुछ पाठकों पर छोड़ना चाहता हूँ… वे ही सोचें…

1) डॉ हनीफ़ और डॉ शालिनी के मामले में कांग्रेस सरकार के दोहरे रवैये के बारे में सोचें…

2) ऑस्ट्रेलिया सरकार एवं सऊदी सरकार के बर्ताव के अन्तर के बारे में सोचें…

3) भारत में काम करने वाले, अरबों का चन्दा डकारने वाले, मानवाधिकार और महिला संगठनों ने इस मामले में क्या किया, यह सोचें…

4) डॉली बिन्द्रा, वीना मलिक जैसी छिछोरी महिलाओं के किस्से चटखारे ले-लेकर दिन-रात सुनाने वाले “जागरुक” व “सबसे तेज़” मीडिया ने इस महिला पर कभी स्टोरी चलाई? इस बारे में सोचें…

5) भारत की सरकार का विदेशों में दबदबा(?), भारतीय दूतावासों के रोल और शशि थरुर आदि की औकात के बारे में भी सोचें…

और हाँ… कभी पैसा कमाने से थोड़ा समय फ़्री मिले, तो इस बात पर भी विचार कीजियेगा कि फ़िजी, मलेशिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, सऊदी अरब और यहाँ तक कि कश्मीर, असम, बंगाल जैसी जगहों पर हिन्दू क्यों लगातार जूते खाते रहते हैं? कोई उन्हें पूछता तक नहीं…
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विषय से जुड़ा एक पुराना मामला –

जो लोग “सेकुलरिज़्म” के गुण गाते नहीं थकते, जो लोग “तथाकथित मॉडरेट इस्लाम”(?) की दुहाईयाँ देते रहते हैं, अब उन्हें डॉ शालिनी के साथ-साथ, मलेशिया के श्री एम मूर्ति के मामले (2006) को भी याद कर लेना चाहिये, जिसमें उसकी मौत के बाद मलेशिया की “शरीयत अदालत” ने कहा था कि उसने मौत से पहले इस्लाम स्वीकार कर लिया था। परिवार के विरोध और न्याय की गुहार के बावजूद उन्हें इस्लामी रीति-रिवाजों के अनुसार दफ़नाया गया था। जी नहीं… एम मूर्ति, भारत से वहाँ नौकरी करने नहीं गये थे, मूर्ति साहब मलेशिया के ही नागरिक थे, और ऐसे-वैसे मामूली नागरिक भी नहीं… माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी, मलेशिया की सेना में लेफ़्टिनेंट रहे, मलेशिया की सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया था… लेकिन क्या करें, दुर्भाग्य से वह “हिन्दू” थे…। विस्तार से यहाँ देखें… http://en.wikipedia.org/wiki/Maniam_Moorthy

भारत की सरकार जो “अपने नागरिकों” (वह भी एक विधवा महिला) के लिये ही कुछ नहीं कर पाती, तो मूर्ति जी के लिये क्या करती…? और फ़िर जब “ईमानदार लेकिन निकम्मे बाबू” कह चुके हैं कि “देश के संसाधनों पर पहला हक मुस्लिमों का है…” तो फ़िर एक हिन्दू विधवा का दुख हो या मुम्बई के हमले में सैकड़ों मासूम मारे जायें… वे अपनी नींद क्यों खराब करने लगे?

बहरहाल, पहले मुगलों, फ़िर अंग्रेजों, और अब गाँधी परिवार की गुलामी में व्यस्त, “लतखोर” हिन्दुओं को अंग्रेजी नववर्ष की शुभकामनाएं… क्योंकि वे मूर्ख इसी में “खुश” भी हैं…। विश्वास न आता हो तो 31 तारीख की रात को देख लेना…।

डॉ शालिनी चावला, मैं आपको दिल की गहराईयों से सलाम करता हूँ और आपका सम्मान करता हूँ, जिस जीवटता से आपने विपरीत और कठोर हालात का सामना किया, उसकी तारीफ़ के लिये शब्द नहीं हैं मेरे पास…
(…समाप्त)
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सन्दर्भ :-
http://timesofindia.indiatimes.com/india/Falsely-accused-of-killing-spouse-doc-jailed-in-Saudi/articleshow/7154236.cms

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38 Comments

  1. December 30, 2010 at 8:40 am

    >आज पहली क्रोध आने की बजाय आंखे नम हो गई आगे क्‍या कहूंा

  2. December 30, 2010 at 9:45 am

    >अजीब हालत हो गयी है ये लेख पढ़ कर. गुस्से और दुःख का मिलाजुला प्रभाव है. तात्कालिक प्रतिक्रिया तो ये ही है – मादर*&*%$^^$&***&%*%%$$कांग्रेसी. मैं तो ये सोच कर ही थर्रा रहा हूँ कि अगर उनकी पैसे से मदद करने वाला यहाँ भारत में कोई नहीं होता तो उनका क्या होता. शायद वो भी वहाँ शालिनी से शबनम खातून बना दी जाती!!!

  3. P K Surya said,

    December 30, 2010 at 9:59 am

    >Dukhh or Dukhh lekin Bahaduri ko salam. Ye latkhor congresi hen jo ek akeli mahila k liye to kuchh nahi karte par ek ensan yadi musalman he to uske liye kuchh b kar sakte hen ye khabar na to media me he ayege na he Babua, sonia, or bhondu gadhi ko he pata chalega (pata he bhi to ye kyon bole ye mahila hindu he koi enke jaat (musalman)se to sambandh he nahi)Bhaiya enhe vote se matlab he sale hindustan ka maal kha kha k itali me arbo rupya daba rahen hen pata hahi hum hindu ya kahen ke hindustani kab en latkhor congresi netaon ko latiyaenge.

  4. December 30, 2010 at 10:08 am

    >पहले वो आए साम्यवादियों के लिएऔर मैं चुप रहा क्योंकि मैं साम्यवादी नहीं थाफिर वो आए मजदूर संघियों के लिएऔर मैं चुप रहा क्योंकि मैं मजदूर संघी नहीं थाफिर वो यहूदियों के लिए आएऔर मैं चुप रहा क्योंकि मैं यहूदी नहीं थाफिर वो आए मेरे लिएऔर तब तक बोलने के लिए कोई बचा ही नहीं थाजूतेखोरो का क्या है बस जूते खाते रहेंगे !!!

  5. Anonymous said,

    December 30, 2010 at 10:10 am

    >भारत की सरकार जो “अपने नागरिकों” (वह भी एक विधवा महिला) के लिये ही कुछ नहीं कर पाती, तो मूर्ति जी के लिये क्या करती…? और फ़िर जब “ईमानदार लेकिन निकम्मे बाबू” कह चुके हैं कि “देश के संसाधनों पर पहला हक मुस्लिमों का है…” तो फ़िर एक हिन्दू विधवा का दुख हो या मुम्बई के हमले में सैकड़ों मासूम मारे जायें… वे अपनी नींद क्यों खराब करने लगे? बहरहाल, पहले मुगलों, फ़िर अंग्रेजों, और अब गाँधी परिवार की गुलामी में व्यस्त, "लतखोर" हिन्दुओं को अंग्रेजी नववर्ष की शुभकामनाएं… क्योंकि वे मूर्ख इसी में "खुश" भी हैं…। Jai Mata dii,

  6. ZEAL said,

    December 30, 2010 at 10:16 am

    >असंवेदनशील सरकार खून के आंसू रुला रही है।

  7. Deepesh said,

    December 30, 2010 at 10:33 am

    >जब जेद्दाह स्थित भारतीय दूतावास केवल हज यात्रा प्रबंधक के रुप में अधिक कार्य करे तो एक हिन्दु विधवा के लिए इंसाफ की उम्मीद करना ही बेईमानी है । वैसे भी साउदी लोग भारतीय महिलाओं एवं लड़कियों से कैसा व्यहवार करतें यह बात किसी से छुपी नही है। क्या करें कुछ समझ में नही आता और कांग्रेस सरकार से तो उम्मीद करना ही व्यर्थ है। घोर निराशा…हे इश्वर अब तू ही हमें नई राह दिखा ।

  8. December 30, 2010 at 11:15 am

    >कुछ कहने कि जरूरत ही नहीं है, इसी को तो कहते हैं भारतीय हिन्दू नारी,दुर्गाजी सीताजी झांसिकी रानी ये देवियाँ मात्र भारत में ही पैदा हो सकती है, उन्हें कोई मनमोहन {सोनिया माता के} रूपी पुजारी कि जरुरत नहीं है…

  9. Man said,

    December 30, 2010 at 11:46 am

    >वन्दे मातरम सर ,एक मजबूत और बहादुर इरादों वाली महिला की दुःख बीती लेकिन उस से ज्यादा दुखद इस वर्तमान सरकार का दोगलापन |जिस साहस से इस महिला विदेशो में संकट झेले हे में शालिनी को सलाम करता हूँ |देखिये इस मजबूर की कहानी http://jaishariram-man.blogspot.com/2010/12/blog-post_29.html

  10. December 30, 2010 at 11:52 am

    >सुरेश जी गलती हम लोगो की हे क्यो बार बार इसी सरकार को इसी काग्रेस को वोट देते हे, क्यो इसे बार बार जीताते हे, पांच साल तक पिसने के बाद फ़िर से इसे भारी बहुमत से जीता दिया…. जनता मे बहुत ताकत हे बस एकता की कमी हे, ओर जब हमे अपने वोट की कीमत पता चलेगी उस दिन को मै सलाम करुंगा, हम मे से कितने लोग वॊट डालते हे? अगर सारे ना सही ९०% लोग वोट डाले तो देखे यह चोर केसे आते हे बार बार, धन्यवाद आप की पोस्ट पढ कर हमे अपनी बेबसी पर रहम नही आता, गुस्सा आता हे उन मुर्ख लोगो पर जो इन्हे जीताते हे, इन्हे सर पर बिठाते हे

  11. December 30, 2010 at 12:08 pm

    >एक हिन्दू महिला भी लड़ सकती है….जीत सकती है.

  12. December 30, 2010 at 1:35 pm

    >अजी आप भी कहाँ की सर-पैर की हाँकने लगते हैं….केवल सऊदी अरब ही वह देश नहीं हैं, जहां एक मुस्लिम का अधिकार 100% है, इसाई का 50% और एक हिन्दू का 01% । इस भारत देश में भी हिन्दुओं के लिए ऐसा ही कानून है…

  13. December 30, 2010 at 1:39 pm

    >प्रश्न वही है ????????????????????????और कुछ नहीं.

  14. December 30, 2010 at 2:16 pm

    >दर्दनाक हादसा , यह लड़की अब कहाँ हैं ? क्या इसका पता मिल सकता है ? हम लोग उसकी मदद करने का प्रयत्न क्यों करें सुरेश भाई??सादर

  15. December 30, 2010 at 3:06 pm

    >आदरणीय सुरेश भाई सच में दिल को झाक्जोर देने वाला लेख…कहने को कुछ नहीं बचा, शब्द ही नहीं हैं, क्रोध और दुःख एक साथ तडपा रहे हैं…अब तो इस कांग्रेस का कुछ करना ही पड़ेगा, अब लगता है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानेंगे…सच में इस बहादुर महिला को दिल से सलाम…यही हमारे महान भारत की महान महिला है…सस्ती टीआरपी के भूखे मीडिया वाले इस महिला को क्यों कवर करने लगे…यदि आप नहीं बताते तो हमें तो पता भी नहीं चलता…आप ने जहाँ से भी या जिस किसी से भी यह खबर लेकर हुम तक पहुचाई है वह महत्वपूर्ण है, आपकी मेहनत व ईमानदारी महत्वपूर्ण है…सुरेश भाई आपको भी दिल से सल्यूट…इस महत्वपूर्ण सूचना की लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद…

  16. December 30, 2010 at 3:26 pm

    >सरकार का दोगला रवैया कोइ नया नहीं है…

  17. December 30, 2010 at 5:20 pm

    >हजूर, बांगलादेश, पाकिस्तान, मलेशिया और अरब देशो में ही नही, हिंदुस्तान के काश्मीर, असम, बंगाल में भी हिन्दुओ का जीना दुश्वार है. हाल ही में मुंबई में ताड देव इलाके में मुस्लिम गुंडो से अपनी बहन की इज्जत बचाने के लिये हिंदू युवक को अपनी जान गन्वानी पडी. पूरी खबर यहां पढे..ARTICLE URL: http://www.dnaindia.com/mumbai/report_brother-gets-killed-trying-to-save-sister-from-hooligans-in-tardeo_1487041-all

  18. kunwarji's said,

    December 30, 2010 at 8:44 pm

    >एक बहादुर बच्ची की बड़ी दर्दनाक दास्ताँ….और आपके ये सवाल… @3) भारत में काम करने वाले, अरबों का चन्दा डकारने वाले, मानवाधिकार और महिला संगठनों ने इस मामले में क्या किया, यह सोचें… 4) डॉली बिन्द्रा, वीना मलिक जैसी छिछोरी महिलाओं के किस्से चटखारे ले-लेकर दिन-रात सुनाने वाले “जागरुक” व “सबसे तेज़” मीडिया ने इस महिला पर कभी स्टोरी चलाई? इस बारे में सोचें… इनकी औकात दिखा ही रहे है…और तो क्याहे….वैसे भाटिया ही भी ठीक कह रहे है…कुंवर जी,

  19. December 31, 2010 at 3:13 am

    >इस्लाम तो मानवता का धर्म है कहते नहीं थकते इसके प्रचारक , पर इनकी मानवता का नमूना इन घटनाओं में साफ़ दिखता है कि कैसी मानवता है उनकी | उनकी ऐसी मानवता उन्हें ही मुबारक हो |और इस छद्म निरपेक्ष दोगली सरकार के बारे में तो कहना ही क्या ?

  20. December 31, 2010 at 4:09 am

    >.इस पूरी घटना को पढ़कर जहाँ क्रोध इकतरफा हो गया दूसरी तरफ डॉ. शालिनी के लिये आँखें नम हो गयीं. विषम स्थितियों में उनकी हिम्मत को देखकर आखों में गुमान की चमक भी आ गयी. सच में ऎसी ही होती है भारतीय नारी. जो किसी भी हालात में धैर्य न छोड़े. साहस और सहिष्णुता की देवि…….. शालिनी चावला. इस्लाम मतलब धूर्तता का मजहब, क्रूरता का पर्याय..

  21. annuberasia said,

    December 31, 2010 at 4:16 am

    >आज क्रोध आने की बजाय आंखे नम हो गई

  22. sanjay jha said,

    December 31, 2010 at 5:11 am

    >?????pranam

  23. awyaleek said,

    December 31, 2010 at 5:51 am

    >नींद उचाट क्यों होगी!!जहां से उसे वोट कटने की आशा दिखती है वहाँ से उसकी नींद उचाट होती है,हिन्दू से तो उसे वोट मिलने ही वाला है भले ही वो हिंदुओं की कितनी भी माँ-बहन कर दे तो फिर उसकी नींद क्यों उचाट होने लगी।

  24. kaverpal said,

    December 31, 2010 at 6:07 am

    >Dear suresh ji baat congress ki nahi hai is congress ka jab se nehrukaran hua hai tab se hi is desh ki halat aisi ho gayi hai kyon ki nehru to khud islam ki jadon se nikla tha aur natija aap sab log kashmir vivad ke roop me sabhi log dekh rahe ho is aadmi ne apne soch se jo socha wo aisa socha ki jab tak congress rehegitab tak iska nehrukaran hi rahega .ek baat mai aapko batata hun aage se congress me gandhiji ka naam nahin lena kyon ki gandhi parivar ka isme koi nahin hai wo log nasamajh hain jo gandhi,nehru parivar bolte hain .

  25. Harsh said,

    December 31, 2010 at 8:39 am

    >post vicharoteejak hai

  26. jitu said,

    December 31, 2010 at 9:41 am

    >vicarniya

  27. December 31, 2010 at 6:22 pm

    >आप को परिवार समेत नये वर्ष की शुभकामनाये.नये साल का उपहारhttp://blogparivaar.blogspot.com/

  28. December 31, 2010 at 7:17 pm

    >शायद यह महिला ही दुर्गा का अवतार सिद्ध हो..शालिनी जी भारत में महिलाओं का ही नहीं, बल्कि देश का प्रतिनिधित्व करने के लिये आगे आयें.. हम उनके साथ खड़े होंगे..

  29. January 2, 2011 at 2:58 am

    >बेहद भयावह खबर है । इस पोस्ट को पढ़कर ही अजीब सा लगा तो सोचिये कि उस महिला पर क्या बीती होगी, कैसे हालात से वह दो चार हो रही होगी। लानत है सरकार पर। और सबसे ज्यादा लानत है उस मीडिया पर जो हमेशा सबसे तेज रहने की डींगे मारता नहीं थकता। फिलहाल तो दीपिका के नखरे और मल्लिका के जलवे दिखाने से फुरसत मिले तब न वह इस तरह की खबरों पर नजर दौड़ाए। बहुत संभव था कि इस खबर को यदि मीडिया में ढंग से चलाया जाता तो सरकार हिल जाती। भले ही लोग कितना भी आधुनिक या बेखबरी की हालत में क्यों न हों। किंतु एक प्रसूता के प्रति किया गया इस तरह का निर्मम उपेक्षा व्यवहार जनता की नजर में अब भी पाप की श्रेणी में आता है।

  30. Deepak said,

    January 2, 2011 at 9:49 am

    >बहुत बढिया आप और बी पर्यास करते रहे

  31. January 2, 2011 at 2:27 pm

    >एक और भी उदाहरण है और एक क्या अनेक हैं किंतु उनसे समाज के दलित वंचितों को अधिकार का संघर्ष तेज होता है और वोटखोर भ्रष्टाचारियों को लाभ नहीं पहुँचता शायद इसलिए आपका ध्यान नहीं गया। लिंक दे रहा हूं-http://mohallalive.com/2010/09/21/ranjeet-verma-poem-on-maoist-movement-in-india/

  32. mukesh567 said,

    January 3, 2011 at 3:36 am

    >Kya hum Desh ki tez media channels ke editors ke mail Id's par ye article mail nahi kar sakte?

  33. January 3, 2011 at 8:16 am

    >जैन जी आपने सिद्व कर दिया कि जा उल्‍टा सोचते हैं उनका विरोधी दिन कहे तो भी जल्‍दी स्‍वीकार नहीं करेंगें आपने जो कविता का लिंक दिया है वो माओआदियों के समर्थन में है जो कि एक अलग वषिय है यहां तो इसपर बात ही नहीं हो रही थी आपकी नजर में भी भले ही उपरोक्‍त लेख सही हो लेकिन सबके सामने आप स्‍वीकार नहीं करना चाहते हैा आखिर आप की हार हो जायेगीा आपको माओ‍वादियों की शवया्त्रा की कविता दीख रही है पर उनके द्वारा मारे गये निर्दोश जवानो के परिवार की रूदालियां नजर नहीं आतीा आपको तो पढना ही अब बंद कर देना चाहिएा धिक्‍कार है आप पर जिस वषिय पर सब एकमत हों उसमें भी आप अपने अहं में व्‍यस्‍त हैं

  34. January 3, 2011 at 1:34 pm

    >A Muslim die on work compensations is 100000 ,for Jew or christian it is 50,000 and for Hindu it is 6666 that is law of Saudi Arab and other Islamic country

  35. Sam said,

    January 3, 2011 at 8:28 pm

    >Virendra Jain tum jaineeyo ke naam perdhabba ho yaar….fromSamir Jain

  36. wani_ji said,

    January 4, 2011 at 3:54 pm

    >Dada, zakzor dene wala lekh….shalini didi ko kotish pranam…vastav me ye bharat ki mati ka hi bal tha jo vikat paristhiti me bhi unhone itana sangharsh kiya….ek aur vicharottejak lekh ke liye sadhuvad…man to karta hai ki manmohan ko vo wali galiya du…lekin asansadiya shabdo ka prayog yaha karna uchit nahi hai…

  37. January 13, 2011 at 11:02 am

    >3) भारत में काम करने वाले, अरबों का चन्दा डकारने वाले, मानवाधिकार और महिला संगठनों ने इस मामले में क्या किया, यह सोचें…4) डॉली बिन्द्रा, वीना मलिक जैसी छिछोरी महिलाओं के किस्से चटखारे ले-लेकर दिन-रात सुनाने वाले “जागरुक” व “सबसे तेज़” मीडिया ने इस महिला पर कभी स्टोरी चलाई? इस बारे में सोचें…5) भारत की सरकार का विदेशों में दबदबा(?), भारतीय दूतावासों के रोल और शशि थरुर आदि की औकात के बारे में भी सोचें…और हाँ… कभी पैसा कमाने से थोड़ा समय फ़्री मिले, तो इस बात पर भी विचार कीजियेगा कि फ़िजी, मलेशिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, सऊदी अरब और यहाँ तक कि कश्मीर, असम, बंगाल जैसी जगहों पर हिन्दू क्यों लगातार जूते खाते रहते हैं? कोई उन्हें पूछता तक नहीं…=======besharmi ki had ho gayi .yahan to sarkar ka ye haal lagta hai ki ……………maine piya mere ghoRe ne piya ab kuaaN tu dhah jaa ????????????

  38. dhwanant said,

    November 2, 2011 at 4:45 pm


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